व्यवस्थाविवरण 17:1-20

17  तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा को ऐसे बैल या भेड़ की बलि न चढ़ाना जिसमें किसी भी तरह का दोष हो, क्योंकि ऐसी बलि तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा की नज़र में घिनौनी है।+  तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें जो देश देनेवाला है, वहाँ के किसी शहर में मान लो तुम्हारे आदमी-औरतों में से कोई तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा की नज़र में बुरा काम करता है और तुम्हारे परमेश्‍वर का करार तोड़ता है+  और सही राह पर चलना छोड़कर दूसरे देवताओं को पूजता है, उनके सामने दंडवत करता है या सूरज, चाँद या आसमान के तारों के आगे दंडवत करता है,+ जिसकी मैंने आज्ञा नहीं दी है।+  जब तुम्हें इसकी खबर दी जाती है या तुम इस बारे में सुनते हो, तो तुम मामले की अच्छी छानबीन करना। अगर तुम पाते हो कि खबर सच है+ और इसराएल में वाकई ऐसा घिनौना काम किया गया है,  तो जिस आदमी या औरत ने यह दुष्ट काम किया है, उसे तुम शहर के फाटक के पास ले जाना और पत्थरों से मार डालना।+  उसे दो या तीन गवाहों के बयान पर+ ही मौत की सज़ा दी जानी चाहिए। एक ही गवाह के बयान पर उसे न मार डाला जाए।+  उसे पत्थरों से मार डालने के लिए सबसे पहले उनका हाथ उठे जो उसके खिलाफ गवाही देते हैं। इसके बाद बाकी लोग उसे पत्थरों से मार डालें। इस तरह तुम अपने बीच से बुराई मिटा देना।+  अगर कभी तुम्हारे शहर में ऐसा मामला तुम्हारे सामने पेश किया जाता है, जिसे निपटाना तुम्हें बहुत मुश्‍किल लगता है, चाहे वह कत्ल का मामला हो+ या कानूनी दावे का या मारपीट का या आपसी झगड़े का, तो तुम वह मामला उस जगह ले जाकर पेश करना जो तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा चुनता है।+  तुम वह मामला लेवी याजकों और अपने दिनों के न्यायियों+ के सामने पेश करना और वे उस मुकदमे का फैसला सुनाएँगे।+ 10  यहोवा की चुनी हुई जगह से तुम्हें जो फैसला बताया जाता है, तुम उसी के मुताबिक कार्रवाई करना। वे तुम्हें जो भी हिदायत देते हैं, तुम उसका सख्ती से पालन करना। 11  वे तुम्हें जो कानून दिखाते हैं और जो फैसला सुनाते हैं, तुम उसी के मुताबिक कदम उठाना।+ तुम उनके फैसले से न दाएँ मुड़ना न बाएँ।+ 12  अगर एक आदमी न्यायी की बात नहीं सुनता या तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा की सेवा करनेवाले याजक का फैसला नहीं मानता, तो उस गुस्ताख को तुम मार डालना।+ इस तरह तुम इसराएल से बुराई मिटा देना।+ 13  तब इसराएल के सब लोग इस बारे में सुनकर डर जाएँगे और इसके बाद फिर कभी कोई ऐसी गुस्ताखी नहीं करेगा।+ 14  जब तुम उस देश में दाखिल होगे जो तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा तुम्हें देनेवाला है और उसे अपने कब्ज़े में करके वहाँ रहने लगोगे और कहोगे, ‘चलो, हम भी आस-पास की सब जातियों की तरह अपने लिए एक राजा ठहराते हैं,’+ 15  तो तुम ऐसे आदमी को ही राजा ठहराना जिसे तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा चुनेगा।+ तुम अपने इसराएली भाइयों में से किसी को राजा चुनना। तुम्हें किसी परदेसी को, जो तुम्हारा इसराएली भाई नहीं है, अपना राजा बनाने की इजाज़त नहीं है। 16  और जो आदमी राजा ठहराया जाता है उसे अपने लिए बहुत सारे घोड़े नहीं हासिल करने चाहिए,+ न ही ज़्यादा घोड़े लाने के लिए अपने लोगों को मिस्र भेजना चाहिए+ क्योंकि यहोवा ने तुम लोगों से कहा है, ‘तुम कभी मिस्र वापस मत जाना।’ 17  और एक राजा को बहुत-सी शादियाँ भी नहीं करनी चाहिए ताकि उसका मन सही राह से भटक न जाए।+ और उसे अपने लिए ढेर सारा सोना-चाँदी नहीं जमा करना चाहिए।+ 18  जब वह राजगद्दी पर बैठकर राज करना शुरू करेगा, तो उसे चाहिए कि वह लेवी याजकों के पास रखी कानून की किताब ले और उसमें लिखी सारी बातें हू-ब-हू अपने लिए एक किताब* में लिख ले।+ 19  उसे अपनी यह किताब अपने पास रखनी चाहिए और सारी ज़िंदगी, हर दिन उसे पढ़ना चाहिए+ ताकि वह अपने परमेश्‍वर यहोवा का डर मानना सीखे और उसमें दिए सभी नियमों का पालन करे और कायदे-कानूनों के मुताबिक चले।+ 20  तब उसका मन घमंड से नहीं फूलेगा और वह खुद को अपने भाइयों से बड़ा नहीं समझेगा। वह परमेश्‍वर की आज्ञाओं से न दाएँ मुड़ेगा न बाएँ और इसराएल पर उसका और उसके वंशजों का राज अरसों तक बना रहेगा।

कई फुटनोट

या “खर्रे।”

अध्ययन नोट

तसवीर और ऑडियो-वीडियो