यहोशू 22:1-34

22  फिर यहोशू ने रूबेनियों, गादियों और मनश्‍शे के आधे गोत्र को बुलाया  और उनसे कहा, “यहोवा के सेवक मूसा ने तुम्हें जो-जो आज्ञाएँ दी थीं,+ उन सबका तुमने पालन किया और तुमने मेरी बात भी मानी।+  तुमने अब तक अपने भाइयों का साथ दिया+ और अपने परमेश्‍वर यहोवा की आज्ञाएँ मानकर अपना फर्ज़ अच्छी तरह निभाया।+  अब तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने तुम्हारे भाइयों को चैन दिया है, ठीक जैसा उसने उनसे वादा किया था।+ इसलिए अब तुम घर लौट जाओ, यरदन के उस पार* अपने इलाके में लौट जाओ, जो यहोवा के सेवक मूसा ने तुम्हें दिया था।+  मगर हाँ, इस बात का ध्यान रखना कि तुम उस आज्ञा और कानून को मानते रहो, जो यहोवा के सेवक मूसा ने तुम्हें दिया था।+ यानी तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा से प्यार करना,+ उसकी बतायी सब राहों पर चलना,+ उसके नियमों का पालन करना,+ उससे लिपटे रहना+ और पूरे दिल और पूरी जान से उसकी सेवा करना।”+  इसके बाद, यहोशू ने उन्हें आशीर्वाद दिया और उन्हें रवाना किया। वे अपने-अपने घर लौट गए।  मनश्‍शे के आधे गोत्र को मूसा ने बाशान में विरासत की ज़मीन दी थी+ जबकि बाकी आधे गोत्र को यहोशू ने यरदन के पश्‍चिम में उनके इसराएली भाइयों के साथ ज़मीन दी।+ यही नहीं, यहोशू ने उन्हें घर भेजते वक्‍त आशीर्वाद दिया  और उनसे कहा, “अपने डेरों में वापस लौट जाओ और अपने साथ बेशुमार दौलत, ढेर सारे मवेशी, सोना-चाँदी, ताँबा, लोहा और बहुत सारे कपड़े ले जाओ।+ दुश्‍मनों से लूटा गया यह माल तुम अपने भाइयों के साथ बाँट लेना।”+  इसके बाद रूबेनी, गादी और मनश्‍शे के आधे गोत्र ने कनान के शीलो में अपने इसराएली भाइयों से विदा ली। वे गिलाद के लिए निकल पड़े+ जो उनकी विरासत की ज़मीन थी और जिसमें बसने का आदेश यहोवा ने मूसा के ज़रिए उन्हें दिया था।+ 10  जब रूबेनी, गादी और मनश्‍शे का आधा गोत्र कनान के इलाके में यरदन के पास पहुँचा, तो उन्होंने वहाँ एक बड़ी और शानदार वेदी बनायी। 11  बाद में बाकी इसराएलियों ने यह खबर सुनी,+ “इसराएलियों के इलाके में रूबेनियों, गादियों और मनश्‍शे के आधे गोत्र ने यरदन के पास, कनान की सीमा पर एक वेदी खड़ी की है।” 12  इस पर इसराएल की पूरी मंडली शीलो में इकट्ठा हुई+ कि उनसे युद्ध करने के लिए जाए। 13  तब इसराएलियों ने एलिआज़र के बेटे याजक फिनेहास+ को गिलाद के इलाके में रूबेनियों, गादियों और मनश्‍शे के आधे गोत्र के पास भेजा। 14  फिनेहास के साथ दस प्रधान भी गए, हर गोत्र से एक प्रधान। ये सभी अपने-अपने पिता के कुल के मुखिया थे, जो कुल हज़ारों इसराएलियों से मिलकर बना था।+ 15  जब वे रूबेनियों, गादियों और मनश्‍शे के आधे गोत्र के पास गिलाद में आए तो उन्होंने कहा, 16  “यहोवा की सारी मंडली कह रही है कि तुमने इसराएल के परमेश्‍वर यहोवा के साथ यह कैसा विश्‍वासघात किया?+ तुमने वेदी खड़ी करके दिखाया है कि तुम बागी हो और यहोवा के पीछे नहीं चलना चाहते।+ 17  क्या पोर में हमने जो पाप किया वह कम था? भूल गए, यहोवा की मंडली पर कितना बड़ा कहर टूटा था! आज तक हम उसका अंजाम भुगत रहे हैं।+ 18  तुम यहोवा के पीछे चलना छोड़कर अच्छा नहीं कर रहे हो। अगर आज तुमने यहोवा से बगावत की, तो कल इसराएल की पूरी मंडली पर उसका क्रोध भड़क उठेगा।+ 19  अगर तुम्हें लगता है कि तुम्हारा इलाका अशुद्ध है, तो इस पार यहोवा के इलाके में आओ+ जहाँ यहोवा का पवित्र डेरा है+ और हमारे साथ बस जाओ। मगर यहोवा के खिलाफ बगावत मत करो, न ही परमेश्‍वर यहोवा की वेदी के अलावा कोई दूसरी वेदी बनाकर हमें उसके सामने बागी बनाओ।