लूका के मुताबिक खुशखबरी 2:1-52
कई फुटनोट
अध्ययन नोट
सम्राट: यूनानी में कैसर और लातीनी में सीज़र। (शब्दावली में “कैसर” देखें।) औगुस्तुस नाम एक लातीनी शब्द है जिसका मतलब है, “अगस्त प्रथम।” यह उपाधि रोम की परिषद् ने सबसे पहले ईसा पूर्व 27 में गायुस ओक्टेवियस को दी थी, जो रोम का पहला सम्राट था। इसलिए वह सम्राट औगुस्तुस के नाम से जाना गया। उसके फरमान जारी करने से बाइबल की भविष्यवाणी पूरी हुई और यीशु बेतलेहेम में पैदा हुआ।—दान 11:20; मी 5:2.
उसके साम्राज्य के सब लोग: या “पूरी दुनिया के सब लोग।” इनके यूनानी शब्द (ओइकूमीने) का आम तौर पर मतलब होता है, पृथ्वी। (लूक 4:5; प्रेष 17:31; रोम 10:18; प्रक 12:9; 16:14) पहली सदी में यह शब्द विशाल रोमी साम्राज्य के लिए भी इस्तेमाल होता था, जहाँ यहूदी अलग-अलग जगहों में रहते थे।—प्रेष 24:5.
अपना-अपना नाम दर्ज़ कराएँ: मुमकिन है कि औगुस्तुस ने इस मकसद से फरमान जारी करवाया कि प्रजा से कर ले सके और आदमियों को सेना में भरती करा सके। ज़ाहिर है कि ऐसा करके उसने दानियेल की यह भविष्यवाणी पूरी की कि एक ऐसा राजा आएगा “जो वैभवशाली राज्य के पूरे इलाके में कर-वसूलनेवाले को भेजेगा।” दानियेल ने यह भविष्यवाणी भी की कि इस राजा के बाद “एक तुच्छ आदमी” शासक बनेगा और उसकी हुकूमत के दौरान एक बहुत बड़ी घटना घटेगी: ‘करार के अगुवे’ मसीहा को “कुचल” दिया जाएगा यानी मार डाला जाएगा। (दान 11:20-22) यीशु को तिबिरियुस के शासन के दौरान मारा गया था, जो औगुस्तुस के बाद सम्राट बना था।
क्वीरिनियुस, सीरिया का राज्यपाल: उसका पूरा नाम है, पुबलियुस सुलपिशियस क्वीरिनियुस। वह रोम की परिषद् का खास सदस्य था। बाइबल में उसका ज़िक्र सिर्फ एक बार आया है। विद्वान पहले दावा करते थे कि क्वीरिनियुस सिर्फ एक बार, ईसवी सन् 6 या 7 में सीरिया का राज्यपाल बना था और उस दौरान जब नाम-लिखाई का फरमान जारी किया गया तो लोगों ने बगावत कर दी। इसलिए विद्वानों का कहना है कि लूका की किताब में लिखी यह बात गलत है क्योंकि क्वीरिनियुस ईसवी सन् 6 या 7 में राज्यपाल था जबकि यीशु का जन्म उससे पहले हुआ था। लेकिन 1764 में एक शिलालेख मिला जिसमें इस बात का ठोस सबूत था कि क्वीरिनियुस दो बार अलग-अलग समय पर सीरिया का राज्यपाल (या राजदूत) रहा। कुछ और भी शिलालेख मिले हैं जिनकी वजह से कुछ इतिहासकारों ने कबूल किया कि क्वीरिनियुस ईसवी सन् से पहले यानी ईसा पूर्व में भी राज्यपाल रहा था। ज़ाहिर है कि इसी दौरान पहली नाम-लिखाई का फरमान जारी किया गया था, जिसका ज़िक्र इस आयत में है। इसके अलावा, जो लोग यहाँ लिखी बात पर शक करते हैं वे तीन ज़रूरी बातों को नज़रअंदाज़ करते हैं। पहली, लूका ने कबूल किया कि एक-से-ज़्यादा बार नाम-लिखाई हुई थी, इसलिए उसने यहाँ लिखा: “पहली नाम-लिखाई।” ज़ाहिर है कि वह दूसरी नाम-लिखाई के बारे में जानता था जो करीब ईसवी सन् 6 में हुई थी। इस बारे में लूका ने प्रेषितों की किताब (5:37) में और जोसीफस ने भी ज़िक्र किया था। दूसरी बात, बाइबल में दर्ज़ इतिहास के मुताबिक यह हो ही नहीं सकता कि यीशु तब पैदा हुआ जब क्वीरिनियुस दूसरी बार राज्यपाल बना। बाइबल के इतिहास के मुताबिक, यह ज़्यादा सही लगता है कि यीशु तब पैदा हुआ जब क्वीरिनियुस पहली बार राज्यपाल था, यानी ईसा पूर्व 4 से 1 के बीच। तीसरी बात, लूका एक ऐसे इतिहासकार के तौर पर जाना जाता है जिसने बड़ी सावधानी से जानकारी लिखी और जो उस समय जीया जब ये सारी घटनाएँ घटीं। (लूक 1:3) इसके अलावा, उसने अपना ब्यौरा पवित्र शक्ति की प्रेरणा से लिखा।—2ती 3:16.
दाविद के शहर गया जो बेतलेहेम कहलाता है: नासरत से बस 11 कि.मी. (7 मील) दूर बेतलेहेम नाम का एक नगर था, लेकिन भविष्यवाणी में साफ बताया गया था कि मसीहा “बेतलेहेम एप्राता” से आएगा। (मी 5:2) यह बेतलेहेम, जिसे ‘दाविद का शहर’ कहा गया है, दक्षिण में यहूदिया में था। (1शम 16:1, 11, 13) अगर नासरत से बेतलेहेम एप्राता तक का सीधा रास्ता होता, तो वह करीब 110 कि.मी. (69 मील) होता। लेकिन (आज मौजूदा रास्तों के मुताबिक) नासरत से बेतलेहेम जाने के लिए सामरिया से होकर गुज़रना पड़ता था, जिस वजह से उनके बीच की दूरी करीब 150 कि.मी. (93 मील) रही होगी। इस रास्ते में पहाड़ी इलाके पड़ते थे, इसलिए यह सफर काफी मुश्किल रहा होगा और इसमें कई दिन लगे होंगे।
पहलौठा: इस शब्द से पता चलता है कि बाद में मरियम के और भी बच्चे हुए थे।—मत 13:55, 56; मर 6:3.
