व्यवस्थाविवरण 29:1-29

29  जब इसराएली मोआब देश में थे तब यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी कि वह उनके साथ एक करार करे। इससे पहले परमेश्‍वर ने होरेब में उनके साथ एक करार किया था।+ मोआब में किए करार की बातें ये हैं।  मूसा ने सभी इसराएलियों को बुलाया और उनसे कहा, “तुमने खुद अपनी आँखों से देखा है कि यहोवा ने मिस्र में फिरौन और उसके सब अधिकारियों और उसके पूरे देश का क्या हश्र किया था।+  तुमने देखा कि उसने कैसे उन्हें कड़ी-से-कड़ी सज़ा दी और बड़े-बड़े चिन्ह और चमत्कार किए।+  फिर भी यहोवा ने तुम्हें आज तक समझने के लिए मन, देखने के लिए आँखें और सुनने के लिए कान नहीं दिए।+  उसने तुमसे कहा, ‘मैं 40 साल तक वीराने में तुम्हारे साथ रहकर तुम्हें राह दिखाता रहा+ और उस दौरान न तुम्हारे कपड़े पुराने होकर फटे, न ही तुम्हारे पैरों की जूतियाँ घिसीं।+  तुम्हारे पास खाने के लिए रोटी या पीने के लिए दाख-मदिरा या कोई और शराब नहीं थी, फिर भी मैंने तुम्हारी देखभाल की ताकि तुम जान लो कि मैं तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा हूँ।’  तुम सफर करते-करते जब इस जगह पहुँचे तो हेशबोन का राजा सीहोन+ और बाशान का राजा ओग+ हमसे युद्ध करने आए, मगर हमने उन्हें हरा दिया।+  फिर हमने उनका इलाका ले लिया और रूबेनियों, गादियों और मनश्‍शे के आधे गोत्र को दे दिया ताकि यह उनकी विरासत की ज़मीन हो।+  इसलिए तुम इस करार के नियमों और आज्ञाओं का पालन करना। तब तुम अपने हर काम में कामयाब होगे।+ 10  आज तुम सब अपने परमेश्‍वर यहोवा के सामने हाज़िर हो, सभी गोत्रों के प्रधान, मुखिया, अधिकारी, इसराएल के सभी आदमी, 11  औरतें,+ बच्चे, तुम्हारी छावनी में रहनेवाले परदेसी,+ यहाँ तक कि तुम्हारे लिए लकड़ी बीननेवाले और पानी भरनेवाले, सब-के-सब। 12  तुम यहाँ इसलिए हो कि तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा के साथ एक करार में बँध सको। आज तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा शपथ खाकर तुम्हारे साथ यह करार कर रहा है+ 13  जिससे कि वह आज तुम्हें अपने लोग बना सके+ और वह तुम्हारा परमेश्‍वर ठहरे,+ ठीक जैसे उसने तुमसे और तुम्हारे पुरखों से, अब्राहम,+ इसहाक+ और याकूब+ से शपथ खाकर वादा किया था। 14  मैं शपथ खाकर यह करार न सिर्फ तुम लोगों के साथ कर रहा हूँ 15  जो आज हमारे परमेश्‍वर यहोवा के सामने हाज़िर हैं बल्कि आनेवाली पीढ़ी के* साथ भी कर रहा हूँ। 16  (तुम लोग अच्छी तरह जानते हो कि हमने मिस्र में कैसी ज़िंदगी बितायी थी और अपने सफर में हम किन-किन जातियों के बीच से गुज़रे थे।+ 17  तुम उन जातियों की घिनौनी चीज़ें देखते थे: लकड़ी, पत्थर और सोने-चाँदी से बनी घिनौनी मूरतें।