यहेजकेल 1:1-28

1  जब 30वें साल के चौथे महीने के पाँचवें दिन मैं कबार नदी के पास उन लोगों के साथ था जो बँधुआई में थे,+ तब आकाश खुल गया और परमेश्‍वर की तरफ से मुझे दर्शन मिले।  (यह राजा यहोयाकीन की बँधुआई का पाँचवाँ साल था।)+ उस दिन  यहोवा का संदेश याजक बूजी के बेटे यहेजकेल* के पास पहुँचा, जो कसदियों के देश+ में कबार नदी के पास रहता था। वहाँ यहोवा का हाथ उस पर आया।+  मुझ यहेजकेल को दर्शन में उत्तर से एक भयानक आँधी आती हुई दिखायी दी।+ उसके साथ एक बहुत बड़ा बादल था जिसमें से आग की लपटें* निकल रही थीं।+ बादल के चारों तरफ तेज़ रौशनी चमक रही थी। आग के बीच में से सोने-चाँदी जैसा चमचमाता हुआ कुछ नज़र आया।+  उसके अंदर चार जीवित प्राणी जैसे दिखायी दिए+ और उनमें से हरेक का रूप इंसान जैसा था।  हर प्राणी के चार चेहरे और चार पंख थे।+  उनके पैर सीधे थे और पाँव के तलवे बछड़े के खुर जैसे थे। उनके पैर चमचमाते ताँबे जैसे चमक रहे थे।+  उनके चारों तरफ के पंखों के नीचे इंसानों के हाथ जैसे थे। चारों प्राणियों के चेहरे और पंख थे।  उनके पंख एक-दूसरे को छूते थे। जब भी वे आगे बढ़ते तो सीधे जाते थे, कभी मुड़ते नहीं थे।+ 10  चारों प्राणियों के चेहरे इस तरह थे: हरेक के सामने की तरफ आदमी का चेहरा था, दायीं तरफ शेर का चेहरा,+ बायीं तरफ बैल का+ और पीछे की तरफ उकाब का।+ 11  उनके चेहरे इसी तरह थे। उनके पंख उनके ऊपर फैले हुए थे। हर प्राणी के दो पंख थे जो एक-दूसरे को छूते थे और बाकी दो पंख शरीर को ढके हुए थे।+ 12  वे सभी सीधे आगे की तरफ बढ़ते थे। जहाँ पवित्र शक्‍ति उन्हें बढ़ने के लिए उभारती थी वे वहीं जाते थे।+ जब भी वे आगे बढ़ते तो कभी मुड़ते नहीं थे। 13  ये जीवित प्राणी दिखने में जलते अंगारे जैसे थे और उनके बीच दहकती आग की मशालों जैसा कुछ था जो आ-जा रहा था और आग में से बिजली चमक रही थी।+ 14  जब ये जीवित प्राणी आगे बढ़ते और वापस आते, तो ऐसा लग रहा था मानो बिजली कौंध रही हो। 15  जब मैं चार चेहरोंवाले उन जीवित प्राणियों+ को गौर से देख रहा था तो मैंने देखा कि हरेक के पास में धरती पर एक पहिया है। 16  चारों पहियों का रूप और उनकी बनावट करकेटक रत्न जैसी थी और वे चमक रहे थे और चारों एक जैसे दिख रहे थे। उनका रूप और उनकी बनावट दिखने में ऐसी थी मानो हर पहिए के अंदर एक और पहिया लगा हो।* 17  जब पहिए आगे बढ़ते तो वे चार दिशाओं में से किसी भी दिशा में बिना मुड़े जा सकते थे। 18  हर पहिए का घेरा इतना ऊँचा था कि देखनेवाले की साँसें थम जाएँ और हर पहिए के पूरे घेरे में आँखें-ही-आँखें थीं।+ 19  जब भी जीवित प्राणी आगे बढ़ते तो उनके साथ-साथ पहिए भी जाते थे। और जब भी जीवित प्राणी धरती से ऊपर उठाए जाते तो उनके साथ पहिए भी ऊपर उठाए जाते थे।+ 20  पवित्र शक्‍ति उन्हें जहाँ कहीं जाने के लिए उभारती, वे वहीं जाते थे। पवित्र शक्‍ति जहाँ कहीं जाती, वे भी वहाँ जाते थे। जब भी जीवित प्राणी ऊपर उठाए जाते तो उनके साथ-साथ पहिए भी उठाए जाते थे क्योंकि जो शक्‍ति जीवित प्राणियों पर काम कर रही थी, वही शक्‍ति पहियों में भी थी। 21  जब भी जीवित प्राणी आगे बढ़ते तो पहिए भी साथ-साथ जाते थे और जब वे प्राणी कहीं रुक जाते तो पहिए भी वहीं रुक जाते थे। जब वे प्राणी धरती से ऊपर उठाए जाते तो पहिए भी उनके साथ ऊपर उठाए जाते थे, क्योंकि जो पवित्र शक्‍ति जीवित प्राणियों पर काम कर रही थी वही पहियों में भी थी। 22  उन जीवित प्राणियों के सिरों के ऊपर फलक जैसा कुछ था+ जो बर्फ की तरह इतना उज्ज्वल था और ऐसा चमचमा रहा था कि बयान नहीं किया जा सकता। 23  फलक के नीचे जीवित प्राणियों के पंख सीधे थे* और उनके पंख एक-दूसरे को छू रहे थे। हर प्राणी अपने दो पंखों से शरीर का एक तरफ ढकता था और बाकी दो पंखों से दूसरी तरफ ढकता था। 24  मैंने उनके पंखों की आवाज़ सुनी जो पानी की तेज़ धारा की गड़गड़ाहट जैसी और सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर की आवाज़ जैसी लग रही थी।+ जब वे आगे बढ़ते तो ऐसी आवाज़ आती जैसे किसी सेना का भयानक शोर हो। जब वे एक जगह खड़े होते तो अपने पंख नीचे कर लेते थे। 25  उनके सिर के ऊपर जो फलक था, उसके ऊपर से एक आवाज़ आ रही थी। (जब वे एक जगह खड़े होते तो अपने पंख नीचे कर लेते थे।) 26  उनके सिर के ऊपर जो फलक था, उसके ऊपर कुछ था जो नीलम का बना हुआ लग रहा था+ और राजगद्दी जैसा दिख रहा था।+ राजगद्दी पर कोई बैठा था जिसका रूप इंसान जैसा था।+ 27  जो उसकी कमर और ऊपर का हिस्सा लग रहा था वह सोने-चाँदी जैसा चमचमा रहा था।+ उसमें से आग जैसा कुछ निकल रहा था। कमर के नीचे का हिस्सा आग जैसा लग रहा था।+ उसके चारों तरफ ऐसी रौनक फैली हुई थी 28  जैसे बरसात के दिन बादल में निकलनेवाले मेघ-धनुष में होती है।+ उसके चारों तरफ फैली चकाचौंध रौशनी दिखने में ऐसी ही लग रही थी। वह यहोवा के महाप्रताप जैसा लग रहा था।+ जब मैंने यह देखा तो मैं मुँह के बल नीचे गिरा और मुझे किसी के बोलने की आवाज़ सुनायी देने लगी।

कई फुटनोट

मतलब “परमेश्‍वर मज़बूत करता है।”
या “बिजली।”
शायद एक ही आकार के दो पहिए समकोण में इस तरह जोड़े गए थे कि उनकी धुरी ऊपर और नीचे एक ही सीध में थी।
या शायद, “सीधे फैले हुए थे।”

अध्ययन नोट

तसवीर और ऑडियो-वीडियो