मरकुस के मुताबिक खुशखबरी 1:1-45

1  परमेश्‍वर के बेटे यीशु मसीह के बारे में खुशखबरी यूँ शुरू होती है:  भविष्यवक्‍ता यशायाह की किताब में लिखा है: “(देख! मैं अपना दूत तेरे आगे-आगे* भेज रहा हूँ, जो तेरे लिए रास्ता तैयार करेगा।)+  सुनो! वीराने में कोई पुकार रहा है: ‘यहोवा का रास्ता तैयार करो, उसकी सड़कें सीधी करो।’”+  इसी के मुताबिक, यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाला वीरान इलाकों में आया। वह प्रचार करने लगा कि लोगों को बपतिस्मा लेना होगा, जो इस बात की निशानी ठहरेगा कि उन्होंने अपने पापों का पश्‍चाताप किया है और वे माफी पाना चाहते हैं।+  इसलिए पूरे यहूदिया प्रदेश और यरूशलेम के सब लोग यूहन्‍ना के पास जाने लगे। वे अपने पापों को खुलकर मान लेते थे और वह उन्हें यरदन नदी में बपतिस्मा देता था।+  यूहन्‍ना ऊँट के बालों से बने कपड़े पहनता था और कमर पर चमड़े का पट्टा बाँधा करता था।+ वह टिड्डियाँ और जंगली शहद खाता था।+  वह यह प्रचार करता था: “मेरे बाद जो आनेवाला है वह मुझसे कहीं शक्‍तिशाली है। मैं इस लायक भी नहीं कि झुककर उसकी जूतियों के फीते खोलूँ।+  मैं तो तुम्हें पानी से बपतिस्मा देता हूँ, मगर वह तुम्हें पवित्र शक्‍ति से बपतिस्मा देगा।”+  उन्हीं दिनों यीशु, गलील प्रदेश के नासरत शहर से यूहन्‍ना के पास आया और उसने यरदन में यूहन्‍ना से बपतिस्मा लिया।+ 10  जैसे ही यीशु पानी में से ऊपर आया, उसने आकाश को खुलते और पवित्र शक्‍ति को एक कबूतर के रूप में अपने ऊपर उतरते देखा।+ 11  फिर स्वर्ग से आवाज़ सुनायी दी: “तू मेरा प्यारा बेटा है, मैंने तुझे मंज़ूर किया है।”+ 12  इसके तुरंत बाद पवित्र शक्‍ति ने यीशु को वीराने में जाने के लिए उभारा। 13  यीशु 40 दिन तक वीराने में ही रहा, जहाँ शैतान ने उसे फुसलाने की कोशिश की।+ वह जंगली जानवरों के बीच रहा और स्वर्गदूतों ने उसकी सेवा की।+ 14  फिर यूहन्‍ना के गिरफ्तार होने के बाद,+ यीशु गलील गया+ और परमेश्‍वर की खुशखबरी सुनाने लगा।+ 15  उसने यह प्रचार किया, “तय किया गया वक्‍त आ चुका है और परमेश्‍वर का राज पास आ गया है। इसलिए हे लोगो, पश्‍चाताप करो+ और खुशखबरी पर विश्‍वास करो।” 16  फिर यीशु ने गलील झील के किनारे चलते-चलते शमौन और उसके भाई अन्द्रियास को देखा।+ वे दोनों मछुवारे थे और झील में अपने जाल डाल रहे थे।+ 17  यीशु ने उनसे कहा, “मेरे पीछे हो लो और जिस तरह तुम मछलियाँ पकड़ते हो, मैं तुम्हें इंसानों को पकड़नेवाले बनाऊँगा।”+ 18  तब वे फौरन अपने जाल छोड़कर उसके पीछे चल दिए।+ 19  थोड़ी दूर चलने पर यीशु ने याकूब और उसके भाई यूहन्‍ना को देखा। ये दोनों जब्दी के बेटे थे और अपनी नाव में जाल ठीक कर रहे थे।+ 20  उसने बिना देर किए उन्हें बुलाया। तब वे अपने पिता जब्दी को मज़दूरों के साथ नाव में छोड़कर यीशु के पीछे चल दिए। 21  इसके बाद वे कफरनहूम गए। जैसे ही सब्त का दिन शुरू हुआ, वह वहाँ के सभा-घर में गया और लोगों को सिखाने लगा।+ 22  लोग उसके सिखाने का तरीका देखकर दंग रह गए, क्योंकि वह उन्हें शास्त्रियों की तरह नहीं, बल्कि अधिकार रखनेवाले की तरह सिखा रहा था।+ 23  वहीं सभा-घर में एक ऐसा आदमी था जिसमें एक दुष्ट स्वर्गदूत समाया था। उस आदमी ने चिल्लाकर कहा, 24  “हे यीशु नासरी, हमें तुझसे क्या लेना-देना?+ क्या तू हमें नाश करने आया है? मैं जानता हूँ तू असल में कौन है, तू परमेश्‍वर का पवित्र जन है!”+ 25  मगर यीशु ने उसे फटकारा, “चुप हो जा और उसमें से बाहर निकल जा!” 26  तब उस दुष्ट स्वर्गदूत ने उस आदमी को मरोड़ा और फिर ज़ोर से चीखता हुआ उसमें से बाहर निकल गया।+ 27  यह देखकर सब लोग हैरान रह गए और आपस में कहने लगे, “यह क्या है? यह तो कोई नयी शिक्षा है! वह दुष्ट स्वर्गदूतों को भी अधिकार के साथ आज्ञा देता है और वे उसकी मानते हैं।” 28  और यीशु की चर्चा बड़ी तेज़ी से गलील के पूरे इलाके में फैल गयी। 29  तब वे सभा-घर से निकलकर शमौन और अन्द्रियास के घर गए।+ याकूब और यूहन्‍ना भी उनके साथ थे। 30  शमौन की सास+ बीमार थी और बुखार में पड़ी थी। उन्होंने फौरन यीशु को उसके बारे में बताया। 31  यीशु उसके पास गया और उसने हाथ पकड़कर उसे उठाया। तब उसका बुखार उतर गया और वह उनकी सेवा करने लगी। 32  फिर शाम को जब सूरज ढल चुका था तब लोग उन सभी को जो बीमार थे और जिनमें दुष्ट स्वर्गदूत समाए थे, यीशु के पास लाने लगे।+ 33  यहाँ तक कि पूरा शहर उनके दरवाज़े पर जमा हो गया। 34  तब उसने ऐसे बहुत-से लोगों को ठीक किया जिन्हें तरह-तरह की बीमारियाँ थीं।+ उसने कई दुष्ट स्वर्गदूतों को भी निकाला+ मगर वह उन दुष्ट स्वर्गदूतों को बोलने नहीं देता था, क्योंकि वे जानते थे कि वह मसीह है।+ 35  अगली सुबह जब अँधेरा ही था, तब यीशु उठकर बाहर गया और किसी एकांत जगह की तरफ निकल पड़ा। वहाँ वह प्रार्थना करने लगा।+ 36  मगर शमौन और उसके साथी उसे ढूँढ़ने निकले 37  और जब वह उन्हें मिला तो उन्होंने कहा, “सब लोग तुझे ढूँढ़ रहे हैं।” 38  मगर उसने कहा, “आओ हम कहीं और आस-पास की बस्तियों में जाएँ ताकि मैं वहाँ भी प्रचार कर सकूँ क्योंकि मैं इसीलिए आया हूँ।”+ 39  वह वहाँ से गया और पूरे गलील के सभा-घरों में प्रचार करता रहा और लोगों में समाए दुष्ट स्वर्गदूतों को निकालता रहा।+ 40  फिर उसके पास एक कोढ़ी भी आया और उसके सामने घुटने टेककर गिड़गिड़ाने लगा, “बस अगर तू चाहे, तो मुझे शुद्ध कर सकता है।”+ 41  उसे देखकर यीशु तड़प उठा+ और अपना हाथ बढ़ाकर उसे छुआ और कहा, “हाँ, मैं चाहता हूँ। शुद्ध हो जा।”+ 42  उसी पल उसका कोढ़ गायब हो गया और वह शुद्ध हो गया। 43  फिर यीशु ने उसे फौरन विदा कर दिया और उसे सख्ती से कहा, 44  “देख, किसी से कुछ न कहना। मगर जाकर खुद को याजक को दिखा और मूसा ने शुद्ध होने के लिए भेंट में जो-जो चीज़ें चढ़ाने के लिए कहा था उन्हें चढ़ा+ ताकि उन्हें गवाही मिले।”+ 45  लेकिन वहाँ से जाते ही वह आदमी सबको बताने लगा। उसने यह किस्सा इतना मशहूर कर दिया कि इसके बाद यीशु खुलेआम किसी शहर में न जा सका बल्कि एकांत इलाकों में ही रहा। फिर भी, लोग हर कहीं से उसके पास आते रहे।+

