मरकुस के मुताबिक खुशखबरी 6:1-56
कई फुटनोट
अध्ययन नोट
अपने इलाके: मत 13:54 का अध्ययन नोट देखें।
बढ़ई: यीशु “बढ़ई” और “बढ़ई का बेटा,” दोनों कहलाता था। इन शब्दों से हम अंदाज़ा लगा सकते हैं कि 12 साल की उम्र में जब यीशु मंदिर गया था, तब से लेकर प्रचार सेवा शुरू करने तक उसने क्या किया होगा। (मत 13:55 का अध्ययन नोट देखें।) मत्ती ने जो जानकारी नहीं दी, वह मरकुस ने दी और मरकुस ने जो जानकारी नहीं दी, वह मत्ती ने दी।
मरियम का बेटा: यही एक मौका है जब यीशु को मरियम का बेटा कहा गया। यहाँ यूसुफ का कोई ज़िक्र नहीं मिलता, जिससे पता चलता है कि उसकी शायद पहले ही मौत हो चुकी थी। यह इस बात से भी पुख्ता होता है कि यीशु ने यूहन्ना से गुज़ारिश की कि वह उसकी मौत के बाद उसकी माँ मरियम की देखभाल करे।—यूह 19:26, 27.
याकूब: मत 13:55 का अध्ययन नोट देखें।
यहूदा: मत 13:55 का अध्ययन नोट देखें।
भाई: बाइबल में यूनानी शब्द अदेल्फोस ऐसे लोगों के लिए इस्तेमाल हो सकता है, जो एक ही परमेश्वर की उपासना करते हैं। मगर यहाँ यह शब्द यीशु के भाइयों के लिए इस्तेमाल हुआ है जो यूसुफ और मरियम के बेटे थे। कुछ लोगों का मानना है कि यीशु के जन्म के बाद मरियम कुँवारी रही, इसलिए वे दावा करते हैं कि यहाँ शब्द अदेल्फोस चचेरे, फुफेरे, ममेरे या मौसेरे भाइयों के लिए इस्तेमाल हुआ है। लेकिन ऐसे भाइयों के लिए मसीही यूनानी शास्त्र में एक अलग शब्द इस्तेमाल हुआ है (कुल 4:10 में यूनानी शब्द अनेपसियोस)। इसके अलावा, लूक 21:16 में लूका ने यूनानी शब्द अदेल्फोस और सीगजीनेस का बहुवचन इस्तेमाल किया (जिनका अनुवाद है: “भाई” और “रिश्तेदार”)। इन उदाहरणों से पता चलता है कि मसीही यूनानी शास्त्र में परिवार से जुड़ा रिश्ता बताने के लिए यूँ ही कोई शब्द इस्तेमाल नहीं कर लिया गया।
वहाँ और कोई शक्तिशाली काम नहीं किया: या “वहाँ और कोई शक्तिशाली काम नहीं कर पाया।” ऐसा नहीं कि यीशु के पास शक्ति नहीं थी बल्कि हालात ऐसे थे कि उसे चमत्कार करने की ज़रूरत नहीं पड़ी। नासरत के लोगों में विश्वास की कमी थी, इसलिए यीशु ने वहाँ ज़्यादा शक्तिशाली काम नहीं किए। (मत 13:58) जो लोग संदेश नहीं सुनना चाहते थे, उन पर परमेश्वर की शक्ति ज़ाहिर करना बेकार था।—मत 10:14; लूक 16:29-31 से तुलना करें।
उनके विश्वास की कमी देखकर उसे ताज्जुब हुआ: खुशखबरी की किताबों के लेखकों में से सिर्फ मरकुस ने यह लिखा कि यीशु को “अपने इलाके” के लोगों का रवैया देखकर कैसा महसूस हुआ। (मत 13:57, 58; “मरकुस की किताब पर एक नज़र” भी देखें।) जिस यूनानी क्रिया का अनुवाद “ताज्जुब हुआ” किया गया है, वह अकसर यह बताने के लिए इस्तेमाल की गयी है कि यीशु के चमत्कार देखकर और उसकी शिक्षाएँ सुनकर लोगों को कैसा लगता था। (मर 5:20; 15:5) लेकिन दो मौकों पर यह क्रिया यीशु की भावनाएँ ज़ाहिर करने के लिए इस्तेमाल हुई है: एक, जब उसने एक सेना-अफसर का ज़बरदस्त विश्वास देखा (मत 8:10; लूक 7:9) और दूसरा यहाँ, जब उसने नासरत के लोगों में विश्वास की कमी देखी।
