लैव्यव्यवस्था 24:1-23
24 फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
2 “इसराएलियों को आज्ञा दे कि वे भेंट के तंबू के दीयों को हमेशा जलाए रखने के लिए शुद्ध जैतून का तेल लाकर तुझे दें, जो कूटकर निकाला गया हो।+
3 हारून को चाहिए कि वह इन दीयों को, जो तंबू में गवाही के संदूक के पासवाले परदे की इस तरफ हैं, यहोवा के सामने शाम से सुबह तक लगातार जलाए रखने का इंतज़ाम करे। यह नियम पीढ़ी-दर-पीढ़ी सदा के लिए तुम पर लागू रहेगा।
4 हारून को यहोवा के सामने शुद्ध सोने की दीवट+ पर ये दीए हमेशा तरतीब से रखने चाहिए।
5 तुम मैदा लेकर उससे छल्ले जैसी 12 रोटियाँ तंदूर में सेंककर बनाना। हर रोटी एपा के दो-दहाई भाग* मैदे की बनायी जाए।
6 तुम छ:-छ: रोटियों के दो ढेर+ शुद्ध सोने की मेज़ पर यहोवा के सामने रखना।+
7 तुम हरेक ढेर के ऊपर शुद्ध लोबान रखना। यह लोबान रोटी का प्रतीक* होगा+ जिसे आग में जलाकर यहोवा को अर्पित किया जाएगा।
8 उसे बिना नागा हर सब्त के दिन यहोवा के सामने ये रोटियाँ तरतीब से रखनी चाहिए।+ यह इसराएलियों के साथ किया गया सदा का करार है।
9 ये रोटियाँ हारून और उसके बेटों को दी जाएँगी+ और वे इन्हें पवित्र जगह में खाएँगे,+ क्योंकि ये रोटियाँ याजक के लिए बहुत पवित्र हैं और उस चढ़ावे में से हैं जो यहोवा के लिए आग में जलाकर अर्पित किया जाता है। यह नियम तुम्हें हमेशा के लिए दिया जाता है।”
10 इसराएलियों में एक ऐसा आदमी था जिसकी माँ इसराएली थी मगर पिता मिस्री था।+ एक दिन छावनी में इस आदमी की एक इसराएली आदमी से लड़ाई हो गयी।
11 वह आदमी जिसकी माँ इसराएली थी, परमेश्वर के नाम* की निंदा करने लगा और उसके बारे में अपमान की बातें कहने लगा।+ इसलिए लोग उसे मूसा के पास ले आए।+ उस आदमी की माँ का नाम शलोमीत था। वह दान गोत्र के दिबरी की बेटी थी।
12 लोगों ने उस आदमी को तब तक के लिए हिरासत में रखा जब तक कि उन्हें उसके बारे में यहोवा का फैसला पता नहीं चला।+
13 यहोवा ने मूसा से कहा,
14 “तू उस आदमी को छावनी के बाहर ले जा जिसने अपमान की बातें कही हैं। फिर जितने लोगों ने उसकी बातें सुनी थीं वे सब उसके सिर पर अपने हाथ रखें और लोगों की पूरी मंडली उसे पत्थरों से मार डाले।+
15 तू इसराएलियों से कहना, ‘अगर कोई अपने परमेश्वर के बारे में अपमान की बातें कहता है तो उसे अपने पाप का लेखा देना होगा।
16 यहोवा के नाम की निंदा करनेवाले को हर हाल में मौत की सज़ा दी जाए।+ लोगों की पूरी मंडली उसे पत्थरों से मार डाले। जो भी परमेश्वर के नाम की निंदा करता है उसे मौत की सज़ा दी जाए, फिर चाहे वह इसराएली हो या तुम्हारे बीच रहनेवाला परदेसी।
17 अगर कोई आदमी किसी इंसान की जान लेता है, तो उसे हर हाल में मौत की सज़ा दी जाए।+
18 लेकिन अगर एक आदमी किसी के पालतू जानवर को मार डालता है, तो उसे मुआवज़ा भरना होगा। उसे जानवर के बदले जानवर देना होगा।
19 अगर एक आदमी किसी आदमी पर हमला करके उसे घायल कर देता है, तो उसके साथ भी वही किया जाए जो उसने दूसरे के साथ किया है।+
20 अगर उसने दूसरे की हड्डी तोड़ी है तो उसकी भी हड्डी तोड़ी जाए, उसी तरह आँख के बदले आँख, दाँत के बदले दाँत या उसने जो भी चोट पहुँचायी है, वही चोट उसे दी जाए।+
21 अगर एक आदमी किसी जानवर को मार डालता है तो उसे मुआवज़ा भरना होगा।+ लेकिन अगर एक आदमी किसी इंसान की जान लेता है तो उसे मौत की सज़ा दी जाए।+
22 तुम सब पर एक ही न्याय-सिद्धांत लागू होगा, फिर चाहे तुम इसराएली हो या इसराएलियों के बीच रहनेवाले परदेसी,+ क्योंकि मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ।’”
23 मूसा ने ये सारी बातें इसराएलियों को बतायीं। फिर वे उस आदमी को छावनी के बाहर ले आए जिसने परमेश्वर के बारे में अपमान की बातें कही थीं। और उन्होंने उसे पत्थरों से मार डाला।+ इस तरह इसराएलियों ने ठीक वही किया जो यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी।