विलापगीत 1:1-22
א [आलेफ ]*
1 वह नगरी जो कभी लोगों से आबाद रहती थी, अब कैसी अकेली बैठी है!+
जो कभी राष्ट्रों से ज़्यादा भरी-पूरी थी, अब कैसे विधवा जैसी हो गयी है!+
जो कभी बहुत-से इलाकों* की मलिका थी, अब कैसे दासी बन गयी है!+
ב [बेथ ]
2 वह रात-भर फूट-फूटकर रोती है,+ आँसुओं से उसके गाल भीग जाते हैं।
उसके इतने यारों में एक भी ऐसा नहीं जो उसे दिलासा दे।+
उसके अपने साथियों ने उसे दगा दिया है,+ वे सब उसके दुश्मन बन बैठे हैं।
ג [गिमेल ]
3 यहूदा बँधुआई में चली गयी है,+ वह दुख झेल रही है, कड़ी गुलामी कर रही है।+
उसे दूसरे राष्ट्रों में रहना होगा,+ उसे कहीं चैन नहीं।
जब वह बदहाल थी तभी ज़ुल्म ढानेवाले सब उस पर टूट पड़े।
ד [दालथ ]
4 सिय्योन की तरफ जानेवाली सड़कें मातम मना रही हैं, क्योंकि त्योहार के लिए कोई नहीं आता।+
उसके सब फाटक उजाड़ पड़े हैं,+ उसके याजक आहें भर रहे हैं।
उसकी कुँवारियाँ* गम मना रही हैं, वह खुद दुख से तड़प रही है।
ה [हे ]
5 उसके बैरी उसके मालिक बन गए हैं, उसके दुश्मन बेफिक्र हैं।+
यहोवा ने उसके बहुत-से अपराधों की वजह से उसे यह दुख दिया है।+
दुश्मन उसके बच्चों को बँधुआई में ले गया है।+
ו [वाव ]
6 सिय्योन की बेटी का सारा वैभव मिट गया है।+
उसके हाकिम उन हिरनों जैसे हैं जिन्हें कोई चरागाह नहीं मिला,उनका पीछा किया जा रहा है, लेकिन वे थके-हारे चल रहे हैं।
ז [जैन ]
7 मुसीबत के इन दिनों में जब यरूशलेम बेघर हो गयी है,वह अपने गुज़रे दिनों को याद करती है,जब उसके पास बेशकीमती चीज़ें हुआ करती थीं।+
उसके लोग बैरी के हाथ में पड़ गए और उसका कोई मददगार न था।+
दुश्मनों ने यह सब देखा और उसका गिरना देखकर हँसने लगे।+
ח [हेथ ]
8 यरूशलेम ने महापाप किया है।+
इसीलिए वह एक घिनौनी चीज़ हो गयी है।
जो कभी उसका बहुत सम्मान करते थे, अब वे उसे नीचा देखते हैं क्योंकि उन्होंने उसका नंगापन देख लिया।+
वह खुद भी कराहती है,+ शर्म से अपना मुँह छिपा लेती है।
ט [टेथ ]
9 उसकी अशुद्धता उसके घाघरे पर है।
उसने अंजाम की कोई फिक्र नहीं की थी।+
वह ऐसे गिरी कि सब देखकर चौंक गए, उसे दिलासा देनेवाला कोई नहीं।
हे यहोवा, मेरी हालत देख क्योंकि दुश्मन खुद पर फूल रहा है।+
י [योध ]
10 बैरी ने उसका सारा खज़ाना लूट लिया है।+
यरूशलेम ने दूसरे राष्ट्रों को अपने पवित्र-स्थान में घुसते देखा,+उन राष्ट्रों को, जिनको तूने अपनी मंडली में आने से मना किया था।
כ [काफ ]
11 उसके सभी लोग आहें भर रहे हैं, रोटी की तलाश में भटक रहे हैं।+
उन्होंने अपनी कीमती चीज़ें दे डालीं ताकि उन्हें खाने को कुछ मिले और वे ज़िंदा रह सकें।
हे यहोवा, देख, मैं कैसी तुच्छ औरत* बन गयी हूँ।
ל [लामेध ]
12 हे राहगीरो, क्या तुम्हें कोई फर्क नहीं पड़ता?
मुझे देखो, मुझ पर गौर करो!
