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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)

लूका—चंद शब्दों में

  • क. लूका की किताब का परिचय (1:1-4)

    • किताब लिखने की वजह (1:1, 2)

    • थियुफिलुस के नाम (1:3, 4)

  • ख. यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले और यीशु के जन्म से पहले और बाद की कुछ घटनाएँ (1:5-80)

    • जिब्राईल, यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले के जन्म की भविष्यवाणी करता है (1:5-25)

    • जिब्राईल, यीशु के जन्म की भविष्यवाणी करता है (1:26-38)

    • मरियम अपनी रिश्‍तेदार इलीशिबा से मिलने जाती है (1:39-45)

    • मरियम यहोवा का गुणगान करती है (1:46-56)

    • यूहन्‍ना का जन्म; उसका नाम रखा जाता है (1:57-66)

    • जकरयाह की भविष्यवाणी (1:67-79)

    • वीराने में यूहन्‍ना की ज़िंदगी (1:80)

  • ग. यीशु का जन्म और उसका बचपन (2:1-52)

    • यूसुफ और मरियम बेतलेहेम जाते हैं; यीशु का जन्म (2:1-7)

    • स्वर्गदूत मैदानों में चरवाहों को दिखायी देते हैं (2:8-20)

    • यीशु का खतना किया जाता है और उसे मंदिर ले जाया जाता है (2:21-24)

    • शिमोन को मसीह को देखने का मौका मिलता है (2:25-35)

    • हन्‍ना बच्चे के बारे में कुछ बताती है (2:36-38)

    • वे नासरत लौटते हैं (2:39, 40)

    • 12 साल का यीशु मंदिर में (2:41-50)

    • यीशु अपने माता-पिता के साथ नासरत लौटता है (2:51, 52)

  • घ. यीशु की प्रचार सेवा शुरू होने तक की घटनाएँ (3:1–4:13)

    • यूहन्‍ना सेवा करना शुरू करता है (3:1, 2)

    • यूहन्‍ना बपतिस्मा लेने का प्रचार करता है (3:3-20)

    • यीशु का बपतिस्मा (3:21, 22)

    • यीशु मसीह की वंशावली (3:23-38)

    • शैतान यीशु को फुसलाता है, पर यीशु उसकी बातों में नहीं आता (4:1-13)

  • च. यीशु की शुरूआती सेवा, खासकर गलील में (4:14–6:11)

    • यीशु गलील में प्रचार करना शुरू करता है (4:14, 15)

    • नासरत में यीशु को ठुकराया जाता है (4:16-30)

    • यीशु कफरनहूम के सभा-घर में सिखाता है (4:31-37)

    • यीशु, शमौन की सास और दूसरे लोगों को ठीक करता है (4:38-41)

    • जब यीशु एकांत में होता है तो भीड़ उसे ढूँढ़ लेती है (4:42-44)

    • चमत्कार से मछलियाँ पकड़ी जाती हैं; शुरूआती चेले चुने जाते हैं (5:1-11)

    • यीशु उस आदमी को ठीक करता है जिसका पूरा शरीर कोढ़ से भरा होता है (5:12-16)

    • यीशु लकवे के मारे हुए के पाप माफ करता है और उसे ठीक करता है (5:17-26)

    • यीशु लेवी को चेला बनने के लिए बुलाता है (5:27-32)

    • उपवास के बारे में सवाल (5:33-39)

    • यीशु “सब्त के दिन का प्रभु” (6:1-5)

    • यीशु सब्त के दिन सूखे हाथवाले आदमी को ठीक करता है (6:6-11)

  • छ. 12 प्रेषित चुने जाते हैं; पहाड़ी उपदेश (6:12-49)

    • 12 प्रेषित चुने जाते हैं (6:12-16)

    • यीशु बड़ी भीड़ को सिखाता है और बीमारों को ठीक करता है (6:17-19)

    • वे लोग जो सुखी हैं और वे जिन पर हाय पड़ती है (6:20-26)

