लूका के मुताबिक खुशखबरी 22:1-71
कई फुटनोट
अध्ययन नोट
बिन-खमीर की रोटी का त्योहार जो फसह कहलाता है: देखा जाए तो फसह नीसान 14 को मनाया जाता था, जबकि बिन-खमीर की रोटी का त्योहार नीसान 15 से 21 तक मनाया जाता था। (लैव 23:5, 6; गि 28:16, 17; अति. ख15 देखें।) लेकिन यीशु के दिनों में ये दोनों त्योहार इस कदर जुड़ गए थे कि पूरे आठ दिनों को एक ही त्योहार माना जाता था। जोसीफस ने “आठ दिन के एक भोज” के बारे में बताया “जिसे बिन-खमीर की रोटी का भोज कहा जाता है।” लूक 22:1-6 में जो घटनाएँ दर्ज़ हैं वे ईसवी सन् 33 में नीसान 12 को हुईं।—अति. ख12 देखें।
मंदिर के सरदारों: मूल यूनानी पाठ में यहाँ सिर्फ “सरदारों” लिखा है, लेकिन लूक 22:52 में इस शब्द के साथ “मंदिर के” भी लिखा है। ऐसा इसलिए किया गया ताकि यह पता चले कि यहाँ किन सरदारों की बात की गयी है। इसलिए लूक 22:4 में भी “मंदिर के सरदारों” लिखा है। इन अधिकारियों के बारे में सिर्फ लूका ने बताया। (प्रेष 4:1; 5:24, 26) वे मंदिर के पहरेदारों के सरदार थे। यहूदा से हुई बातचीत में सरदारों को शायद इसलिए शामिल किया गया ताकि यीशु को गिरफ्तार करने की उनकी योजना कानूनी तौर पर जायज़ लगे।
अब बिन-खमीर की रोटी के त्योहार का दिन आया: जैसे लूक 22:1 के अध्ययन नोट में बताया गया है, यीशु के दिनों में फसह (नीसान 14) “बिन-खमीर की रोटी के त्योहार” (नीसान 15-21) से इस कदर जुड़ गया था कि पूरे आठ दिनों को कभी-कभी “बिन-खमीर की रोटी का त्योहार” कहा जाता था। (अति. ख15 देखें।) लेकिन यहाँ जिस “दिन” का ज़िक्र है वह नीसान 14 था, क्योंकि आयत कहती है कि उस दिन फसह का जानवर चढ़ाया जाना था। (निर्ग 12:6, 15, 17, 18; लैव 23:5; व्य 16:1-7) आयत 7-13 में फसह के खाने से जुड़ी तैयारियों की बात की गयी है। मुमकिन है कि ये तैयारियाँ नीसान 13 को दोपहर में की गयी थीं और फिर शाम को सूरज ढलने के बाद यानी नीसान 14 शुरू होने के बाद यीशु और उसके चेलों ने फसह का खाना खाया।—अति. ख12 देखें।
एक प्याला लेकर: यीशु के दिनों में फसह के दौरान लोग प्याले में दाख-मदिरा पीते थे। (लूक 22:15) बाइबल में यह नहीं बताया गया है कि मिस्र में जब इसराएलियों ने फसह मनाया तो उन्होंने दाख-मदिरा पी थी। यहोवा ने भी फसह में दाख-मदिरा पीने की कोई आज्ञा नहीं दी थी। इसलिए ज़ाहिर है कि फसह के दौरान प्यालों में दाख-मदिरा देने का दस्तूर बाद में शुरू हुआ। यीशु ने इस दस्तूर को गलत नहीं ठहराया। इसके बजाय, फसह के दिन उसने प्रार्थना में परमेश्वर का धन्यवाद करने के बाद अपने प्रेषितों के साथ दाख-मदिरा पी। इसके बाद जब उसने प्रभु के संध्या भोज की शुरूआत की तो उसने एक प्याला दाख-मदिरा उन्हें पीने के लिए दी।—लूक 22:20.