आस-पास के गाँवों में जाकर: या “चारों ओर गाँवों में जाकर।” इन शब्दों के मुताबिक, गलील में यीशु के प्रचार का तीसरा दौरा शुरू होता है। (मत 9:35; लूक 9:1) शब्द “चारों ओर” से शायद पता चले कि उसने उस इलाके के कोने-कोने तक प्रचार किया। कुछ विद्वानों का कहना है कि वह प्रचार करते हुए पूरे इलाके में घूमकर वापस उसी जगह आया जहाँ उसने शुरू किया था। यीशु की सेवा का एक अहम पहलू था, सिखाना।—मत 4:23 का अध्ययन नोट देखें।
वहाँ तब तक ठहरो जब तक तुम उस इलाके में रहो: यीशु अपने चेलों को हिदायत दे रहा था कि जब वे किसी नगर में पहुँचें, तो जिस घर में उनकी मेहमान-नवाज़ी की जाती है, उन्हें उसी घर में रुकना चाहिए। उन्हें “घर-पर-घर बदलते” नहीं रहना चाहिए। (लूक 10:1-7) उन्हें ऐसे घर की तलाश नहीं करनी चाहिए जहाँ ज़्यादा सहूलियतें या मन-बहलाव के इंतज़ाम हों। अगर वे यीशु की हिदायत मानते तो वे दिखाते कि उनके लिए आराम से ज़्यादा प्रचार काम मायने रखता है।
अपने पैरों की धूल झाड़ देना: चेलों का ऐसा करना दिखाता कि परमेश्वर उस घर के लोगों का जो न्याय करता उसके लिए वे ज़िम्मेदार नहीं होते। ये शब्द मत 10:14 और लूक 9:5 में भी पाए जाते हैं। इन शब्दों के साथ-साथ मरकुस ने यह भी लिखा: ताकि उन्हें गवाही मिले और लूका ने लिखा, “ताकि उनके खिलाफ गवाही हो।” पौलुस और बरनबास जब पिसिदिया इलाके के अंताकिया शहर में थे तो उन्होंने भी यह हिदायत मानी। (प्रेष 13:51) पौलुस जब कुरिंथ में था तो उसने कुछ इससे मिलता-जुलता ही किया। उसने अपने कपड़े झाड़े और वहाँ के लोगों से कहा, “तुम्हारा खून तुम्हारे ही सिर पड़े। मैं निर्दोष हूँ।” (प्रेष 18:6) पैरों की धूल झाड़ना, इस तरह के व्यवहार से चेले शायद वाकिफ थे। धर्मी होने का दम भरनेवाले यहूदी जब गैर-यहूदियों के देश से सफर करके आते थे, तो अपने इलाकों में घुसने से पहले पैरों की धूल झाड़ देते थे क्योंकि वे सोचते थे कि उस देश की मिट्टी अशुद्ध है। लेकिन ज़ाहिर है कि जब यीशु ने अपने चेलों को यह हिदायत दी तो उसके मन में यह बात नहीं थी।
कई बीमारों पर तेल मलकर: यहाँ इसका लाक्षणिक मतलब था। हालाँकि यह माना जाता था कि तेल में औषधीय गुण होते हैं (लूक 10:34 से तुलना करें), लेकिन बीमारों को सिर्फ तेल से नहीं बल्कि परमेश्वर की पवित्र शक्ति से ठीक किया गया था।—लूक 9:1, 6.
