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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)

लूका की किताब पर एक नज़र

  • लेखक: लूका

  • लिखने की जगह: कैसरिया

  • लिखना पूरा हुआ: क. ई. 56-58

  • कितने समय का ब्यौरा: ई.पू. 3–ई. 33

गौर करनेवाली खास बातें:

  • ऐसा मालूम होता है कि लूका की खुशखबरी की किताब, मत्ती की किताब लिखे जाने के बाद और मरकुस की किताब लिखे जाने से पहले लिखी गयी थी। जब पौलुस अपना तीसरा मिशनरी दौरा खत्म करके फिलिप्पी से लौट रहा था तब लूका भी उसके साथ आया। मुमकिन है कि इसके बाद ही लूका ने अपनी किताब लिखी। शायद लूका ने अपनी किताब के लिए उस वक्‍त जानकारी इकट्ठा की जब पौलुस दो साल तक कैसरिया की जेल में था, जिसके बाद उसे रोम ले जाया गया क्योंकि उसने सम्राट से फरियाद की थी।

  • ज़ाहिर है कि मत्ती ने अपनी खुशखबरी की किताब यहूदियों के लिए और मरकुस ने गैर-यहूदियों के लिए, खासकर रोम के लोगों के लिए लिखी। मगर लूका ने अपनी खुशखबरी की किताब सभी लोगों के लिए लिखी। लूका की किताब की करीब 60 प्रतिशत जानकारी ऐसी है जो खुशखबरी की दूसरी किताबों में नहीं पायी जाती। लूका ने कम-से-कम छ: ऐसे चमत्कारों के बारे में बताया जो मत्ती, मरकुस और यूहन्‍ना की किताबों में नहीं पाए जाते। (लूक 5:1-6; 7:11-15; 13:11-13; 14:1-4; 17:12-14; 22:50, 51) उसने कई ऐसी मिसालों के बारे में भी बताया जो खुशखबरी की दूसरी किताबों में नहीं मिलतीं, जैसे लूक 10:30-35; 15:11-32 और 16:19-31 में दी मिसालें।

  • एक वैद्य होने के नाते लूका ने कुछ बीमारियों के बारे में ज़्यादा जानकारी दी। (लूक 4:38; 5:12; कुल 4:14) लूका की खुशखबरी की किताब में शब्दों का जितना भंडार है, उतना खुशखबरी की बाकी तीन किताबों को मिलाकर भी नहीं मिलता। इससे पता चलता है कि लूका काफी पढ़ा-लिखा था।

  • हालाँकि इस किताब में लूका का कहीं नाम नहीं दिया गया है, लेकिन ‘मूराटोरी खंड’ (क. ई. 170) में बताया गया है कि खुशखबरी की इस किताब का लेखक लूका ही है। यही नहीं, सिकंदरिया के क्लैमेंट और आइरीनियस जैसे दूसरी सदी के लेखकों ने भी लूका को इस किताब का लेखक माना है।

  • लूका बारह प्रेषितों में से नहीं था और शायद वह यीशु की मौत के बाद ही मसीही बना था। इसलिए उसने अपनी किताब में जो घटनाएँ दर्ज़ कीं, उनका वह चश्‍मदीद गवाह नहीं था। लेकिन पौलुस के तीसरे मिशनरी दौरे के खत्म होने पर वह पौलुस के साथ यरूशलेम आया। (प्रेष 21:15-17) इस तरह लूका ने उस जगह पर परमेश्‍वर के बेटे, यीशु मसीह के बारे में सही-सही जानकारी इकट्ठा की जहाँ यीशु ने सेवा की थी। जैसे, लूका को ऐसे कई लोगों से बात करने का मौका मिला होगा, जिन्होंने अपनी आँखों से यीशु के काम देखे थे। इन चश्‍मदीद गवाहों में यीशु के वे चेले रहे होंगे जो अब तक ज़िंदा थे और शायद यीशु की माँ मरियम भी। इसके अलावा, लूका को मत्ती की किताब पर गौर करने का भी मौका मिला होगा।