लूका के मुताबिक खुशखबरी 16:1-31

16  तब यीशु ने अपने चेलों से यह भी कहा, “एक अमीर आदमी के यहाँ एक प्रबंधक था,+ जिसकी शिकायत की गयी कि वह उसके माल की बरबादी कर रहा है।  इसलिए उसने प्रबंधक को बुलाया और उससे कहा, ‘मैं तेरे बारे में यह क्या सुन रहा हूँ? अपने काम का हिसाब दे क्योंकि अब से तू मेरे घर के काम की देखरेख नहीं करेगा।’  तब प्रबंधक मन में कहने लगा, ‘अब मैं क्या करूँ? मालिक मुझे प्रबंधक के काम से हटा रहा है। मुझमें इतनी ताकत नहीं कि खेतों में मिट्टी खोदने का काम करूँ और भीख माँगने में मुझे शर्म आती है।  हाँ! मुझे समझ आ गया कि मुझे क्या करना चाहिए ताकि जब मुझे प्रबंधक के काम से हटा दिया जाए, तो लोग मुझे अपने घरों में स्वीकार करें।’  उसने अपने मालिक के कर्ज़दारों को एक-एक करके बुलाया और पहलेवाले से कहा, ‘तुझे मेरे मालिक को कितना देना है?’  उसने कहा, ‘2,200 लीटर जैतून का तेल।’ प्रबंधक ने कहा, ‘यह ले अपना करारनामा जो तूने लिखा था और बैठकर फौरन 1,100 लिख दे।’  इसके बाद उसने दूसरे से पूछा, ‘बता तुझे कितना देना है?’ उसने कहा, ‘170 क्विन्टल गेहूँ।’ उसने उससे कहा, ‘यह ले अपना करारनामा जो तूने लिखा था और इस पर 136* लिख दे।’  वह प्रबंधक नेक नहीं था, फिर भी मालिक ने उसकी सराहना की, क्योंकि उसने होशियारी से काम लिया था। मैं तुमसे यह इसलिए कह रहा हूँ, क्योंकि इस ज़माने के लोग दूसरों के साथ व्यवहार करने में उन लोगों से ज़्यादा होशियार हैं जो रौशनी में चलते हैं।+  मैं तुमसे यह भी कहता हूँ, इस दुष्ट दुनिया की दौलत+ से अपने लिए दोस्त बना लो ताकि जब यह दौलत न रहे, तो ये दोस्त तुम्हें उन जगहों में ले लें जो हमेशा बनी रहेंगी।+ 10  जो इंसान थोड़े में भरोसे के लायक है, वह बहुत में भी भरोसे के लायक होता है और जो थोड़े में बेईमान है, वह बहुत में भी बेईमान होता है। 11  इसलिए अगर तुम इस दुष्ट दुनिया की दौलत के मामले में भरोसेमंद साबित नहीं होगे, तो कौन तुम्हें सच्ची दौलत सौंपेगा? 12  और अगर तुम दूसरों की संपत्ति के मामले में भरोसेमंद साबित नहीं होगे, तो कौन तुम्हें वह संपत्ति देगा जो तुम्हारे लिए रखी गयी है?*+ 13  कोई भी दास दो मालिकों की सेवा नहीं कर सकता। क्योंकि या तो वह एक से नफरत करेगा और दूसरे से प्यार या वह एक से जुड़ा रहेगा और दूसरे को तुच्छ समझेगा। तुम परमेश्‍वर के दास होने के साथ-साथ धन-दौलत की गुलामी नहीं कर सकते।”+ 14  तब फरीसी जिन्हें पैसों से प्यार था, यीशु की ये सारी बातें सुनकर उसकी खिल्ली उड़ाने लगे।+ 15  इसलिए उसने उनसे कहा, “तुम इंसानों के सामने खुद को बड़ा नेक दिखाते हो,+ मगर परमेश्‍वर तुम्हारे दिलों को जानता है।+ क्योंकि जिस बात को इंसान बहुत बड़ा समझता है, वह परमेश्‍वर की नज़र में घिनौनी है।+ 16  दरअसल कानून और भविष्यवक्‍ताओं की लिखी बातें, यूहन्‍ना के समय तक के लिए थीं। तब से परमेश्‍वर के राज की खुशखबरी सुनायी जा रही है और हर किस्म का इंसान उसमें दाखिल होने के लिए ज़ोर लगा रहा है।+ 17  आकाश और पृथ्वी का मिट जाना आसान है, लेकिन कानून में लिखा एक भी अक्षर या बिंदु बिना पूरा हुए नहीं मिटेगा।+ 18  हर वह आदमी जो अपनी पत्नी को तलाक देता है और दूसरी से शादी करता है, वह व्यभिचार करने का दोषी है। और जो कोई एक तलाकशुदा औरत से शादी करता है, वह भी व्यभिचार करने का दोषी है।+ 19  एक अमीर आदमी था जो बैंजनी और रेशमी कपड़े पहनता था+ और बड़े ठाट-बाट से रहता और हर दिन ऐश करता था। 20  मगर लाज़र नाम का एक भिखारी था जिसका शरीर फोड़ों से भरा हुआ था। उसे अमीर आदमी के फाटक के पास छोड़ दिया जाता था 21  और वह उसकी मेज़ से गिरनेवाले टुकड़े खाने के लिए तरसता था। यहाँ तक कि कुत्ते आकर उसके फोड़े चाटते थे। 22  कुछ वक्‍त बाद वह भिखारी मर गया और स्वर्गदूत उसे अब्राहम के पास ले गए। फिर वह अमीर आदमी भी मर गया और उसे गाड़ा गया। 23  वह अमीर आदमी कब्र में तड़प रहा था। वहाँ से उसने नज़रें उठाकर देखा, तो उसे बहुत दूर अब्राहम दिखायी दिया, उसके पास लाज़र भी था। 24  तब अमीर आदमी ने पुकारा, ‘पिता अब्राहम, मुझ पर दया कर। लाज़र को मेरे पास भेज कि वह अपनी उँगली का छोर पानी में डुबाकर मेरी जीभ को ठंडा करे क्योंकि मैं यहाँ इस धधकती आग में तड़प रहा हूँ।’ 25  मगर अब्राहम ने कहा, ‘बच्चे, याद कर कि तूने अपनी सारी ज़िंदगी बढ़िया-बढ़िया चीज़ों का खूब मज़ा लिया, मगर लाज़र ने दुख-ही-दुख झेला। लेकिन अब वह यहाँ आराम से है जबकि तू तड़प रहा है।+ 26  इसके अलावा हमारे और तुम लोगों के बीच एक बड़ी खाई बनायी गयी है ताकि कोई चाहते हुए भी यहाँ से तुम्हारे पास न जा सके और न कोई वहाँ से इस पार हमारे यहाँ आ सके।’ 27  तब उसने कहा, ‘अगर ऐसी बात है, तो हे पिता मैं तुझसे बिनती करता हूँ कि तू उसे मेरे पिता के घर भेज दे 28  ताकि वह जाकर मेरे पाँचों भाइयों को अच्छी तरह समझाए और उन्हें यहाँ आकर तड़पना न पड़े।’ 29  मगर अब्राहम ने कहा, ‘उनके पास मूसा और भविष्यवक्‍ताओं के वचन हैं, वे उनकी सुनें।’+ 30  तब उसने कहा, ‘नहीं पिता अब्राहम। अगर मरे हुओं में से कोई उनके पास जाएगा, तो वे ज़रूर पश्‍चाताप करेंगे।’ 31  लेकिन अब्राहम ने उससे कहा, ‘अगर वे मूसा और भविष्यवक्‍ताओं की नहीं सुनते,+ तो चाहे मरे हुओं में से कोई ज़िंदा हो जाए, तो भी वे उसका यकीन नहीं करेंगे।’”