कई फुटनोट

शा., “तेरे चेहरे के सामने।”

अध्ययन नोट

मरकुस: यह लातीनी नाम मार्कस से निकला है। मरकुस “यूहन्‍ना” का रोमी उपनाम था जिसका ज़िक्र प्रेष 12:12 में किया गया है। उसकी माँ का नाम मरियम था, जो यरूशलेम में रहती थी और शुरू के चेलों में से एक थी। यूहन्‍ना मरकुस “बरनबास का भाई लगता” था। (कुल 4:10) वह प्रचार के लिए बरनबास के साथ सफर पर जाता था। वह पौलुस और दूसरे मिशनरियों के साथ भी सफर पर जाता था। (प्रेष 12:25; 13:5, 13; 2ती 4:11) हालाँकि इस खुशखबरी की किताब में कहीं नहीं बताया गया है कि इसे किसने लिखा, फिर भी दूसरी और तीसरी सदी के लेखकों का कहना है कि यह किताब मरकुस ने लिखी थी।

मरकुस के मुताबिक खुशखबरी: खुशखबरी की किताबों के किसी भी लेखक ने यह नहीं बताया कि उसने यह किताब लिखी है। साथ ही, सबूतों से पता चलता है कि मूल पाठ में शीर्षक नहीं थे। मरकुस की किताब की कुछ हस्तलिपियों में लंबा शीर्षक था, इयूएजीलियोन कता मरकोन (“मरकुस के मुताबिक खुशखबरी”) और कुछ हस्तलिपियों में छोटा शीर्षक था, कता मरकोन (“मरकुस के मुताबिक”)। यह पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता कि ऐसे शीर्षक कब से लिखे जाने लगे या इस्तेमाल किए जाने लगे। कुछ लोगों का मानना है कि दूसरी सदी से ऐसे शीर्षक इस्तेमाल किए जाने लगे क्योंकि खुशखबरी की किताबों की कुछ ऐसी हस्तलिपियाँ मिली हैं, जिनमें लंबा शीर्षक है और ये हस्तलिपियाँ या तो दूसरी सदी के आखिर की हैं या तीसरी सदी की शुरूआत की। कुछ विद्वानों का कहना है कि शायद मरकुस की किताब के शुरूआती शब्दों (“परमेश्‍वर के बेटे यीशु मसीह के बारे में खुशखबरी यूँ शुरू होती है”) की वजह से इन ब्यौरों को “खुशखबरी” की किताबें कहा गया है। शीर्षक में “खुशखबरी” शब्द के साथ लेखक का नाम शायद इसलिए इस्तेमाल किया जाने लगा ताकि किताबों की सही-सही पहचान हो सके।