राजा हेरोदेस: यानी हेरोदेस महान का बेटा हेरोदेस अन्तिपास। (शब्दावली में “हेरोदेस” देखें।) मत्ती और लूका ने अन्तिपास के लिए रोमी सरकार से मिली उपाधि “तित्रअर्खेस” यानी “ज़िला-शासक” इस्तेमाल की। (मत 14:1; लूक 3:1 के अध्ययन नोट देखें।) अन्तिपास को गलील और पेरिया पर शासन करने का अधिकार दिया गया था। लेकिन वह “राजा” के तौर पर ज़्यादा मशहूर था। हेरोदेस के लिए यह उपाधि यानी “राजा” मत्ती ने एक बार (मत 14:9) और मरकुस ने हमेशा इस्तेमाल की।—मर 6:22, 25, 26, 27.
लोग कहते थे: शा., “वे कहते थे।” कुछ हस्तलिपियों में लिखा है, “वह कहता था।”
बपतिस्मा देनेवाला: मर 1:4 का अध्ययन नोट देखें।
अपने भाई फिलिप्पुस की पत्नी हेरोदियास: मत 14:3 का अध्ययन नोट देखें।
जानता था कि यूहन्ना नेक और पवित्र इंसान है: यही वजह थी कि हेरोदेस यूहन्ना की सुनता था और उसे बचाने की कोशिश करता था। हालाँकि हेरोदेस यूहन्ना से डरता था, लेकिन उसे मेहमानों के सामने इज़्ज़त गँवाने का ज़्यादा डर था। साथ ही उसमें विश्वास की कमी थी। इसलिए हेरोदियास की बातों में आकर उसने यूहन्ना का कत्ल करवा दिया। यहूदी इतिहासकार जोसीफस ने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले को “भला आदमी” कहा।
हेरोदेस का जन्मदिन: यह शायद गलील झील के पश्चिमी तट पर बसे तिबिरियास शहर में हेरोदेस अन्तिपास के महल में मनाया गया था। ऐसा मानने की एक वजह यह है कि इस आयत में मरकुस कहता है कि हेरोदेस के जन्मदिन पर गलील के जाने-माने लोग मौजूद थे। (मत 14:3, 6 के अध्ययन नोट देखें।) बाइबल में सिर्फ दो जन्मदिनों का ज़िक्र है। एक यह जन्मदिन, जिसमें यूहन्ना का सिर कटवा दिया गया और दूसरा मिस्र के फिरौन का, जिसमें प्रधान रसोइए को मार डाला गया। (उत 40:18-22) इन दोनों मौकों पर एक जैसी घटनाएँ घटीं: एक बड़ी दावत रखी गयी और कुछ लोगों पर मेहरबानी की गयी। साथ ही, ये दोनों जन्मदिन हत्या के लिए जाने जाते हैं।
सेनापतियों: यूनानी शब्द खिलाइ-अरखोस (सहस्त्रपति) का शाब्दिक मतलब है, “एक हज़ार (सैनिकों) का अधिकारी।” यह शब्द एक रोमी हाकिम के लिए इस्तेमाल होता था। हर रोमी पलटन में छ: हाकिम होते थे। लेकिन ऐसा नहीं था कि एक पलटन छ: टुकड़ियों में बँटी होती थी। इसके बजाय समय-अवधि को छ: हिस्सों में बाँटा जाता था और इसके तहत हर हाकिम को पूरी पलटन पर बारी-बारी से अधिकार दिया जाता था। ऐसे सेनापति के पास बहुत अधिकार होता था। वह शतपतियों को चुनता और नियुक्त भी करता था। मोटे तौर पर यूनानी शब्द खिलाइ-अरखोस ऊँचे दर्जे के किसी सेना-अफसर के लिए भी इस्तेमाल हो सकता था। ऐसे बड़े-बड़े अधिकारियों की मौजूदगी में हेरोदेस अपनी कसम पूरी करने के लिए मजबूर हो गया। इसलिए उसने यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले का सिर कटवाने का हुक्म दे दिया।
हेरोदियास की बेटी: यह हेरोदेस फिलिप्पुस की बेटी थी और हेरोदियास की इकलौती संतान थी। हालाँकि उसका नाम सलोमी शास्त्र में नहीं दिया गया है, मगर जोसीफस के लेखों में पाया जाता है। बाद में हेरोदेस अन्तिपास ने अपने भाई फिलिप्पुस की पत्नी, यानी सलोमी की माँ से शादी कर ली और इस तरह व्यभिचार किया।