कई फुटनोट

शा., “80।”
या “जो तुम्हारी है।”

अध्ययन नोट

प्रबंधक: या “घर के कामों की देखरेख करनेवाला।” यूनानी शब्द ओइकोनॉमोस एक ऐसे सेवक के लिए इस्तेमाल होता था, जिसे दूसरे सेवकों की निगरानी करने की ज़िम्मेदारी दी जाती थी। प्राचीन समय में अकसर एक विश्‍वासयोग्य दास को मालिक के घर के कामों की देखरेख का ज़िम्मा दिया जाता था। इससे पता चलता है कि यह ओहदा बहुत भरोसेमंद व्यक्‍ति को ही दिया जाता था। उदाहरण के लिए, अब्राहम ने अपने एक सेवक को प्रबंधक ठहराया था, “जो उसके घराने के सब कामों की देखरेख करता था।” (उत 24:2) यूसुफ भी एक प्रबंधक था, जैसे उत 39:4 में बताया गया है। हालाँकि यीशु ने अपनी मिसाल में एक “प्रबंधक” की बात की, लेकिन ज़रूरी नहीं कि यह सिर्फ एक व्यक्‍ति को दर्शाता है। बाइबल में ऐसे कई उदाहरण हैं जहाँ बात तो एक व्यक्‍ति के बारे में की गयी है, लेकिन असल में वह एक समूह को दर्शाता है। जैसे यहोवा ने इसराएल राष्ट्र से कहा, “तुम मेरे साक्षी [बहुवचन] हो, हाँ, मेरा वह सेवक [एकवचन], जिसे मैंने चुना है।” (यश 43:10) उसी तरह यीशु की मिसाल में बताया प्रबंधक एक समूह को दर्शाता है। मत 24:45 में दर्ज़ इसी मिसाल में प्रबंधक को “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” कहा गया है।