    • दुश्‍मनों से प्यार; सुनहरा नियम; दया करो (6:27-36)

    • दोष लगाना बंद करो (6:37-42)

    • पेड़ अपने फल से जाना जाता है (6:43-45)

    • पक्की नींव पर बने घर और बिना नींववाले घर में फर्क (6:46-49)

  • ज. यीशु गलील और उसके आस-पास प्रचार काम जारी रखता है (7:1–9:50)

    • सेना-अफसर का विश्‍वास (7:1-10)

    • नाईन में यीशु एक विधवा के बेटे को ज़िंदा करता है (7:11-17)

    • यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाला उसके बारे में पूछता है “जो आनेवाला था” (7:18-23)

    • यीशु, यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले की तारीफ करता है (7:24-30)

    • ढीठ पीढ़ी को धिक्कारा जाता है (7:31-35)

    • एक बदनाम औरत यीशु के पैरों पर तेल उँडेलती है (7:36-50)

    • यीशु के साथ-साथ जानेवाली औरतें (8:1-3)

    • बीज बोनेवाले की मिसाल (8:4-8)

    • यीशु ने मिसालें क्यों दीं (8:9, 10)

    • यीशु बीज बोनेवाले की मिसाल का मतलब समझाता है (8:11-15)

    • दीपक ढककर नहीं रखा जाता (8:16-18)

    • यीशु की माँ और उसके भाई (8:19-21)

    • यीशु गलील झील में तूफान शांत करता है (8:22-25)

    • यीशु एक आदमी से दुष्ट स्वर्गदूतों को निकालता है; उन्हें सूअरों में भेजता है (8:26-39)

    • याइर की बेटी को ज़िंदा किया जाता है; एक औरत यीशु का कपड़ा छूती है (8:40-56)

    • 12 चेलों को प्रचार की हिदायतें दी जाती हैं (9:1-6)

    • हेरोदेस, यीशु के बारे में सुनकर उलझन में पड़ जाता है (9:7-9)

    • यीशु करीब 5,000 आदमियों को खाना खिलाता है (9:10-17)

    • पतरस बताता है कि यीशु ही मसीह है (9:18-20)

    • यीशु अपनी मौत और ज़िंदा किए जाने की भविष्यवाणी करता है (9:21, 22)

    • सच्चा चेला कौन है (9:23-27)

    • यीशु का रूप बदलता है (9:28-36)

    • यीशु एक लड़के में से दुष्ट स्वर्गदूत निकालता है (9:37-43क)

    • यीशु अपनी मौत के बारे में दूसरी बार भविष्यवाणी करता है (9:43ख-45)

    • चेले बहस करते हैं कि कौन बड़ा है (9:46-48)

    • “जो तुम्हारे खिलाफ नहीं, वह तुम्हारे साथ है” (9:49, 50)

  • झ. यीशु यरूशलेम की तरफ जाता है; बाद की उसकी प्रचार सेवा, खासकर यहूदिया और पेरिया में (9:51–19:27)

    • सामरियों के एक गाँव में यीशु को ठुकराया जाता है (9:51-56)

    • यीशु का चेला बनने के लिए क्या करें (9:57-62)

    • यीशु 70 चेलों को भेजता है (10:1-12)

    • पश्‍चाताप न करनेवाले शहरों खुराजीन, बैतसैदा और कफरनहूम को धिक्कार (10:13-16)

    • 70 चेले लौटते हैं (10:17-20)

    • यीशु पिता की तारीफ करता है जिसने नम्र लोगों पर कृपा की (10:21-24)

    • दयालु सामरी की मिसाल (10:25-37)

    • यीशु मरियम और मारथा के घर जाता है (10:38-42)

    • यीशु आदर्श प्रार्थना सिखाता है (11:1-4)

    • माँगते रहनेवाले दोस्त की मिसाल (11:5-13)

    • यीशु समझाता है कि पवित्र शक्‍ति से दुष्ट स्वर्गदूतों को निकाला जाता है (11:14-23)