एक रोटी ली . . . उसे तोड़ा: मत 26:26 का अध्ययन नोट देखें।
निशानी: मत 26:26 का अध्ययन नोट देखें।
शाम का खाना: ज़ाहिर है कि यहाँ फसह के खाने की बात की गयी है, जिसके बाद यीशु ने प्रभु के संध्या भोज की शुरूआत की। यीशु ने उस समय के दस्तूर के मुताबिक फसह मनाया। उसने इस दस्तूर में कोई फेरबदल नहीं की, न ही इसमें कुछ नया जोड़ा। इस तरह उसने मूसा का कानून माना, क्योंकि वह एक यहूदी था। लेकिन जब वह फसह मना चुका, तब उसने एक नए संध्या भोज की शुरूआत की। उसने इस भोज की शुरूआत इसलिए की ताकि फसह के दिन ही उसकी मौत की यादगार मनायी जा सके, जो बहुत जल्द होनेवाली थी।
नए करार . . . जिसे खून से पक्का किया जाएगा: खुशखबरी की किताबों के लेखकों में से सिर्फ लूका ने यह बात दर्ज़ की कि यीशु ने इस मौके पर “नए करार” का ज़िक्र किया। यीशु ने शायद यिर्म 31:31 में लिखी भविष्यवाणी की तरफ इशारा किया। यहोवा और अभिषिक्त मसीहियों के बीच नया करार यीशु के बलिदान से लागू हुआ। (इब्र 8:10) यीशु ने “करार” और “खून” शब्दों का वैसे ही इस्तेमाल किया जैसे मूसा ने सीनै पहाड़ पर इस्तेमाल किया था, जब उसने बिचवई बनकर यहोवा और इसराएलियों के बीच कानून का करार लागू करवाया था। (निर्ग 24:8; इब्र 9:19-21) जिस तरह बैलों और बकरों के खून से यहोवा और इसराएल राष्ट्र के बीच कानून का करार पक्का हुआ, उसी तरह यीशु के खून से यहोवा और ‘परमेश्वर के इसराएल’ के बीच नया करार पक्का हुआ। यह करार ईसवी सन् 33 के पिन्तेकुस्त के दिन से लागू हुआ।—इब्र 9:14, 15.
. . . जो तुम्हारी खातिर बहाया जाना है: आयत 19 के बीच (“जो तुम्हारी खातिर . . .”) से आयत 20 के आखिर तक दिए शब्द कुछ हस्तलिपियों में नहीं पाए जाते। लेकिन इन शब्दों का ठोस आधार शुरू की अधिकृत हस्तलिपियों में पाया जाता है।
मगर देखो! मुझसे गद्दारी करनेवाले का हाथ मेरे साथ . . . है: ज़ाहिर है कि आयत 21-23 में बतायी घटना प्रभु के संध्या भोज की शुरूआत किए जाने के बाद नहीं घटी। मत 26:20-29 और मर 14:17-25 की तुलना यूह 13:21-30 से करने पर पता चलता है कि यीशु ने जब इस भोज की शुरूआत की तब तक यहूदा वहाँ से जा चुका था। यहूदा बेशक उस वक्त मौजूद नहीं था, जब यीशु ने अपने चेलों की तारीफ में कहा कि वे ‘उसकी परीक्षाओं के दौरान उसका साथ देते रहे,’ क्योंकि यह बात यहूदा पर लागू नहीं होती। इसके अलावा, ऐसा हो ही नहीं सकता कि यहूदा के साथ ‘राज का करार’ किया गया हो।—लूक 22:28-30.