प्रबंधक: या “घर के कामों की देखरेख करनेवाला।”​—लूक 12:42 का अध्ययन नोट देखें।

लीटर: या “बत” माप। कुछ विद्वानों का कहना है कि यूनानी शब्द बेतोस इब्रानी के “बत” माप के बराबर था। मिट्टी के बरतनों के कुछ टुकड़े मिले हैं, जिन पर प्राचीन इब्रानी अक्षरों में “बत” लिखा है। इसके आधार पर बताया गया है कि एक बत करीब 22 ली. का होता था।​—शब्दावली में “बत” और अति. ख14 देखें।

लीटर: या “बत” माप। कुछ विद्वानों का कहना है कि यूनानी शब्द बेतोस इब्रानी के “बत” माप के बराबर था। मिट्टी के बरतनों के कुछ टुकड़े मिले हैं, जिन पर प्राचीन इब्रानी अक्षरों में “बत” लिखा है। इसके आधार पर बताया गया है कि एक बत करीब 22 ली. का होता था।​—शब्दावली में “बत” और अति. ख14 देखें।

170 क्विन्टल: या “100 कोर।” कुछ विद्वानों का कहना है कि यूनानी शब्द कोरॉस इब्रानी के “कोर” माप के बराबर था। एक कोर में 10 बत होते थे। अगर एक बत 22 ली. का था, तो एक कोर करीब 220 ली. का था।​—लूक 16:6 का अध्ययन नोट; शब्दावली में “बत,” “कोर” और अति. ख14 देखें।

होशियारी से काम लिया था: या “चतुराई (बुद्धिमानी) से काम लिया था।” यहाँ यूनानी शब्द फ्रोनिमोस का अनुवाद “होशियारी से” किया गया है। इससे संबंधित विशेषण के रूपों का अनुवाद अलग-अलग तरीके से किया गया है, जैसे इस आयत में आगे व्यवहार करने में ज़्यादा होशियार, मत 7:24; 25:2 में “समझदार” और मत 24:45; लूक 12:42 में “बुद्धिमान” किया गया है।​—मत 24:45; लूक 12:42 के अध्ययन नोट देखें।

इस ज़माने: या “दुनिया की व्यवस्था।” यूनानी शब्द आयॉन का बुनियादी मतलब है, “ज़माना।” मगर इसका यह भी मतलब हो सकता है, किसी दौर के हालात या कुछ खास बातें जो उस दौर या ज़माने को दूसरे दौर या ज़माने से अलग दिखाती हैं। इस संदर्भ में इसका मतलब है, यह दुष्ट दुनिया और दुनियावी तरीके से जीना।​—शब्दावली में “दुनिया की व्यवस्था या व्यवस्थाएँ” देखें।

बुद्धिमान: या “सूझ-बूझ से काम लेनेवाला।” यहाँ इस्तेमाल हुए यूनानी विशेषण फ्रोनिमोस में यह सब शामिल है: अंदरूनी समझ, पहले से सोचना, समझदारी, होशियारी और समझ-बूझ से काम लेना। इसी यूनानी शब्द का एक रूप लूक 16:8 में इस्तेमाल हुआ है जहाँ इसका अनुवाद ‘व्यवहार करने में ज़्यादा होशियार हैं’ किया गया है। यही यूनानी शब्द मत 7:24; 25:2, 4, 8, 9 में आया है। सेप्टुआजेंट में यह शब्द उत 41:33, 39 में यूसुफ के सिलसिले में इस्तेमाल हुआ है।

बुद्धिमान: या “सूझ-बूझ से काम लेनेवाला।” यहाँ इस्तेमाल हुए यूनानी शब्द में यह सब शामिल है: अंदरूनी समझ, पहले से सोचना, समझदारी, होशियारी और समझ-बूझ से काम लेना। यही यूनानी शब्द मत 7:24 और 25:2, 4, 8, 9 में आया है। सेप्टुआजेंट में यह शब्द उत 41:33, 39 में यूसुफ के सिलसिले में इस्तेमाल हुआ है।