परमेश्‍वर के बेटे: हालाँकि कुछ हस्तलिपियों में से ये शब्द हटा दिए गए हैं, लेकिन कई हस्तलिपियों में ये शब्द पाए जाते हैं।

यीशु मसीह के बारे में खुशखबरी: यूनानी में इन शब्दों का अनुवाद ऐसे भी किया जा सकता है: “यीशु मसीह की खुशखबरी,” यानी वह खुशखबरी जिसका ऐलान यीशु ने किया था।

खुशखबरी: मत 4:23; 24:14 के अध्ययन नोट और शब्दावली देखें।

यशायाह की किताब में लिखा है: इसके बाद जो बात लिखी है वह मला 3:1 और यश 40:3 की भविष्यवाणियों से ली गयी है। ये दोनों भविष्यवाणियाँ यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले के बारे में हैं। इन दोनों भविष्यवाणियों में फर्क करने के लिए मलाकी की बात कोष्ठक में दी गयी है और यह यूहन्‍ना की भूमिका पर ध्यान दिलाती है कि वह एक दूत है। यशायाह की बात आयत 3 में लिखी है जो बताती है कि यूहन्‍ना किस बारे में संदेश सुनाता। हालाँकि दोनों भविष्यवाणियों की बात लिखी है, मगर नाम सिर्फ यशायाह का दिया गया है, शायद इसलिए कि यशायाह की भविष्यवाणी अहम थी।

देख!: इसका यूनानी शब्द आइडू है और इसका इस्तेमाल अकसर आगे की बात पर ध्यान खींचने के लिए किया गया है ताकि पढ़नेवाला बतायी जा रही घटना की कल्पना कर सके या उसकी बारीकी पर ध्यान दे सके। यह शब्द किसी बात पर ज़ोर देने के लिए या कोई नयी या हैरानी की बात बताने से पहले भी इस्तेमाल किया गया है। मसीही यूनानी शास्त्र में यह शब्द सबसे ज़्यादा बार मत्ती, लूका और प्रकाशितवाक्य की किताबों में आया है। इसी से मिलता-जुलता शब्द इब्रानी शास्त्र में भी अकसर इस्तेमाल हुआ है।

यहोवा: यहाँ यश 40:3 की बात लिखी है। मूल इब्रानी पाठ में इस आयत में परमेश्‍वर के नाम के लिए चार इब्रानी व्यंजन (हिंदी में य-ह-व-ह) इस्तेमाल हुए हैं। (अति. ग देखें।) मरकुस ने यह भविष्यवाणी लिखकर बताया कि ‘यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले’ (मर 1:4) ने यीशु के लिए कैसे रास्ता तैयार किया।​—मत 3:3 का अध्ययन नोट देखें।

उसकी सड़कें सीधी करो: मत 3:3 का अध्ययन नोट देखें।

बपतिस्मा देनेवाला: या “डुबकी लगवानेवाला।” यहाँ और मर 6:14, 24 में यूनानी कृदंत (participle) हो बपटाइज़ोन इस्तेमाल हुआ है, जिसका अनुवाद “जो बपतिस्मा देता है” भी किया जा सकता है। इसकी यूनानी संज्ञा बैप्टिस्टेस मर 6:25; 8:28 में और मत्ती और लूका की किताब में इस्तेमाल हुई है। हालाँकि इन दोनों शब्दों का रूप अलग है, मगर मतलब एक है। इसलिए मूल यूनानी पाठ में मर 6:24, 25 में ये दोनों शब्द इस्तेमाल हुए हैं।​—मत 3:1 का अध्ययन नोट देखें।

वीरान इलाकों: यानी यहूदिया का वीराना।​—मत 3:1 का अध्ययन नोट देखें।

बपतिस्मा . . . इस बात की निशानी ठहरेगा कि उन्होंने . . . पश्‍चाताप किया है: शा., “पश्‍चाताप का बपतिस्मा।” बपतिस्मे से लोगों के पाप नहीं धुल जाते थे। इसके बजाय यूहन्‍ना ऐसे लोगों को बपतिस्मा देता था जो मूसा के कानून के खिलाफ किए अपने पापों का खुलकर पश्‍चाताप करते थे और ठान लेते थे कि वे अपनी ज़िंदगी में बदलाव करेंगे। पश्‍चाताप करने का उनका यह रवैया उन्हें मसीह तक ले गया। (गल 3:24) इस तरह यूहन्‍ना लोगों को तैयार कर रहा था ताकि वे देख सकें कि “परमेश्‍वर कैसे उद्धार करता है।”​—लूक 3:3-6; मत 3:2, 8, 11 के अध्ययन नोट और शब्दावली में “बपतिस्मा; बपतिस्मा देना”; “पश्‍चाताप” देखें।

पूरे यहूदिया प्रदेश . . . सब लोग: “पूरे” और “सब,” इन शब्दों का मतलब यह नहीं कि यहूदिया या यरूशलेम का हर इंसान यूहन्‍ना के पास गया था। इसके बजाय ये शब्द यहाँ अतिशयोक्‍ति अलंकार के तौर पर इस्तेमाल हुए हैं। ये इस बात पर ज़ोर देते हैं कि यूहन्‍ना के प्रचार काम से लोगों में गहरी दिलचस्पी जागी।

अपने पापों को खुलकर मान लेते थे: मत 3:6 का अध्ययन नोट देखें।

बपतिस्मा देता था: या “डुबकी लगवाता था।”​—मत 3:11 का अध्ययन नोट और शब्दावली में “बपतिस्मा; बपतिस्मा देना” देखें।

