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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)

सारांश

  • 1

    • यिर्मयाह, भविष्यवक्‍ता ठहराया गया (1-10)

    • बादाम के पेड़ का दर्शन (11, 12)

    • एक हंडे का दर्शन (13-16)

    • यिर्मयाह को मज़बूत किया गया (17-19)

  • 2

    • इसराएल यहोवा को छोड़ दूसरे देवताओं के पीछे (1-37)

      • इसराएल, जंगली बेल जैसी (21)

      • उसका घाघरा खून से दागदार (34)

  • 3

    • इसराएल की बगावत की हद (1-5)

    • वह और यहूदा, व्यभिचारी (6-11)

    • पश्‍चाताप करने के लिए कहा गया (12-25)

  • 4

    • पश्‍चाताप करने से आशीषें मिलती हैं (1-4)

    • उत्तर से बड़ी विपत्ति आएगी (5-18)

    • इस वजह से यिर्मयाह को दर्द उठा (19-31)

  • 5

    • लोगों ने यहोवा की शिक्षा ठुकरायी (1-13)

    • नाश मगर पूरी तरह नहीं (14-19)

    • यहोवा ने लोगों से हिसाब माँगा (20-31)

  • 6

    • यरूशलेम की घेराबंदी करीब (1-9)

    • यरूशलेम पर यहोवा का क्रोध (10-21)

      • लोग कहते हैं, “शांति है!” जबकि कोई शांति नहीं (14)

    • उत्तर से खूँखार लोगों का हमला (22-26)

    • यिर्मयाह, धातु जाँचनेवाला (27-30)

  • 7

    • यहोवा के मंदिर पर भरोसा करना धोखा है (1-11)

    • मंदिर शीलो जैसा बन जाएगा (12-15)

    • झूठी उपासना की निंदा (16-34)

      • “स्वर्ग की रानी” की पूजा (18)

      • हिन्‍नोम में बच्चों की बलि (31)

  • 8

    • लोग वही रास्ता चुनते हैं जिस पर सब चलते हैं (1-7)

    • यहोवा के वचन के बिना बुद्धि कहाँ? (8-17)

    • यहूदा का घाव देखकर यिर्मयाह दुखी (18-22)

      • “क्या गिलाद में बलसाँ नहीं है?” (22)

  • 9

    • यिर्मयाह का गहरा दुख (1-3क)

    • यहोवा ने यहूदा से हिसाब माँगा (3ख-16)

    • यहूदा की हालत पर मातम (17-22)

    • गर्व करो कि तुम यहोवा को जानते हो (23-26)

  • 10

    • राष्ट्रों के देवताओं और जीवित परमेश्‍वर के बीच फर्क (1-16)

    • तेज़ी से आनेवाला नाश; बँधुआई (17, 18)

    • यिर्मयाह दुख मनाता है (19-22)

    • भविष्यवक्‍ता की प्रार्थना (23-25)

      • इंसान अपने कदमों को राह नहीं दिखा सकता (23)

  • 11

    • यहूदा ने परमेश्‍वर से किया करार तोड़ा (1-17)

      • जितने शहर उतने देवता (13)

    • यिर्मयाह मेम्ने जैसा है जिसका हलाल होनेवाला था (18-20)

    • उसके नगर के आदमियों का विरोध (21-23)

  • 12

    • यिर्मयाह की शिकायत (1-4)

    • यहोवा का जवाब (5-17)

  • 13

    • मलमल का कमरबंद खराब (1-11)

    • दाख-मदिरा के मटके चूर किए जाएँगे (12-14)

    • कभी न सुधरनेवाले यहूदा की बँधुआई (15-27)

      • ‘क्या एक कूशी अपने चमड़े का रंग बदल सकता है?’ (23)

  • 14

    • सूखा, अकाल और तलवार (1-12)

    • झूठे भविष्यवक्‍ताओं को सज़ा सुनायी (13-18)

    • यिर्मयाह ने लोगों के पाप कबूल किए (19-22)

  • 15

    • यहोवा अपना फैसला नहीं बदलेगा (1-9)

    • यिर्मयाह की शिकायत (10)

    • यहोवा का जवाब (11-14)

