मरकुस के मुताबिक खुशखबरी 8:1-38

8  उन दिनों जब एक बार फिर एक बड़ी भीड़ जमा थी और उनके पास खाने को कुछ नहीं था, तो यीशु ने चेलों को बुलाकर कहा,  “मुझे इस भीड़ पर तरस आ रहा है+ क्योंकि इन्हें मेरे साथ रहते हुए तीन दिन बीत चुके हैं और इनके पास खाने को कुछ भी नहीं है।+  अगर मैं इन्हें भूखा ही* घर भेज दूँ, तो वे रास्ते में पस्त हो जाएँगे। इनमें से कुछ तो बहुत दूर से आए हैं।”  मगर चेलों ने उससे कहा, “यहाँ इस सुनसान जगह पर कोई कहाँ से इतनी रोटियाँ लाएगा कि ये जी-भरकर खा सकें?”  तब यीशु ने उनसे पूछा, “तुम्हारे पास कितनी रोटियाँ हैं?” उन्होंने कहा, “सात।”+  फिर उसने भीड़ को ज़मीन पर आराम से बैठने के लिए कहा। उसने सातों रोटियाँ लीं और प्रार्थना में धन्यवाद दिया, फिर वह उन्हें तोड़कर अपने चेलों को देने लगा कि वे उन्हें बाँट दें। तब चेलों ने रोटियाँ लोगों में बाँट दीं।+  उनके पास कुछ छोटी मछलियाँ भी थीं। उसने मछलियों के लिए प्रार्थना में धन्यवाद दिया और चेलों से कहा कि इन्हें भी बाँट दें।  तब लोगों ने जी-भरकर खाया और बचे हुए टुकड़े इकट्ठे किए जिनसे सात बड़े टोकरे भर गए।+  खानेवालों में आदमियों की गिनती करीब 4,000 थी। फिर उसने उन्हें विदा किया। 10  वह फौरन अपने चेलों के साथ नाव पर चढ़ गया और दलमनूता के इलाके में आया।+ 11  वहाँ फरीसी आए और उससे बहस करने लगे। वे यीशु की परीक्षा लेने के लिए उससे माँग करने लगे कि वह स्वर्ग से कोई चिन्ह दिखाए।*+ 12  तब वह मन-ही-मन बहुत दुखी हुआ और उसने कहा, “यह पीढ़ी क्यों हमेशा चिन्ह देखना चाहती है?+ मैं सच कहता हूँ, इस पीढ़ी को कोई चिन्ह नहीं दिया जाएगा।”+ 13  यह कहने के बाद वह उन्हें छोड़कर दोबारा नाव पर चढ़ गया और उस पार चला गया। 14  चेले अपने साथ रोटियाँ लेना भूल गए थे और नाव में उनके पास एक रोटी को छोड़ और कुछ नहीं था।+ 15  यीशु ने उन्हें साफ शब्दों में यह चेतावनी दी, “अपनी आँखें खुली रखो और फरीसियों के खमीर और हेरोदेस के खमीर से चौकन्‍ने रहो।”+ 16  तब वे एक-दूसरे से बहस करने लगे कि वे अपने साथ रोटियाँ क्यों नहीं लाए। 17  यह देखकर यीशु ने उनसे कहा, “तुम इस बात पर क्यों बहस कर रहे हो कि तुम्हारे पास रोटियाँ नहीं हैं? क्या तुम अब भी नहीं जान पाए और इसके मायने नहीं समझ पाए? क्या तुम्हारे मन अब भी समझने में मंद हैं? 18  ‘क्या आँखें होते हुए भी तुम नहीं देखते और कान होते हुए भी नहीं सुनते?’ क्या तुम्हें याद नहीं, 19  जब मैंने 5,000 आदमियों के लिए पाँच रोटियाँ+ तोड़ीं, तब तुमने कितनी टोकरियों में टुकड़े इकट्ठे किए?” उन्होंने कहा, “बारह।”+ 20  “जब मैंने 4,000 आदमियों के लिए सात रोटियाँ तोड़ीं, तब तुमने टुकड़ों से भरे जो बड़े टोकरे उठाए थे उनकी गिनती क्या थी?” उन्होंने कहा, “सात।”