यिर्मयाह 6:1-30
6 बिन्यामीन के लोगो, यरूशलेम से दूर कहीं आसरा लो।
तकोआ+ में नरसिंगा फूँको,+बेत-हक्केरेम में आग जलाकर इशारा दो!
क्योंकि उत्तर से एक विपत्ति तेज़ी से आ रही है, एक बड़ी विपत्ति।+
2 सिय्योन की बेटी एक खूबसूरत, नाज़ुक औरत जैसी दिखती है।+
3 चरवाहे और उनके झुंड आएँगे।
वे उसके चारों तरफ अपने तंबू गाड़ेंगे,+हर चरवाहा अपने झुंड को चराएगा।+
4 “उससे युद्ध करने के लिए तैयार हो जाओ!
चलो, हम भरी दोपहरी में उस पर हमला करें!”
“हाय, दिन ढलता जा रहा है,साँझ की छाया बढ़ती जा रही है!”
5 “चलो, हम रात को उस पर हमला करें,उसकी किलेबंद मीनारें ढा दें।”+
6 क्योंकि सेनाओं का परमेश्वर यहोवा कहता है,
“लकड़ी काटो, यरूशलेम पर हमला करने के लिए ढलान खड़ी करो।+
यह वह नगरी है जिससे हिसाब लेना ज़रूरी है,उसमें ज़ुल्म-ही-ज़ुल्म होता है।+
7 जैसे कुंड अपना पानी ताज़ा* रखता है,वैसे ही वह अपनी बुराई ताज़ी रखती है।
वहाँ हमेशा खून-खराबे और तबाही की चीख-पुकार सुनायी पड़ती है,+वहाँ मैं हर पल बीमारी और महामारी देखता हूँ।
8 हे यरूशलेम, चेतावनी पर ध्यान दे, वरना मुझे तुझसे घिन हो जाएगी और मैं तुझसे मुँह फेर लूँगा,+मैं तुझे ऐसा उजाड़कर रख दूँगा कि तेरे यहाँ एक भी निवासी नहीं रहेगा।”+
9 सेनाओं का परमेश्वर यहोवा कहता है,
“वे इसराएल के सभी बचे हुओं को बटोर लेंगे, जैसे अंगूर की बेल पर बचे सारे अंगूर तोड़ लिए जाते हैं।
अंगूर बटोरनेवाले की तरह एक बार फिर डालियों पर हाथ फेर।”
10 “मैं किसे बताऊँ, किसे खबरदार करूँ?
कौन मेरी सुनेगा?
देख! उनके कान बंद हैं, इसलिए वे बिलकुल ध्यान नहीं देते।+
देख! वे यहोवा के वचन की खिल्ली उड़ाते हैं,+उन्हें उसके वचन रास नहीं आते।
11 इसलिए यहोवा के क्रोध की आग मेरे अंदर धधक रही है,इसे मैं अपने अंदर और दबाकर नहीं रख सकता।”+
“आग का यह प्याला गली के बच्चों पर उँडेल दे,+जवानों की टोलियों पर उँडेल दे।
उन सबको बंदी बना लिया जाएगा, पति के साथ पत्नी को,बुज़ुर्गों के साथ उनको भी जो बहुत बूढ़े हैं।+
12 उनके घर दूसरों को दे दिए जाएँगे,उनके खेत और उनकी पत्नियाँ भी दे दी जाएँगी।+
क्योंकि मैं देश के लोगों के खिलाफ अपना हाथ बढ़ाऊँगा।” यहोवा का यह ऐलान है।
13 “क्योंकि छोटे से लेकर बड़े तक, हर कोई बेईमानी से कमाता है,+भविष्यवक्ता से लेकर याजक तक, हर कोई धोखाधड़ी करता है।+
14 वे यह कहकर मेरे लोगों का घाव सिर्फ ऊपर से ठीक करते हैं,‘शांति है! शांति है!’
जबकि कोई शांति नहीं है।+
15 क्या उन्हें अपने घिनौने कामों पर शर्म आती है?
नहीं, बिलकुल शर्म नहीं आती!