जा ही रहा है: कुछ विद्वानों के मुताबिक, ‘मौत होनेवाली है’ इस बारे में खुलकर बताने के बजाय ऐसा लिखा गया है।
सेवक: यूनानी में यहाँ क्रिया दीआकोनीयो इस्तेमाल हुई है जो संज्ञा दीआकोनोस (सेवक) से संबंधित है। दीआकोनोस का मतलब होता है, ऐसा व्यक्ति जो नम्र होकर दूसरों की सेवा में लगा रहता है। यह शब्द मसीह (रोम 15:8), मसीह के सेवकों जिनमें आदमी-औरत दोनों शामिल हैं (रोम 16:1; 1कुर 3:5-7; कुल 1:23), सहायक सेवकों (फिल 1:1; 1ती 3:8), घर के सेवकों (यूह 2:5, 9) और सरकारी अधिकारियों के लिए इस्तेमाल हुआ है।—रोम 13:4.
सेवा कर रहा है . . . सेवक: मूल भाषा में यूनानी क्रिया दीआकोनीयो इस आयत में दो बार आयी है।—लूक 22:26 का अध्ययन नोट देखें।
मैं भी तुम्हारे साथ राज का एक करार करता हूँ: “करार करता हूँ” की यूनानी क्रिया डाइटाइथेमाइ “करार” की यूनानी संज्ञा डाइथीके से संबंधित है। ये दोनों क्रिया और संज्ञा प्रेष 3:25; इब्र 8:10 और 10:16 में इस्तेमाल हुई हैं, जहाँ ‘करार [शा., ‘करार करार करना’] करना’ शब्द लिखे हैं। ज़ाहिर है कि लूका 22:29 में यीशु ने दो करार की बात की, एक उसके और उसके पिता के बीच और दूसरा, उसके और उसके अभिषिक्त चेलों के बीच जो राज में उसके साथ शासन करते।
मेरी मेज़ पर खाओ-पीओ: किसी के साथ खाना खाना दिखाता था कि उनके बीच दोस्ती और मधुर रिश्ता है। इसलिए राजा की मेज़ पर नियमित तौर पर खाना खाने का सम्मान उसे दिया जाता था, जिस पर राजा खास तौर से मेहरबान होता था और जिसके साथ राजा का नज़दीकी रिश्ता होता था। (1रा 2:7) यीशु यहाँ अपने वफादार चेलों से वादा कर रहा था कि उसका उनके साथ ऐसा ही रिश्ता होगा।—लूक 22:28-30; कृपया लूक 13:29; प्रक 19:9 भी देखें।
पश्चाताप करके लौट आए: या “पलटकर लौट आए; फिरे।” मालूम होता है कि यीशु यहाँ उस वक्त की बात कर रहा था जब पतरस गलती करने के बाद पश्चाताप करके लौट आता। उसकी गलती की सबसे बड़ी वजह होती, खुद पर बहुत ज़्यादा विश्वास और इंसान का डर।—नीत 29:25 से तुलना करें।
यह प्याला मेरे सामने से हटा दे: मर 14:36 का अध्ययन नोट देखें।
एक दूत: खुशखबरी की किताबों के चारों लेखकों में से सिर्फ लूका ने बताया कि स्वर्ग से एक दूत यीशु के सामने प्रकट हुआ और उसकी हिम्मत बँधायी।
उसका पसीना खून की बूँदें बनकर: लूका शायद यह कह रहा था कि मसीह का पसीना खून की बूँदों जैसा दिख रहा था या फिर उसका पसीना ऐसे टपक रहा था जैसे घाव से खून टपकता है। दूसरी तरफ, कुछ लोगों का कहना है कि शायद यीशु की त्वचा से सचमुच खून रिस रहा था और उसमें पसीना मिल गया था। बताया जाता है कि कुछ लोगों के साथ ऐसा हुआ है जो बहुत मानसिक तनाव से गुज़र रहे थे। डायपडीसस एक शारीरिक दशा है, जिसमें नसों के न फटने पर भी उनकी दीवारों से खून या उसके तत्व रिसकर निकलते हैं। हीमाटिड्रोसिस नाम की एक और दशा है जिसमें खून या उसके तत्व से मिला पसीना छूटता है या फिर खून मिला हुआ कुछ द्रव्य निकलता है। ये सारी बातें इसकी संभावनाएँ हैं कि यीशु के साथ क्या हुआ होगा।
. . . ज़मीन पर गिर रहा था: शुरू की कुछ हस्तलिपियों में आयत 43, 44 पायी जाती हैं, जबकि दूसरी हस्तलिपियों में से ये निकाल दी गयी हैं। लेकिन बाइबल के ज़्यादातर अनुवादों में ये आयतें हैं।
उसे ठीक किया: खुशखबरी की किताबों के चारों लेखकों में से सिर्फ लूका ने बताया कि यीशु ने महायाजक के दास का कान ठीक कर दिया।—मत 26:51; मर 14:47; यूह 18:10.