बपतिस्मा देनेवाले: मर 1:4 का अध्ययन नोट देखें।
उसने जो कसमें खायी थीं: शब्द “कसमें” से पता चलता है कि हेरोदेस ने हेरोदियास की बेटी से किया अपना वादा (मर 6:23) पुख्ता करने के लिए शायद बार-बार कसमें खायी हों।—मत 14:9 का अध्ययन नोट देखें।
एक अंगरक्षक: यहाँ इस्तेमाल हुआ यूनानी शब्द स्पैकाउलेटर लातीनी शब्द (स्पैक्युलेटर) से निकला है। इसका मतलब एक अंगरक्षक या दूत हो सकता है और कभी-कभी जल्लाद भी हो सकता है। करीब 30 लातीनी शब्दों से निकले यूनानी शब्द, मसीही यूनानी शास्त्र में इस्तेमाल हुए हैं। ये शब्द सेना, न्याय-व्यवस्था, पैसों और घर-बार से जुड़े हैं। इनमें से ज़्यादातर शब्द मरकुस और मत्ती की किताबों में हैं और खुशखबरी की किताबों के लेखकों के मुकाबले मरकुस ने सबसे ज़्यादा शब्द इस्तेमाल किए। इससे यह बात पुख्ता हो जाती है कि मरकुस ने अपनी खुशखबरी की किताब रोम में गैर-यहूदियों के लिए लिखी थी, खासकर रोमी लोगों के लिए।—यूह 19:20 का अध्ययन नोट देखें।
कब्र: या “स्मारक कब्र।”—शब्दावली में “स्मारक कब्र” देखें।
तड़प उठा: या “करुणा महसूस की।”—मत 9:36 का अध्ययन नोट देखें।
तुम्हीं उन्हें कुछ खाने को दो: यही एक चमत्कार है जिसके बारे में खुशखबरी की चारों किताबों में बताया गया है।—मत 14:15-21; मर 6:35-44; लूक 9:10-17; यूह 6:1-13.
मछलियाँ: मत 14:17 का अध्ययन नोट देखें।
रोटियाँ तोड़कर: अकसर ये रोटियाँ मोटी और फूली हुई होती थीं। इन्हें तंदूर में सेंककर सख्त बनाया जाता था। इसलिए इन्हें तोड़कर खाया जाता था।—मत 14:19; 15:36; 26:26; मर 8:6; लूक 9:16.
टोकरियाँ: ये शायद खपच्चियों से बनी होती थीं और इनमें डोरी लगी होती थी ताकि लोग इन्हें लटकाकर सफर में ले जा सकें। माना जाता है कि इनका आयतन करीब 7.5 ली. था।—मर 8:19, 20 के अध्ययन नोट देखें।
आदमियों की गिनती 5,000 थी: यही एक चमत्कार है जिसके बारे में खुशखबरी की चारों किताबों में बताया गया है (मत 14:15-21; मर 6:35-44; लूक 9:10-17; यूह 6:1-13), लेकिन सिर्फ मत्ती ने औरतों और बच्चों का ज़िक्र किया। मुमकिन है कि चमत्कार से जिन लोगों को खाना खिलाया गया उनकी गिनती 15,000 से ज़्यादा रही होगी।
चौथे पहर: मत 14:25 का अध्ययन नोट देखें।
ऐसा लग रहा था जैसे वह उनसे आगे जाना चाहता है: या “आगे निकलनेवाला है।” ज़ाहिर है कि यहाँ चेलों के नज़रिए की बात की गयी है। उन्हें लगा कि यीशु उनसे आगे निकलनेवाला है।
रोटियों का चमत्कार देखने के बाद भी वे उसके मायने नहीं समझ सके थे: कुछ ही घंटों पहले चेलों ने देखा था कि यीशु ने ऐसा चमत्कार किया कि कुछ रोटियों से ढेर सारी रोटियाँ हो गयीं। इस घटना से साफ पता चलता है कि पवित्र शक्ति से यीशु को कितनी ताकत मिली थी। फिर भी चेले इस बात को समझने से चूक गए। इसलिए जब यीशु पानी पर चला और उसने आँधी को शांत किया, तब वे एकदम हैरान रह गए। यहाँ तक कि शुरू में जब उन्होंने यीशु को पानी पर चलते देखा, तो उन्हें लगा कि यह उनका “वहम है!”—मर 6:49.