उनमें शर्म नाम की चीज़ है ही नहीं!+
इसलिए वे भी उनकी तरह गिरेंगे जो गिर चुके हैं।
जब मैं उन्हें सज़ा दूँगा तब वे ठोकर खाकर गिर पड़ेंगे।” यह बात यहोवा ने कही है।
16 यहोवा कहता है,
“दोराहे पर खड़े हो जाओ और देखो।
पुराने ज़माने की राहों के बारे में पूछो,पूछो कि सही राह कौन-सी है, फिर उस पर चलो+और अपने जी को चैन दिलाओ।”
मगर वे कहते हैं, “हम उस राह पर नहीं चलेंगे।”+
17 “मैंने पहरेदार ठहराए+ जिन्होंने कहा,‘नरसिंगे की आवाज़ पर ध्यान दो!’”+
मगर उन्होंने कहा, “हम ध्यान नहीं देंगे।”+
18 “इसलिए राष्ट्रो, सुनो!
लोगो, जान लो कि उनके साथ क्या होनेवाला है।
19 धरती के सभी लोगो, सुनो!
मैं इन लोगों पर विपत्ति लानेवाला हूँ,+यह उनकी अपनी ही साज़िशों का अंजाम होगा,क्योंकि उन्होंने मेरे वचनों पर कोई ध्यान नहीं दिया,मेरे कानून* को ठुकरा दिया।”
20 “तुम जो शीबा से मेरे लिए लोबान लाते होऔर दूर देश से खुशबूदार वच* लाते हो,वह मेरे लिए कोई मायने नहीं रखता।
तुम्हारी पूरी होम-बलियाँ मुझे स्वीकार नहीं,तुम्हारे बलिदानों से मैं खुश नहीं।”+
21 इसलिए यहोवा कहता है,
“मैं इन लोगों के आगे रोड़े डालूँगा,जिनसे वे ठोकर खाकर गिर पड़ेंगे,पिता और बेटे साथ गिरेंगे,पड़ोसी और उसका साथी भी गिरेंगेऔर वे सब मिट जाएँगे।”+
22 यहोवा कहता है,
“देखो, उत्तर के एक देश से लोग आ रहे हैं,धरती के छोर से एक बड़े राष्ट्र को जगाया जाएगा।+
23 वे तीर-कमान और बरछी हाथ में लिए आएँगे।
वे बेरहम हैं, किसी पर तरस नहीं खाएँगे।
वे समुंदर की तरह गरजेंगे,घोड़ों पर सवार होकर आएँगे।+
हे सिय्योन की बेटी, वे दल बाँधकर आएँगे,एक योद्धा की तरह तुझ पर हमला करेंगे।”
24 हमने इसकी खबर सुनी है।
हमारे हाथ ढीले पड़ गए हैं,+डर ने हमें जकड़ लिया है,हम बच्चा जनती औरत की तरह तड़प रहे हैं।+
25 खेत में मत जाओ,न ही सड़क पर चलो,क्योंकि दुश्मन के हाथ में तलवार है,चारों तरफ आतंक छाया हुआ है।
26 मेरे लोगों की बेटी,टाट ओढ़ ले,+ राख में लोट।
तू बिलख-बिलखकर रो, ऐसे मातम मना जैसे कोई इकलौते बेटे की मौत पर मनाता है,+क्योंकि नाश करनेवाला अचानक हम पर टूट पड़ेगा।+
27 “मैंने तुझे* अपने लोगों के बीच धातु शुद्ध करनेवाला ठहराया है,जो अच्छी तरह जाँचता-परखता है,तू उनके तौर-तरीकों पर गौर कर, उनकी जाँच कर।
28 वे सब ढीठ हैं, उनके जैसे लोग कहीं नहीं मिलेंगे,+वे बदनाम करते फिरते हैं।+
वे ताँबे और लोहे जैसे हैं,सब-के-सब भ्रष्ट हैं।
29 धौंकनियाँ जल गयीं,मगर आग से सिर्फ सीसा निकला।
उन्हें शुद्ध करने की ज़बरदस्त कोशिश की गयी, मगर कोई फायदा नहीं हुआ,+जो बुरे हैं उन्हें अलग नहीं किया गया।+
30 लोग उन्हें खोटी चाँदी कहेंगे,क्योंकि यहोवा ने उन्हें खोटा पाया है।”+