यहोशू 14:1-15

14  अब याजक एलिआज़र, नून के बेटे यहोशू और इसराएल गोत्र के कुलों के मुखियाओं ने इसराएलियों को कनान देश में उनके हिस्से की ज़मीन दी ताकि यह उनकी विरासत बन जाए।+  यह ज़मीन चिट्ठियाँ डालकर साढ़े नौ गोत्रों में बाँट दी गयी,+ ठीक जैसा यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी।+  मूसा ने बाकी ढाई गोत्रों को यरदन के उस पार* उनके हिस्से की ज़मीन दे दी थी,+ मगर उसने लेवियों को गोत्रों के बीच विरासत की कोई ज़मीन नहीं दी।+  यूसुफ के वंशजों को दो गोत्र माना जाता था,+ एक मनश्‍शे और दूसरा एप्रैम।+ लेवियों को ज़मीन का कोई हिस्सा नहीं दिया गया, सिर्फ रहने के लिए शहर दिए गए+ और उनके मवेशियों के लिए चरागाह दिए गए।+  इस तरह इसराएलियों ने ज़मीन को अलग-अलग हिस्सों में बाँटा जैसा यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी।  फिर यहूदा के आदमी गिलगाल में यहोशू के पास आए+ और कनिज्जी यपुन्‍ने के बेटे कालेब+ ने यहोशू से कहा, “तू अच्छी तरह जानता है कि यहोवा ने कादेश-बरने+ में सच्चे परमेश्‍वर के सेवक मूसा+ से तेरे और मेरे बारे में क्या कहा था।+  मैं 40 साल का था जब यहोवा के सेवक मूसा ने मुझे कादेश-बरने से इस देश की जासूसी करने भेजा+ और मैंने लौटकर देश के बारे में सही-सही खबर दी।+  हालाँकि मेरे साथ गए भाइयों ने अपनी खबर से लोगों के दिलों में खौफ बिठा दिया और उनके हौसले पस्त कर दिए, मगर मैंने पूरे दिल से अपने परमेश्‍वर यहोवा की बात मानी।+  उस वक्‍त मूसा ने मुझसे शपथ खाकर कहा था, ‘जिस ज़मीन पर तूने कदम रखा है, वह तेरे और तेरे बेटों के लिए हमेशा की विरासत बन जाएगी क्योंकि तूने पूरे दिल से मेरे परमेश्‍वर यहोवा की बात मानी।’+ 10  जब इसराएली वीराने में भटक रहे थे+ तब से लेकर आज तक, इन 45 सालों में यहोवा ने मुझे सँभाले रखा,+ ठीक जैसे यहोवा ने मेरे बारे में मूसा से वादा किया था।+ देख, अब मैं 85 साल का हो चला हूँ। 11  आज भी मुझमें वही दमखम है जो उस वक्‍त था जब मूसा ने मुझे भेजा था। अब भी मुझमें इतनी ताकत है कि मैं युद्ध कर सकता हूँ और कई दूसरे काम कर सकता हूँ। 12  इसलिए मुझे वह पहाड़ी प्रदेश दे दे जिसे देने का वादा यहोवा ने मुझसे उस दिन किया था। हालाँकि उस दिन तूने सुना था कि अनाकी लोग वहाँ किलेबंद शहरों में रहते हैं,+ मगर यहोवा मेरे साथ है+ और मैं उन्हें खदेड़ दूँगा, जैसा यहोवा ने वादा किया था।”+ 13  तब यहोशू ने यपुन्‍ने के बेटे कालेब को आशीर्वाद दिया और उसे हेब्रोन दिया ताकि यह उसकी विरासत ठहरे।+ 14  इसलिए हेब्रोन आज तक कनिज्जी यपुन्‍ने के बेटे कालेब की विरासत है क्योंकि उसने पूरे दिल से इसराएल के परमेश्‍वर यहोवा की बात मानी।+ 15  हेब्रोन का नाम पहले किरयत-अरबा था+ (अरबा, अनाकी लोगों में बहुत बड़ा आदमी था)। इसके बाद युद्ध खत्म हो गया और देश में शांति बनी रही।+

कई फुटनोट

यानी पूरब में।

अध्ययन नोट

तसवीर और ऑडियो-वीडियो