धन-दौलत: यूनानी शब्द मैमोनास का अनुवाद “पैसा” भी किया जा सकता है। “धन-दौलत” को यहाँ एक मालिक या एक तरह का झूठा देवता बताया गया है, हालाँकि इस बात का कोई ठोस सबूत नहीं है कि मैमोनास कभी किसी देवता का नाम था।

बेईमानी की दौलत: यूनानी शब्द मैमोनास का आम तौर पर मतलब होता है, पैसा या दौलत। (मत 6:24 का अध्ययन नोट देखें।) ज़ाहिर है कि यीशु ने दौलत को “बेईमानी की दौलत” कहा क्योंकि इस पर पापी इंसानों का काबू होता है, इससे आम तौर पर स्वार्थी इच्छाएँ पूरी की जाती हैं और यह अकसर गलत तरीकों से हासिल की जाती है। यही नहीं, दौलत होने से या उसका लालच करने से इंसान बुरे काम करने लग सकते हैं। धन-दौलत का मोल कम हो सकता है, इसलिए दौलतमंद लोगों को उस पर भरोसा नहीं करना चाहिए। (1ती 6:9, 10, 17-19) इसके बजाय उन्हें इस दौलत से यहोवा और यीशु से दोस्ती करनी चाहिए, जो उन्हें हमेशा कायम रहनेवाली जगहों में ले जा सकते हैं।

दोस्त: यानी स्वर्ग में रहनेवाले यहोवा परमेश्‍वर और यीशु मसीह। ये वे दोस्त हैं जो लोगों को ‘उन जगहों में ले जा सकते हैं जो हमेशा बनी रहेंगी।’

उन जगहों में . . . जो हमेशा बनी रहेंगी: शा., “अनंत तंबुओं।” ज़ाहिर है कि यहाँ हमेशा कायम रहनेवाली सबसे बढ़िया जगहों की बात की गयी है, एक है स्वर्ग जहाँ परमेश्‍वर के राज में यीशु के संग उसके साथी राजा होंगे और दूसरी है, यह धरती जहाँ राज की प्रजा फिरदौस में रहेगी।

नफरत: यानी पूरी तरह नहीं बल्कि कुछ हद तक समर्पित होना।​—लूक 14:26 का अध्ययन नोट देखें।

दास . . . गुलामी: मत 6:24 का अध्ययन नोट देखें।

धन-दौलत: मत 6:24 का अध्ययन नोट देखें।

धन-दौलत: यूनानी शब्द मैमोनास का अनुवाद “पैसा” भी किया जा सकता है। “धन-दौलत” को यहाँ एक मालिक या एक तरह का झूठा देवता बताया गया है, हालाँकि इस बात का कोई ठोस सबूत नहीं है कि मैमोनास कभी किसी देवता का नाम था।

दास . . . सेवा: दास का आम तौर पर एक ही मालिक होता है। यीशु यहाँ कह रहा था कि ऐसा नहीं हो सकता कि एक मसीही, परमेश्‍वर की भक्‍ति करे और सुख-सुविधा की चीज़ें बटोरने में भी लगा रहे, क्योंकि सिर्फ परमेश्‍वर को हमारी भक्‍ति पाने का हक है।

नफरत: बाइबल में शब्द “नफरत” के कई मतलब हैं। एक मतलब है, दुश्‍मनी जिस वजह से एक इंसान दूसरे का नुकसान करने की सोचता है। दूसरा मतलब है, किसी व्यक्‍ति या चीज़ को ज़रा भी पसंद न करना या इतनी घृणा करना कि उससे पूरी तरह दूर रहना। या फिर “नफरत” का मतलब किसी को कम प्यार करना भी हो सकता है। उदाहरण के लिए, जब याकूब के बारे में कहा गया कि वह राहेल से प्यार करता है और लिआ से “नफरत,” तो उसका मतलब था कि वह लिआ से ज़्यादा राहेल से प्यार करता है। (उत 29:31, फु.; व्य 21:15, फु.) प्राचीन यहूदी लेखों में भी यह मतलब देने के लिए “नफरत” शब्द इस्तेमाल हुआ है। इसलिए यीशु के कहने का मतलब यह नहीं था कि उसके चेलों को अपने परिवारवालों से और खुद से नफरत करनी चाहिए। ऐसा करना तो बाइबल की दूसरी आयतों में दिए सिद्धांतों के खिलाफ होता। (मर 12:29-31; इफ 5:28, 29, 33 से तुलना करें।) इसलिए इस संदर्भ में शब्द “नफरत नहीं करता” का अनुवाद “कम प्यार नहीं करता” भी किया जा सकता है।

