मरकुस के मुताबिक खुशखबरी 4:1-41
कई फुटनोट
अध्ययन नोट
किनारे से थोड़ी दूर: मत 13:2 का अध्ययन नोट देखें।
मिसालें: मत 13:3 का अध्ययन नोट देखें।
ज़मीन . . . मिट्टी के नीचे चट्टान: मत 13:5 का अध्ययन नोट देखें।
काँटों में: मत 13:7 का अध्ययन नोट देखें।
कान लगाकर सुनो कि मैं क्या कह रहा हूँ: बीज बोनेवाले की मिसाल देने से पहले यीशु ने कहा, “ध्यान से सुनो।” (मर 4:3) फिर मिसाल के आखिर में उसने इस आयत में लिखे शब्द कहे। इस तरह उसने इस बात पर ज़ोर दिया कि उसके चेलों के लिए उसकी सलाह सख्ती से मानना ज़रूरी है। इसी तरह का बढ़ावा आगे की आयतों में दिया गया है: मत 11:15; 13:9, 43; मर 4:23; लूक 8:8; 14:35; प्रक 2:7, 11, 17, 29; 3:6, 13, 22; 13:9.
ज़माने: मत 13:22 का अध्ययन नोट देखें।
टोकरी: मत 5:15 का अध्ययन नोट देखें।
जिस नाप से तुम नापते हो: आयत 23 से 25 से पता चलता है कि अगर चेले यीशु की शिक्षाओं पर कम ध्यान देते या कम दिलचस्पी लेते तो उन्हें उन शिक्षाओं से ज़्यादा फायदा नहीं होता। लेकिन अगर वे पूरा-पूरा ध्यान देते तो वह उन्हें इतना सिखाता और समझ देता जितना कि उन्होंने सोचा भी नहीं होगा। इससे उनका ज्ञान बढ़ता और वे दूसरों को और भी अच्छी तरह समझा पाते। यीशु दिल खोलकर उन्हें उम्मीद से ज़्यादा देता।
परमेश्वर का राज ऐसा है जैसे कोई आदमी खेत में बीज छितराता है: खुशखबरी की किताबों के लेखकों में से सिर्फ मरकुस ने यह मिसाल आयत 26 से 29 में दर्ज़ की।
राई के दाने: मत 13:31 का अध्ययन नोट देखें।
बीजों में सबसे छोटा: मत 13:32 का अध्ययन नोट देखें।
एक ज़ोरदार आँधी: इन शब्दों के लिए यूनानी में तीन शब्द हैं जिनका शाब्दिक अनुवाद इस तरह किया जा सकता है: “एक बड़ा भयानक तूफान।” (मत 8:24 का अध्ययन नोट देखें।) इस घटना के दौरान मरकुस मौजूद नहीं था, इसलिए उसने आँधी के बारे जिस तरह लिखा और इस ब्यौरे में दूसरी चीज़ों की जिस तरह बारीक जानकारी दी, उससे पता चलता है कि उसे यह जानकारी शायद पतरस से मिली होगी।—मरकुस की किताब में दी ज़्यादातर जानकारी का स्रोत पतरस है, इस बार में जानने के लिए “मरकुस की किताब पर एक नज़र” देखें।
तकिए: या “गद्दी।” मसीही यूनानी शास्त्र में सिर्फ इसी आयत में यह शब्द आता है। यूनानी में इस शब्द के साथ निश्चित उपपद इस्तेमाल हुआ है जो दिखाता है कि यह तकिया शायद नाव का हिस्सा था। हो सकता है यह बालू से भरी एक बोरी हो जो नाव के पिछले हिस्से में रखी जाती थी ताकि उसके वज़न से नाव स्थिर रहे, या चमड़े की बनी गद्दी हो जिस पर पतवार चलानेवाला बैठता था, या फिर ऊन का गट्ठर या गद्दी हो जिस पर चप्पू चलानेवाला बैठता था।
तसवीर और ऑडियो-वीडियो
इफिसुस और इटली में पहली सदी की कुछ चीज़ों के अवशेष मिले हैं जिनके आधार पर कलाकार ने दीवट का यह चित्र (1) बनाया है। मुमकिन है कि इस तरह की दीवट अमीर लोगों के घरों में इस्तेमाल की जाती थी। गरीबों के घरों में दीपक छत से लटका दिया जाता था या दीवार में बने आले में (2) या फिर मिट्टी या लकड़ी की बनी दीवट पर रखा जाता था।
यह तसवीर दो सबूतों के आधार पर बनायी गयी है। पहला सबूत है, गलील झील के किनारे दलदल में पाया गया एक नाव का अवशेष, जो पहली सदी में मछलियाँ पकड़ने के लिए इस्तेमाल की जाती थी। दूसरा, समुद्र किनारे बसे मिगदल नगर में पहली सदी के एक घर में मिली पच्चीकारी। इस तरह की नाव में शायद एक मस्तूल और पाल लगे होते थे और पाँच लोगों की एक टोली होती थी, चार चप्पू चलानेवाले और एक पतवार चलानेवाला। पतवार चलानेवाला नाव के पिछले हिस्से में बनी छोटी-सी मचान पर खड़ा होता था। यह नाव करीब 26.5 फुट (8 मी.) लंबी होती थी। बीच में इसकी चौड़ाई करीब 8 फुट (2.5 मी.) और गहराई करीब 4 फुट (1.25 मी.) होती थी। ऐसा मालूम होता है कि इसमें 13 या उससे ज़्यादा लोग आ सकते थे।
सन् 1985-1986 में सूखा पड़ने की वजह से गलील झील में पानी काफी कम हो गया था। इससे उसमें प्राचीन समय की एक नाव का पेटा (मुख्य भाग) दिखायी देने लगा। यह नाव दलदल में धँस गयी थी। इसका जो अवशेष मिला है उसकी लंबाई 27 फुट (8.2 मी.), चौड़ाई 7.5 फुट (2.3 मी.) और गहराई लगभग 4.3 फुट (1.3 मी.) है। पुरातत्ववेत्ताओं का कहना है कि यह नाव ईसा पूर्व पहली सदी और ईसवी सन् पहली सदी के बीच की है। यह पेटा फिलहाल इसराएल के एक संग्रहालय में रखा है। इस वीडियो में दिखाया गया है कि करीब 2,000 साल पहले यह नाव कैसी दिखती होगी।