सराय: इसके यूनानी शब्द का अनुवाद ‘मेहमानों का कमरा’ भी किया जा सकता है, जैसे मर 14:14 और लूक 22:11 से पता चलता है।
चरनी: इसके यूनानी शब्द फतने का मतलब है, “चारा खिलाने की जगह।” यह शायद एक तरह का हौद था, जिसमें जानवरों को चारा डाला जाता था। लेकिन फतने का मतलब थान भी हो सकता है, जहाँ जानवरों को रखा जाता है। (लूक 13:15 से तुलना करें, जहाँ इसी यूनानी शब्द का अनुवाद “थान” किया गया है।) ऐसा मालूम होता है कि यहाँ फतने का मतलब चारा खिलाने की जगह है, हालाँकि बाइबल में यह नहीं बताया गया है कि यह चरनी ऐसा हौद था जो खुले में था या अंदर था या फिर थान से लगा हुआ था।
चरवाहे: यरूशलेम के मंदिर में नियमित तौर पर बलिदान के लिए बहुत-सी भेड़ों की ज़रूरत पड़ती थी। यह एक वजह रही होगी कि क्यों बेतलेहेम के आस-पास भेड़ें पाली जाती थीं।
मैदानों में रहकर: इनका यूनानी शब्द एक ऐसी क्रिया से निकला है, जो दो शब्दों एग्रोस (“मैदान”) और आउली (“खुली जगह”) से मिलकर बनी है। इसलिए इस शब्द का मतलब है, “मैदानों में या खुले आसमान के नीचे रहना।” इससे पता चलता है कि चरवाहे रात बाहर बिता रहे थे। दिन में तो भेड़ें साल के किसी भी मौसम में बाहर चरागाह में ले जायी जा सकती हैं। लेकिन आयत कहती है कि चरवाहे रात में अपनी भेड़ों के साथ मैदानों में थे। इस बात से पता चलता है कि यीशु कब पैदा हुआ होगा। इसराएल में बारिश का मौसम करीब 15 अक्टूबर से शुरू होता है और कई महीनों रहता है और दिसंबर के आते-आते यरूशलेम की तरह बेतलेहेम में अकसर रात को पाला पड़ता है। तो फिर बेतलेहेम के चरवाहों का रात को मैदानों में रहना दिखाता है कि यीशु का जन्म बारिश का मौसम शुरू होने से पहले हुआ होगा।—अति. ख15 देखें।
यहोवा का एक स्वर्गदूत: लूक 1:11 का अध्ययन नोट देखें।
यहोवा की महिमा: लूका की किताब के पहले दो अध्यायों में इब्रानी शास्त्र के ऐसे बहुत-से शब्दों और आयतों का सीधे तौर पर या दूसरे तरीके से ज़िक्र किया है, जिनमें परमेश्वर का नाम है। हालाँकि मौजूदा यूनानी हस्तलिपियों में यहाँ शब्द किरियॉस (प्रभु) इस्तेमाल हुआ है, फिर भी परमेश्वर का नाम इस्तेमाल करना सही है। इब्रानी शास्त्र में “महिमा” के इब्रानी शब्द के साथ-साथ परमेश्वर के नाम के चार इब्रानी अक्षर 30 से भी ज़्यादा बार लिखे हैं। (इसके कुछ उदाहरण हैं: निर्ग 16:7; 40:34; लैव 9:6, 23; गि 14:10; 16:19; 20:6; 1रा 8:11; 2इत 5:14; 7:1; भज 104:31; 138:5; यश 35:2; 40:5; 60:1; यहे 10:4; 43:4; हब 2:14.) यूनानी सेप्टुआजेंट की एक पुरानी कॉपी, मृत सागर के किनारे यहूदिया के रेगिस्तान की नहल हेवर नदी के पास एक गुफा में पायी गयी। यह कॉपी ईसा पूर्व 50 से ईसवी सन् 50 के बीच की है। इस कॉपी में हालाँकि हब 2:14 यूनानी भाषा में लिखा है, लेकिन इसमें परमेश्वर का नाम प्राचीन इब्रानी भाषा के चार अक्षरों में लिखा है। इसके अलावा, गौर करनेवाली बात है कि सेप्टुआजेंट की बाद की कॉपियों में जब इस आयत में और कई दूसरी आयतों में परमेश्वर के नाम की जगह किरियॉस इस्तेमाल हुआ, तो उसके साथ निश्चित उपपद नहीं लिखा गया, जबकि व्याकरण के मुताबिक आना चाहिए था और यह दिखाता है कि किरियॉस व्यक्तिवाचक संज्ञा के बराबर है। इसलिए इब्रानी शास्त्र की आयतें और यूनानी में निश्चित उपपद का इस्तेमाल न किया जाना दिखाता है कि लूक 2:9 में परमेश्वर का नाम इस्तेमाल करना सही है।—लूक 1:6; 1:9 के अध्ययन नोट और अति. ग देखें।
वही मसीह . . . है: ज़ाहिर है कि जब स्वर्गदूत ने यह उपाधि इस्तेमाल की तो वह भविष्यवाणी कर रहा था। दरअसल यीशु बपतिस्मे के वक्त मसीहा या मसीह बना जब उस पर पवित्र शक्ति उँडेली गयी।—मत 3:16, 17; मर 1:9-11; लूक 3:21, 22.