ऊँट के बालों से बने कपड़े: मत 3:4 का अध्ययन नोट देखें।

टिड्डियाँ: मत 3:4 का अध्ययन नोट देखें।

जंगली शहद: मत 3:4 का अध्ययन नोट देखें।

कहीं शक्‍तिशाली: मत 3:11 का अध्ययन नोट देखें।

जूतियों: मत 3:11 का अध्ययन नोट देखें।

तुम्हें . . . बपतिस्मा देता हूँ: या “डुबकी लगवाता हूँ।”​—मत 3:11 का अध्ययन नोट और शब्दावली में “बपतिस्मा; बपतिस्मा देना” देखें।

तुम्हें पवित्र शक्‍ति से बपतिस्मा देगा: या “तुम्हें पवित्र ज़ोरदार शक्‍ति में डुबकी लगवाएगा।” यहाँ यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाला ऐलान कर रहा था कि यीशु एक नया इंतज़ाम शुरू करेगा और वह है, पवित्र शक्‍ति से बपतिस्मा देना। जिन लोगों का पवित्र शक्‍ति से बपतिस्मा होता है वे परमेश्‍वर के अभिषिक्‍त बेटे बन जाते हैं और उन्हें यह आशा मिलती है कि वे स्वर्ग में जीएँगे और राजा बनकर धरती पर राज करेंगे।​—प्रक 5:9, 10.

उन्हीं दिनों: लूक 3:1-3 के मुताबिक, यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले ने “सम्राट तिबिरियुस के राज के 15वें साल में” यानी ईसवी सन्‌ 29 के वसंत में प्रचार सेवा शुरू की। (लूक 3:1 का अध्ययन नोट देखें।) करीब छ: महीने बाद यानी ईसवी सन्‌ 29 के पतझड़ में यीशु, यूहन्‍ना के पास बपतिस्मा लेने आया।​—अति. क7 देखें।

जैसे ही: मरकुस के अध्याय 1 में यूनानी शब्द यूथीस 11 बार आया है और इस आयत में पहली बार इस्तेमाल हुआ है। (मर 1:10, 12, 18, 20, 21, 23, 28, 29, 30, 42, 43) इस यूनानी शब्द का अनुवाद संदर्भ के मुताबिक “तुरंत,” “फौरन,” “उसी पल,” “उसी वक्‍त,” “बिना देर किए” किया गया है। मरकुस ने अपनी किताब में 40 से ज़्यादा बार इस शब्द का इस्तेमाल किया। इससे उसके ब्यौरे में बतायी घटनाओं में जान आ जाती है और पता चलता है कि घटनाएँ कितनी तेज़ी से घटीं।

उसने: ज़ाहिर है कि यहाँ यीशु की बात की गयी है। यूह 1:32, 33 के मुताबिक यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले ने भी यह घटना देखी, लेकिन मालूम पड़ता है कि मरकुस यीशु के बारे में बात कर रहा था।

एक कबूतर के रूप में: कबूतरों का बलिदान चढ़ाया जाता था। (मर 11:15; यूह 2:14-16) इन्हें सीधेपन और शुद्धता की निशानी भी माना जाता था। (मत 10:16) नूह ने जिस कबूतर या फाख्ते को जहाज़ के बाहर भेजा था वह जैतून की एक पत्ती लेकर वापस आयी थी। इससे ज़ाहिर हुआ कि जलप्रलय का पानी कम हो रहा है (उत 8:11) और चैन और शांति का वक्‍त शुरू होनेवाला है (उत 5:29)। उसी तरह, यीशु के बपतिस्मे के वक्‍त यहोवा ने शायद कबूतर का इस्तेमाल यह बताने के लिए किया कि मसीहा के तौर पर यीशु क्या करेगा। परमेश्‍वर का यह बेटा इंसानों की खातिर अपना जीवन बलिदान करता क्योंकि वह पूरी तरह शुद्ध था और उसमें कोई पाप नहीं था। उसके बलिदान के आधार पर आगे चलकर उसके राज में चैन और शांति का दौर होगा। यीशु के बपतिस्मे के वक्‍त जब परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति उस पर उतरी तो वह शायद पंख फड़फड़ाते हुए ऐसे कबूतर की तरह दिख रही थी जो कहीं बैठनेवाला हो।

ऊपर: या “अंदर” यानी अपने अंदर समाते हुए देखा।

स्वर्ग से आवाज़ सुनायी दी: खुशखबरी की किताबों में बताया गया है कि यहोवा ने तीन मौकों पर सीधे-सीधे इंसानों से बात की और यह पहला मौका था।​—मर 9:7; यूह 12:28 के अध्ययन नोट देखें।

तू मेरा . . . बेटा है: स्वर्ग में यीशु परमेश्‍वर का बेटा था। (यूह 3:16) धरती पर जब वह इंसान के रूप में पैदा हुआ तब भी “परमेश्‍वर का बेटा” कहलाया ठीक जैसे परिपूर्ण आदम भी था। (लूक 1:35; 3:38) लेकिन ऐसा लगता है कि यहाँ परमेश्‍वर ने जब उसे अपना बेटा कहा तो वह सिर्फ उसकी पहचान नहीं करा रहा था। सबूत दिखाते हैं कि यह बात कहकर और पवित्र शक्‍ति उँडेलकर वह ज़ाहिर कर रहा था कि यीशु, जो अब तक आम आदमी था, अब से उसका चुना हुआ बेटा है। वह इस मायने में “दोबारा पैदा” हुआ कि उसके पास वापस स्वर्ग में जीवन पाने की आशा है, जहाँ परमेश्‍वर उसे राजा और महायाजक ठहराएगा।​—यूह 3:3-6; 6:51; कृपया लूक 1:31-33; इब्र 2:17; 5:1, 4-10; 7:1-3 से तुलना करें।

मैंने तुझे मंज़ूर किया है: या “जिससे मैं अति प्रसन्‍न हूँ; जिससे मैं बहुत खुश हूँ।” यही शब्द मत 12:18 में इस्तेमाल हुए हैं जहाँ यश 42:1 की बात लिखी है। इस आयत में वादा किए गए मसीहा या मसीह के बारे में बताया गया है। अपने बेटे यीशु के बारे में परमेश्‍वर का ऐलान और उस पर पवित्र शक्‍ति उँडेलना इस बात का सबूत था कि वही वादा किया गया मसीहा है।​—मत 3:17; 12:18 के अध्ययन नोट देखें।