क्या इस दर्द से बढ़कर कोई और दर्द है,जो यहोवा ने मुझे उस दिन दिया जब उसके क्रोध की आग भड़की थी?+
מ [मेम ]
13 उसने ऊपर से मेरी हड्डियों में आग भेजी,+वह मेरी हर हड्डी को अपने काबू में करता है।
उसने मेरे पैरों के लिए एक जाल बिछाया, मुझे पीछे मुड़ने पर मजबूर कर दिया।
उसने मुझे दुखियारी बनाकर छोड़ा।
सारा दिन मैं बीमार पड़ी रहती हूँ।
נ [नून ]
14 उसने अपने हाथ से मेरे अपराधों को जुए की तरह कसा है।
उन्हें मेरी गरदन पर रखा गया है, मेरी ताकत जवाब दे गयी है।
यहोवा ने मुझे ऐसे लोगों के हाथ कर दिया जिनका मैं मुकाबला नहीं कर सकती।+
ס [सामेख ]
15 यहोवा ने मेरे बीच से सभी ताकतवर आदमियों को उठाकर फेंक दिया।+
उसने मेरे खिलाफ लोगों का एक दल बुलाया ताकि मेरे जवानों को कुचल दे।+
यहोवा ने यहूदा की कुँवारी बेटी को अंगूर रौंदने के हौद में रौंद दिया।+
ע [ऐयिन ]
16 इसीलिए मैं रो रही हूँ,+ मेरी आँखों से आँसू बह रहे हैं।
क्योंकि जो मुझे दिलासा दे सकता था या मुझे तरो-ताज़ा कर सकता था वह कोसों दूर है।
मेरे बेटों के लिए कोई उम्मीद नहीं बची क्योंकि दुश्मन जीत गया है।
פ [पे ]
17 सिय्योन हाथ फैलायी हुई है,+ उसे दिलासा देनेवाला कोई नहीं।
यहोवा ने याकूब के आस-पास के सभी बैरियों को हुक्म दिया कि वे उस पर हमला करें।+
यरूशलेम उनके लिए एक घिनौनी चीज़ बन गयी है।+
צ [सादे ]
18 यहोवा नेक है,+ मैंने उसकी आज्ञाओं के खिलाफ जाकर बगावत की थी।+
सब देशों के लोगो, सुनो और मेरा दर्द देखो।
मेरी कुँवारियाँ* और मेरे जवान बँधुआई में चले गए हैं।+
ק [कोफ ]
19 मैंने अपने यारों को बुलाया, मगर उन्होंने मुझे दगा दे दिया।+
मेरे याजक और प्रधान खाना तलाश रहे थे ताकि ज़िंदा रह सकें,मगर वे शहर में भटकते-भटकते मर गए।+
ר [रेश ]
20 हे यहोवा, देख, मैं कितनी बड़ी मुसीबत में हूँ।
मेरे अंदर* मरोड़ पड़ रही है।
मेरा दिल अंदर-ही-अंदर छटपटा रहा है, क्योंकि मैंने बगावत करने में हद कर दी।+
बाहर तलवार मेरे बच्चों को मुझसे छीन रही है,+ घर के अंदर भी मौत का मंज़र है।
ש [शीन ]
21 लोगों ने मेरा कराहना सुना है, मुझे दिलासा देनेवाला कोई नहीं।
मेरे सब दुश्मनों ने मेरी विपत्ति की खबर सुनी है।
वे बहुत खुश हैं क्योंकि तू यह विपत्ति लाया है।+
मगर तू वह दिन भी लाएगा जिसका तूने ऐलान किया है,+ जब उनकी हालत मेरी जैसी होगी।+
ת [ताव ]
22 उनकी सारी बुराइयों पर तू ध्यान दे, उनके साथ कड़ाई से पेश आ,+जैसे तू मेरे सभी अपराधों की वजह से मेरे साथ कड़ाई से पेश आया था।
मेरी कराहों का कोई हिसाब नहीं, मेरा मन रोगी है।
कई फुटनोट
^ अध्याय 1-4 शोकगीत हैं जिनके पद इब्रानी वर्णमाला के क्रम से रखे गए हैं, यानी हर पद एक इब्रानी अक्षर से शुरू होता है।
^ या “ज़िला अधिकार-क्षेत्रों।”
^ या “जवान औरतें।”
^ यहाँ यरूशलेम को एक औरत के रूप में बताया गया है।
^ या “जवान औरतें।”
^ शा., “मेरी अंतड़ियों में।”