वक्त: शा., “घंटा।” यूनानी शब्द होरा यहाँ लाक्षणिक तौर पर इस्तेमाल हुआ है और इसका मतलब है, कम समय।
अंधकार का राज: या “अंधकार का अधिकार।” यहाँ ऐसे लोगों के अधिकार की बात की गयी है जो इस मायने में अंधकार में हैं कि उनका परमेश्वर के साथ रिश्ता नहीं है। (कुल 1:13 से तुलना करें।) प्रेष 26:18 में अंधकार का ज़िक्र “शैतान के अधिकार” के साथ किया गया है। शैतान ने अपने अधिकार का इस्तेमाल करके इंसानों को अंधकार के ऐसे काम करने के लिए भड़काया जिनकी वजह से यीशु को मार डाला गया। उदाहरण के लिए, लूक 22:3 में लिखा है कि “शैतान, यहूदा में समा गया जो इस्करियोती कहलाता था” और फिर यहूदा ने यीशु से गद्दारी की।—उत 3:15; यूह 13:27-30.
भविष्यवाणी कर!: यहाँ ‘भविष्यवाणी करने’ का मतलब भविष्य बताना नहीं बल्कि परमेश्वर की मदद से यह बताना है कि उसे किसने मारा। इस आयत से पता चलता है कि यीशु पर ज़ुल्म करनेवालों ने उसका मुँह ढक दिया था। इस तरह वे यीशु को चुनौती दे रहे थे कि वह बताए कि उसे किसने मारा।—मत 26:68 का अध्ययन नोट देखें।
मुखियाओं की सभा: या “मुखियाओं का निकाय।” यहाँ इस्तेमाल हुआ यूनानी शब्द प्रेसबाइटेरियॉन दूसरे यूनानी शब्द प्रेसबाइटेरोस (शा., “बुज़ुर्ग”) से संबंधित है, जो बाइबल में खासकर ऐसे लोगों के लिए इस्तेमाल हुआ है जो समाज या देश में अधिकार और ज़िम्मेदारी के पद पर थे। हालाँकि यह शब्द कभी-कभी बड़ी उम्र के लोगों के लिए इस्तेमाल हुआ है (जैसे लूक 15:25 में “बड़ा बेटा” और प्रेष 2:17 में “बुज़ुर्ग”), लेकिन इसका हमेशा यही मतलब नहीं है। ज़ाहिर है कि यहाँ शब्द “मुखियाओं की सभा” महासभा के लिए इस्तेमाल हुए हैं। महासभा, यरूशलेम में यहूदियों की सबसे बड़ी अदालत थी और प्रधान याजकों, शास्त्रियों और मुखियाओं से मिलकर बनी थी। इन तीन समूहों का ज़िक्र अकसर एक-साथ किया गया है।—मत 16:21; 27:41; मर 8:31; 11:27; 14:43, 53; 15:1; लूक 9:22; 20:1; शब्दावली में “मुखिया; बुज़ुर्ग” और इसी आयत में अपनी महासभा के भवन पर अध्ययन नोट देखें।
