यशायाह 19:1-25

19  मिस्र के खिलाफ यह संदेश सुनाया गया:+ देखो! यहोवा बादलों पर सवार होकर तेज़ी से मिस्र आ रहा है,मिस्र के निकम्मे देवता उसके सामने थर-थर काँपेंगे+और मिस्र के लोगों का दिल दहल उठेगा।   “मैं मिस्रियों को एक-दूसरे के खिलाफ भड़काऊँगा,वे एक-दूसरे से लड़ेंगे,भाई भाई से, पड़ोसी पड़ोसी से,शहर शहर से और एक राज्य दूसरे राज्य से।   मिस्रियों की मति मारी जाएगी,मैं उनकी योजनाएँ नाकाम कर दूँगा।+ वे निकम्मे देवताओं, टोना-टोटका करनेवालों,मरे हुओं से संपर्क करनेवालों और ज्योतिषियों से पूछताछ करेंगे।+   मैं मिस्र को एक बेरहम मालिक के हवाले कर दूँगा,एक ज़ालिम राजा उस पर राज करेगा।”+ यह ऐलान सच्चे प्रभु और सेनाओं के परमेश्‍वर यहोवा ने किया है।   समुंदर का पानी सूख जाएगा,नदी का पानी सूखकर खाली हो जाएगा।+   नदियाँ बदबू मारेंगी,मिस्र में नील की नहरें पतली होते-होते सूख जाएँगी, नरकट और पानी के पौधे सड़ जाएँगे।+   नील नदी के किनारे, उसके मुहाने पर सारी हरियालीऔर आस-पास के सारे खेत+ सूख जाएँगे,+ हवा उन्हें यहाँ-वहाँ उड़ा ले जाएगी, कुछ नहीं बचेगा।   मछुवारे शोक मनाएँगे,नील नदी में काँटा डालनेवाले दुख मनाएँगे,पानी पर जाल फेंकनेवालों की गिनती कम हो जाएगी।   बढ़िया अलसी के धागे से काम करनेवाले,+करघे पर सफेद कपड़ा बुननेवाले शर्मिंदा किए जाएँगे। 10  मिस्र के जुलाहे मायूस हो जाएँगे,दिहाड़ी के सब मज़दूर दुख मनाएँगे। 11  सोअन+ के हाकिम मूर्ख हैं,फिरौन के बुद्धिमान सलाहकार भी मूर्खता-भरी सलाह देते हैं।+ ऐसे में तुम फिरौन से कैसे कह सकते हो, “हम बुद्धिमानों के बच्चे हैं,प्राचीन समय के राजाओं के वंशज हैं”? 12  हे फिरौन, तेरे बुद्धिमान सलाहकार कहाँ गए?+ अगर वे जानते हैं कि सेनाओं के परमेश्‍वर यहोवा ने मिस्र के बारे में क्या ठाना है, तो उनसे कह कि तुझे बताएँ। 13  सोअन के हाकिमों ने मूर्खता का काम किया है,नोप* के हाकिमों+ ने खुद को धोखे में रखा है,मिस्र के गोत्र के मुखियाओं ने मिस्र को गुमराह कर दिया है। 14  यहोवा ने मिस्र के मन को उलझन में डाल दिया है,+उसके अगुवे हर काम में उसे ऐसे गुमराह कर रहे हैंकि वह शराबी की तरह अपनी ही उलटी में लड़खड़ा रहा है। 15  मिस्र कुछ नहीं कर पाएगा,न उसका सिर, न उसकी दुम,न उसकी टहनी, न ही लंबी-लंबी घास* कुछ कर पाएगी। 16  उस दिन मिस्र के लोग औरतों के समान हो जाएँगे। वे थर-थर काँपेंगे और खौफ खाएँगे क्योंकि सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा उनके खिलाफ अपना हाथ बढ़ाएगा।+ 17  मिस्र, यहूदा से खौफ खाएगा। उसका नाम सुनते ही मिस्रियों की जान सूख जाएगी क्योंकि सेनाओं के परमेश्‍वर यहोवा ने उनके खिलाफ फैसला सुना दिया है।+ 18  उस दिन मिस्र में पाँच शहर ऐसे होंगे जहाँ कनान की भाषा बोली जाएगी।+ वे सेनाओं के परमेश्‍वर यहोवा से वफा निभाने की कसम खाएँगे। उनमें से एक शहर ढा देनेवाला शहर कहलाएगा। 19  उस दिन मिस्र के बीचों-बीच यहोवा के लिए एक वेदी होगी और मिस्र की सरहद पर यहोवा के लिए एक खंभा होगा। 20  ये इस बात की निशानी ठहरेंगे कि लोग सेनाओं के परमेश्‍वर यहोवा को याद रखें। अत्याचारियों के ज़ुल्म सहते हुए जब वे यहोवा से फरियाद करेंगे, तो परमेश्‍वर एक उद्धारकर्ता भेजेगा जो बहुत महान होगा और उन्हें मुसीबतों से बचाएगा। 21  उस दिन यहोवा खुद को मिस्रियों पर प्रकट करेगा और वे यहोवा को जान जाएँगे। वे यहोवा के लिए बलिदान चढ़ाएँगे, भेंट लाएँगे, उससे मन्‍नत मानेंगे और अपनी मन्‍नत पूरी करेंगे। 22  यहोवा मिस्र को सज़ा देगा,+ वह उसे मारेगा और चंगा करेगा। वे यहोवा के पास लौट आएँगे और परमेश्‍वर उनकी बिनती सुनकर उन्हें चंगा करेगा। 23  उस दिन मिस्र से एक राजमार्ग+ अश्‍शूर को जाएगा। तब अश्‍शूरी, मिस्र आएँगे और मिस्री, अश्‍शूर जाएँगे। मिस्र, अश्‍शूर के साथ मिलकर परमेश्‍वर की सेवा करेगा। 24  उस दिन इसराएल भी मिस्र और अश्‍शूर से जा मिलेगा+ और पूरी धरती के लिए एक आशीष ठहरेगा। 25  सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा उन्हें आशीष देगा और कहेगा, “हे मिस्र, हे मेरे लोगो, तुम धन्य हो। हे अश्‍शूर, मेरे हाथ के काम और हे इसराएल, मेरी विरासत, तुम धन्य हो।”+

कई फुटनोट

या “मेम्फिस।”
या शायद, “न खजूर की डाली, न ही नरकट।”

अध्ययन नोट

तसवीर और ऑडियो-वीडियो