गन्नेसरत: मत 14:34 का अध्ययन नोट देखें।
तसवीर और ऑडियो-वीडियो
प्राचीन समय के इब्री लोग आम तौर पर अपने पास लाठी या डंडा रखते थे। यह कई तरह से काम में आता था, जैसे सहारे के लिए (निर्ग 12:11; जक 8:4; इब्र 11:21), बचाव या लड़ने के लिए (2शमू 23:21), दाँवने के लिए (यश 28:27) और जैतून के पेड़ झाड़ने के लिए ताकि फल गिर सकें (व्य 24:20; यश 24:13)। खाने की पोटली एक थैला होता था, जो आम तौर पर चमड़े का होता था। मुसाफिर, चरवाहे, किसान और दूसरे लोग इसे अपने कंधे पर टाँग लेते थे। इसमें खाना, कपड़े और दूसरी चीज़ें रखी जाती थीं। यीशु ने जब अपने प्रेषितों को प्रचार के लिए भेजा, तो उसने उन्हें लाठी और खाने की पोटली के बारे में भी हिदायतें दीं। प्रेषितों के पास जो चीज़ें थीं बस वही लेकर उन्हें जाना था और यहोवा उनका खयाल रखता। अगर वे कुछ और लेने की कोशिश करते तो प्रचार से उनका ध्यान भटक सकता था।—यीशु की हिदायतों का क्या मतलब था, यह जानने के लिए लूक 9:3 और 10:4 के अध्ययन नोट देखें।
बाइबल में अलग-अलग तरह की टोकरियों के लिए अलग-अलग शब्द इस्तेमाल हुए हैं। जब यीशु ने करीब 5,000 आदमियों को खाना खिलाया, तो बचा हुआ खाना 12 टोकरियों में इकट्ठा किया गया। इन टोकरियों के लिए जो यूनानी शब्द इस्तेमाल हुआ है, उसका मतलब हाथ से उठायी जानेवाली छोटी टोकरियाँ हो सकता है। लेकिन जब यीशु ने करीब 4,000 लोगों को खाना खिलाया था, तो जिन सात टोकरों में बचा हुआ खाना रखा गया, उनके लिए एक अलग यूनानी शब्द इस्तेमाल हुआ है, जिसका मतलब है, बड़े टोकरे। (मर 8:8, 9) यही यूनानी शब्द उस टोकरे के लिए इस्तेमाल हुआ, जिसमें पौलुस को बिठाकर दमिश्क की शहरपनाह से नीचे उतारा गया था।—प्रेष 9:25.
कुछ बाज़ार सड़क पर लगते थे, जैसे यहाँ चित्र में दिखाया गया है। दुकानदार इतना सामान लगा देते थे कि रास्ता जाम हो जाता था। आस-पास के लोग बाज़ार से घरेलू सामान, मिट्टी के बरतन, काँच की महँगी चीज़ें और ताज़ी साग-सब्ज़ियाँ भी खरीदते थे। उस ज़माने में फ्रिज नहीं होते थे, इसलिए लोगों को खाने-पीने की चीज़ें खरीदने हर दिन बाज़ार जाना होता था। बाज़ार में लोगों को व्यापारियों या दूसरी जगहों से आए लोगों से खबरें भी मिल जाती थीं, यहाँ बच्चे खेलते थे और बेरोज़गार लोग इंतज़ार करते थे कि कोई उन्हें काम दे। बाज़ार में यीशु ने बीमारों को ठीक किया और पौलुस ने लोगों को प्रचार किया। (प्रेष 17:17) लेकिन घमंडी शास्त्रियों और फरीसियों को ऐसी सार्वजनिक जगहों पर लोगों की नज़रों में छाना और उनसे नमस्कार सुनना अच्छा लगता था।