मसीह प्रभु: इनके यूनानी शब्द ख्रिस्तौस किरियॉस मसीही यूनानी शास्त्र में सिर्फ यहीं आए हैं। ज़ाहिर है कि जब स्वर्गदूत ने ये उपाधियाँ इस्तेमाल कीं तो वह भविष्यवाणी कर रहा था। इसलिए इन शब्दों का अनुवाद ऐसे भी किया जा सकता है: “वही मसीहा और प्रभु होगा।” (इसी आयत में वही मसीह . . . है पर अध्ययन नोट देखें।) परमेश्वर की प्रेरणा से पतरस ने प्रेष 2:36 में समझाया कि परमेश्वर ने यीशु को “प्रभु और मसीह” ठहराया है। लेकिन जिन यूनानी शब्दों का अनुवाद “मसीह प्रभु” किया गया है, उन्हें दूसरे तरीकों से भी समझा गया है। कुछ विद्वानों का कहना है कि इनका अनुवाद “अभिषिक्त प्रभु” किया जाना चाहिए। दूसरों ने कहा है कि इन दोनों उपाधियों का एक-साथ इस्तेमाल करने का मतलब है, “प्रभु का मसीह।” ये शब्द कुछ लातीनी और सीरियाई अनुवादों में लूक 2:11 में पाए जाते हैं। उसी तरह, मसीही यूनानी शास्त्र के कुछ इब्रानी अनुवादों (जिन्हें अति. ग में J5-8, 10 कहा गया है) में मशीआक येहोवा यानी “यहोवा का मसीह” शब्द लिखे हैं। इन सबूतों के आधार पर और दूसरे कारणों से कुछ विद्वानों ने लूक 2:11 के शब्दों को उसी तरह समझा है, जैसे वे लूक 2:26 में लिखे उन यूनानी शब्दों को समझते हैं, जिनका अनुवाद “यहोवा के मसीह” किया गया है।
और धरती पर उन लोगों को शांति मिले जिनसे परमेश्वर खुश है: कुछ हस्तलिपियों के मुताबिक, इन शब्दों का अनुवाद इस तरह भी किया जा सकता है: “और धरती पर शांति और इंसानों में सद्भावना हो।” ये शब्द बाइबल के कुछ अनुवादों में पाए जाते हैं। मगर नयी दुनिया अनुवाद में जो लिखा है उसका और भी ठोस आधार हस्तलिपियों में पाया जाता है। स्वर्गदूत के इस ऐलान का यह मतलब नहीं कि परमेश्वर सभी इंसानों से खुश होता है, फिर चाहे उनका रवैया और काम कैसे भी हों। इसके बजाय, परमेश्वर उन लोगों से खुश होता है जो उस पर सच्चा विश्वास करते हैं और उसके बेटे के चेले बनते हैं।—इसी आयत में जिनसे परमेश्वर खुश है पर अध्ययन नोट देखें।
जिनसे परमेश्वर खुश है: यूनानी शब्द यूडोकाया का अनुवाद “कृपा; प्रसन्नता; मंज़ूरी” भी किया जा सकता है। इससे जुड़ी क्रिया यूडोकीयो मत 3:17; मर 1:11 और लूक 3:22 में इस्तेमाल हुई है जहाँ परमेश्वर ने अपने बेटे के बपतिस्मे के ठीक बाद उससे बात की। (मत 3:17; मर 1:11 के अध्ययन नोट देखें।) इस क्रिया का बुनियादी मतलब है, “मंज़ूर करना; किसी से अति प्रसन्न होना; किसी पर मेहरबान होना; किसी से खुश होना।” क्रिया के इस प्रयोग को ध्यान में रखते हुए, “जिनसे परमेश्वर खुश है” (ऐंथ्रोपॉइस यूडोकायस) शब्दों में उन लोगों की बात की गयी है जिन पर परमेश्वर की मंज़ूरी है। इन शब्दों का अनुवाद इस तरह भी किया जा सकता है: “जिन्हें वह मंज़ूर करता है; जिनसे वह अति प्रसन्न है।” इसलिए स्वर्गदूत के इस ऐलान का यह मतलब नहीं कि परमेश्वर सभी इंसानों से खुश होता है बल्कि वह उन लोगों से खुश होता है, जो उस पर सच्चा विश्वास करते हैं और उसके बेटे के चेले बनते हैं। हालाँकि यूनानी शब्द यूडोकाया का मतलब कुछ संदर्भों में इंसानों में सद्भावना होना हो सकता है (रोम 10:1; फिल 1:15), मगर अकसर यह परमेश्वर के लिए इस्तेमाल हुआ है कि वह किनसे खुश होता है, उसकी मरज़ी क्या है या उसे कौन-सा तरीका मंज़ूर है (मत 11:26; लूक 10:21; इफ 1:5, 9; फिल 2:13; 2थि 1:11)। सेप्टुआजेंट में भज 51:18 [LXX में 50:20] में यही शब्द परमेश्वर की “कृपा” के लिए इस्तेमाल हुआ है।
जो यहोवा ने हमें बताया है: संदेश स्वर्गदूतों ने दिया था, मगर चरवाहे समझ गए कि वह यहोवा परमेश्वर की तरफ से है। हालाँकि मौजूदा यूनानी हस्तलिपियों में यहाँ शब्द किरियॉस (प्रभु) इस्तेमाल हुआ है, फिर भी परमेश्वर का नाम इस्तेमाल करना सही है। सेप्टुआजेंट में शब्द “बताया है,” की यूनानी क्रिया उस इब्रानी क्रिया का अनुवाद है, जो ऐसी आयतों में इस्तेमाल हुई है जहाँ यहोवा ने इंसानों को अपनी मरज़ी बतायी या इंसान उसकी मरज़ी जानना चाहते थे। मूल इब्रानी पाठ में ऐसी आयतों में अकसर परमेश्वर के नाम के लिए चार इब्रानी अक्षर लिखे हैं। (भज 25:4; 39:4; 98:2; 103:6, 7) इसलिए यहाँ यहूदी चरवाहों ने जो कहा, उसमें परमेश्वर का नाम इस्तेमाल करना वाजिब लगता है।—लूक 1:6 का अध्ययन नोट और अति. ग देखें।