+ 21  तब यीशु ने उनसे कहा, “क्या तुम अब भी मेरी बात नहीं समझ पाए?” 22  अब वे बैतसैदा आए। यहाँ लोग उसके पास एक अंधे आदमी को लाए और उससे बिनती करने लगे कि वह उसे छुए।+ 23  वह अंधे आदमी का हाथ पकड़कर उसे गाँव के बाहर ले गया। उसने उसकी आँखों पर थूककर+ अपने हाथ उस पर रखे और उससे पूछा, “क्या तुझे कुछ दिखायी दे रहा है?” 24  उस आदमी ने ऊपर देखा* और कहा, “मुझे लोग दिखायी तो दे रहे हैं, मगर ऐसे लग रहे हैं जैसे चलते-फिरते पेड़ हों।” 25  यीशु ने दोबारा उस आदमी की आँखों पर हाथ रखे और तब उसे साफ दिखने लगा। उसकी आँखों की रौशनी लौट आयी और उसे सबकुछ साफ-साफ दिखने लगा। 26  तब यीशु ने उसे घर भेज दिया और कहा, “इस गाँव में मत जाना।” 27  यीशु और उसके चेले अब कैसरिया फिलिप्पी के गाँवों में जाने के लिए निकल पड़े। रास्ते में वह अपने चेलों से पूछने लगा, “लोग मेरे बारे में क्या कहते हैं, मैं कौन हूँ?”+ 28  उन्होंने कहा, “कुछ कहते हैं, यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाला,+ दूसरे कहते हैं एलियाह+ और कुछ कहते हैं तू भविष्यवक्‍ताओं में से एक है।” 29  फिर उसने यही सवाल चेलों से पूछा, “लेकिन तुम क्या कहते हो, मैं कौन हूँ?” पतरस ने जवाब दिया, “तू मसीह है।”+ 30  तब उसने उन्हें सख्ती से कहा कि किसी को उसके बारे में न बताएँ।+ 31  फिर वह चेलों को बताने लगा कि इंसान के बेटे को कई तकलीफें सहनी पड़ेंगी और मुखिया, प्रधान याजक और शास्त्री उसे ठुकरा देंगे और वह मार डाला जाएगा।+ फिर तीन दिन बाद वह ज़िंदा हो जाएगा।+ 32  वह यह बात उन्हें साफ-साफ बता रहा था। मगर पतरस उसे अलग ले गया और झिड़कने लगा।+ 33  तब यीशु ने मुड़कर अपने चेलों की तरफ देखा और पतरस को झिड़का, “अरे शैतान, मेरे सामने से दूर हो जा! क्योंकि तेरी सोच परमेश्‍वर जैसी नहीं, बल्कि इंसानों जैसी है।”+ 34  अब उसने भीड़ को अपने चेलों समेत पास बुलाया और उनसे कहा, “अगर कोई मेरे पीछे आना चाहता है, तो वह खुद से इनकार करे और अपना यातना का काठ उठाए और मेरे पीछे चलता रहे।+ 35  क्योंकि जो कोई अपनी जान बचाना चाहता है वह उसे खोएगा, मगर जो कोई मेरी और खुशखबरी की खातिर अपनी जान गँवाता है वह उसे बचाएगा।+ 36  वाकई, अगर एक इंसान सारी दुनिया हासिल कर ले मगर अपनी जान गँवा बैठे, तो उसे क्या फायदा?+ 37  इंसान अपनी जान के बदले भला क्या दे सकता है?+ 38  जो कोई इस विश्‍वासघाती और पापी पीढ़ी के सामने मेरा चेला होने और मेरे वचनों पर विश्‍वास करने में शर्मिंदा महसूस करता है, उसे इंसान का बेटा भी उस वक्‍त स्वीकार करने में शर्मिंदा महसूस करेगा,+ जब वह अपने पिता से महिमा पाकर पवित्र स्वर्गदूतों के साथ आएगा।”+