पवित्र शक्‍ति ने यीशु को . . . जाने के लिए उभारा: या “ज़ोरदार शक्‍ति ने उसे . . . जाने के लिए प्रेरित किया।” यूनानी शब्द नफ्मा का यहाँ मतलब है, परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति। यह शक्‍ति एक इंसान को परमेश्‍वर की मरज़ी के मुताबिक काम करने के लिए प्रेरित कर सकती है, उभार सकती है या बढ़ावा दे सकती है।​—लूक 4:1; शब्दावली में “रुआख; नफ्मा” देखें।

शैतान: मत 4:1 का अध्ययन नोट देखें।

जंगली जानवरों: यीशु के दिनों में इसराएल के वीराने में बहुत-से जंगली जानवर हुआ करते थे, जबकि आज उतने नहीं हैं। जैसे जंगली सूअर, लकड़-बग्घा, चीता, शेर और भेड़िया। खुशखबरी की किताबों के लेखकों में से सिर्फ मरकुस ने बताया कि उस इलाके में जंगली जानवर पाए जाते हैं। ज़ाहिर है कि यह जानकारी उसने खास तौर से रोमी और दूसरे गैर-यहूदियों के लिए लिखी जो शायद इसराएल के इलाकों से वाकिफ नहीं थे।

तय किया गया वक्‍त आ चुका है: इस संदर्भ में ‘तय किए गए वक्‍त’ (यूनानी में काइरोस) का मतलब है, शास्त्र में पहले से बताया गया वह समय जब यीशु धरती पर अपनी सेवा शुरू करता, जिससे लोगों को खुशखबरी पर विश्‍वास करने का मौका मिलता। यही यूनानी शब्द और दो बार इस्तेमाल हुआ है। एक, उस “वक्‍त” के लिए जब यीशु के प्रचार की वजह से लोगों की जाँच होती (लूक 12:56; 19:44) और दूसरा, ‘तय किए गए उस वक्‍त’ के लिए जब उसकी मौत होती।​—मत 26:18.

परमेश्‍वर का राज: मूल पाठ में ये शब्द मरकुस की किताब में 14 बार आए हैं। मत्ती ने ये शब्द सिर्फ चार बार इस्तेमाल किए (मत 12:28; 19:24; 21:31, 43), जबकि इनसे मिलते-जुलते शब्द ‘स्वर्ग का राज’ करीब 30 बार इस्तेमाल किए। (मर 10:23 की तुलना मत 19:23, 24 से करें।) परमेश्‍वर का राज यीशु के प्रचार का मुख्य विषय था। (लूक 4:43) खुशखबरी की चार किताबों में राज का सौ से ज़्यादा बार ज़िक्र मिलता है और सबसे ज़्यादा बार ज़िक्र यीशु ने किया।​—मत 3:2; 4:17; 25:34 के अध्ययन नोट देखें।

गलील झील: मत 4:18 का अध्ययन नोट देखें।

इंसानों को पकड़नेवाले: मत 4:19 का अध्ययन नोट देखें।

याकूब और उसके भाई यूहन्‍ना: मत 4:21 का अध्ययन नोट देखें।

मज़दूरों के साथ: सिर्फ मरकुस ने बताया कि जब्दी और उसके बेटों ने मछुवाई के कारोबार में ‘मज़दूर’ रखे थे। ज़ाहिर है कि पतरस उनके कारोबार में साझेदार और मरकुस की लिखी ज़्यादातर घटनाओं का चश्‍मदीद गवाह था। इसलिए हो सकता है कि यह जानकारी भी उसी ने दी हो। (लूक 5:5-11; “मरकुस की किताब पर एक नज़र” भी देखें।) मरकुस ने लिखा कि जब्दी और उसके बेटों ने मज़दूर रखे थे और लूका ने लिखा कि उनके पास एक-से-ज़्यादा नाव थीं, इन दोनों बातों से पता चलता है कि उनका फलता-फूलता कारोबार था।​—मत 4:18 का अध्ययन नोट देखें।

कफरनहूम: मत 4:13 का अध्ययन नोट देखें।

सभा-घर: शब्दावली देखें।

उसके सिखाने का तरीका: इन शब्दों का मतलब सिर्फ यह नहीं कि यीशु ने कैसे सिखाया बल्कि यह भी है कि उसने क्या सिखाया।

शास्त्रियों की तरह नहीं: यीशु अपनी बात साबित करने के लिए इज़्ज़तदार रब्बियों की कही बातें नहीं दोहराता था, जैसा शास्त्री किया करते थे। इसके बजाय यीशु अधिकार रखनेवाले की तरह सिखाता था। वह यहोवा की तरफ से बोलता और उसके वचन से सिखाता था।​—यूह 7:16.

एक दुष्ट स्वर्गदूत: या “अशुद्ध स्वर्गदूत।” शब्द “अशुद्ध” से पता चलता है कि दुष्ट स्वर्गदूत नैतिकता और उपासना के मामले में अशुद्ध हैं, साथ ही इंसानों पर उनका बुरा असर पड़ता है जिस वजह से वे भी अशुद्ध हो जाते हैं।

उस आदमी ने चिल्लाकर कहा: जब उस आदमी ने आयत 24 में लिखे शब्द चिल्लाकर कहे, तो यीशु ने उस दुष्ट स्वर्गदूत को फटकारा जिसके काबू में वह आदमी था और जिसने उस आदमी से वे शब्द कहलवाए थे।​—मर 1:25; लूक 4:35.

