हबक्कूक 2:1-20

2  मैं अपने पहरे की चौकी पर खड़ा रहूँगा,+दीवार* पर तैनात रहूँगा। मैं इंतज़ार करूँगा कि वह मुझे क्या संदेश देता है,देखूँगा कि जब वह मुझे सुधारेगा तो मैं क्या जवाब दूँगा।   फिर यहोवा ने मुझसे कहा, “जो बातें तू दर्शन में देखनेवाला है,उन्हें पटियाओं पर साफ-साफ लिख ले+ताकि पढ़कर सुनानेवाला इसे आसानी से पढ़ सके,+   क्योंकि यह दर्शन अपने तय वक्‍त पर पूरा होगा,वह समय बड़ी तेज़ी से पास आ रहा है,यह दर्शन झूठा साबित नहीं होगा। अगर ऐसा लगे भी कि इसमें देर हो रही है, तब भी इसका इंतज़ार करना!+ क्योंकि यह ज़रूर पूरा होगा, इसमें देर नहीं होगी!   उस आदमी को देखो जो घमंड से फूला हुआ है,वह मन से सीधा-सच्चा नहीं। लेकिन जो नेक है, वह अपने विश्‍वास से ज़िंदा रहेगा।+   सच, दाख-मदिरा धोखा देती है,तभी घमंडी इंसान अपना लक्ष्य नहीं पा सकेगा। वह अपनी भूख कब्र के समान बढ़ा लेता है,मौत की तरह उसका पेट कभी नहीं भरता,वह सब राष्ट्रों और देश-देश के लोगों को अपने लिए इकट्ठा करता है।+   वे सब उसके खिलाफ कहावतें कहेंगे,पहेलियों में बात करेंगे और व्यंग कसेंगे।+ वे कहेंगे, ‘वह कब तक दूसरों की चीज़ों से अपना खज़ाना भरता रहेगा? धिक्कार है उस पर! क्योंकि वह अपना कर्ज़ बढ़ा रहा है।   क्या तेरे देनदार तुझ पर अचानक नहीं टूट पड़ेंगे? वे उठेंगे और तुझे बुरी तरह झँझोड़ देंगे,वे तुझे लूट लेंगे।+   तूने बहुत-से राष्ट्रों को लूटा है,इसलिए उनके बचे हुए लोग तुझे लूटेंगे।+तूने कितनों का खून बहाया है,धरती और शहरों को तबाह किया है,वहाँ रहनेवालों को मार डाला है।+   धिक्कार है उस पर, जो बेईमानी की कमाई से अपना घर भरता है,मुसीबत की मार से बचने के लिए अपना घोंसला ऊँचाई पर बनाता है। 10  देश-देश के लोगों को मिटाकर तूने अपने ही खिलाफ पाप किया है, तेरी साज़िशों से तेरे ही घर की बदनामी हुई है।+ 11  तेरे खिलाफ दीवार का पत्थर चिल्लाएगाऔर छत की शहतीर भी बोलेगी। 12  धिक्कार है उस पर, जिसने खून-खराबे से शहर को खड़ा किया हैऔर दुष्ट कामों से नगर की नींव डाली है। 13  देखो! देश-देश के लोग जिसके लिए जतन करते हैं, वह आग की भेंट चढ़ जाता है,राष्ट्र जिसके लिए खुद को थका लेते हैं, वह बेकार साबित होता है।क्या यह सब सेनाओं के परमेश्‍वर यहोवा का काम नहीं?+ 14  पृथ्वी यहोवा की महिमा के ज्ञान से ऐसी भर जाएगी,जैसे समुंदर पानी से भरा रहता है।+ 15  धिक्कार है उस पर, जो अपने साथियों को जाम पिलाता है,उसमें गुस्सा और क्रोध मिलाकर उन्हें धुत्त कर देता हैताकि उनका नंगापन देखे। 16  तू आदर के बजाय अनादर से भर जाएगा। अब तू भी पीने के लिए और अपना खतनारहित हाल दिखाने* के लिए तैयार हो जा! यहोवा के दाएँ हाथ से प्याला पीने की तेरी बारी आ गयी है,+बदनामी तेरी शान को ढक लेगी। 17  लबानोन के साथ तूने जो ज़्यादती की है वह तुझे आ घेरेगीऔर तबाही लाकर तूने जानवरों में जो आतंक फैलाया, वही तबाही तुझ पर आ पड़ेगी।क्योंकि तूने कितनों का खून बहाया है,धरती और शहरों को तबाह किया है,वहाँ रहनेवालों को मार डाला है।+ 18  मूरत बनानेवाले को उस मूरत से क्या फायदा, जिसे उसने खुद बनाया है? वह बस एक ढली हुई मूरत है और झूठ सिखाती है,फिर भी उसका बनानेवाला उस पर भरोसा करता है,बेज़ुबान और निकम्मी मूरतें बनाता जाता है।+ 19  धिक्कार है उस पर जो लकड़ी के टुकड़े से कहता है, “जाग!” गूँगे पत्थरों से कहता है, “उठ और हमें सिखा!” देखो, वे सोने-चाँदी से मढ़ी तो हैं,+ पर उनमें साँस नहीं!+ 20  लेकिन यहोवा अपने पवित्र मंदिर में है।+ हे सारी पृथ्वी, उसके सामने चुप रह!’”+

कई फुटनोट

शा., “सुरक्षा की ढलान।”
या शायद, “और लड़खड़ाने।”

अध्ययन नोट

तसवीर और ऑडियो-वीडियो