    • यिर्मयाह की प्रार्थना (15-18)

      • परमेश्‍वर का संदेश खाने से खुशी मिली (16)

    • यिर्मयाह को यहोवा ने मज़बूत किया (19-21)

  • 16

    • यिर्मयाह न शादी करे, न मातम मनाए, न ही दावत में जाए (1-9)

    • सज़ा, फिर बहाली (10-21)

  • 17

    • यहूदा का पाप गहराई तक समाया हुआ (1-4)

    • यहोवा से मिलनेवाली आशीषें (5-8)

    • धोखेबाज़ दिल (9-11)

    • यहोवा, इसराएल की आशा (12, 13)

    • यिर्मयाह की प्रार्थना (14-18)

    • सब्त को पवित्र मानना (19-27)

  • 18

    • कुम्हार के हाथ में मिट्टी (1-12)

    • यहोवा ने इसराएल को पीठ दिखायी (13-17)

    • यिर्मयाह के खिलाफ साज़िश; उसकी दुहाई (18-23)

  • 19

    • यिर्मयाह को सुराही तोड़ने के लिए कहा (1-15)

      • बाल के लिए बच्चों की बलि (5)

  • 20

    • पशहूर ने यिर्मयाह को मारा (1-6)

    • यिर्मयाह ने प्रचार बंद नहीं किया (7-13)

      • परमेश्‍वर का संदेश, आग जैसा (9)

      • यहोवा वीर योद्धा जैसा है जिससे सब डरते हैं (11)

    • यिर्मयाह की शिकायत (14-18)

  • 21

    • यहोवा ने सिदकियाह की गुज़ारिश ठुकरायी (1-7)

    • लोगों को ज़िंदगी या मौत चुननी थी (8-14)

  • 22

    • बुरे राजाओं के खिलाफ संदेश (1-30)

      • शल्लूम के बारे में (10-12)

      • यहोयाकीम के बारे में (13-23)

      • कोन्याह के बारे में (24-30)

  • 23

    • अच्छे और बुरे चरवाहे (1-4)

    • “नेक अंकुर” के राज में सुरक्षा (5-8)

    • झूठे भविष्यवक्‍ताओं को सज़ा सुनायी (9-32)

    • यहोवा का “बोझ” (33-40)

  • 24

    • अच्छे और खराब अंजीर (1-10)

  • 25

    • यहोवा का राष्ट्रों के साथ मुकदमा (1-38)

      • वे 70 साल बैबिलोन की गुलामी करेंगे (11)

      • परमेश्‍वर के क्रोध का प्याला (15)

      • एक-एक करके राष्ट्रों पर विपत्ति (32)

      • यहोवा के हाथों मारे गए लोग (33)

  • 26

    • यिर्मयाह को मौत की धमकी (1-15)

    • वह बख्श दिया गया (16-19)

      • मीका की भविष्यवाणी का हवाला (18)

    • भविष्यवक्‍ता उरीयाह (20-24)

  • 27

    • बैबिलोन का जुआ (1-11)

    • सिदकियाह को बैबिलोन के अधीन हो जाने के लिए कहा गया (12-22)

  • 28

    • यिर्मयाह का सामना झूठे भविष्यवक्‍ता हनन्याह से (1-17)

  • 29

    • बंदियों को यिर्मयाह का खत (1-23)

      • इसराएल की वापसी 70 साल बाद (10)

    • शमायाह के लिए संदेश (24-32)

  • 30

    • बहाली और चंगाई के वादे (1-24)

  • 31

    • इसराएल के बचे हुए देश में दोबारा बसेंगे (1-30)

      • राहेल अपने बच्चों के लिए रो रही है (15)

    • एक नया करार (31-40)

  • 32

    • यिर्मयाह ने खेत खरीदा (1-15)

    • यिर्मयाह की प्रार्थना (16-25)

    • यहोवा का जवाब (26-44)

  • 33

    • बहाली का वादा (1-13)

    • “नेक अंकुर” के राज में सुरक्षा (14-16)

    • दाविद और याजकों के साथ करार (17-26)

      • दिन और रात के बारे में करार (20)

  • 34

    • सिदकियाह को न्याय का संदेश (1-7)

