यहोशू 4:1-24

4  जैसे ही पूरे राष्ट्र ने यरदन को पार किया, यहोवा ने यहोशू से कहा,  “लोगों में से 12 आदमियों को बुला, हर गोत्र में से एक आदमी।+  और उन्हें यह आज्ञा दे, ‘यरदन के बीचों-बीच जहाँ याजक खड़े हैं,+ वहाँ से 12 बड़े पत्थर उठाओ और उन्हें नदी के पार उस जगह ले जाकर खड़ा करो जहाँ आज तुम रात बिताओगे।’”+  तब यहोशू ने 12 आदमियों को बुलाया जिन्हें उसने इसराएलियों में से चुना था, हर गोत्र से एक आदमी।  उसने उनसे कहा, “तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा के संदूक के आगे यरदन के बीच में जाओ। और इसराएल के हर गोत्र की गिनती के हिसाब से एक पत्थर अपने कंधे पर उठाकर ले जाओ।  ये पत्थर तुम्हें याद दिलाएँगे कि परमेश्‍वर ने तुम्हारे लिए क्या किया था। आगे चलकर जब तुम्हारे बेटे तुमसे पूछें, ‘ये पत्थर यहाँ क्यों हैं?’+  तो उनसे कहना, ‘जब यहोवा के करार का संदूक यरदन के पार ले जाया गया, तो उसके आगे यरदन का पानी बहना बंद हो गया था।+ ये पत्थर यहाँ इसलिए खड़े किए गए हैं कि इसराएल के लोगों को हमेशा इस घटना की याद दिलाएँ।’”+  यहोशू ने जैसा कहा इसराएलियों ने वैसा ही किया। उन आदमियों ने इसराएल के हर गोत्र की गिनती के हिसाब से यरदन के बीच में से 12 पत्थर उठाए। वे उन्हें उस जगह ले आए जहाँ वे रात बितानेवाले थे और वहीं उन्हें खड़ा कर दिया, ठीक जैसे यहोवा ने यहोशू को हिदायत दी थी।  यहोशू ने यरदन के बीचों-बीच भी 12 पत्थर खड़े किए, जहाँ याजक करार का संदूक उठाए हुए थे।+ ये पत्थर आज तक वहीं पर हैं। 10  संदूक उठानेवाले याजक तब तक खड़े रहे जब तक लोगों ने वह सबकुछ नहीं कर लिया, जिसकी आज्ञा यहोवा ने यहोशू को दी थी और जिसके बारे में मूसा ने यहोशू से कहा था। इस दौरान लोग फुर्ती से नदी पार करते रहे। 11  जब सारे लोग नदी पार कर चुके, तो उनके देखते-देखते याजक भी यहोवा का संदूक उठाए यरदन के पार आ गए।+ 12  रूबेन और गाद के वंशज और मनश्‍शे के आधे गोत्र भी सैनिकों की तरह अलग-अलग दल बाँधकर बाकी इसराएलियों से पहले नदी के उस पार गए,+ ठीक जैसे मूसा ने उन्हें हिदायत दी थी।+ 13  युद्ध के लिए तैयार करीब 40,000 सैनिक यहोवा के सामने नदी पार कर यरीहो के वीराने में आए। 14  उस दिन यहोवा ने यहोशू को सभी इसराएलियों की नज़र में ऊँचा उठाया+ और उन्होंने यहोशू के जीवन-भर उसे गहरा आदर दिया,* जैसे उन्होंने मूसा को दिया था।+ 15  फिर यहोवा ने यहोशू से कहा, 16  “गवाही का संदूक+ उठानेवाले याजकों को आज्ञा दे कि वे यरदन से निकलकर इस पार आ जाएँ।” 17  तब यहोशू ने याजकों को आज्ञा दी, “यरदन से निकलकर इस पार आ जाओ।” 18  यहोवा के करार का संदूक उठानेवाले याजक+ यरदन के बीच से किनारे आए। जैसे ही उन्होंने बाहर सूखी ज़मीन पर कदम रखा, यरदन का पानी फिर से उमड़ने लगा और तट के ऊपर बहने लगा।+ 19  इस तरह पहले महीने के दसवें दिन लोगों ने यरदन को पार किया और यरीहो की पूर्वी सरहद के पास गिलगाल में अपना पड़ाव डाला।+ 20  जो 12 पत्थर उन्होंने यरदन में से लिए थे, उन्हें यहोशू ने गिलगाल में खड़ा किया।+ 21  फिर उसने इसराएलियों से कहा, “भविष्य में जब कभी तुम्हारे बच्चे तुमसे पूछें, ‘ये पत्थर क्यों खड़े किए गए हैं?’+ 22  तो तुम उन्हें समझाना, ‘इसराएलियों ने यरदन की सूखी ज़मीन पर चलकर उसे पार किया था।+ 23  तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने हमारे सामने उसका पानी सुखा दिया था ताकि हम उसे पार कर सकें, ठीक जैसे तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा ने हमारे सामने लाल सागर का पानी सुखा दिया था और सारे इसराएलियों ने उसे पार किया था।+ 24  उसने यह इसलिए किया ताकि धरती के सब लोग जान जाएँ कि यहोवा का हाथ कितना शक्‍तिशाली है+ और तुम भी हमेशा अपने परमेश्‍वर यहोवा का डर मानो।’”

कई फुटनोट

शा., “उसका डर मानते रहे।”

अध्ययन नोट

तसवीर और ऑडियो-वीडियो