यीशु: मत 1:21 का अध्ययन नोट देखें।
उन्हें शुद्ध करने का समय: यानी नियम के मुताबिक उन्हें शुद्ध करने का समय ताकि वे उपासना कर सकें। मूसा के कानून के मुताबिक एक औरत जब लड़के को जन्म देती थी, तो उसके 40 दिन बाद उसे खुद को शुद्ध करना होता था। (लैव 12:1-4) ज़ाहिर है कि इस नियम से यह नहीं सिखाया जा रहा था कि औरत को और बच्चे को जन्म देने की बात को तुच्छ माना जाए। इसके बजाय, इससे एक अहम सच्चाई सिखायी गयी कि बच्चे को जन्म देने से आदम का पाप एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को दिया जाता है। मरियम को भी यह नियम मानना था, हालाँकि कुछ धार्मिक विद्वानों का दावा है कि उसे मानने की ज़रूरत नहीं थी। (रोम 5:12) इस आयत में जब लूका ने सर्वनाम “उन्हें” इस्तेमाल किया, तो उसने इसमें यीशु को शामिल नहीं किया होगा, क्योंकि वह जानता था कि पवित्र शक्ति ने यीशु की हिफाज़त की ताकि मरियम का पाप उसमें न आए। इसलिए यीशु को शुद्ध किए जाने की ज़रूरत नहीं थी। (लूक 1:34, 35) यरूशलेम तक के सफर का इंतज़ाम यूसुफ ने किया था और परिवार का मुखिया होने के नाते बलिदान चढ़ाने की ज़िम्मेदारी भी उसकी थी। इसलिए लूका ने शायद शब्द “उन्हें” में यीशु के दत्तक पिता यूसुफ को शामिल किया होगा।
यहोवा: हालाँकि मौजूदा यूनानी हस्तलिपियों में यहाँ शब्द किरियॉस (प्रभु) इस्तेमाल हुआ है, फिर भी परमेश्वर का नाम इस्तेमाल करना सही है। जैसा कि आगे की आयतों से पता चलता है, निर्ग 13:1, 2, 12 में लिखे नियम के मुताबिक यीशु के जन्म के बाद उसे मंदिर ले जाया गया था। इन आयतों में यहोवा ने मूसा के ज़रिए माता-पिताओं को आज्ञा दी थी कि वे “अपना पहलौठा यहोवा को देने के लिए अलग” ठहराएँ। इसके अलावा, उसे यहोवा के सामने पेश करने, ये शब्द 1शम 1:22-28 में दिए शब्दों से मिलते-जुलते हैं जहाँ बताया गया है कि छोटे शमूएल को “यहोवा के सामने” पेश किया गया ताकि वह ज़िंदगी-भर उसकी सेवा कर सके। इब्रानी शास्त्र की इन आयतों और लूक 2:22 के संदर्भ को ध्यान में रखकर यहाँ परमेश्वर का नाम इस्तेमाल किया गया है।—लूक 1:6; 2:23 के अध्ययन नोट और अति. ग देखें।
यहोवा: यहाँ निर्ग 13:2, 12 की बातें लिखी हैं। मूल इब्रानी पाठ में इन आयतों में परमेश्वर के नाम के लिए चार इब्रानी व्यंजन (हिंदी में य-ह-व-ह) इस्तेमाल हुए हैं।—अति. ग देखें।
यहोवा के कानून: हालाँकि मौजूदा यूनानी हस्तलिपियों में शब्द नोमॉ किरायू (“प्रभु के कानून”) इस्तेमाल हुए हैं, फिर भी परमेश्वर का नाम इस्तेमाल करना सही है। इब्रानी शास्त्र में शब्द “कानून” के साथ-साथ परमेश्वर के नाम के चार इब्रानी अक्षर कई बार लिखे हैं। (उदाहरण के लिए: निर्ग 13:9; 2रा 10:31; 1इत 16:40; 22:12; 2इत 17:9; 31:3; नहे 9:3; भज 1:2; 119:1; यश 5:24; यिर्म 8:8; आम 2:4.) मसीही यूनानी शास्त्र में जहाँ इब्रानी शास्त्र की बातें लिखी हैं, वहाँ उनकी शुरूआत में अकसर ये शब्द लिखे हैं: ठीक जैसा . . . लिखा है। (मर 1:2; प्रेष 7:42; 15:15; रोम 1:17; 10:15) ये शब्द सेप्टुआजेंट में 2रा 14:6 में भी इस्तेमाल हुए हैं, जहाँ इनके बाद दूसरी किताब की आयत लिखी है। लूक 2:23 के ये शब्द, “ठीक जैसा यहोवा के कानून में लिखा है,” उन शब्दों से मिलते-जुलते हैं जो इब्रानी शास्त्र में 2इत 31:3 और 35:26 में पाए जाते हैं और जिनमें परमेश्वर का नाम है। इसके अलावा, विद्वानों ने गौर किया है कि यूनानी में किरियॉस से पहले निश्चित उपपद नहीं लिखा गया, जबकि व्याकरण के मुताबिक आना चाहिए था और यह दिखाता है कि किरियॉस व्यक्तिवाचक संज्ञा के बराबर है। लूक 2:23 का संदर्भ, इब्रानी शास्त्र की आयतें और यूनानी में निश्चित उपपद का न लिखा जाना दिखाता है कि यहाँ परमेश्वर का नाम इस्तेमाल करना सही है।—लूक 1:6 का अध्ययन नोट और अति. ग देखें।
उन्होंने वह बलिदान चढ़ाया: मूसा के कानून के मुताबिक एक औरत बच्चे को जन्म देने के बाद एक तय समय तक अशुद्ध रहती थी। जब वह समय पूरा हो जाता था, तो उसके लिए एक होम-बलि और एक पाप-बलि चढ़ायी जाती थी।—लैव 12:1-8.
