विलापगीत 2:1-22
א [आलेफ ]
2 देख, यहोवा ने कैसे गुस्से में आकर सिय्योन की बेटी को काले बादल से ढाँप दिया है!
उसने इसराएल की खूबसूरती आसमान से ज़मीन पर पटक दी है।+
अपने क्रोध के दिन उसने अपने पाँवों की चौकी का ध्यान नहीं रखा।+
ב [बेथ ]
2 यहोवा ने याकूब में रहने की सारी जगह निगल ली हैं, उन पर बिलकुल दया नहीं की।
जलजलाहट में आकर उसने यहूदा की बेटी के किले ढा दिए हैं।+
उसने उसके राज्य और उसके हाकिमों को ज़मीन पर गिराकर बेइज़्ज़त कर दिया है।+
ג [गिमेल ]
3 गुस्से से तमतमाते हुए उसने इसराएल का हर सींग काट डाला।*
जब दुश्मन ने हमला किया तो उसने अपना दायाँ हाथ खींच लिया,+याकूब पर उसका गुस्सा आग की तरह भड़कता रहा, जिससे आस-पास की हर चीज़ भस्म हो गयी।+
ד [दालथ ]
4 उसने दुश्मन की तरह अपनी कमान चढ़ायी है,बैरी की तरह हमला करने के लिए अपना दायाँ हाथ उठाया है,+वह उन सबको मार डालता रहा जो हमारी नज़रों में अनमोल थे।+
उसने सिय्योन की बेटी के तंबू में अपने क्रोध की आग बरसायी।+
ה [हे ]
5 यहोवा एक दुश्मन जैसा बन गया है,+उसने इसराएल को निगल लिया है।
उसकी सभी मीनारें निगल ली हैं,उसकी सभी किलेबंद जगह नाश कर दी हैं।
उसने यहूदा की बेटी का मातम और विलाप बढ़ा दिया है।
ו [वाव ]
6 वह अपने डेरे को बुरी तरह तबाह करता है,+ मानो वह बाग में कोई छप्पर हो।
उसने अपने त्योहारों का अंत* कर दिया है।+
यहोवा ने सिय्योन में त्योहार और सब्त की याद मिटा दी है,भयानक क्रोध में आकर उसने राजा और याजक को नकार दिया है।+
ז [जैन ]
7 यहोवा ने अपनी वेदी ठुकरा दी है,अपने पवित्र-स्थान से अपनी मंज़ूरी हटा ली है।+
उसने उसकी किलेबंद मीनारों की दीवारें दुश्मन के हाथ में कर दी हैं।+
उन्होंने यहोवा के भवन में ऐसा होहल्ला मचाया+ मानो कोई त्योहार हो।
ח [हेथ ]
8 यहोवा ने ठान लिया है कि वह सिय्योन की बेटी की शहरपनाह ढा देगा।+
उसने नापने की डोरी से उसे नापा है।+
उसे नाश करने से अपना हाथ नहीं रोका।
वह शहरपनाह और सुरक्षा की ढलान को मातम मनाने पर मजबूर करता है।
उन्हें कमज़ोर कर दिया गया है।
ט [टेथ ]
9 उसके फाटक ज़मीन पर गिर पड़े हैं।+
उसने उसके बेड़े तोड़कर नाश कर दिए हैं।
उसके राजा और हाकिम दूसरे राष्ट्रों में हैं।+
कानून* नाम की चीज़ नहीं रही, उसके भविष्यवक्ताओं को भी यहोवा से कोई दर्शन नहीं मिलता।+
י [योध ]
10 सिय्योन की बेटी के मुखिया ज़मीन पर खामोश बैठे हैं।+
वे अपने सिर पर धूल डालते हैं और टाट ओढ़ते हैं।+
यरूशलेम की कुँवारियाँ सिर झुकाए बैठी हैं।
כ [काफ ]
11 आँसू बहाते-बहाते मेरी आँखें थक गयी हैं।+
मेरे अंदर* मरोड़ पड़ रही है।
मेरे लोगों की बेटी* गिर गयी है,नन्हे-मुन्ने और दूध-पीते बच्चे कसबे के चौकों पर बेहोश हो रहे हैं,+इस वजह से मेरा कलेजा ज़मीन पर उँडेल दिया गया है।+
ל [लामेध ]
12 जब वे शहर के चौकों में घायल लोगों की तरह होश खोने लगते हैं,अपनी-अपनी माँ की गोद में दम तोड़ रहे हैं,तो कराहते हुए कहते हैं, “अनाज और दाख-मदिरा कहाँ है!”+
מ [मेम ]
13 हे यरूशलेम की बेटी, मैं तुझे किसकी मिसाल दूँ?