अपनी महासभा के भवन: या “अपनी महासभा।” महासभा, यरूशलेम में यहूदियों की सबसे बड़ी अदालत होती थी। जिस यूनानी शब्द सिनेड्रियोन का अनुवाद ‘महासभा का भवन’ या “महासभा” किया गया है उसका शाब्दिक मतलब है, “के साथ बैठना।” हालाँकि यह शब्द एक आम सभा के लिए इस्तेमाल होता था, लेकिन इसराएल में इसका मतलब फैसला सुनानेवाला धार्मिक समूह या अदालत भी हो सकता था। इस यूनानी शब्द का मतलब वे लोग भी हो सकता है, जिनसे मिलकर अदालत बनती थी या वह इमारत या जगह जहाँ अदालत लगती थी।—मत 5:22 का अध्ययन नोट और शब्दावली में “महासभा” देखें; साथ ही महासभा का भवन कहाँ रहा होगा, यह जानने के लिए अति. ख12 देखें।
इंसान का बेटा: मत 8:20 का अध्ययन नोट देखें।
परमेश्वर के शक्तिशाली दाएँ हाथ: या “परमेश्वर की शक्ति के दाएँ हाथ।” किसी शासक के दाएँ हाथ होने का मतलब है, दूसरा सबसे बड़ा अधिकारी होना। (भज 110:1; प्रेष 7:55, 56) “शक्तिशाली दाएँ हाथ” के यूनानी शब्द, लूक 22:69 के मिलते-जुलते ब्यौरों, मत 26:64 और मर 14:62 में भी आए हैं, जहाँ इसका अनुवाद “शक्तिशाली परमेश्वर के दाएँ हाथ” किया गया है। इंसान का बेटा “परमेश्वर के शक्तिशाली दाएँ हाथ” बैठा है, इन शब्दों का मतलब हो सकता है कि यीशु को शक्ति या अधिकार दिया जाएगा।—मर 14:62; मत 26:64 का अध्ययन नोट देखें।
तसवीर और ऑडियो-वीडियो
इसराएल के कुछ घर दो मंज़िले होते थे। ऊपर जाने के लिए या तो अंदर सीढ़ी लगी होती थी या लकड़ी का जीना बना होता था, या फिर बाहर सीढ़ी लगी होती थी या पत्थरों का जीना बना होता था। जैसे यहाँ चित्र में दिखाया गया है, शायद इसी तरह के एक बड़े ऊपरी कमरे में यीशु ने अपने चेलों के साथ आखिरी फसह मनाया और प्रभु के संध्या भोज की शुरूआत की। (लूक 22:12, 19, 20) ईसवी सन् 33 में पिन्तेकुस्त के दिन, जब यरूशलेम में करीब 120 चेलों पर पवित्र शक्ति उँडेली गयी तब ज़ाहिर है कि वे एक घर के ऊपरी कमरे में इकट्ठा थे।—प्रेष 1:15; 2:1-4.
यरूशलेम में यहूदियों की सबसे बड़ी अदालत को महासभा कहा जाता था। यह 71 सदस्यों से मिलकर बनी होती थी। (शब्दावली में “महासभा” देखें।) मिशना के मुताबिक, बैठने की जगह अर्ध-गोलाकार में तीन पंक्तियों में सीढ़ीनुमा होती थीं। दो शास्त्री अदालत के फैसले दर्ज़ करने के लिए मौजूद होते थे। चित्र में महासभा की जो बनावट दिखायी गयी है, उसकी कुछ बातें उस इमारत से मिलती-जुलती हैं जिसके खंडहर यरूशलेम में पाए गए हैं। कुछ लोगों का मानना है कि ये खंडहर पहली सदी की धर्म-सभा के भवन के हैं, जहाँ महासभा की अदालत लगती थी।—अतिरिक्त लेख ख12, नक्शा “यरूशलेम और उसके आस-पास का इलाका” देखें।
1. महायाजक
2. महासभा के सदस्य
3. आरोपी
4. शास्त्री