हमें तुझसे क्या लेना-देना?: मत 8:29 का अध्ययन नोट देखें।

हमें . . . मैं: आयत 23 में सिर्फ एक दुष्ट स्वर्गदूत की बात की गयी है जिसके काबू में वह आदमी था। इसलिए ज़ाहिर है कि जब उसने बहुवचन (“हमें”) इस्तेमाल किया तो उसने अपने साथी स्वर्गदूतों को ध्यान में रखकर बात की और फिर खुद के लिए एकवचन (“मैं”) इस्तेमाल किया।

चुप हो जा: शा., “अपने मुँह पर मुसका बाँध।” दुष्ट स्वर्गदूत जानता था कि यीशु ही मसीह या मसीहा है और उसने यीशु को “परमेश्‍वर का पवित्र जन” कहा। (आय. 24) फिर भी, यीशु ने उसे अपने बारे में गवाही देने की इजाज़त नहीं दी।​—मर 1:34; 3:11, 12.

जब सूरज ढल चुका था: सूरज ढलने पर सब्त का दिन खत्म हो गया था। (लैव 23:32; मर 1:21; मत 8:16; 26:20 के अध्ययन नोट देखें।) अब यहूदी अपने बीमार जनों को यीशु के पास ला सकते थे, क्योंकि उन्हें डर नहीं था कि कोई उन्हें फटकारेगा।​—मर 2:1-5; लूक 4:31-40 से तुलना करें।

जो बीमार थे और जिनमें दुष्ट स्वर्गदूत समाए थे: दुष्ट स्वर्गदूत जिन लोगों में समा जाते थे उन्हें वे कई बार शारीरिक तौर पर बीमार कर देते थे। (मत 12:22; 17:15-18) लेकिन शास्त्र में आम तौर पर होनेवाली बीमारी और दुष्ट स्वर्गदूतों की वजह से होनेवाली बीमारी में फर्क बताया गया है। बीमारी की वजह चाहे जो भी रही हो, यीशु ने पीड़ित लोगों को ठीक किया।​—मत 4:24; 8:16; मर 1:34.

पूरा शहर: ज़ाहिर है कि मर 1:5 की तरह यहाँ भी शब्द “पूरा” अतिशयोक्‍ति अलंकार के तौर पर इस्तेमाल हुआ है। इस शब्द से साफ पता चलता है कि बड़ी तादाद में लोग यीशु के पास आए।

वे जानते थे कि वह मसीह है: कुछ यूनानी हस्तलिपियों में सिर्फ यह लिखा है: “वे उसे जानते थे।” इसका अनुवाद ऐसे भी किया जा सकता है: “वे जानते थे कि वह कौन है।” इसके मिलते-जुलते ब्यौरे लूक 4:41 में लिखा है, “वे जानते थे कि वह मसीह है।”

सब लोग: ज़ाहिर है कि यह अतिशयोक्‍ति अलंकार है, जिसका इस्तेमाल इस बात पर ज़ोर देने के लिए किया गया है कि बड़ी तादाद में लोग यीशु को ढूँढ़ रहे थे।

पूरे गलील . . . में प्रचार करता रहा: इन शब्दों के मुताबिक, गलील में यीशु के प्रचार का पहला दौरा शुरू होता है। उसके साथ उसके चार नए चेले पतरस, अन्द्रियास, याकूब और यूहन्‍ना भी हैं।​—मर 1:16-20; अति. क7 देखें।

एक कोढ़ी: मत 8:2 का अध्ययन नोट और शब्दावली में “कोढ़; कोढ़ी” देखें।

घुटने टेककर: प्राचीन मध्य पूर्व में किसी के सामने घुटने टेकना, आदर की निशानी माना जाता था। ऐसा खासकर अधिकारियों से फरियाद करते वक्‍त किया जाता था। खुशखबरी की किताबों के लेखकों में सिर्फ मरकुस ने इस घटना में ये शब्द इस्तेमाल किए।

तड़प उठा: या “करुणा से भर गया।” (मत 9:36 का अध्ययन नोट देखें।) बाइबल के कुछ नए ज़माने के अनुवादों में लिखा है कि यीशु “को क्रोध आया।” लेकिन ज़्यादातर पुरानी हस्तलिपियों में, यहाँ तक कि सबसे प्राचीन और भरोसेमंद हस्तलिपियों में “तड़प उठा (या करुणा से भर गया)” लिखा है। संदर्भ से भी पता चलता है कि यीशु ने गुस्से में आकर नहीं बल्कि करुणा से भरकर कदम उठाया।

उसे छुआ: मत 8:3 का अध्ययन नोट देखें।

मैं चाहता हूँ: मत 8:3 का अध्ययन नोट देखें।

किसी से कुछ न कहना: मुमकिन है कि यीशु ने यह आज्ञा इसलिए दी क्योंकि वह खुद की बड़ाई नहीं चाहता था और न ही यह चाहता था कि लोगों का ध्यान यहोवा परमेश्‍वर और उसके राज की खुशखबरी पर से हट जाए। ऐसा करके उसने यश 42:1, 2 की भविष्यवाणी पूरी की जिसमें लिखा है कि यहोवा का सेवक ‘सड़कों पर अपनी आवाज़ ऊँची नहीं करेगा’ जिससे उसकी वाह-वाही हो। (मत 12:15-19) यीशु की नम्रता दिल को छू जाती थी, जबकि कपटी लोग उससे बिलकुल उलट थे। उन्हें यीशु ने इस बात के लिए फटकारा कि वे “सड़कों के चौराहे पर खड़े होकर प्रार्थना” करते थे ताकि “लोग उन्हें देख सकें।” (मत 6:5) ज़ाहिर है कि यीशु चाहता था कि लोग ठोस सबूतों के आधार पर विश्‍वास करें कि वह मसीह है, न कि उसके चमत्कारों के बारे में कोई सनसनीखेज़ खबर सुनकर।