यहोवा: यहाँ निर्ग 13:2, 12 की बातें लिखी हैं। मूल इब्रानी पाठ में इन आयतों में परमेश्वर के नाम के लिए चार इब्रानी व्यंजन (हिंदी में य-ह-व-ह) इस्तेमाल हुए हैं।—अति. ग देखें।
यहोवा के कानून: लूक 2:23 का अध्ययन नोट देखें।
फाख्ता का एक जोड़ा या कबूतर के दो बच्चे: कानून के मुताबिक एक गरीब औरत भेड़ की जगह, जो काफी महँगी होती थी, चिड़ियाँ भी चढ़ा सकती थी। (लैव 12:6, 8) इस आयत से साफ पता चलता है कि यूसुफ और मरियम इस वक्त गरीब थे। यह दिखाता है कि ज्योतिषी यीशु के जन्म के वक्त नहीं बल्कि तब आए थे जब वह थोड़ा बड़ा हो गया था। (मत 2:9-11) अगर वे जन्म के वक्त आए होते, तो यूसुफ और मरियम को तभी महँगे-महँगे तोहफे मिल चुके होते और वे मंदिर में भेड़ चढ़ा सकते थे।
शिमोन: यह नाम एक इब्रानी क्रिया से निकला है जिसका मतलब है, “सुनना।” जकरयाह और इलीशिबा की तरह शिमोन को भी नेक कहा गया है। (लूक 1:5, 6) उसे परमेश्वर का भक्त भी कहा गया है। इन शब्दों का यूनानी शब्द है इयुलाबेस और मसीही यूनानी शास्त्र में इसका इस्तेमाल यह मतलब देने के लिए हुआ है: बहुत ध्यान से और सही तरह से उपासना करना।—प्रेष 2:5; 8:2; 22:12.
यहोवा के मसीह: हालाँकि मौजूदा यूनानी हस्तलिपियों में लिखे शब्दों का शाब्दिक अनुवाद है “प्रभु के मसीह” (तौन ख्रिसतौन किरायू), फिर भी यहाँ परमेश्वर का नाम इस्तेमाल करना सही है। सेप्टुआजेंट की मौजूदा कॉपियों में ये शब्द इब्रानी शब्द मशीआक य-ह-व-ह का अनुवाद हैं, जिनका मतलब है “यहोवा का अभिषिक्त (जन)।” ये शब्द इब्रानी शास्त्र में 11 बार आए हैं। (1शम 24:6 [में दो बार], 10; 26:9, 11, 16, 23; 2शम 1:14, 16; 19:21; विल 4:20) विद्वानों ने गौर किया है कि लूका की किताब में और सेप्टुआजेंट में किरियॉस से पहले निश्चित उपपद नहीं लिखा गया, जबकि व्याकरण के मुताबिक आना चाहिए था और यह दिखाता है कि किरियॉस व्यक्तिवाचक संज्ञा के बराबर है। इब्रानी शास्त्र की आयतें और यूनानी में निश्चित उपपद का न लिखा जाना दिखाता है कि इन शब्दों में किरियॉस एक उपाधि नहीं है बल्कि परमेश्वर के नाम की जगह इस्तेमाल हुआ है। बाइबल के कई अनुवादों में यह दिखाने के लिए कि यहाँ यहोवा परमेश्वर की बात की गयी है, आयत में या फुटनोट में या हाशिए में यहोवा, याहवे, יהוה (चार इब्रानी अक्षर, हिंदी में य-ह-व-ह), बड़े अक्षरों में प्रभु और अदोनाय में से कोई एक शब्द इस्तेमाल हुआ है। कई दूसरी किताबों से भी यह बात पुख्ता होती है।—अति. ग देखें।
मसीह: या “अभिषिक्त जन; मसीहा।” मसीह और मसीहा, दोनों एक-जैसी उपाधियाँ हैं। इनके यूनानी शब्द ख्रिस्तौस और इब्रानी शब्द मशीआक का मतलब है, “अभिषिक्त जन।”—मत 1:1 का अध्ययन नोट और इसी आयत में यहोवा के मसीह पर अध्ययन नोट देखें।
सारे जहान के मालिक: यूनानी शब्द देसपोतेस का बुनियादी मतलब है, “प्रभु; मालिक।” (1ती 6:1; तीत 2:9; 1पत 2:18) जब परमेश्वर से बात करते वक्त यह शब्द इस्तेमाल हुआ है, जैसे यहाँ और प्रेष 4:24; प्रक 6:10 में, तो इसका अनुवाद “सारे जहान का मालिक” किया गया है जो दिखाता है कि उससे बड़ा मालिक या अधिकारी कोई और नहीं। दूसरे अनुवादों में इस शब्द के लिए “प्रभु,” “मालिक,” “स्वामी” और “सबका शासक” जैसे शब्द इस्तेमाल हुए हैं। मसीही यूनानी शास्त्र के कई इब्रानी अनुवादों में यहाँ इब्रानी शब्द अधोनाय (सारे जहान का मालिक) इस्तेमाल हुआ है, मगर दो अनुवादों में (जिन्हें अति. ग में J9, 18 कहा गया है) परमेश्वर का नाम यहोवा इस्तेमाल हुआ है।
तेरा यह दास . . . मर सकता है: “मर सकता है” के यूनानी शब्द का शाब्दिक मतलब है, “आज़ाद करना; छुड़ाना; निकाल देना।” यहाँ ‘मरने’ के बारे में खुलकर बताने के बजाय यह यूनानी शब्द इस्तेमाल हुआ है। एक व्यक्ति का शांति से मरने का मतलब हो सकता है कि उसने एक अच्छी ज़िंदगी गुज़ारी या उसकी वह आशा पूरी हुई जिसे पूरा होते देखने के लिए वह बेताब था। (उत 15:15; 1रा 2:6 से तुलना करें।) परमेश्वर ने शिमोन से जो वादा किया था, वह अब पूरा हो चुका था। शिमोन ने “यहोवा के मसीह” को देख लिया था, जिसके आने का वादा किया गया था और जिसके बारे में कहा गया था कि परमेश्वर उसके ज़रिए इंसानों को उद्धार दिलाएगा। इसलिए शिमोन अब सुकून महसूस कर सकता था और चैन से मर सकता था। उसे भविष्य में फिर से ज़िंदा किया जाएगा।—लूक 2:26.
