यशायाह 13:1-22
13 आमोज के बेटे यशायाह+ ने एक दर्शन देखा, जिसमें बैबिलोन के खिलाफ यह संदेश सुनाया गया:+
2 “वीरान पहाड़ पर झंडा खड़ा करो,+
आवाज़ लगाओ और हाथ दिखाकर सैनिकों को बुलाओकि वे बड़े-बड़े लोगों के फाटकों से घुस आएँ।
3 मैंने जिन्हें ठहराया है+ उन्हें* मैंने हुक्म दिया है,
अपने योद्धाओं को इकट्ठा किया है कि वे मेरा क्रोध उँडेलें,इस पर वे घमंड से फूल उठे और बड़े खुश हुए।
4 सुनो! पहाड़ों से लोगों की आवाज़ आ रही है,ऐसा लगता है भीड़-की-भीड़ जमा हो रही है।
राज्यों के इकट्ठा होने का शोर हो रहा है,हाँ, राष्ट्रों के जमा होने का कोलाहल सुनायी दे रहा है।+
सेनाओं का परमेश्वर यहोवा युद्ध के लिए अपनी सेना तैयार कर रहा है।+
5 वे दूर देश से, हाँ, आकाश के छोर से चले आ रहे हैं,+यहोवा और उसके क्रोध के हथियार पूरी धरती को उजाड़ने आ रहे हैं।+
6 ज़ोर-ज़ोर से रोओ क्योंकि यहोवा का दिन करीब है!
वह दिन सर्वशक्तिमान की तरफ से विनाश का दिन होगा।+
7 इस कारण सबके हाथ ढीले पड़ जाएँगे,हर किसी का दिल काँप उठेगा,+
8 लोग सुध-बुध खो बैठेंगे,+उनके पेट में मरोड़ उठेगी, वे दर्द से छटपटाएँगे,मानो किसी गर्भवती को प्रसव-पीड़ा उठी हो।
वे हक्के-बक्के होकर एक-दूसरे का मुँह ताकेंगे,उनके चेहरे पर डर और चिंता छा जाएगी।
9 देखो, यहोवा का दिन आ रहा है!यह दिन क्रोध और जलजलाहट के साथ आएगा,यह दिन किसी पर रहम नहीं खाएगा,देश का वह हाल करेगा कि देखनेवालों के होश उड़ जाएँगे।+वह पापियों को उसमें से मिटा देगा।
10 आसमान के तारे और तारामंडल,*+अपनी रौशनी देना बंद कर देंगे।उगता सूरज उजाला नहीं देगा,न चाँद अपनी चाँदनी बिखेरेगा।
11 मैं धरती के रहनेवालों को उनकी बुराई का सिला दूँगा+और दुष्टों को उनके गुनाहों की सज़ा दूँगा।
मैं गुस्ताख लोगों का घमंड तोड़ दूँगाऔर तानाशाहों का गुरूर तोड़ दूँगा।+
12 मैं नश्वर इंसान को शुद्ध सोने से ज़्यादा,हाँ, ओपीर के सोने+ से ज़्यादा दुर्लभ बना दूँगा।+
13 यही वजह है कि मैं, सेनाओं का परमेश्वर यहोवा,आसमान को कँपकँपा दूँगा और क्रोध के दिन अपनी जलजलाहट लाकर,धरती को उसकी जगह से हिला दूँगा।+
14 हर कोई अपने लोगों के पास लौट जाएगाऔर अपने देश भाग खड़ा होगा,+जैसे चिकारा अपनी जान बचाकर भागता हैऔर भेड़-बकरियाँ बिन चरवाहे के तितर-बितर हो जाती हैं।
15 जो कोई मिलेगा उसे भेद दिया जाएगा,जो पकड़ा जाएगा वह तलवार से मारा जाएगा।+
16 उनकी आँखों के सामने उनके बच्चों को पटक-पटककर मार डाला जाएगा।+उनके घर लूट लिए जाएँगे,उनकी पत्नियों का बलात्कार किया जाएगा।
17 मैं उनके खिलाफ मादियों को लाऊँगा,+जिनकी नज़रों में चाँदी का कोई मोल नहीं,जिन्हें सोने से कोई लगाव नहीं।
18 वे अपने धनुष से जवानों के टुकड़े-टुकड़े कर देंगे,+बच्चों पर कोई रहम नहीं करेंगे,गर्भ के फल पर कोई तरस नहीं खाएँगे।
19 बैबिलोन नगरी, जो राज्यों में सबसे शानदार नगरी है,+जो कसदियों की शोभा और उनका घमंड है,+उसका वह हाल होगा जो सदोम और अमोरा का तब हुआ था,जब परमेश्वर ने उनका नाश किया था।+
20 वह नगरी फिर कभी नहीं बसेगी,पीढ़ी-पीढ़ी तक उसमें कोई आकर नहीं रहेगा,+
अरब का कोई आदमी वहाँ अपना तंबू नहीं गाड़ेगाऔर न कोई चरवाहा अपने झुंड को वहाँ ले जाएगा।
21 वह रेगिस्तान के जंगली जानवरों का बसेरा बन जाएगी,वहाँ के घर, उल्लुओं* का ठिकाना बन जाएँगे,
वहाँ शुतुरमुर्ग रहा करेंगे+और जंगली बकरे कूदेंगे-फाँदेंगे।
22 उसकी मीनारों में जानवर चिल्लाया करेंगेऔर उसके आलीशान महलों में सियार हुआँ-हुआँ करेंगे।
उसका वक्त पास आ गया है, उसे और मोहलत नहीं दी जाएगी।”+
कई फुटनोट
^ शा., “मेरे अलग किए गए लोगों को।”
^ शा., “और केसिल।” यहाँ शायद मृगशिरा और उसके आस-पास के तारामंडल की बात की गयी है।
^ शा., “घुग्घुओं।”