कानून और भविष्यवक्‍ताओं: “कानून” का मतलब है, बाइबल में उत्पत्ति से लेकर व्यवस्थाविवरण तक की किताबें। “भविष्यवक्‍ताओं” का मतलब है, इब्रानी शास्त्र में भविष्यवक्‍ताओं की लिखी किताबें। लेकिन जब इन दोनों का ज़िक्र साथ में आता है तो इसका मतलब पूरा इब्रानी शास्त्र हो सकता है।​—मत 5:17; 7:12; 22:40; मत 11:13 का अध्ययन नोट देखें।

ज़ोर लगा रहा है: इनके यूनानी शब्द का बुनियादी मतलब है, जी-जान लगाकर काम करना या अपना भरसक करना। बाइबल के कुछ अनुवादकों ने इस शब्द को अलग तरीके से समझा है (यानी लोग हिंसा कर रहे हैं या हिंसा झेल रहे हैं)। मगर जैसे यहाँ लिखा है, परमेश्‍वर के राज की खुशखबरी सुनायी जा रही है, उससे पता चलता है कि इस शब्द का मतलब है, “जोश के साथ किसी चीज़ के पीछे जाना; उत्साह से कुछ पाने की कोशिश करना।” ज़ाहिर है कि ये शब्द दिखाते हैं कि जिन लोगों ने परमेश्‍वर के राज की खुशखबरी सुनी, उन्होंने बदलाव करने के लिए जी-जान से मेहनत की या अपना भरसक किया। इसलिए उन्हें राज के वारिस बनने की आशा मिली।

भविष्यवक्‍ताओं और कानून: आम तौर पर इन दोनों में से “कानून” पहले लिखा जाता है (मत 5:17; 7:12; 22:40; लूक 16:16), लेकिन सिर्फ इस आयत में “भविष्यवक्‍ताओं” पहले लिखा गया है। चाहे किसी को भी पहले लिखा गया हो, मतलब लगभग एक है। (मत 5:17 का अध्ययन नोट देखें।) मगर ऐसा लगता है कि यहाँ भविष्यवाणी के पहलू पर ज़्यादा ज़ोर दिया गया है। इसके अलावा, यह आयत कहती है कि कानून ने भविष्यवाणी की, जो दिखाता है कि इसमें लिखी बातें दरअसल भविष्यवाणियाँ हैं।

बिंदु: यीशु के दिनों में इब्रानी भाषा के जो अक्षर इस्तेमाल होते थे, उनमें से कुछ में बिंदु लगाए जाते थे ताकि एक अक्षर दूसरे से अलग दिखे। इस आयत में यीशु ने अतिशयोक्‍ति अलंकार का इस्तेमाल करके इस बात पर ज़ोर दिया कि परमेश्‍वर के वचन की छोटी-से-छोटी बात भी पूरी होगी।​—मत 5:18 का अध्ययन नोट देखें।

बिंदु: कुछ इब्रानी अक्षरों में बिंदु लगाए जाते थे ताकि एक अक्षर दूसरे से अलग दिखे। इस आयत में यीशु ने अतिशयोक्‍ति अलंकार का इस्तेमाल करके इस बात पर ज़ोर दिया कि परमेश्‍वर के वचन की छोटी-से-छोटी बात भी पूरी होगी।

व्यभिचार करने का दोषी है: इन शब्दों के लिए यूनानी क्रिया मोइखीयो इस्तेमाल हुई है। बाइबल में व्यभिचार का मतलब है एक शादीशुदा व्यक्‍ति का अपने साथी को छोड़ किसी और के साथ अपनी इच्छा से “नाजायज़ यौन-संबंध” रखना। (मत 5:32 के अध्ययन नोट से तुलना करें, जहाँ शब्द “नाजायज़ यौन-संबंध” [यूनानी में पोर्निया] के बारे में समझाया गया है।) जब मूसा का कानून लागू था तब अगर कोई अपनी इच्छा से किसी आदमी की पत्नी या मँगेतर के साथ यौन-संबंध रखता था तो उसे व्यभिचार माना जाता था।​—मत 5:27; मर 10:11 के अध्ययन नोट देखें।

तलाकशुदा औरत: यानी ऐसी औरत जिसका तलाक नाजायज़ यौन-संबंध की वजह से नहीं बल्कि किसी और वजह से हुआ है।​—मत 5:32 का अध्ययन नोट देखें।

