यिर्मयाह 9:1-26
9 काश, मेरा सिर आँसुओं से भरा कुआँ होताऔर मेरी आँखें उनका सोता होतीं!+
तब मैं अपने देश के मारे हुए लोगों के लिएदिन-रात रोता रहता।
2 काश, वीराने में मेरे लिए एक मुसाफिरखाना होता!
तब मैं अपने लोगों को छोड़कर दूर चला जाता,क्योंकि वे सब बदचलन हैं,+दगाबाज़ों का गुट हैं।
3 वे अपनी जीभ कमान की तरह मोड़ते हैं,देश में कोई विश्वासयोग्य नहीं है, वहाँ बस झूठ का बोलबाला है,+
यहोवा ऐलान करता है, “वे बुराई-पर-बुराई करते जाते हैंऔर मुझ पर कोई ध्यान नहीं देते।”+
4 “हर कोई अपने पड़ोसी से बचकर रहे,अपने भाई पर भी भरोसा न करे।
क्योंकि हर भाई गद्दार है,+हर पड़ोसी दूसरों को बदनाम करनेवाला है।+
5 हर कोई अपने पड़ोसी को ठगता है,कोई किसी से सच नहीं कहता।
उन्होंने अपनी जीभ को झूठ बोलना सिखाया है,+वे बुरे काम करते-करते पस्त हो जाते हैं।
6 तू छल-कपट से घिरा हुआ है।
वे छल करते हैं और मुझे जानने से इनकार करते हैं।” यहोवा का यह ऐलान है।
7 इसलिए सेनाओं का परमेश्वर यहोवा कहता है,
“मैं उन्हें पिघलाकर परखूँगा,+क्योंकि मैं अपने लोगों की बेटी के साथ और कर ही क्या सकता हूँ?
8 उनकी जीभ झूठ बोलनेवाला घातक तीर है।
वे एक-दूसरे से शांति की बातें तो करते हैं,मगर मन में घात लगाने की साज़िश रचते हैं।”
9 यहोवा ऐलान करता है, “क्या मैं इन करतूतों के लिए उनसे हिसाब न माँगूँ?
क्या मैं ऐसे राष्ट्र से अपना बदला न लूँ?+
10 मैं पहाड़ों के लिए रोऊँगा, मातम मनाऊँगा,वीराने के चरागाह के लिए शोकगीत गाऊँगा,क्योंकि वे ऐसे जल गए हैं कि वहाँ से कोई नहीं गुज़रता,मवेशियों की आवाज़ नहीं सुनायी देती।
आकाश के पंछी और जानवर भाग गए हैं, सब गायब हो गए हैं।+
11 मैं यरूशलेम को मलबे का ढेर+ और गीदड़ों की माँद बना दूँगा,+यहूदा के शहरों को ऐसा उजाड़ दूँगा कि वहाँ एक भी निवासी नहीं रहेगा।+
12 कौन इतना बुद्धिमान है कि वह इस बात को समझ सके?
यहोवा ने किससे कहा कि वह जाकर इन बातों का ऐलान करे?
देश क्यों नाश हो गया?
यह क्यों वीराने की तरह ऐसा जल गया हैकि यहाँ से कोई नहीं गुज़रता?”
13 यहोवा जवाब देता है, “क्योंकि उन्होंने मेरा दिया कानून* ठुकरा दिया, उसका पालन नहीं किया और मेरी बात नहीं मानी।
14 इसके बजाय, वे ढीठ होकर अपनी मन-मरज़ी करते रहे+ और बाल देवता की मूरतों के पीछे चलते रहे, जैसे उनके पिताओं ने उन्हें सिखाया था।+
15 इसलिए सेनाओं का परमेश्वर और इसराएल का परमेश्वर यहोवा कहता है, ‘देख, मैं इन लोगों को नागदौना खाने और ज़हर मिला पानी पीने पर मजबूर करूँगा।+
16 मैं उन्हें उन राष्ट्रों में तितर-बितर कर दूँगा जिन्हें न तो वे जानते हैं, न उनके पुरखे जानते थे।+ और मैं उनके पीछे एक तलवार भेजूँगा और उन पर तब तक वार करता रहूँगा जब तक कि उनका सफाया न कर दूँ।’+
17 सेनाओं का परमेश्वर यहोवा कहता है,‘समझ से काम लो।
शोकगीत गानेवाली औरतों को बुलाओ,+उन औरतों को, जो ऐसे गीत गाने में माहिर हैं।
18 उनसे कहो कि वे जल्द आएँ और हमारे लिए मातम का गीत गाएँताकि हमारी आँखों से आँसुओं की धारा बहे,हमारी पलकें भीग जाएँ।+
19 सिय्योन से रोने-बिलखने की आवाज़ आ रही है,+“हाय, हम कैसे बरबाद हो गए हैं!
हम कितने बेइज़्ज़त किए गए हैं!
क्योंकि हमें अपना देश छोड़ना पड़ा, उन्होंने हमारे घर ढा दिए।”+
20 औरतो, यहोवा का संदेश सुनो।
उसने जो कहा है, उस पर कान लगाओ।
अपनी बेटियों को मातम का यह गीत सिखाओ,एक-दूसरे को यह शोकगीत सिखाओ।+
21 क्योंकि मौत हमारी खिड़कियों से अंदर घुस आयी है,हमारी मज़बूत मीनारों में घुस आयी हैताकि गलियों से हमारे बच्चों कोऔर चौक से हमारे जवानों को छीन ले।’+
22 तू कहना, ‘यहोवा ऐलान करता है,“लोगों की लाशें ऐसी पड़ी रहेंगी जैसे मैदान में खाद पड़ी रहती है,जैसे खेत में कतार-भर पूले पड़े रहते हैं जिन्हें कटाई करनेवाला काटकर छोड़ देता है।
और उन्हें इकट्ठा करनेवाला कोई नहीं होगा।”’”+
23 यहोवा कहता है,
“बुद्धिमान आदमी अपनी बुद्धि पर शेखी न मारे,+ताकतवर आदमी अपनी ताकत पर शेखी न मारे,न ही दौलतमंद आदमी अपनी दौलत पर शेखी मारे।”+
24 यहोवा ऐलान करता है, “लेकिन अगर कोई गर्व करे तो इस बात पर गर्व करेकि वह मेरे बारे में अंदरूनी समझ और ज्ञान रखता है+कि मैं यहोवा हूँ, जो अटल प्यार ज़ाहिर करता है, न्याय करता है और धरती पर नेकी करता है,+क्योंकि मैं इन्हीं बातों से खुश होता हूँ।”+
25 यहोवा ऐलान करता है, “देखो, वे दिन आ रहे हैं जब मैं ऐसे हर किसी से हिसाब माँगूँगा जो खतना करवाकर भी खतनारहित जैसा है।+
26 मैं मिस्र,+ यहूदा,+ एदोम,+ मोआब+ और अम्मोनियों+ से और वीराने के उन सभी लोगों से हिसाब माँगूँगा जिनकी कलमें मुँड़ी हुई हैं।+ सारे राष्ट्र खतनारहित हैं और इसराएल के सारे घराने का दिल खतनारहित है।”+
कई फुटनोट
^ या “हिदायत।”