यशायाह 17:1-14
17 दमिश्क के खिलाफ यह संदेश सुनाया गया:+
“देखो, दमिश्क शहर मिट जाएगा,मलबे का ढेर बन जाएगा।+
2 अरोएर+ के शहर सुनसान हो जाएँगे,वहाँ सिर्फ भेड़-बकरियाँ नज़र आएँगीऔर उन्हें कोई नहीं डराएगा।
3 एप्रैम के किलेबंद शहर मिट जाएँगे,+दमिश्क का राज्य खाक हो जाएगा।+सीरिया के बचे हुओं की शान ऐसे गायब हो जाएगी,जैसे इसराएलियों की गायब हुई थी।” यह ऐलान सेनाओं के परमेश्वर यहोवा ने किया है।
4 “उस दिन याकूब की शान घट जाएगी,उसका हट्टा-कट्टा* शरीर दुबला हो जाएगा।
5 वह रपाई घाटी+ के उस खेत जैसा दिखेगा,जिसकी कटाई हो चुकी है,जहाँ बीनने के लिए कुछ ही बालें रह गयी हैं।
6 वह जैतून के पेड़ जैसा दिखेगा जिसे झाड़ दिया गया है,जिस पर थोड़े ही फल बचे हैं,बस दो-तीन पके जैतून सबसे ऊँची डाली पर हैं,सिर्फ चार-पाँच फल डालियों पर लटके हैं।”+ यह ऐलान इसराएल के परमेश्वर यहोवा ने किया है।
7 उस दिन इंसान अपने बनानेवाले की ओर ताकेगा और उसकी आँखें इसराएल के पवित्र परमेश्वर की तरफ लगी रहेंगी।
8 वह अपनी बनायी वेदियों की ओर नहीं देखेगा,+ न उन पूजा-लाठों* या धूप-स्तंभों की ओर देखेगा जिन्हें उसने अपने हाथ से बनाया था।
9 उस दिन उसके किलेबंद शहरों का हाल,जंगल की उस बस्ती जैसा हो जाएगा जो वीरान हो गयी है,+उस टहनी जैसा हो जाएगा, जिसे इसराएलियों के आगे फेंक दिया गया हो।सब वीरान हो जाएगा।
10 तू* अपने उद्धारकर्ता, अपने परमेश्वर को भूल गयी है,+तूने अपनी चट्टान+ को, अपने गढ़ को याद नहीं रखा,
इसलिए तू पेड़-पौधों के सुंदर-सुंदर* बाग लगाती हैऔर उनमें पराए* की टहनियाँ रोपती है।
11 चाहे तू उस दिन सावधानी से बाग के चारों तरफ बाड़ा बाँधेऔर सुबह ही बीजों से अंकुर फूट निकलें,तब भी तेरी बीमारी और दर्द के दिन तेरी फसल तेरे हाथ से निकल जाएगी।+
12 सुन! देश-देश के लोगों का होहल्ला सुनायी दे रहा है,तूफानी समुंदर की तरह वे हाहाकार मचा रहे हैं,
राष्ट्रों का कोलाहल सुनायी पड़ रहा है,मानो ऊँची-ऊँची लहरें गरज रही हों।
13 ये राष्ट्र ऐसे गरजेंगे मानो समुंदर गरज रहा हो।
वह उन्हें फटकारेगा और वे ऐसे दूर भाग जाएँगे,जैसे तेज़ हवा पहाड़ से भूसा उड़ा ले जाती है,जैसे आँधी उखड़ी हुई कँटीली झाड़ी उड़ा ले जाती है।
14 शाम को आतंक छा जाएगा,सुबह होते-होते कोई नहीं बचेगा,
जो हमें लूटते हैं, उनके हिस्से में यही आएगा,जो हमें उजाड़ते हैं, उनको यही भाग मिलेगा।