नाजायज़ यौन-संबंध: यूनानी शब्द पोर्निया का मतलब है, हर तरह का यौन-संबंध जो परमेश्‍वर के नियम के खिलाफ है। जैसे व्यभिचार, वेश्‍या के काम, दो कुँवारे लोगों के बीच यौन-संबंध जिनकी एक-दूसरे से शादी नहीं हुई, समलैंगिकता और जानवरों के साथ यौन-संबंध।​—शब्दावली देखें।

उस पहली औरत का हक मारता है और व्यभिचार करने का दोषी है: या “उसके खिलाफ व्यभिचार करता है।” रब्बी सिखाते थे कि आदमी “किसी भी वजह से” अपनी पत्नी को तलाक दे सकता है। लेकिन यीशु ने यहाँ इस शिक्षा को गलत ठहराया। (मत 19:3, 9) कोई अपनी पत्नी के खिलाफ व्यभिचार कर सकता है, यह बात ज़्यादातर यहूदियों के लिए नयी थी क्योंकि रब्बियों का कहना था कि एक पति अपनी पत्नी के खिलाफ कभी व्यभिचार कर ही नहीं सकता। वे सिखाते थे कि सिर्फ पत्नी बेवफा हो सकती है। लेकिन यीशु ने इस आयत में लिखी बात कहकर सिखाया कि पति-पत्नी दोनों को एक-दूसरे के वफादार रहना चाहिए। इस तरह उसने औरतों का सम्मान किया और उनका दर्जा उठाया।

व्यभिचार . . . करना: यहाँ निर्ग 20:14 और व्य 5:18 की बात लिखी है। उन आयतों में इब्रानी क्रिया नाआफ इस्तेमाल हुई है। इस क्रिया के लिए यहाँ यूनानी क्रिया मोइखीयो इस्तेमाल हुई है। बाइबल में व्यभिचार का मतलब है एक शादीशुदा व्यक्‍ति का अपने साथी को छोड़ किसी और के साथ अपनी इच्छा से “नाजायज़ यौन-संबंध” रखना। (मत 5:32 के अध्ययन नोट से तुलना करें, जहाँ शब्द “नाजायज़ यौन-संबंध” [यूनानी में पोर्निया] के बारे में समझाया गया है।) जब मूसा का कानून लागू था तब अगर कोई अपनी इच्छा से किसी आदमी की पत्नी या मँगेतर के साथ यौन-संबंध रखता था तो उसे व्यभिचार माना जाता था।

नाजायज़ यौन-संबंध: यूनानी शब्द पोर्निया का मतलब है, हर तरह का यौन-संबंध जो परमेश्‍वर के नियम के खिलाफ है। जैसे व्यभिचार, वेश्‍या के काम, दो कुँवारे लोगों के बीच यौन-संबंध जिनकी एक-दूसरे से शादी नहीं हुई, समलैंगिकता और जानवरों के साथ यौन-संबंध।​—शब्दावली देखें।

लाज़र: मुमकिन है कि यह इब्रानी नाम एलिआज़र का यूनानी रूप है जिसका मतलब है, “परमेश्‍वर ने मदद की है।”

भिखारी: या “गरीब आदमी।” यूनानी शब्द का मतलब बहुत गरीब आदमी या कंगाल भी हो सकता है। यह शब्द इसलिए इस्तेमाल हुआ है ताकि यीशु की मिसाल में बताए अमीर आदमी और इस भिखारी के बीच फर्क साफ पता चले। यह शब्द मत 5:3 में भी इस्तेमाल हुआ है। वहाँ जिस यूनानी शब्द का अनुवाद ‘जिनमें भूख है’ किया गया है उसका शाब्दिक मतलब है, “जो गरीब (ज़रूरतमंद; कंगाल; भिखारी) हैं।” इस आयत में जब परमेश्‍वर से मार्गदर्शन पाने की भूख बताया गया है तो उसका मतलब ऐसे लोग हैं जिन्हें इस बात का ज़बरदस्त एहसास है कि उनका परमेश्‍वर के साथ कोई रिश्‍ता नहीं है और उन्हें परमेश्‍वर के मार्गदर्शन की ज़रूरत है।​—मत 5:3 का अध्ययन नोट देखें।