*)+ 18  सावधान रहना कि तुम्हारे बीच ऐसा कोई आदमी, औरत, परिवार या गोत्र न हो जिसका मन आज हमारे परमेश्‍वर यहोवा से फिर जाए और वह उन जातियों के देवताओं की सेवा करने लगे।+ वह ऐसे पौधे की जड़ जैसा होगा जो ज़हरीले फल और नागदौना पैदा करता है।+ 19  लेकिन अगर कोई यह शपथ सुनने के बाद भी घमंड से फूलकर अपने मन में सोचता है, ‘मैं तो अपनी मन-मरज़ी करूँगा, मेरा कुछ बुरा नहीं होगा,’ जिससे वह अपने रास्ते में आनेवाली हर चीज़* को नाश करता है, 20  तो यहोवा उसे हरगिज़ माफ नहीं करेगा।+ यहोवा के क्रोध की ज्वाला उस पर भड़क उठेगी और इस किताब में जितने भी शाप लिखे हैं वे सब उस पर आ पड़ेंगे+ और यहोवा धरती से* उसका नाम मिटा देगा। 21  यहोवा उसे इसराएल के सब गोत्रों में से अलग करेगा और कानून की इस किताब में जो भी शाप बताए गए हैं सब उस पर लाएगा और उसे तबाह कर देगा। 22  तुम्हारी आनेवाली पीढ़ी और दूर देश से आनेवाले परदेसी देखेंगे कि तुम्हारे देश पर कैसी मुसीबतें आयी हैं। वे देखेंगे कि यहोवा ने तुम्हारे देश पर क्या-क्या कहर ढाए, 23  नमक, आग और गंधक बरसाकर पूरे देश को नाश कर दिया और उसे जुताई-बोआई के लायक न छोड़ा और उसकी यह हालत कर दी कि वहाँ घास तक नहीं उगती और पूरा देश सदोम, अमोरा,+ अदमा और सबोयीम+ जैसा हो गया है जिन्हें यहोवा ने गुस्से और क्रोध में आकर नाश कर दिया था। 24  जब तुम्हारे वंशज, परदेसी और सब राष्ट्रों के लोग यह देखेंगे तो कहेंगे, ‘आखिर यहोवा ने इस देश का यह हाल क्यों किया?+ क्यों वह गुस्से से इतना भड़क उठा?’ 25  फिर वे कहेंगे, ‘यह इसलिए हुआ क्योंकि इन लोगों ने अपने पुरखों के परमेश्‍वर यहोवा का करार तोड़ दिया।+ उसने मिस्र से उन्हें निकालने के बाद उनके साथ जो करार किया था उसे मानना छोड़कर+ 26  वे दूसरे देवताओं की सेवा करने लगे और उनके आगे दंडवत करने लगे जिन्हें वे नहीं जानते थे और जिनकी पूजा करने से परमेश्‍वर ने उन्हें मना किया था।*+ 27  तब यहोवा के क्रोध की ज्वाला उस देश पर भड़क उठी और वह उस पर वे सारे शाप ले आया जो इस किताब में लिखे हैं।+ 28  यही वजह है कि यहोवा ने गुस्से, क्रोध और जलजलाहट में आकर उन्हें उनके देश से उखाड़ दिया+ और एक पराए देश में भेज दिया जहाँ वे आज हैं।’+ 29  जो बातें गुप्त हैं वे हमारे परमेश्‍वर यहोवा के अधिकार में हैं,+ मगर जो बातें ज़ाहिर की गयी हैं वे हमें और हमारे वंशजों को सदा के लिए दी गयी हैं ताकि हम इस कानून की सारी बातों पर अमल कर सकें।+

कई फुटनोट

शा., “जो आज हमारे साथ नहीं हैं उनके।”
इनका इब्रानी शब्द शायद “मल” के लिए इस्तेमाल होनेवाले शब्द से संबंध रखता है और यह बताने के लिए इस्तेमाल होता है कि किसी चीज़ से कितनी घिन की जा रही है।
शा., “सूखे के साथ-साथ सिंचे हुए।”
शा., “आकाश के नीचे से।”
शा., “परमेश्‍वर ने उनके हिस्से में नहीं दिया था।”

अध्ययन नोट

तसवीर और ऑडियो-वीडियो