कई फुटनोट

या “बिना खिलाए; उपवास करते हुए।”
या “कोई चमत्कार करके सबूत दे।”
या “आदमी की आँखों की रौशनी लौट आयी; आदमी ने फिर से देखा।”

अध्ययन नोट

बड़े टोकरे: यहाँ यूनानी शब्द स्फिरिस इस्तेमाल हुआ है। यह शायद दिखाता है कि ये टोकरे उन टोकरियों से बड़े थे, जिनका इस्तेमाल उस वक्‍त किया गया जब यीशु ने करीब 5,000 लोगों को खाना खिलाया था। (मर 6:43 का अध्ययन नोट देखें।) दमिश्‍क में जब पौलुस को एक “बड़े टोकरे” में बिठाकर शहरपनाह में बनी एक खिड़की से नीचे उतारा गया, तो उस ब्यौरे में यही यूनानी शब्द इस्तेमाल हुआ है।​—प्रेष 9:25.

आदमियों की गिनती करीब 4,000 थी: इस चमत्कार के बारे में बताते समय सिर्फ मत्ती ने अपने ब्यौरे (मत 15:38) में औरतों और बच्चों का ज़िक्र किया। मुमकिन है कि चमत्कार से जिन लोगों को खाना खिलाया गया उनकी गिनती 12,000 से ज़्यादा रही होगी।

दलमनूता: यह नाम बाइबल से जुड़ी किताबों या दूसरी किताबों में नहीं पाया जाता। यह सिर्फ मरकुस की खुशखबरी की किताब में पाया जाता है। हालाँकि यह पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता कि यह जगह कहाँ थी, मगर मालूम होता है कि यह गलील झील के पश्‍चिमी तट के पास थी। ऐसा इसलिए कहा जा सकता है क्योंकि मत्ती के ब्यौरे में इस जगह को मगदन कहा गया है। (मत 15:39 का अध्ययन नोट देखें।) दलमनूता शायद मगदन का दूसरा नाम था।

बहुत दुखी हुआ: या “गहरी आह भरी।” मरकुस ने अकसर बताया कि अलग-अलग हालात में यीशु ने कैसा महसूस किया या अपनी भावनाएँ कैसे ज़ाहिर कीं। (मर 3:5; 7:34; 9:36; 10:13-16, 21) यहाँ उसने जो क्रिया इस्तेमाल की वह मसीही यूनानी शास्त्र में सिर्फ यहीं पायी जाती है। यह क्रिया मर 7:34 में इस्तेमाल हुई क्रिया का और भी ज़बरदस्त रूप है। (इसका अध्ययन नोट देखें।) इससे यीशु की गहरी भावनाएँ ज़ाहिर की गयी हैं। उसने शायद इसलिए गहरी आह भरी क्योंकि वह फरीसियों की ढिठाई देखकर तंग आ गया था। उन्होंने शक्‍ति के साफ-साफ सबूत देखे थे, फिर भी उन्हें नज़रअंदाज़ करके वे यीशु से एक चिन्ह दिखाने की माँग कर रहे थे।

खमीर: इसे बाइबल में अकसर पाप और भ्रष्टता की निशानी बताया गया है। यहाँ इसका मतलब है गलत शिक्षाएँ और बुरा असर। (मत 16:6, 11, 12; 1कुर 5:6-8) यहाँ इस शब्द का दो बार ज़िक्र दिखाता है कि फरीसियों का “खमीर,” हेरोदेस और उसके गुट के लोगों यानी हेरोदियों के “खमीर” से अलग था। हेरोदियों का समूह धार्मिक मामलों से ज़्यादा राजनैतिक मामलों में शामिल था। उनका “खमीर” यानी उनकी देश-भक्‍ति की भावना उस घटना में देखी जा सकती है, जब दोनों समूह ने यीशु को फँसाने के लिए सरकार को कर चुकाने के बारे में उससे सवाल पूछा था।​—मर 12:13-15.