जिनमें परमेश्‍वर से मार्गदर्शन पाने की भूख है: जिस यूनानी शब्द का अनुवाद ‘जिनमें भूख है’ किया गया है उसका शाब्दिक मतलब है, “जो गरीब (ज़रूरतमंद; कंगाल; भिखारी) हैं।” इस आयत में यह यूनानी शब्द उन लोगों के लिए इस्तेमाल हुआ है जिन्हें किसी चीज़ की ज़रूरत है और उन्हें इस बात का पूरा एहसास है। लूक 16:20, 22 में यही शब्द लाज़र नाम के “भिखारी” के लिए इस्तेमाल हुआ है। “जिनमें परमेश्‍वर से मार्गदर्शन पाने की भूख है,” इस वाक्य के लिए इस्तेमाल हुए यूनानी शब्दों को कुछ अनुवादों में “जो मन के दीन हैं” लिखा गया है। लेकिन इन यूनानी शब्दों का मतलब है, ऐसे लोग जिन्हें इस बात का ज़बरदस्त एहसास है कि उनका परमेश्‍वर के साथ कोई रिश्‍ता नहीं है और उनमें परमेश्‍वर से मार्गदर्शन पाने की भूख है।

कुत्ते: मूसा के कानून के मुताबिक, कुत्ते अशुद्ध जानवर थे। (लैव 11:27) मिसाल में जो कुत्ते भिखारी के फोड़े चाटते थे, ज़ाहिर है कि वे गलियों के कुत्ते रहे होंगे। इब्रानी शास्त्र में “कुत्ता” शब्द अकसर दूसरों को नीचा दिखाने या कमतर का भाव देने के लिए इस्तेमाल हुआ है। (व्य 23:18, फु.; 1शम 17:43; 24:14; 2शम 9:8; 2रा 8:13; नीत 26:11) मत 7:6 में शब्द “कुत्तों” ऐसे लोगों के लिए इस्तेमाल हुआ है जो परमेश्‍वर से मिलनेवाले अनमोल ज्ञान की कदर नहीं करते। इन सारी बातों को ध्यान में रखते हुए इस मिसाल में कुत्तों का लाज़र नाम के भिखारी के फोड़े चाटना दिखाता है कि वह कितनी बदहाली में था।​—मत 7:6; 15:26 के अध्ययन नोट देखें।

बच्चों . . . पिल्लों: मूसा के कानून के मुताबिक कुत्तों को अशुद्ध माना जाता था, इसलिए बाइबल में अकसर यह शब्द नैतिक तौर से गिरे हुए लोगों के लिए इस्तेमाल हुआ है। (लैव 11:27; मत 7:6; फिल 3:2, फु.; प्रक 22:15) लेकिन मरकुस (7:27) और मत्ती ने जब यीशु की यह बातचीत लिखी तो उन्होंने कुत्तों के लिए अल्पार्थक संज्ञा इस्तेमाल की जिसका मतलब है, “पिल्ला” या “घर का कुत्ता।” इस तरह तुलना करने से किसी को ठेस नहीं पहुँचती। इससे शायद यह ज़ाहिर होता है कि यीशु ने वही शब्द इस्तेमाल किया जिससे गैर-यहूदी अपने पालतू जानवरों को प्यार से बुलाते थे। यीशु इसराएलियों की तुलना “बच्चों” से और गैर-यहूदियों की तुलना “पिल्लों” से करके शायद यह बताना चाहता था कि पहले किन पर ध्यान दिया जाना चाहिए। जब एक घर में बच्चे और कुत्ते दोनों होते हैं तो पहले बच्चों को खाना खिलाया जाता है।

पवित्र चीज़ें कुत्तों को मत दो, न ही अपने मोती सूअरों के आगे फेंको: मूसा के कानून के मुताबिक, सूअर और कुत्ते अशुद्ध जानवर थे। (लैव 11:7, 27) इसराएलियों को इजाज़त थी कि वे कुत्तों को ऐसे जानवर का माँस दे सकते थे जिसे जंगली जानवर ने मार डाला हो। (निर्ग 22:31) मगर यहूदी परंपरा के मुताबिक, वे कुत्तों को “पवित्र गोश्‍त” यानी बलि के जानवरों का गोश्‍त नहीं दे सकते थे। इस आयत में शब्द ‘कुत्ते’ और ‘सूअर’ ऐसे लोगों के लिए इस्तेमाल हुए हैं जो परमेश्‍वर से मिलनेवाले अनमोल ज्ञान की कदर नहीं करते। जैसे सूअर मोतियों का मोल नहीं जानते और उन्हें रौंद डालते हैं, वैसे ही परमेश्‍वर के ज्ञान की कदर न करनेवाले उन लोगों से बुरा सलूक कर सकते हैं जो यह ज्ञान बाँटते हैं।

अब्राहम के पास: शा., “अब्राहम के सीने के पास।” जब एक व्यक्‍ति किसी के सीने के पास होता है तो इसका मतलब है, उस व्यक्‍ति पर उसकी खास मंज़ूरी है और उनकी अच्छी जान-पहचान है। (यूह 1:18 का अध्ययन नोट देखें।) यह अलंकार इस दस्तूर से निकला है: लोग खाना खाने के लिए दीवान पर ऐसे बैठते थे कि एक व्यक्‍ति अपना सिर अपने खास दोस्त के सीने से टेक लगाकर रख सकता था।​—यूह 13:23-25.