    • दासों को छोड़ने का करार तोड़ा गया (8-22)

  • 35

    • रेकाबी लोग आज्ञा मानने में एक अच्छी मिसाल (1-19)

  • 36

    • यिर्मयाह ने खर्रा शब्द-ब-शब्द लिखवाया (1-7)

    • बारूक ने खर्रा पढ़कर सुनाया (8-19)

    • यहोयाकीम ने खर्रा जला दिया (20-26)

    • संदेश दोबारा लिखा गया (27-32)

  • 37

    • कसदियों ने कुछ वक्‍त के लिए घेराबंदी हटायी (1-10)

    • यिर्मयाह कैद में (11-16)

    • सिदकियाह यिर्मयाह से मिला (17-21)

      • यिर्मयाह को रोटी दी गयी (21)

  • 38

    • यिर्मयाह को कुंड में फेंका गया (1-6)

    • एबेद-मेलेक ने उसे बचाया (7-13)

    • यिर्मयाह ने सिदकियाह से कहा कि वह खुद को बैबिलोन के हवाले कर दे (14-28)

  • 39

    • यरूशलेम का गिरना (1-10)

      • सिदकियाह भागा, फिर पकड़ा गया (4-7)

    • यिर्मयाह की हिफाज़त (11-14)

    • एबेद-मेलेक बख्शा जाएगा (15-18)

  • 40

    • नबूजरदान ने यिर्मयाह को आज़ाद किया (1-6)

    • गदल्याह, देश का अधिकारी (7-12)

    • उसके खिलाफ साज़िश (13-16)

  • 41

    • इश्‍माएल ने गदल्याह को मार डाला (1-10)

    • योहानान की वजह से इश्‍माएल भागा (11-18)

  • 42

    • लोग यिर्मयाह से गुज़ारिश करते हैं कि वह मार्गदर्शन के लिए प्रार्थना करे (1-6)

    • यहोवा कहता है, “मिस्र मत जाओ” (7-22)

  • 43

    • लोग नहीं माने और मिस्र गए (1-7)

    • यहोवा का संदेश यिर्मयाह को मिस्र में मिला (8-13)

  • 44

    • मिस्र में यहूदियों पर विपत्ति की भविष्यवाणी (1-14)

    • उन्होंने चेतावनी अनसुनी की (15-30)

      • “स्वर्ग की रानी” की पूजा (17-19)

  • 45

    • बारूक को यहोवा का संदेश (1-5)

  • 46

    • मिस्र के खिलाफ भविष्यवाणी (1-26)

      • उसे नबूकदनेस्सर जीत लेगा (13, 26)

    • इसराएल से किए वादे (27, 28)

  • 47

    • पलिश्‍तियों के खिलाफ भविष्यवाणी (1-7)

  • 48

    • मोआब के खिलाफ भविष्यवाणी (1-47)

  • 49

    • अम्मोन के खिलाफ भविष्यवाणी (1-6)

    • एदोम के खिलाफ भविष्यवाणी (7-22)

      • उसका वजूद मिट जाएगा (17, 18)

    • दमिश्‍क के खिलाफ भविष्यवाणी (23-27)

    • केदार और हासोर के खिलाफ भविष्यवाणी (28-33)

    • एलाम के खिलाफ भविष्यवाणी (34-39)

  • 50

    • बैबिलोन के खिलाफ भविष्यवाणी (1-46)

      • बैबिलोन से भाग जाओ (8)

      • इसराएल वापस लाया जाएगा (17-19)

      • बैबिलोन की नदी सूख जाएगी (38)

      • बैबिलोन फिर आबाद नहीं होगी (39, 40)

  • 51

    • बैबिलोन के खिलाफ भविष्यवाणी (1-64)

      • वह मादियों के आगे अचानक गिर पड़ेगी (8-12)

      • किताब फरात नदी में फेंकी गयी (59-64)

  • 52

    • सिदकियाह ने बैबिलोन से बगावत की (1-3)

    • नबूकदनेस्सर ने यरूशलेम को घेरा (4-11)

    • शहर और मंदिर का नाश (12-23)

    • लोग बैबिलोन ले जाए गए (24-30)

    • यहोयाकीन कैद से रिहा किया गया (31-34)