हेरोदेस: कुछ प्राचीन हस्तलिपियों में लिखा है, “हेरोदियों।”​—शब्दावली में “हेरोदेस के गुट के लोग” देखें।

टोकरियों: यीशु ने चमत्कार करके दो मौकों पर जब भीड़ को खाना खिलाया तो एक बार बचा हुआ खाना टोकरियों में इकट्ठा किया गया और दूसरी बार बड़े टोकरों में। इन ब्यौरों का ज़िक्र करते समय मरकुस और मत्ती ने हर बार यह फर्क साफ-साफ बताया। (मर 6:43; 8:8, 20 के अध्ययन नोट और मत 14:20; 15:37; 16:9, 10 में यही ब्यौरे देखें।) करीब 5,000 लोगों को खाना खिलानेवाले ब्यौरे में यूनानी शब्द कोफिनोस (“टोकरियों”) इस्तेमाल हुआ और करीब 4,000 लोगों को खाना खिलानेवाले ब्यौरे में यूनानी शब्द स्फिरिस (“बड़े टोकरे”) इस्तेमाल हुआ। इससे पता चलता है कि इन चमत्कारों के दौरान या तो लेखक खुद मौजूद थे या भरोसेमंद चश्‍मदीद गवाहों ने उन्हें यह जानकारी दी।

बड़े टोकरे: मर 8:8, 19 के अध्ययन नोट देखें।

एक अंधे आदमी: खुशखबरी की किताबों के लेखकों में से सिर्फ मरकुस ने लिखा कि यीशु ने इस अंधे आदमी को ठीक किया।​—मर 8:22-26.

कैसरिया फिलिप्पी: मत 16:13 का अध्ययन नोट देखें।

यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाला: मत 3:1; मर 1:4 के अध्ययन नोट देखें।

मसीह: मत 16:16 का अध्ययन नोट देखें।

इंसान के बेटे: मत 8:20 का अध्ययन नोट देखें।

मुखिया: शा., “बुज़ुर्ग।” बाइबल में यूनानी शब्द प्रेसबाइटेरोस खासकर ऐसे लोगों के लिए इस्तेमाल हुआ है जो समाज या देश में अधिकार और ज़िम्मेदारी के पद पर थे। हालाँकि यह शब्द कभी-कभी बड़ी उम्र के लोगों के लिए इस्तेमाल हुआ है (जैसे लूक 15:25 में “बड़ा बेटा” और प्रेष 2:17 में “बुज़ुर्ग”), लेकिन इसका हमेशा यही मतलब नहीं है। यहाँ इस शब्द का मतलब है यहूदी राष्ट्र के अगुवे, जिनका ज़िक्र अकसर प्रधान याजकों और शास्त्रियों के साथ किया जाता है। महासभा इन्हीं तीन समूहों के आदमियों से मिलकर बनी होती थी।​—मर 11:27; 14:43, 53; 15:1; मत 16:21 का अध्ययन नोट और शब्दावली में “मुखिया; बुज़ुर्ग” देखें।

प्रधान याजक: मत 2:4 का अध्ययन नोट और शब्दावली देखें।

शैतान: मत 16:23 का अध्ययन नोट देखें।

मेरे सामने से दूर हो जा: शा., “मेरे पीछे जा।” इसके मिलते-जुलते ब्यौरे मत 16:23 में यीशु ने यह भी कहा: “तू मेरे लिए ठोकर की वजह है।” (मत 18:7 का अध्ययन नोट देखें।) इस तरह यीशु ने कड़े शब्दों में पतरस को झिड़का। यीशु ने किसी भी चीज़ या व्यक्‍ति को अपने पिता की मरज़ी पूरी करने के आड़े नहीं आने दिया। इसके अलावा, उसकी बात ने पतरस को शायद एहसास दिलाया होगा कि उसके लिए यही सही है कि चेला होने के नाते वह अपने गुरु का साथ दे।