खुद को याजक को दिखा: मूसा के कानून के मुताबिक, एक याजक को कोढ़ी की जाँच करके बताना होता था कि वह ठीक हो गया है। इसके लिए ठीक हुए कोढ़ी को मंदिर जाना होता था और लैव 14:2-32 के मुताबिक, मूसा ने शुद्ध होने के लिए भेंट में जो-जो चीज़ें चढ़ाने के लिए कहा था वे सब उसे चढ़ानी होती थीं।

तसवीर और ऑडियो-वीडियो

मरकुस की किताब पर एक नज़र वीडियो
मरकुस की किताब पर एक नज़र वीडियो
वीराना
वीराना

बाइबल में जिन मूल शब्दों (इब्रानी में मिधबार और यूनानी में ईरेमोस ) का अनुवाद ‘वीराना’ या ‘वीरान इलाका’ किया गया है, उनका आम तौर पर मतलब होता है ऐसा इलाका जहाँ कहीं-कहीं घर होते हैं और खेती नहीं होती। लेकिन अकसर इन शब्दों का मतलब होता है, ऐसे मैदान जहाँ घास-फूस और झाड़ियाँ उगती हैं और जानवर चराए जाते हैं। इन शब्दों का मतलब रेगिस्तान भी हो सकता है जहाँ पानी नहीं होता। खुशखबरी की किताबों में जब वीराने की बात की गयी है तो आम तौर पर उसका मतलब है यहूदिया का वीराना। इसी वीराने में यूहन्‍ना रहता था और प्रचार करता था और यहीं शैतान ने यीशु को फुसलाया था।​—मर 1:12.

यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले की वेश-भूषा
यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले की वेश-भूषा

यूहन्‍ना ऊँट के बालों से बुनकर बनाया गया कपड़ा पहनता था और कमर पर चमड़े का एक ऐसा पट्टा बाँधता था, जिसमें छोटी-छोटी चीज़ें रखी जा सकती थीं। भविष्यवक्‍ता एलियाह का पहनावा भी कुछ ऐसा ही था। (2रा 1:8) ऊँट के बालों से बना कपड़ा खुरदरा होता था और इसे ज़्यादातर गरीब लोग पहनते थे, जबकि अमीर लोग रेशम या मलमल से बने मुलायम कपड़े पहनते थे। (मत 11:7-9) यूहन्‍ना जन्म से नाज़ीर था, इसलिए उसके बाल कभी काटे नहीं गए थे। उसकी वेश-भूषा देखते ही पता चलता था कि उसका जीवन सादा था और वह परमेश्‍वर की मरज़ी पूरी करने में ही लगा रहता था।

टिड्डियाँ
टिड्डियाँ

बाइबल में बतायी “टिड्डियाँ” किसी भी किस्म की टिड्डियाँ हो सकती हैं, जिनमें छोटी-छोटी संवेदी शृंगिकाएँ (एन्टिना) होती हैं, खासकर वे टिड्डियाँ जिनके बड़े-बड़े झुंड एक जगह से दूसरी जगह प्रवास करते हैं। यरूशलेम में की गयी एक खोज के मुताबिक वीरानों में पायी जानेवाली टिड्डियों में 75 प्रतिशत प्रोटीन होता है। आज जो लोग इन्हें खाते हैं, वे इनके सिर, पैर, पंख और पेट निकालकर फेंक देते हैं। बाकी के हिस्से यानी सीने को कच्चा या पकाकर खाया जाता है। कहा जाता है कि इनका स्वाद झींगे या केकड़े जैसा होता है।

जंगली शहद
जंगली शहद

यहाँ तसवीर (1) में जंगली मधुमक्खियों का एक छत्ता और तसवीर (2) में शहद से भरा छत्ता दिखाया गया है। यूहन्‍ना जो शहद खाता था वह शायद एपिस मेलिफेरा सिरियाका नाम की जंगली मधुमक्खियों का बनाया शहद था। इस प्रजाति की मधुमक्खियाँ बहुत हमलावर होती हैं और यहूदिया के वीराने में पायी जाती हैं। ये वहाँ के गरम और शुष्क मौसम में भी रह लेती हैं, मगर इस प्रजाति का मधुमक्खी पालन नहीं किया जा सकता। फिर भी, ईसा पूर्व नौवीं में इसराएल के लोग शहद इकट्ठा करने के लिए मिट्टी के बेलनाकार बरतनों में मधुमक्खी पालन करते थे। यरदन घाटी के एक इलाके में (आज का टेल रिहोव), जो पुराने ज़माने में शहरी इलाका था, मधुमक्खी के छत्तों के कई टुकड़े मिले हैं। ये मधुमक्खियाँ शायद ऐसी प्रजाति की थीं जो उस इलाके से लायी गयी थीं जिसे आज तुर्की कहा जाता है।

जूतियाँ
जूतियाँ

बाइबल के ज़माने में जूतियाँ सैंडल की तरह होती थीं। उनका तला चमड़े, लकड़ी या किसी रेशेदार चीज़ से बना होता था। जूतियों में चमड़े के फीते होते थे जिनसे इन्हें पैरों में बाँधा जाता था। जूतियाँ कुछ किस्म के लेन-देन की निशानी के तौर पर इस्तेमाल की जाती थीं या फिर कोई बात समझाने के लिए उनकी मिसाल दी जाती थी। उदाहरण के लिए, कानून का पालन करते हुए एक विधवा उस आदमी की जूती उतार देती थी, जो उसके साथ देवर-भाभी विवाह करने से इनकार कर देता था। ऐसे आदमी का अपमान करने के लिए कहा जाता था, “उसका घराना जिसकी जूती उतार दी गयी है।” (व्य 25:9, 10) जब कोई अपनी संपत्ति दूसरे के नाम करता था या छुड़ाने का अपना हक दूसरे को देता था तो निशानी के तौर पर वह अपनी जूती उतारकर उसे दे देता था। (रूत 4:7) किसी की जूतियों के फीते खोलना या उन्हें उठाना छोटा काम माना जाता था, जो अकसर एक गुलाम करता था। यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले ने इस रिवाज़ का ज़िक्र यह बताने के लिए किया कि वह मसीह की तुलना में छोटा है।

