विलापगीत 4:1-22

א [आलेफ ] 4  जो कभी बढ़िया सोना+ हुआ करता था, देखो, उसकी चमक अब कैसी फीकी पड़ गयी है! पवित्र पत्थरों+ को देखो, कैसे हर गली के कोने में बिखरे पड़े हैं!+ ב [बेथ ]   सिय्योन के इज़्ज़तदार बेटों को देखो, जो शुद्ध सोने की तरह अनमोल थे,अब उनकी कीमत कैसे कुम्हार के हाथों बनेमिट्टी के घड़ों जितनी रह गयी है! ג [गिमेल ]   गीदड़ी भी अपने बच्चों को अपना दूध पिलाती है,मगर मेरे लोगों की बेटी कैसी बेरहम हो गयी है,+ वीराने के शुतुरमुर्ग जैसी हो गयी है।+ ד [दालथ ]   दूध-पीते बच्चे की जीभ प्यास के मारे तालू से चिपक गयी है। बच्चे रोटी माँगते हैं,+ मगर उन्हें कोई कुछ नहीं देता।+ ה [हे ]   जो कभी ज़ायकेदार चीज़ों का मज़ा लेते थे, वे अब सड़कों पर पड़े भूख से तड़प रहे हैं।+ जो बचपन से सुर्ख लाल कपड़े पहनने के आदी थे,+ वे अब राख के ढेर पर लोट रहे हैं। ו [वाव ]   मेरे लोगों की बेटी की सज़ा,* सदोम के पाप की सज़ा से भी भारी है,+जिसे एक ही पल में गिरा दिया गया था और उसकी मदद करनेवाला कोई न था।+ ז [जैन ]   उसके नाज़ीर+ बर्फ से भी ज़्यादा उजले थे, दूध से भी ज़्यादा सफेद थे। उनका रंग मूंगों से भी ज़्यादा लाल था, उनका रूप चमकाए हुए नीलम जैसा था। ח [हेथ ]   मगर अब वे कालिख* से भी ज़्यादा काले हो गए हैं,गलियों में वे पहचान में भी नहीं आते। उनकी चमड़ी हड्डियों से सटकर सिकुड़ गयी है,+ सूखी लकड़ी जैसी हो गयी है। ט [टेथ ]   तलवार से मरनेवाले अकाल से मरनेवालों से बेहतर हैं,+वे घुल-घुलकर मरते हैं, मानो वे भेद दिए गए हों। י [योध ] 10  जिन औरतों में ममता होती थी, उन्होंने अपने ही हाथ से अपने बच्चों को उबाला।+ जब मेरे लोगों की बेटी गिर पड़ी, तो उनके बच्चे उनके मातम का खाना बन गए।+ כ [काफ ] 11  यहोवा ने अपना क्रोध दिखाया है,अपने गुस्से की आग बरसायी है।+ उसने सिय्योन में चिंगारी भड़कायी है जो उसकी बुनियाद को भस्म कर देती है।+ ל [लामेध ] 12  पृथ्वी के राजाओं ने और सारे जगत के निवासियों ने यकीन नहीं कियाकि उसके बैरी, उसके दुश्‍मन यरूशलेम के फाटकों से दाखिल होंगे।+ מ [मेम ] 13  यह सब उसके भविष्यवक्‍ताओं के पापों और याजकों के गुनाहों की वजह से हुआ है,+जिन्होंने उसके बीच नेक लोगों का खून बहाया है।+ נ [नून ] 14  वे गलियों में अंधों की तरह भटकते हैं।+ वे खून से दूषित हैं,+इसलिए कोई उनके कपड़े नहीं छूता। ס [सामेख ] 15  वे चिल्ला-चिल्लाकर उनसे कहते हैं, “दूर रहो! हम अशुद्ध हैं! दूर रहो! दूर रहो! हमें मत छूओ!” वे बेघर हो गए हैं, यहाँ-वहाँ भटकते हैं। राष्ट्रों के लोग कहते हैं: “वे हमारे यहाँ नहीं रह सकते।*+ פ [पे ] 16  खुद यहोवा ने उन्हें तितर-बितर कर दिया है,+वह उन्हें फिर कभी मंज़ूर नहीं करेगा। लोग याजकों का फिर कभी आदर नहीं करेंगे,+ मुखियाओं पर कृपा नहीं करेंगे।”+ ע [ऐयिन ] 17  हमारी आँखें मदद की राह देखते-देखते थक गयी हैं, ये बेकार ही आस लगाए बैठी हैं।+ हम मदद के लिए एक ऐसे राष्ट्र की तरफ ताकते रहे जो हमें बचा नहीं सकता था।+ צ [सादे ] 18  उन्होंने हर कदम पर हमारा शिकार किया,+ इसलिए हम अपने चौकों में चल-फिर न सके। हमारा अंत करीब है, हमारे दिन पूरे हो गए हैं क्योंकि हमारा अंत आ गया है। ק [कोफ ] 19  हमारा पीछा करनेवाले आकाश के उकाबों से भी तेज़ हैं।+ उन्होंने पहाड़ों पर हमारा पीछा किया, वीराने में घात लगाकर हमें पकड़ लिया। ר [रेश ] 20  जो हमारे जीवन की साँस है, यहोवा का अभिषिक्‍त जन है,+जिसके बारे में हम कहा करते थे, “उसकी छाँव तले हम राष्ट्रों में जीएँगे,” वह उनके खोदे हुए बड़े गड्‌ढे में पकड़ा गया है।+ ש [सीन ] 21  एदोम की बेटी, तू जो ऊज़ देश में रहती है, मगन हो, खुशियाँ मना।+ मगर वह प्याला तेरी तरफ भी बढ़ाया जाएगा,+ तू मदहोश हो जाएगी और अपना नंगापन दिखाएगी।+ ת [ताव ] 22  सिय्योन की बेटी, तेरे गुनाह की सज़ा खत्म होने पर है। वह तुझे फिर बँधुआई में नहीं ले जाएगा।+ मगर एदोम की बेटी, अब वह तेरे गुनाह पर ध्यान देगा। तेरे पापों का परदाफाश करेगा।+

कई फुटनोट

शा., “का गुनाह।”
शा., “काले रंग।”
या “यहाँ परदेसियों की तरह नहीं रह सकते।”

अध्ययन नोट

तसवीर और ऑडियो-वीडियो