राष्ट्रों की आँखों से परदा हटाने के लिए: या “राष्ट्रों पर बातें प्रकट करने के लिए।” जिस यूनानी शब्द एपोकलिप्सिस का अनुवाद “परदा हटाने” किया गया है उसका मतलब है, “खुलासा होना” या “प्रकट होना।” यह शब्द अकसर परमेश्वर की मरज़ी और मकसद या उपासना से जुड़ी जो बातें ज़ाहिर की गयी हैं उनके लिए इस्तेमाल हुआ है। (रोम 16:25; इफ 3:3; प्रक 1:1) यहाँ बुज़ुर्ग शिमोन ने नन्हे यीशु को एक रौशनी कहा और ज़ाहिर किया कि वह परमेश्वर के बारे में जो सिखाएगा उससे न सिर्फ यहूदियों और यहूदी धर्म अपनानेवालों को बल्कि गैर-यहूदी राष्ट्रों के लोगों को भी फायदा होगा। शिमोन की यह भविष्यवाणी इब्रानी शास्त्र की कई भविष्यवाणियों से भी मेल खाती है, जैसे यश 42:6 और 49:6 की भविष्यवाणियाँ।
फिर से उठने: इनका यूनानी शब्द आनास्तासिस आम तौर पर मसीही यूनानी शास्त्र में ‘मरे हुओं के फिर से ज़िंदा होने’ के लिए इस्तेमाल हुआ है। (मत 22:23 का अध्ययन नोट देखें।) यहाँ शिमोन की कही बात से पता चलता है कि यीशु की शिक्षाएँ सुनकर लोग अलग-अलग तरह का रवैया दिखाएँगे। इस तरह यह खुलकर सामने आएगा कि उनके दिल में क्या है। (लूक 2:35) जो यीशु पर विश्वास नहीं करेंगे उनके लिए वह एक ऐसी निशानी होगा जिसके खिलाफ बातें की जाएँगी, यानी जिसे तुच्छ समझा जाएगा। वे उसे ठुकरा देंगे और उसकी वजह से ठोकर खाकर गिरेंगे। इससे यह भविष्यवाणी पूरी होगी कि यीशु वह पत्थर होगा जिससे बहुत-से यहूदी ठोकर खाएँगे। (यश 8:14) लेकिन दूसरे लोग उस पर विश्वास करेंगे। (यश 28:16) उन्हें लाक्षणिक तौर पर उठाया या ज़िंदा किया जाएगा, यानी वे “अपने गुनाहों और पापों की वजह से मरे हुए” हैं, मगर यीशु पर विश्वास करने की वजह से वे परमेश्वर के सामने नेक ठहरेंगे।—इफ 2:1.
एक लंबी तलवार: बाइबल में कहीं नहीं बताया गया है कि मरियम को सचमुच तलवार से भेदा गया था। इसलिए ज़ाहिर है कि इन शब्दों का मतलब है कि जब उसके बेटे को यातना के काठ पर लटकाकर मार डाला जाएगा, तो मरियम कैसे तड़पेगी और दुख के मारे उसका कलेजा फट जाएगा।—यूह 19:25.
तेरे: या एक लंबी तलवार से “तेरी जान” छिद जाएगी।—शब्दावली में “जीवन” देखें।
हन्ना: इब्रानी में इस नाम का मतलब है, “मेहरबानी; कृपा।” उसे यहाँ भविष्यवक्तिन कहा गया है क्योंकि वह नन्हे यीशु के बारे में उन लोगों को बताती थी जो यरूशलेम के छुटकारे का इंतज़ार कर रहे थे। “भविष्यवाणी करने” का बुनियादी मतलब है, परमेश्वर से मिला संदेश सुनाना, उसकी मरज़ी दूसरों पर ज़ाहिर करना।
मंदिर जाना कभी नहीं छोड़ती थी: हन्ना हमेशा मंदिर में रहती थी। मुमकिन है कि सुबह मंदिर के फाटक खुलने से लेकर शाम को बंद होने तक वह वहीं रहती थी। उसकी पवित्र सेवा में उपवास और मिन्नतें भी शामिल थीं। इससे पता चलता है कि हन्ना बीते समय के वफादार सेवकों की तरह मौजूदा हालात पर शोक मना रही थी और बदलाव देखने के लिए तरस रही थी। (एज 10:1; नहे 1:4; विल 1:16) सदियों से यहूदियों पर दूसरे देशों का कब्ज़ा रहा था। इसके अलावा, उपासना के मामले में हालात बद-से-बदतर होते जा रहे थे, यहाँ तक कि मंदिर और उसमें सेवा करनेवाले याजक भी भ्रष्ट हो चुके थे। इन बातों से साफ पता चलता है कि हन्ना और दूसरे लोग क्यों “यरूशलेम के छुटकारे” का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे।—लूक 2:38.
