यहोशू 18:1-28
18 इसराएलियों की पूरी मंडली शीलो में इकट्ठा हुई+ और उन्होंने वहाँ पर भेंट का तंबू खड़ा किया।+ उस समय तक कनान देश उनके अधीन हो चुका था।+
2 लेकिन अभी-भी सात गोत्रों को विरासत की ज़मीन नहीं दी गयी थी।
3 इसलिए यहोशू ने इसराएलियों से कहा, “यह देश जो तुम्हारे पुरखों के परमेश्वर यहोवा ने तुम्हें दिया है, तुम कब तक इस पर पूरी तरह कब्ज़ा करने में ढिलाई करोगे?+
4 हर गोत्र में से मेरे लिए तीन आदमी चुनो। वे पूरे देश का दौरा करें और इलाके की पूरी जानकारी इकट्ठा करें ताकि इसे हर गोत्र में बाँटा जा सके। इसके बाद वे मेरे पास आएँ।
5 वे देश को सात हिस्सों में बाँट दें।+ यहूदा का गोत्र दक्षिण में अपने इलाके में ही रहेगा+ और यूसुफ का घराना उत्तर में अपने इलाके में।+
6 इसलिए जाओ देश का दौरा करके उसे सात हिस्सों में बाँटो और उसका नक्शा मेरे पास लाओ। मैं हमारे परमेश्वर यहोवा के सामने चिट्ठियाँ डालूँगा+ कि कौन-सा हिस्सा किसे मिलना चाहिए।
7 लेकिन लेवियों को तुम्हारे बीच कोई हिस्सा नहीं दिया जाएगा।+ क्योंकि मंदिर में यहोवा की सेवा करना* ही उनकी विरासत है।+ गाद, रूबेन और मनश्शे के आधे गोत्र+ को यहोवा के सेवक मूसा ने यरदन के पूरब में उनके हिस्से की ज़मीन पहले ही दे दी थी।”
8 तब उन आदमियों ने जाने की तैयारी की। यहोशू ने उन्हें आज्ञा दी, “पूरे देश का दौरा करो और इलाके की पूरी जानकारी लेकर आओ। फिर मैं शीलो में यहोवा के सामने तुम लोगों के लिए चिट्ठियाँ डालूँगा।”+
9 तब वे आदमी निकल पड़े। उन्होंने पूरे देश का दौरा किया और दस्तावेज़ में लिखा कि वहाँ कौन-कौन-से शहर हैं। उन्होंने देश को सात हिस्सों में बाँटा। इसके बाद वे शीलो की छावनी में यहोशू के पास लौट आए।
10 तब यहोशू ने शीलो में यहोवा के सामने इसराएलियों के लिए चिट्ठियाँ डालीं+ और उन्हें उनके हिस्से की ज़मीन बाँटी।+
11 पहली चिट्ठी बिन्यामीन गोत्र के नाम निकली। उनके घरानों को जो इलाका दिया गया, वह यहूदा+ और यूसुफ के इलाकों के बीच पड़ता था।+
12 उनकी उत्तरी सरहद यरदन से शुरू होती थी और यरीहो+ की उत्तरी ढलान से होते हुए पश्चिम की तरफ ऊपर पहाड़ पर निकलती थी। फिर बेत-आवेन+ के पास वीराने को जाती थी।
13 वहाँ से यह सरहद बढ़ती हुई लूज यानी बेतेल+ की दक्षिणी ढलान तक पहुँचती थी। फिर पहाड़ पर बसे अतारोत-अद्दार+ तक जाती थी, जो निचले बेत-होरोन+ के दक्षिण में पड़ता था।
14 बेत-होरोन के सामने के पहाड़ से यह सरहद दक्षिण की तरफ मुड़ती थी और किरयत-बाल यानी किरयत-यारीम+ पर खत्म होती थी, जो यहूदा का शहर था। यह बिन्यामीन गोत्र की पश्चिमी सरहद थी।
15 दक्षिण में उनकी सरहद किरयत-यारीम के छोर से शुरू होकर पश्चिम की तरफ जाती थी। यह नेप्तोह के सोते+ पर भी जाती थी।
16 फिर यह सरहद रपाई+ घाटी के उत्तरी छोर पर पहाड़ के नीचे तक जाती थी। इस पहाड़ के सामने ‘हिन्नोम के वंशजों की घाटी’+ थी। पहाड़ से यह सरहद हिन्नोम घाटी में उतरती थी और यबूसी+ शहर की दक्षिणी ढलान से होकर नीचे एन-रोगेल+ तक जाती थी।
17 वहाँ से यह उत्तर की तरफ एन-शेमेश को जाती थी और गलीलोत पर निकलती थी जो अदुम्मीम की चढ़ाई के सामने था।+ यह सरहद बोहन के पत्थर+ पर पहुँचती थी। बोहन, रूबेन का वंशज था।
18 फिर यह सरहद अराबा के सामने उत्तरी ढलान से होते हुए नीचे अराबा की ओर जाती थी।
19 वहाँ से यह बेत-होग्ला+ की उत्तरी ढलान से आगे बढ़ते हुए लवण सागर* की उत्तरी खाड़ी और यरदन के दक्षिणी मुहाने पर खत्म होती थी।+ यह उनकी दक्षिणी सरहद थी।
20 उनकी पूर्वी सरहद यरदन थी। यह बिन्यामीन के वंशजों के घराने का इलाका और उसके चारों तरफ की सरहद थी। यही इलाका उनकी विरासत ठहरा।
21 बिन्यामीन गोत्र के घरानों को ये शहर मिले: यरीहो, बेत-होग्ला, एमेक-कसीस,
22 बेत-अराबा,+ समारैम, बेतेल,+
23 अव्वीम, पारा, ओप्रा,
24 कपर-अम्मोनी, ओप्नी और गेबा,+ 12 शहर और उनकी बस्तियाँ।
25 गिबोन,+ रामाह, बएरोत,
26 मिसपे, कपीरा, मोसाह,
27 रेकेम, यिरपेल, तरला,
28 सेला,+ एलेप, यबूसी शहर यानी यरूशलेम,+ गिबा+ और किरयत, 14 शहर और उनकी बस्तियाँ।
यह बिन्यामीन के वंशजों के सारे घरानों की विरासत थी।