    • यीशु दुष्ट स्वर्गदूत के लौटने के बारे में बताता है (11:24-26)

    • सच्चा सुख (11:27, 28)

    • योना का चिन्ह (11:29-32)

    • आँख, शरीर का दीपक है (11:33-36)

    • यीशु एक फरीसी के साथ खाना खाता है; कपटी धर्म गुरुओं को धिक्कारता है (11:37-54)

    • ‘फरीसियों के खमीर से चौकन्‍ने रहो’ (12:1-3)

    • परमेश्‍वर से डरो, इंसान से नहीं (12:4-7)

    • मसीह को स्वीकार करनेवाला (12:8-12)

    • मूर्ख अमीर आदमी की मिसाल (12:13-21)

    • “चिंता करना छोड़ दो” (12:22-31)

    • “छोटे झुंड, मत डर” (12:32-34)

    • जागते रहना ज़रूरी है (12:35-40)

    • विश्‍वासयोग्य प्रबंधक और विश्‍वासघाती दास की पहचान (12:41-48)

    • शांति नहीं, फूट डालने आया (12:49-53)

    • खास वक्‍त का मतलब समझना है (12:54-56)

    • झगड़े निपटाएँ (12:57-59)

    • पश्‍चाताप करो वरना नाश हो जाओगे (13:1-5)

    • फल न देनेवाले अंजीर के पेड़ की मिसाल (13:6-9)

    • यीशु सब्त के दिन कुबड़ी औरत को ठीक करता है (13:10-17)

    • राई के दाने और खमीर की मिसाल (13:18-21)

    • सँकरे दरवाज़े से जाने के लिए संघर्ष ज़रूरी है (13:22-30)

    • “उस लोमड़ी” हेरोदेस (13:31-33)

    • यरूशलेम के लिए यीशु का दुख (13:34, 35)

    • यीशु सब्त के दिन जलोदर के रोगी को ठीक करता है (14:1-6)

    • खुद को छोटा समझनेवाला मेहमान बनो (14:7-11)

    • उन्हें न्यौता दो जो बदले में कुछ नहीं दे सकते (14:12-14)

    • उन मेहमानों की मिसाल जो बहाना बनाते हैं (14:15-24)

    • चेला बनने की कीमत (14:25-33)

    • नमक जो स्वाद खो दे (14:34, 35)

    • खोयी हुई भेड़ की मिसाल (15:1-7)

    • खोए हुए सिक्के की मिसाल (15:8-10)

    • खोए हुए बेटे की मिसाल (15:11-32)

    • होशियार प्रबंधक की मिसाल (16:1-13)

    • कानून और परमेश्‍वर का राज (16:14-18)

    • अमीर आदमी और लाज़र की मिसाल (16:19-31)

    • विश्‍वास की राह में बाधा, माफी और विश्‍वास के बारे में यीशु सिखाता है (17:1-6)

    • उस दास की मिसाल जो अपने मालिक की ज़रूरतें पूरी करता है (17:7-10)

    • यीशु दस कोढ़ियों को ठीक करता है (17:11-19)

    • परमेश्‍वर का राज कैसे आएगा (17:20-37)

    • हार न माननेवाली विधवा की मिसाल (18:1-8)

    • फरीसी और कर-वसूलनेवाले की मिसाल (18:9-14)

    • यीशु और छोटे बच्चे (18:15-17)

    • हमेशा की ज़िंदगी के बारे में एक अमीर अधिकारी का सवाल (18:18-30)

    • यीशु फिर से अपनी मौत और ज़िंदा किए जाने की भविष्यवाणी करता है (18:31-34)

    • यीशु यरीहो के पास एक अंधे भिखारी की आँखें ठीक करता है (18:35-43)

    • यीशु कर वसूलनेवाले जक्कई के घर जाता है (19:1-10)

    • दस मीना चाँदी के सिक्कों की मिसाल (19:11-27)

  • ट. यरूशलेम में और उसके आस-पास यीशु की सेवा के आखिरी हफ्ते की शुरूआत (19:28–21:4)