पवित्र सेवा में लगी रहती थी: या “उपासना में लगी रहती थी।”—लूक 1:74 का अध्ययन नोट देखें।
परमेश्वर: सबसे पुरानी यूनानी हस्तलिपियों में यहाँ शब्द थियॉस (परमेश्वर) इस्तेमाल हुआ है। लेकिन दूसरी यूनानी हस्तलिपियों में और लातीनी और सीरियाई अनुवादों में “प्रभु” के लिए इस्तेमाल होनेवाला शब्द लिखा है। मसीही यूनानी शास्त्र के कई इब्रानी अनुवादों में (जिन्हें अति. ग में J5, 7-17, 28 कहा गया है) परमेश्वर का नाम इस्तेमाल हुआ है और उनमें लिखा है: “यहोवा का धन्यवाद करने लगी।”
यहोवा के कानून: हालाँकि मौजूदा यूनानी हस्तलिपियों में यहाँ शब्द नोमॉन किरायू (“प्रभु के कानून”) इस्तेमाल हुए हैं, फिर भी परमेश्वर का नाम इस्तेमाल करना सही है। इब्रानी शास्त्र में शब्द “कानून” के साथ-साथ परमेश्वर के नाम के चार इब्रानी अक्षर कई बार लिखे हैं। (उदाहरण के लिए: निर्ग 13:9; 2रा 10:31; 1इत 16:40; 22:12; 2इत 17:9; 31:3; नहे 9:3; भज 1:2; 119:1; यश 5:24; यिर्म 8:8; आम 2:4.) यह भी गौर करनेवाली बात है कि यूनानी में यहाँ किरियॉस से पहले निश्चित उपपद नहीं लिखा गया, जबकि व्याकरण के मुताबिक आना चाहिए था और यह दिखाता है कि किरियॉस व्यक्तिवाचक संज्ञा के बराबर है। इब्रानी शास्त्र में “यहोवा के कानून” शब्द जिस तरह लिखे गए हैं वह और यूनानी में निश्चित उपपद का न लिखा जाना दिखाता है कि यहाँ परमेश्वर का नाम इस्तेमाल करना सही है।—लूक 1:6; 2:23 के अध्ययन नोट और अति. ग देखें।
गलील . . . लौट गए: इन शब्दों से लग सकता है कि यूसुफ और मरियम, यीशु को मंदिर में लाने के बाद सीधे नासरत लौट गए। लेकिन असल में इस किताब में यह जानकारी बहुत संक्षिप्त रूप में दी गयी है। मत्ती की किताब (2:1-23) में और खुलकर जानकारी दी गयी है कि इस बीच क्या हुआ था जैसे, ज्योतिषी आए थे, यूसुफ और मरियम यीशु को राजा हेरोदेस की साज़िश से बचाने के लिए मिस्र भाग गए थे, हेरोदेस की मौत हुई थी और फिर यीशु का परिवार नासरत लौट आया था।
उसके माता-पिता अपने दस्तूर के मुताबिक: कानून में यह माँग नहीं की गयी थी कि औरतें भी फसह मनाने के लिए यरूशलेम जाएँ। फिर भी मरियम का दस्तूर था कि वह यूसुफ के साथ हर साल यह त्योहार मनाने यरूशलेम जाती थी। (निर्ग 23:17; 34:23) हालाँकि उनका परिवार बढ़ रहा था, फिर भी वे हर साल यरूशलेम आने-जाने में करीब 300 कि.मी. (190 मील) का सफर तय करते थे।
यरूशलेम गए: यरूशलेम जाने के लिए उन्हें पहाड़ी इलाके से गुज़रना होता था जो काफी चढ़ाईवाला रास्ता था।—लूक 2:4 का अध्ययन नोट देखें।
उनसे सवाल कर रहा था: यीशु के सुननेवालों ने जिस तरह का रवैया दिखाया उससे पता चलता है कि उसके सवाल बच्चों जैसे नहीं थे, जो बस कुछ जानने के लिए पूछते हैं। (लूक 2:47) जिस यूनानी शब्द का अनुवाद “सवाल कर रहा था” किया गया है, उसका मतलब कुछ संदर्भों में अदालत में किए जानेवाले सवाल-जवाब भी हो सकता है। (मत 27:11; मर 14:60, 61; 15:2, 4; प्रेष 5:27) इतिहासकार कहते हैं कि आम तौर पर कुछ बड़े-बड़े धर्म गुरु त्योहारों के बाद भी मंदिर में रहते थे और किसी खुले बरामदे में लोगों को सिखाते थे। लोग ऐसे गुरुओं के पैरों के पास बैठकर उनकी सुनते और उनसे सवाल करते थे।
रह-रहकर दंग हो रहे थे: यहाँ “दंग रहने” की यूनानी क्रिया का जो रूप इस्तेमाल हुआ है, उसका मतलब हो सकता है, काफी समय तक दंग रहना या बार-बार दंग होना।
उसने उनसे कहा: इसके बाद जो शब्द लिखे हैं, वे बाइबल में दर्ज़ ब्यौरे के मुताबिक यीशु के सबसे पहले शब्द हैं। ज़ाहिर है कि जब यीशु छोटा था, तब वह पूरी तरह नहीं जानता था कि धरती पर आने से पहले स्वर्ग में उसकी ज़िंदगी कैसी थी। (मत 3:16; लूक 3:21 के अध्ययन नोट देखें।) मगर यह कहना सही लगता है कि उसकी माँ और उसके दत्तक पिता ने उसे यह सब बताया होगा कि स्वर्गदूतों ने उन्हें क्या संदेश दिया और उसके जन्म के 40 दिन बाद जब वे यरूशलेम गए, तो शिमोन और हन्ना ने क्या भविष्यवाणी की थी। (मत 1:20-25; 2:13, 14, 19-21; लूक 1:26-38; 2:8-38) यहाँ यीशु के जवाब से पता चलता है कि उसे कुछ हद तक यह समझ थी कि उसका जन्म एक चमत्कार था और स्वर्ग में रहनेवाले पिता यहोवा के साथ उसका बहुत खास रिश्ता है।
मैं अपने पिता के घर में होऊँगा: “अपने पिता के घर में,” इनके यूनानी शब्दों का शाब्दिक अनुवाद है, “अपने पिता के [मामले] में।” संदर्भ से पता चलता है कि यूसुफ और मरियम को इस बात की चिंता थी कि यीशु कहाँ है। इसलिए यह समझना वाजिब है कि इन शब्दों में जगह की बात की गयी है, यानी “अपने पिता के घर [या “निवास; आँगनों”]” की। (लूक 2:44-46) बाद में अपनी सेवा के दौरान यीशु ने मंदिर को ही ‘मेरे पिता का घर’ कहा। (यूह 2:16) लेकिन कुछ विद्वानों के मुताबिक, लूका के शब्दों का यह भी मतलब हो सकता है: “मुझे अपने पिता के मामलों में लगे रहने की ज़रूरत है।”
वह . . . चला गया: यरूशलेम समुद्र-तल से करीब 2,500 फुट (750 मी.) की ऊँचाई पर था। मूल पाठ में यहाँ “नीचे गया” लिखा है, जिसका मतलब है कि वह यरूशलेम से चला गया।—लूक 10:30, 31; प्रेष 24:1; 25:7; कृपया मत 20:17; लूक 2:4, 42 के अध्ययन नोट से तुलना करें।
लगातार उनके अधीन रहा: या “उनके अधीन बना रहा; उनकी आज्ञा मानता रहा।” यहाँ यूनानी क्रिया का जो रूप इस्तेमाल हुआ है उससे लगातार किए जानेवाले काम का भाव मिलता है। इससे पता चलता है कि हालाँकि मंदिर में शिक्षक यह देखकर दंग रह गए थे कि यीशु को परमेश्वर के वचन का कितना ज्ञान है, फिर भी यीशु नम्र बना रहा और घर लौटने पर अपने माता-पिता के अधीन रहा। दूसरे बच्चों की तुलना में यीशु का अपने माता-पिता की आज्ञा मानना बहुत खास था। ऐसा करके उसने मूसा के कानून की एक-एक बात पूरी की।—निर्ग 20:12; गल 4:4.