+ 20  याद है, जब जेरह के बेटे आकान+ ने नाश के लायक ठहरायी चीज़ें चुराकर आज्ञा तोड़ी, तो परमेश्‍वर का क्रोध इसराएल की पूरी मंडली पर कितना भड़क उठा था।+ उसके गुनाह की वजह से न सिर्फ उसे बल्कि दूसरों को भी अपनी जान गँवानी पड़ी।”+ 21  तब रूबेनियों, गादियों और मनश्‍शे के आधे गोत्र ने उन आदमियों से, जो हज़ारों इसराएलियों से बने अलग-अलग कुल के मुखिया थे, कहा,+ 22  “सब ईश्‍वरों से महान ईश्‍वर यहोवा! हाँ, सब ईश्‍वरों से महान ईश्‍वर यहोवा+ जानता है कि सच क्या है और सारा इसराएल भी जान जाएगा। अगर हमने सचमुच यहोवा से बगावत की है, उससे विश्‍वासघात किया है तो वह हमें न बचाए। 23  अगर हमने यहोवा से मुँह मोड़ने के लिए यह वेदी खड़ी की है और इस इरादे से इसे बनाया है कि हम उस पर होम-बलियाँ, अनाज का चढ़ावा और शांति-बलियाँ चढ़ाएँ, तो यहोवा हमें सज़ा दे।+ 24  मगर भाइयो, हमने यह वेदी इसलिए बनायी है क्योंकि हमें डर था कि कहीं आगे चलकर तुम्हारे बेटे हमारे बेटों से यह न कहें कि ‘इसराएल के परमेश्‍वर यहोवा से तुम्हारा क्या वास्ता? 25  हे रूबेनियो और गादियो, यहोवा ने हमारे और तुम्हारे बीच यरदन को सीमा ठहराया है। यहोवा से तुम्हारा कोई लेना-देना नहीं।’ यह कहकर कहीं तुम्हारे बेटे हमारे बेटों को यहोवा की उपासना करने* से न रोक दें। 26  इसलिए हमने सोचा कि हम एक वेदी बनाएँ। होम-बलियाँ या बलिदान चढ़ाने के लिए नहीं, 27  बल्कि इसलिए कि यह हमारे और तुम्हारे बीच और हमारी आनेवाली पीढ़ियों के बीच एक गवाह ठहरे+ कि हम यहोवा की सेवा करते रहेंगे और उसके लिए होम-बलियाँ, शांति-बलियाँ और दूसरे बलिदान चढ़ाते रहेंगे।+ कहीं ऐसा न हो कि आगे चलकर तुम्हारे बेटे हमारे बेटों से कहें, ‘यहोवा से तुम्हारा कोई लेना-देना नहीं।’ 28  हमने सोचा कि अगर वे कभी हमसे या हमारे बच्चों से ऐसा कहें तो हम उनसे कहेंगे, ‘यह वेदी देखो जो बिलकुल यहोवा की वेदी जैसी दिखती है और जिसे हमारे पुरखों ने बनाया था। उन्होंने इसे होम-बलियाँ या बलिदान चढ़ाने के लिए नहीं बनाया था, यह तो इस बात की निशानी है कि हमारा तुमसे रिश्‍ता है।’ 29  हम अपने परमेश्‍वर यहोवा से बगावत करने और उससे मुँह मोड़ने की सोच भी नहीं सकते!+ जब यहोवा के पवित्र डेरे के सामने उसकी वेदी पहले से मौजूद है, तो भला हम दूसरी वेदी बनाकर उस पर यहोवा के लिए होम-बलियाँ, अनाज का चढ़ावा और दूसरे बलिदान कैसे चढ़ा सकते हैं?”+ 30  जब याजक फिनेहास और मंडली के प्रधानों ने, जो हज़ारों इसराएलियों से बने अलग-अलग कुल के मुखिया थे रूबेन, गाद और मनश्‍शे के वंशजों की यह बात सुनी तो उन्हें तसल्ली हुई।+ 31  फिर एलिआज़र के बेटे याजक फिनेहास ने रूबेन, गाद और मनश्‍शे के वंशजों से कहा, “आज हमें यकीन हो गया है कि यहोवा हमारे बीच है क्योंकि तुमने यहोवा से विश्‍वासघात नहीं किया। अब यहोवा हम इसराएलियों को सज़ा नहीं देगा।” 32  इसके बाद, एलिआज़र का बेटा याजक फिनेहास और सभी प्रधान, गिलाद के इलाके में रूबेनियों और गादियों के पास से लौटकर कनान आए। उन्होंने बाकी इसराएलियों को सारा हाल कह सुनाया। 33  यह खबर सुनकर इसराएली खुश हुए और उन्होंने परमेश्‍वर की बड़ाई की। उन्होंने रूबेनियों और गादियों से युद्ध करने और उनके इलाकों को तबाह करने का विचार छोड़ दिया। 34  इस तरह रूबेनियों और गादियों ने उस वेदी* को एक नाम दिया और कहा, “यह वेदी हम सबके लिए इस बात की गवाह है कि यहोवा ही सच्चा परमेश्‍वर है।”

कई फुटनोट

यानी पूरब में।
शा., “का डर मानने।”
आस-पास की आयतों से ऐसा मालूम होता है कि उस वेदी का नाम शायद “गवाह” रखा गया।

अध्ययन नोट

तसवीर और ऑडियो-वीडियो