यरदन नदी
यरदन नदी

यूहन्‍ना ने यरदन नदी में यीशु को बपतिस्मा दिया था, मगर ठीक किस जगह पर दिया था, यह पता नहीं है।

यरदन नदी के पश्‍चिम में यहूदिया का वीराना
यरदन नदी के पश्‍चिम में यहूदिया का वीराना

इसी बंजर इलाके में यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले ने प्रचार करना शुरू किया था और यहीं शैतान ने यीशु को फुसलाया था।

वीराने के जंगली जानवर
वीराने के जंगली जानवर

जिस वीराने में यीशु ने 40 दिन और रात गुज़ारे वहाँ कई तरह के जंगली जानवर पाए जाते थे, जैसे (1) शेर, (2) चीता और (3) धारीदार लकड़बग्घा। हालाँकि सैकड़ों साल से वहाँ शेर नहीं पाए जाते, लेकिन चीता और लकड़बग्घा देखे जाते हैं। पिछले कुछ सालों से वे भी बहुत कम दिखायी देते हैं।

मछली पकड़ने का जाल
मछली पकड़ने का जाल

गलील झील में मछुवारे दो तरह के छोटे जाल इस्तेमाल करते थे। एक, छोटी मछलियाँ पकड़ने के लिए जो महीन बुना हुआ होता था और दूसरा, बड़ी मछलियाँ पकड़ने के लिए जो मोटा बुना होता था। ये जाल बड़े जाल से अलग होते थे। बड़े जाल से मछलियाँ पकड़ने के लिए आम तौर पर कम-से-कम एक नाव और कई लोगों की ज़रूरत होती थी। लेकिन छोटे जाल से मछलियाँ पकड़ने के लिए एक ही आदमी काफी होता था। वह नाव पर से, झील के किनारे पानी में या पानी के बाहर खड़े होकर जाल फेंकता था। छोटे जाल का व्यास शायद 15 फुट (5 मी.) या उससे ज़्यादा होता था और जाल के बाहरी किनारों पर पत्थर या सीसे के टुकड़े बँधे होते थे। सही तरह से फेंकने पर यह पानी की सतह पर फैल जाता था। पहले किनारा पानी में डूबता था और फिर जैसे-जैसे जाल झील के अंदर जाता था, मछलियाँ उसके अंदर फँसती जाती थीं। मछुवारा या तो डुबकी लगाकर जाल में फँसी मछलियाँ निकालता था या फिर सावधानी से जाल को किनारे पर खींचता था। जाल को अच्छी तरह इस्तेमाल करने के लिए काफी हुनर और मेहनत लगती थी।

गलील झील की मछलियाँ
गलील झील की मछलियाँ

बाइबल में कई बार मछलियों, मछलियाँ पकड़ने और मछुवारों का ज़िक्र गलील झील के साथ किया गया है। गलील झील में करीब 18 किस्म की मछलियाँ पायी जाती हैं जिनमें से करीब 10 किस्मों में ही मछुवारों को दिलचस्पी होती है। व्यापार क्षेत्र में इन्हें तीन खास समूहों में बाँटा जाता है। पहला है बीन्‍नी जिसे बारबल भी कहा जाता है (चित्र में बारबस लोंजिसेप्स दिखायी गयी है) (1)। इसकी तीन प्रजातियों के मुँह के किनारों पर कड़े बाल होते हैं। इसलिए इसके शामी (Semitic) नाम बीनी का मतलब है “बाल।” इसका खाना सीपियाँ, घोंघे और छोटी-छोटी मछलियाँ होती हैं। लंबे सिरवाली बारबल की लंबाई करीब 30 इंच (75 सें.मी.) और वज़न 7 किलो से ज़्यादा होता है। दूसरा समूह है, मश्‍त (चित्र में तिलापिया गैलिलीया दिखायी गयी है) (2), जिसका अरबी में मतलब है “कंघा” क्योंकि इसकी पाँच प्रजातियों की पीठ का पंख कंघे जैसा होता है। एक किस्म की मश्‍त मछली की लंबाई करीब 18 इंच (45 सें.मी.) और वज़न करीब 2 किलो होता है। तीसरा समूह है, किन्‍नेरेत सार्डीन (चित्र में अकैंथोब्रामा टेरै सैंकटै दिखायी गयी है) (3), जो दिखने में छोटी हिलसा मछलियों की तरह है। पुराने ज़माने से लेकर आज तक सार्डीन मछलियों को नमकीन पानी या सिरके में रखा जाता है ताकि वे बहुत दिनों तक खाने के काम आ सकें।

कफरनहूम में सभा-घर
कफरनहूम में सभा-घर

यहाँ तसवीर में दिखायी सफेद चूना-पत्थर की दीवार उस सभा-घर का हिस्सा है, जिसे दूसरी सदी के आखिर से पाँचवीं सदी की शुरूआत के बीच बनाया गया था। दीवार का निचला हिस्सा काले असिताश्‍म (बेसाल्ट) पत्थरों से बना है और माना जाता है कि यह पहली सदी के सभा-घर का हिस्सा है। अगर यह सच है, तो मुमकिन है कि यह उन जगहों में से एक है जहाँ यीशु सिखाया करता था और जहाँ यीशु ने ऐसे आदमी को ठीक किया था जिसमें दुष्ट स्वर्गदूत समाया था। इस घटना का ज़िक्र मर 1:23-27 और लूक 4:33-36 में किया गया है।