बातें: लूक 1:37 का अध्ययन नोट देखें।
तसवीर और ऑडियो-वीडियो
ओक्टेवियस रोमी साम्राज्य का पहला सम्राट था। उसका पूरा नाम गायुस जूलियस सीज़र ओक्टेवियनस (ओक्टेवियस या ओक्टेवियन) था। उसे रोमी तानाशाह जूलियस सीज़र ने गोद लिया था जिसका ईसा पूर्व 44 में कत्ल किया गया। ईसा पूर्व 31 के सितंबर में ओक्टेवियस अपने सभी दुश्मनों को हराकर रोमी साम्राज्य का शासक बन गया और 16 जनवरी, ईसा पूर्व 27 में रोम की परिषद् ने उसे “औगुस्तुस” की उपाधि दी। ईसा पूर्व 2 में औगुस्तुस ने एक फरमान जारी किया कि उसके साम्राज्य के सब लोग ‘अपने-अपने शहर जाएँ, जहाँ वे पैदा हुए थे’ और अपना नाम दर्ज़ कराएँ। (लूक 2:1-7) उसके फरमान जारी करने से बाइबल की भविष्यवाणी पूरी हुई और यीशु बेतलेहेम में पैदा हुआ। (दान 11:20; मी 5:2) औगुस्तुस की मौत 17 अगस्त, (जूलियन कैलेंडर के मुताबिक 19 अगस्त) ईसवी सन् 14 को हुई, उसी महीने में जो उसके नाम पर रखा गया था। काँसे का यह बुत ईसा पूर्व 27 से 25 का है और अभी यह ब्रिटिश म्यूज़ियम में रखा हुआ है।
यह कहना सही नहीं होगा कि यीशु का जन्म दिसंबर में हुआ था क्योंकि बेतलेहेम में नवंबर से मार्च तक आम तौर पर ठंड और बरसात का मौसम होता है। सर्दियों में इस इलाके में बर्फ भी पड़ सकती है। ऐसे मौसम में चरवाहों का मैदानों में रहकर अपनी भेड़ों की रखवाली करना नामुमकिन है। (लूक 2:8) बेतलेहेम, यहूदिया के पहाड़ी इलाकों पर बसा है और यह समुद्र-तल से करीब 2,550 फुट (780 मी.) की ऊँचाई पर है।
लूक 2:7 में “चरनी” के लिए जो यूनानी शब्द इस्तेमाल हुआ है, वह फतने है और इसका मतलब है, “चारा खिलाने की जगह।” पैलिस्टाइन में पुरातत्ववेत्ताओं को बड़े-बड़े हौद मिले हैं और हर हौद एक बड़े चूना-पत्थर को काटकर बनाया गया था। इसकी लंबाई 3 फुट (0.9 मी.), चौड़ाई 1.5 फुट (0.5 मी.) और गहराई 2 फुट (0.6 मी.) थी। माना जाता है कि इन्हें चरनी के तौर पर इस्तेमाल किया जाता था। यह भी हो सकता है कि जिन गुफाओं में जानवर रखे जाते थे, उनकी चट्टानी दीवारों को काटकर चरनियों के लिए जगह बनायी जाती थी जैसे कि हाल के समय में भी किया जा रहा है।
मूसा के कानून के मुताबिक एक औरत जब बच्चे को जन्म देती थी, तो उसे होम-बलि के लिए एक नर मेम्ना और पाप-बलि के लिए कबूतर का एक बच्चा या एक फाख्ता चढ़ाना होता था। लेकिन अगर एक परिवार के लिए मेढ़े की बलि देना मुमकिन नहीं था, जैसे मरियम और यूसुफ नहीं दे सके थे, तो दो फाख्ते या कबूतर के दो बच्चे चढ़ाए जा सकते थे। (लैव 12:6-8) यहाँ दिखायी फाख्ता (स्ट्रेप्टोपेलिया टुरटुर ) (1) इसराएल में ही नहीं बल्कि यूरोप, उत्तर अफ्रीका और पश्चिमी एशिया में भी पायी जाती है। हर साल अक्टूबर में ये पक्षी दक्षिणी देशों की तरफ प्रवास करते हैं जहाँ मौसम गरम रहता है और वसंत में इसराएल लौटते हैं। दूसरा पक्षी कबूतर (कोलंबा लिविया ) (2) है। इसकी प्रजाति दुनिया-भर में पायी जाती है और आम तौर पर ये प्रवासी पक्षी नहीं हैं।