किसके साथ तेरी तुलना करूँ?
हे सिय्योन की कुँवारी बेटी, तुझे दिलासा देने के लिए तुझे किसके जैसा बताऊँ?
तेरी तबाही समुंदर की तरह दूर-दूर तक फैली है।+ कौन तुझे चंगा कर सकता है?+
נ [नून ]
14 तेरे भविष्यवक्ताओं ने तेरे बारे में जो दर्शन देखे, वे सब झूठे और खोखले थे,+उन्होंने तेरा गुनाह नहीं बताया, जिससे तू बँधुआई में जाने से बच जाती,+मगर वे तुझे झूठे और गुमराह करनेवाले दर्शन बताते रहे।+
ס [सामेख ]
15 सभी राहगीर तेरी खिल्ली उड़ाते हैं, ताली बजाते हैं।+
यरूशलेम की बेटी को देखकर हैरानी से सीटी बजाते हैं,+ सिर हिलाते हुए कहते हैं,“क्या यही वह नगरी है जिसके बारे में वे कहते थे, ‘इसकी खूबसूरती बेमिसाल* है, सारी धरती के लिए यह हर्ष का कारण है’?”+
פ [पे ]
16 तुझे देखकर तेरे सब दुश्मनों ने अपना मुँह खोला है।
वे सीटी बजाते हैं और दाँत पीसते हुए कहते हैं, “हमने उसे निगल लिया है।+
हमें जिस दिन का इंतज़ार था, यह वही है!+ वह दिन आ गया है, हमने यह दिन देख लिया है!”+
ע [ऐयिन ]
17 यहोवा ने जैसा करने की ठानी थी वैसा ही किया,+उसने जो कहा था वह कर दिया,+मुद्दतों पहले जो आज्ञा दी थी उसके मुताबिक किया।+
उसने उसे ढा दिया है, उस पर बिलकुल दया नहीं की।+
उसने दुश्मन को तुझे हराकर मगन होने का मौका दिया,तेरे बैरियों का सींग ऊँचा कर दिया।*
צ [सादे ]
18 हे सिय्योन की बेटी की शहरपनाह, उनका दिल यहोवा को पुकार रहा है।
दिन-रात तेरी आँखों से आँसू नदी की तरह बहते रहें,खुद को एक पल के लिए भी आराम न दे, अपनी आँख को चैन न दे।
ק [कोफ ]
19 उठ! रात-भर रोती रह, पहरों की शुरूआत में रोती रह।
आँसू बहाती हुई अपने दिल का सारा हाल यहोवा को बता।
अपने बच्चों की जान की खातिर उसके आगे हाथ फैलाजो भुखमरी की वजह से हर गली के कोने में बेहोश हो रहे हैं।+
ר [रेश ]
20 हे यहोवा, अपने लोगों को देख जिनके साथ तू इतनी कड़ाई से पेश आया।
क्या औरतें इसी तरह अपनी संतान* को, अपनी कोख से जन्मे सेहतमंद बच्चों को खाती रहें?+
क्या इसी तरह यहोवा के पवित्र-स्थान में याजकों और भविष्यवक्ताओं का कत्ल होता रहे?+
ש [शीन ]
21 जवान और बूढ़े गलियों में मरे पड़े हैं।+
मेरी कुँवारियाँ* और मेरे जवान तलवार से घात किए गए हैं।+
तूने अपने क्रोध के दिन उन्हें मार डाला, उन्हें काट डाला,तूने उन पर बिलकुल दया नहीं की।+
ת [ताव ]
22 तूने चारों तरफ से आतंक को बुलाया, जैसे त्योहार के लिए लोगों को बुलाया जाता है।+
यहोवा के क्रोध के दिन कोई भाग नहीं पाया, न ही ज़िंदा बचा,+जिनको मैंने जन्म दिया,* पाला-पोसा, उनका मेरे दुश्मन ने नाश कर दिया।+
कई फुटनोट
^ या “की पूरी ताकत मिटा दी।”
^ या “नाश।”
^ या “हिदायत।”
^ शा., “मेरी अंतड़ियों में।”
^ शायद दया दिखाने या हमदर्दी जताने के लिए उन्हें एक बेटी के रूप में बताया गया है।
^ या “परिपूर्ण।”
^ या “की ताकत बढ़ा दी।”
^ या “अपने फलों।”
^ या “जवान औरतें।”
^ या “सेहतमंद पैदा किया।”