यशायाह 46:1-13
46 बेल देवता झुक गया,+ नबो नीचा किया गया,
उनकी मूरतें जानवरों पर, बोझ ढोनेवाले जानवरों पर ऐसी लदी हैं,+जैसे थके हुए जानवरों पर ढेर सारा सामान लदा हो।
2 बेल और नबो झुक गए हैं, उन्हें नीचा किया गया है,उनका सामान* जा रहा है, पर वे उसे नहीं बचा सकते,न ही खुद को बँधुआई में जाने से रोक सकते हैं।
3 “हे याकूब के घराने, हे इसराएल के घराने के बचे हुओ,+ मेरी सुनो!मैं तुम्हें गर्भ से सँभाले हुए हूँ, तुम्हारे जन्म से तुम्हें उठाए हुए हूँ।+
4 तुम्हारे बुढ़ापे में भी मैं नहीं बदलूँगा,+चाहे तुम्हारे बाल पक जाएँ मैं तुम्हें उठाए रहूँगा,
तुम्हें लिए फिरूँगा, तुम्हें सँभालूँगा और बचाऊँगा,जैसा मैंने अब तक किया है।+
5 तुम किससे मेरी तुलना करोगे या किसे मेरे बराबर ठहराओगे?+किसके बारे में कहोगे कि वह मेरे जैसा है?+
6 ऐसे लोग हैं जो थैली से सोना निकाल-निकालकर देते हैंऔर तराज़ू पर चाँदी तौलते हैं।
वे सुनार को काम पर लगाते हैं और सुनार उससे देवता की एक मूरत बनाता है,+फिर वे उस मूरत के आगे दंडवत करते हैं, उसकी पूजा करते हैं।+
7 उसे कंधों पर उठाते हैं+और ले जाकर उसकी जगह पर उसे खड़ा कर देते हैं।
वह वहीं खड़ी रहती है, अपनी जगह से हिलती तक नहीं।+
वे उसके आगे गिड़गिड़ाते हैं पर वह कोई जवाब नहीं देती,वह किसी को उसके दुखों से नहीं छुड़ा सकती।+
8 हे अपराधियो, उन बातों को याद करो,
उन्हें अपने मन में बिठा लो कि तुम हिम्मत से काम ले सको,
9 बीती बातें याद करो,जान लो कि मैं परमेश्वर हूँ, मेरे सिवा और कोई नहीं।
मैं ही परमेश्वर हूँ, मेरे जैसा और कोई नहीं।+
10 अंत में क्या होगा यह मैं शुरू में ही बता देता हूँऔर जो बातें अब तक नहीं हुईं, उन्हें बहुत पहले से बता देता हूँ।+
मैं कहता हूँ, ‘मैंने जो तय* किया है वह होकर ही रहेगा+और मैं अपनी मरज़ी ज़रूर पूरी करूँगा।’+
11 मैं पूरब से एक शिकारी पक्षी को बुला रहा हूँ,+दूर देश से एक आदमी को बुला रहा हूँ, जो मेरे मकसद* को अंजाम देगा।+
मैंने ही यह कहा है और उसे पूरा भी करूँगा,मैंने ही यह ठाना है और उसे करके रहूँगा।+
12 हे मन के ढीठ लोगो, मेरी सुनो!तुम जो नेकी की राह से कोसों दूर हो, सुनो!
13 बहुत जल्द मैं अपनी नेकी दिखाऊँगा,वह दिन दूर नहीं।
मैं उद्धार करने में देर न करूँगा,+मैं सिय्योन को उद्धार दिलाऊँगा, इसराएल को अपने वैभव से भर दूँगा।”+