    • यीशु राजा की हैसियत से यरूशलेम में दाखिल होता है (19:28-40)

    • यीशु, यरूशलेम के लिए रोता है (19:41-44)

    • यीशु मंदिर को शुद्ध करता है (19:45-48)

    • यीशु के अधिकार पर सवाल उठाया जाता है (20:1-8)

    • खून करनेवाले बागबानों की मिसाल (20:9-19)

    • परमेश्‍वर और सम्राट (20:20-26)

    • मरे हुओं के ज़िंदा होने के बारे में सवाल (20:27-40)

    • क्या मसीह, दाविद का सिर्फ एक वंशज है? (20:41-44)

    • शास्त्रियों के बारे में चेतावनी (20:45-47)

    • ज़रूरतमंद विधवा के दो पैसे (21:1-4)

  • ठ. आगे होनेवाली घटनाओं की निशानी के बारे में यीशु की अनोखी भविष्यवाणी (21:5-36)

    • निशानी के बारे में सवाल; गुमराह होने के बारे में चेतावनी (21:5-9)

    • निशानी के पहलू: युद्ध, बड़े भूकंप, महामारियाँ, अकाल (21:10, 11)

    • ज़ुल्मों के बारे में भविष्यवाणी (21:12-19)

    • यरूशलेम फौज से घिरा होगा; राष्ट्रों के लिए तय किए गए वक्‍त की भविष्यवाणी (21:20-24)

    • इंसान का बेटा आएगा (21:25-28)

    • अंजीर के पेड़ की मिसाल (21:29-31)

    • “यह पीढ़ी हरगिज़ नहीं मिटेगी” (21:32, 33)

    • “तुम्हारे दिल दब न जाएँ”; “आँखों में नींद न आने दो” (21:34-36)

  • ड. यरूशलेम में यीशु की ज़िंदगी के आखिरी दिन; उसकी गिरफ्तारी और मुकदमा (21:37–23:25)

    • यीशु मंदिर में सिखाता है (21:37-38)

    • याजक, यीशु को मारने की साज़िश करते हैं (22:1-6)

    • आखिरी फसह की तैयारी (22:7-13)

    • यीशु प्रभु के संध्या-भोज की शुरूआत करता है (22:14-20)

    • “मुझसे गद्दारी करनेवाले का हाथ मेरे साथ मेज़ पर है” (22:21-23)

    • गरमा-गरम बहस कि किसे बड़ा समझा जाए (22:24-27)

    • यीशु राज का करार करता है (22:28-30)

    • भविष्यवाणी कि पतरस इनकार कर देगा (22:31-34)

    • तैयार रहने की ज़रूरत; दो तलवारें (22:35-38)

    • जैतून पहाड़ पर यीशु की प्रार्थना (22:39-46)

    • यीशु की गिरफ्तारी (22:47-53)

    • पतरस यीशु को जानने से इनकार करता है (22:54-62)

    • यीशु की खिल्ली उड़ायी जाती है (22:63-65)

    • महासभा के सामने मुकदमा (22:66-71)

    • यीशु को पीलातुस और हेरोदेस के सामने लाया जाता है (23:1-25)

  • ढ. यीशु की मौत, उसे दफनाया जाता है, ज़िंदा किया जाता है और वह स्वर्ग लौट जाता है (23:26–24:53)

    • यीशु यरूशलेम की बेटियों से बात करता है (23:26-31)

    • यीशु और दो अपराधियों को काठ पर लटकाया जाता है (23:32-42)

    • यीशु वादा करता है, “तू मेरे साथ फिरदौस में होगा” (23:43)

    • यीशु की मौत (23:44-49)

    • यीशु को दफनाया जाता है (23:50-56)

    • औरतें और पतरस कब्र के पास आते हैं जो खाली है (24:1-12)

    • इम्माऊस के रास्ते पर (24:13-35)

    • यीशु चेलों के सामने प्रकट होता है (24:36-49)

    • यीशु स्वर्ग चला जाता है (24:50-53)