यशायाह 55:1-13
55 हे सब प्यासे लोगो, आओ!+ पानी के पास आओ!+
जिसके पास पैसा नहीं, वह भी आए और आकर खाए-पीए!
आओ और बिना पैसे दिए, मुफ्त में+ दाख-मदिरा और दूध ले जाओ।+
2 जिस खाने से भूख नहीं मिटती, उस पर तुम क्यों पैसा खर्च करते हो?
जिस खाने से जी नहीं भरता, उस पर अपनी कमाई* क्यों उड़ाते हो?
मेरी बात ध्यान से सुनो! बढ़िया खाना खाओ,+तब तुम चिकना-चिकना खाना खाकर खुश हो जाओगे।+
3 मेरे पास आओ,+ मेरी बातों पर कान लगाओ।
मेरी सुनो, तब तुम जीवित रहोगे।
मैं तुम्हारे साथ सदा का करार करूँगा+ताकि दिखाऊँ कि दाविद के लिए मेरा प्यार अटल और सच्चा है।+
4 देखो, मैंने उसे राष्ट्रों के लिए गवाह ठहराया है,+राष्ट्रों के लिए उसे अगुवा+ और शासक+ बनाया है।
5 देख, तू उस राष्ट्र को बुलाएगा जिसे तू नहीं जानताऔर जो राष्ट्र तुझे नहीं जानता वह तेरे पास दौड़ा चला आएगा।वह इसराएल के पवित्र परमेश्वर, तेरे परमेश्वर यहोवा की वजह से आएगा,+क्योंकि परमेश्वर तेरा गौरव बढ़ाएगा।+
6 जब तक यहोवा मिल सकता है उसकी खोज करते रहो,+
जब तक वह करीब है उसे पुकारते रहो।+
7 दुष्ट इंसान अपनी दुष्ट राह छोड़ दे,+बुरा इंसान अपने बुरे विचारों को त्याग दे।वह यहोवा के पास लौट आए जो उस पर दया करेगा,+हमारे परमेश्वर के पास लौट आए क्योंकि वह दिल खोलकर माफ करता है।+
8 यहोवा ऐलान करता है, “मेरी सोच तुम्हारी सोच जैसी नहीं,+न मेरी राहें तुम्हारी राहों जैसी हैं।
9 जिस तरह आकाश पृथ्वी से ऊँचा है,उसी तरह मेरी राहें तुम्हारी राहों सेऔर मेरी सोच तुम्हारी सोच से ऊँची है।+
10 जैसे आसमान से बारिश और बर्फ गिरती है और यूँ ही नहीं लौट जाती,बल्कि धरती को सींचती है और फसल उपजाती है,जिससे बोनेवाले को बीज और खानेवाले को रोटी मिलती है,
11 वैसे ही मेरे मुँह से निकला वचन भी होगा।+
वह बिना पूरा हुए मेरे पास नहीं लौटेगा,+बल्कि हर हाल में मेरी मरज़ी पूरी करेगा+और जिस काम के लिए मैंने उसे भेजा है उसे ज़रूर अंजाम देगा।
12 तुम खुशी मनाते हुए निकलोगे+और तुम्हें सही-सलामत वापस लाया जाएगा।+
तुम्हें आते देख पहाड़ और पहाड़ियाँ खुशी से चिल्लाएँगे+और मैदान के सब पेड़ तालियाँ बजाएँगे।+
13 कँटीली झाड़ियों की जगह सनोवर के पेड़ उग आएँगे,+बिच्छू-बूटी की जगह मेंहदी के पेड़ उग आएँगे।
इन सारी बातों से यहोवा का नाम रौशन होगा+और यह ऐसी निशानी होगी जो कभी नहीं मिटेगी।”
कई फुटनोट
^ या “अपने खून-पसीने की कमाई।”