कब्र: या “हेडीज़,” यानी एक लाक्षणिक जगह जहाँ ज़्यादातर इंसान मौत की नींद सो जाते हैं।​—शब्दावली देखें।

उसके पास: शा., “उसके सीने के पास।”​—लूक 16:22 का अध्ययन नोट देखें।

अब्राहम के पास: शा., “अब्राहम के सीने के पास।” जब एक व्यक्‍ति किसी के सीने के पास होता है तो इसका मतलब है, उस व्यक्‍ति पर उसकी खास मंज़ूरी है और उनकी अच्छी जान-पहचान है। (यूह 1:18 का अध्ययन नोट देखें।) यह अलंकार इस दस्तूर से निकला है: लोग खाना खाने के लिए दीवान पर ऐसे बैठते थे कि एक व्यक्‍ति अपना सिर अपने खास दोस्त के सीने से टेक लगाकर रख सकता था।​—यूह 13:23-25.

उनके पास मूसा और भविष्यवक्‍ताओं के वचन हैं: यानी मूसा और भविष्यवक्‍ताओं की लिखी किताबें, जो सभा-घरों में हर सब्त के दिन पढ़ी जाती थीं। (प्रेष 15:21) इससे उन्हें यकीन हो जाना चाहिए था कि यीशु ही परमेश्‍वर का ठहराया हुआ मसीहा और राजा है।

तसवीर और ऑडियो-वीडियो

करारनामा जिसमें कर्ज़ लेने की बात की गयी है
करारनामा जिसमें कर्ज़ लेने की बात की गयी है

यीशु ने बेईमान प्रबंधक की मिसाल में एक प्रथा का ज़िक्र किया जिसमें जब दो लोगों के बीच लेन-देन होता था, तो वे एक करारनामा तैयार करते थे। (लूक 16:6, 7) यहाँ दिखाया गया पपाइरस से बना दस्तावेज़ अरामी भाषा में लिखा है और करीब ईसवी सन्‌ 55 का है। यह दस्तावेज़ यहूदिया के रेगिस्तान की एक सूखी नदी यानी वादी मुरब्बात की एक गुफा में मिला। इसमें हनिन के बेटे अबशालोम और जकरयाह के बेटे यहोहानान के बीच हुई लेन-देन की बात बतायी गयी है और कर्ज़ लौटाने की शर्तें दर्ज़ हैं। यीशु की मिसाल सुनकर लोगों के मन में शायद इस तरह के दस्तावेज़ का खयाल आया होगा।

बैंजनी रंग
बैंजनी रंग

यहाँ दिखाया बैंजनी रंग म्यूरेक्स ट्रनक्यूलस (बायीं तरफ) और म्यूरेक्स ब्रैन्डारिस (दायीं तरफ) जैसी सीपियों से निकाला जाता था। ये सीपियाँ 2 से 3 इंच (5 से 8 सें.मी.) लंबी होती हैं। सीपियों के अंदर पाए जानेवाले जीवों की गरदन पर एक छोटी-सी ग्रंथि होती है जिसमें फ्लावर नाम के तरल पदार्थ की सिर्फ एक बूँद होती है। दिखने में यह मलाई जैसा लगता है और गाढ़ा भी होता है, लेकिन धूप और हवा लगने से धीरे-धीरे इसका रंग गहरा बैंजनी या लाल-बैंजनी हो जाता है। ये सीपियाँ, भूमध्य सागर के किनारों पर पायी जाती हैं और जगह के हिसाब से इनके रंग में थोड़ा-बहुत फर्क होता है। बड़ी सीपियों को एक-एक करके तोड़ा जाता था और उनमें से फ्लावर नाम का अनमोल पदार्थ, बड़ी सावधानी से निकाला जाता था, जबकि छोटी सीपियों को एक-साथ ओखली में कूटा जाता था। छोटी-बड़ी सभी सीपियों से बहुत कम पदार्थ मिलता था इसलिए ढेर सारा पदार्थ इकट्ठा करने में काफी मेहनत और समय लगता था। यही वजह है कि इनसे तैयार होनेवाला बैंजनी रंग बहुत महँगा होता था और इस रंग की पोशाक, रईसों और ऊँचे पदवालों की पहचान बन गयी थी।​—एस 8:15.