होशे 11:1-12
11 “जब इसराएल एक छोटा लड़का था तो मैं उसे प्यार करता था,+मैंने अपने बेटे को मिस्र से बुलाया।+
2 वे* जितना ज़्यादा उन्हें पुकारते,उतना ज़्यादा वे उनसे दूर चले जाते।+
वे बाल की मूरतों के लिए बलिदान चढ़ाते रहे,+खुदी हुई मूरतों के लिए बलिदान अर्पित करते रहे।+
3 मगर मैंने ही एप्रैम को चलना सिखाया था,+ मैं उन्हें अपनी बाँहों में ले लेता था,+मगर उन्होंने यह नहीं माना कि मैंने उन्हें चंगा किया था।
4 इंसानों की डोरी* से और प्यार की डोरी से मैं उन्हें अपनी तरफ खींचता रहा।+मैं उनके लिए गरदन* से जुआ हटानेवाले जैसा थाऔर मैं हरेक को प्यार से खाना देता था।
5 वे मिस्र नहीं लौटेंगे, मगर अश्शूर उनका राजा होगा,+क्योंकि उन्होंने मेरे पास लौटने से इनकार कर दिया है।+
6 उसके शहरों पर तलवार चलेगी,+फाटक के बेड़े काट डालेगी और उन्हें खा जाएगी क्योंकि वे साज़िशें रचते हैं।+
7 मेरे लोगों ने मुझसे विश्वासघात करने की ठान ली है।+
वे उन्हें ऊपर* बुलाते थे, मगर उनमें से कोई नहीं उठता था।
8 हे एप्रैम, मैं कैसे तुझे दुश्मन के हवाले करूँ?+
हे इसराएल, मैं कैसे तुझे दुश्मन के हाथ सौंप दूँ?
मैंने अदमा के साथ जो किया था वह तेरे साथ कैसे करूँ?
मैं तेरा हाल सबोयीम की तरह कैसे कर दूँ?+
मैंने अपना मन बदला है,साथ ही मेरे दिल में करुणा जाग उठी है।+
9 मैं तुझ पर अपने क्रोध की आग नहीं बरसाऊँगा।
मैं एप्रैम को फिर नाश नहीं करूँगा,+क्योंकि मैं परमेश्वर हूँ इंसान नहीं,मैं तेरे बीच रहनेवाला पवित्र परमेश्वर हूँ,मैं क्रोध से भरकर तेरे पास नहीं आऊँगा।
10 वे यहोवा के पीछे-पीछे चलेंगे और वह शेर की तरह गरजेगा,+जब वह गरजेगा तो उसके बेटे थरथराते हुए पश्चिम से आएँगे।+
11 जब वे मिस्र से निकलकर आएँगे तो एक पक्षी की तरह थरथराएँगे,एक फाख्ते की तरह जो अश्शूर देश से आती है+और मैं उन्हें उनके घरों में बसाऊँगा।” यहोवा का यह ऐलान है।+
12 “एप्रैम मुझसे सिर्फ झूठ बोलता है,इसराएल का घराना छल करता है।+
मगर यहूदा अब भी परमेश्वर के साथ चलता है,वह परम-पवित्र परमेश्वर का विश्वासयोग्य बना हुआ है।”+
कई फुटनोट
^ यानी इसराएल को सिखाने के लिए भेजे गए भविष्यवक्ता और दूसरे लोग।
^ या “कृपा की डोरी।” यानी उस डोरी की तरह जो एक माँ या पिता इस्तेमाल करता है।
^ शा., “जबड़ों।”
^ यानी ऊँचे दर्जे की उपासना की तरफ।