मेरे पीछे आना: या “मेरे पीछे चलना,” जैसे कुछ प्राचीन हस्तलिपियों में लिखा है।

वह खुद से इनकार करे: इससे पता चलता है कि एक इंसान को अपनी ज़िंदगी पर जो अधिकार होता है उसे वह खुशी-खुशी त्याग दे या परमेश्‍वर को दे दे। इसमें अपनी इच्छाएँ, सुख-सुविधाएँ या अपने लक्ष्यों का त्याग करना भी शामिल हो सकता है। (2कुर 5:14, 15) यहाँ जो यूनानी क्रिया इस्तेमाल हुई है, मरकुस ने वही क्रिया उन आयतों में इस्तेमाल की जिनमें उसने बताया कि पतरस यीशु को जानने से इनकार करेगा और ऐसा करने के बाद वह इस बात को याद करता है।​—मर 14:30, 31, 72.

यातना का काठ: मत 16:24 का अध्ययन नोट देखें।

जान: शब्दावली में “जीवन” देखें।

जान: शब्दावली में “जीवन” देखें।

जान: शब्दावली में “जीवन” देखें।

विश्‍वासघाती: शा., “व्यभिचारी।” बाइबल में कई बार शब्द “व्यभिचार” लाक्षणिक तौर पर इस्तेमाल हुआ है। जब लोग परमेश्‍वर के साथ करार करते हैं और फिर उससे विश्‍वासघात करते हैं तो इसे व्यभिचार कहा जाता है। जब पैदाइशी इसराएलियों ने झूठी उपासना की तो उन्होंने कानून का करार तोड़ दिया और इस तरह लाक्षणिक तौर पर व्यभिचार किया। (यिर्म 3:8, 9; 5:7, 8; 9:2; 13:27; 23:10; हो 7:4) ऐसे ही कामों की वजह से यीशु ने अपने दिनों के यहूदियों को विश्‍वासघाती या व्यभिचारी पीढ़ी कहा। (मत 12:39; 16:4) जिन मसीहियों के साथ नया करार किया गया है वे अगर मौजूदा व्यवस्था से खुद को दूषित करें, तो वे भी लाक्षणिक तौर पर व्यभिचार करने के दोषी होंगे। यही सिद्धांत उन सब पर लागू होता है जिन्होंने अपना जीवन यहोवा को समर्पित किया है।​—याकू 4:4.

तसवीर और ऑडियो-वीडियो

हेरोदेस अन्तिपास का ढलवाया सिक्का
हेरोदेस अन्तिपास का ढलवाया सिक्का

यहाँ जिस सिक्के को दोनों तरफ से दिखाया गया है वह ताँबे और दूसरी धातुओं से मिलकर बना है। यह सिक्का करीब उस समय ढाला गया था जब यीशु प्रचार कर रहा था। यह सिक्का हेरोदेस अन्तिपास ने चलवाया था, जो गलील और पेरिया का तित्रअर्खेस यानी ज़िला-शासक था। एक बार जब फरीसियों ने यीशु को बताया कि हेरोदेस उसे मार डालना चाहता है, तो उस वक्‍त यीशु शायद हेरोदेस के शासन-क्षेत्र पेरिया से होकर यरूशलेम जा रहा था। यह सुनकर यीशु ने हेरोदेस को “उस लोमड़ी” कहा। (लूक 13:32 का अध्ययन नोट देखें।) हेरोदेस की ज़्यादातर प्रजा यहूदी थी और वे सिक्कों को देखकर न चिढ़ें, इसलिए उसने ऐसे सिक्के ढलवाए जिन पर खजूर की डाली (1) और पत्तों का ताज (2) बना होता था।