होशे 2:1-23
2 “अपने भाइयों से कहो, ‘तुम मेरे लोग हो!’*+
अपनी बहनों से कहो, ‘तुम औरतों पर परमेश्वर ने दया की है!’*+
2 अपनी माँ को दोषी ठहराओ, हाँ, उसे दोषी ठहराओ,क्योंकि वह मेरी पत्नी नहीं है+ और मैं उसका पति नहीं हूँ।
वह अब और वेश्या के काम न करे,व्यभिचार करना बंद कर दे,
3 वरना मैं उसके कपड़े उतारकर उसे जन्म के दिन के समान नंगी कर दूँगा,उसे वीराने जैसा बना दूँगा,सूखे देश जैसा बदहाल कर दूँगाताकि वह प्यासी मर जाए।
4 मैं उसके बेटों पर दया नहीं करूँगा,क्योंकि वे बदचलनी से पैदा हुए थे।
5 उनकी माँ ने वेश्या के काम किए।+
जिसकी कोख में वे थे, उसने शर्मनाक काम किए,+उसने कहा, ‘मैं अपने यारों के पास जाऊँगी जो मुझ पर मरते हैं,+जो मुझे रोटी और पानी देते हैं,ऊन और मलमल के कपड़े, तेल और दाख-मदिरा देते हैं।’
6 इसलिए मैं काँटों का बाड़ा बाँधकर उसका रास्ता रोक दूँगा,पत्थर की दीवार खड़ी कर दूँगाताकि वह अपना रास्ता न ढूँढ़ सके।
7 वह अपने यारों के पीछे भागेगी जो उस पर मरते थे, मगर उन तक पहुँच नहीं पाएगी,+वह उन्हें बहुत ढूँढ़ेगी, मगर वे उसे नहीं मिलेंगे।
तब वह कहेगी, ‘मैं अपने पहले पति के पास लौट जाऊँगी,+क्योंकि उसके साथ रहते वक्त मेरी हालत कहीं ज़्यादा अच्छी थी।’+
8 उसने यह नहीं माना कि उसे अनाज, नयी दाख-मदिरा और तेल देनेवाला मैं था,+मैंने ही उसे भरपूर चाँदी और सोना दिया था,जिन्हें लोगों ने बाल के लिए इस्तेमाल किया।+
9 ‘इसलिए मैं वापस आऊँगा और कटाई के समय उससे अनाज छीन लूँगा,अंगूर बटोरने के समय नयी दाख-मदिरा ले लूँगा,+ऊन और मलमल का कपड़ा छीन लूँगा जिससे वह अपना तन ढकती है।
10 मैं उसके यारों के सामने उसके नंगेपन का परदाफाश कर दूँगा,कोई भी आदमी उसे मेरे हाथ से नहीं छुड़ाएगा।+
11 मैं उसकी सारी खुशियों का अंत कर दूँगा,उसके त्योहारों,+ नए चाँद के मौकों, सब्त के मौकों और जश्नों का अंत कर दूँगा।
12 मैं उसकी अंगूर की बेलों और अंजीर के पेड़ों को नष्ट कर दूँगा,जिनके बारे में वह कहती है, “यह सब मेरी कमाई है जो मेरे यारों ने मुझे दी है,”
मैं उन्हें जंगल बना दूँगाऔर मैदान के जंगली जानवर उन्हें खा जाएँगे।
13 मैं उससे उन सारे दिनों का हिसाब माँगूँगा जब वह बाल की मूरतों के आगे बलिदान चढ़ाती थी,+कान की बालियों और गहनों से खुद को सँवारती थी और अपने यारों के पीछे भागती थीऔर मुझे वह बिलकुल भूल गयी थी।’+ यहोवा का यह ऐलान है।
14 ‘इसलिए मैं उसे कायल करूँगा,उसे वीराने में ले जाऊँगा,उसका दिल जीतने के लिए उससे बात करूँगा।
15 तब मैं उसके अंगूरों के बाग उसे लौटा दूँगा,+आकोर घाटी+ को आशा का द्वार बना दूँगा,वहाँ वह मुझे जवाब देगी जैसे जवानी में दिया करती थी,उस दिन की तरह जब वह मिस्र देश से बाहर आयी थी।’+
16 यहोवा ऐलान करता है, ‘उस दिन तू मुझे अपना पति कहेगीऔर फिर कभी अपना मालिक* नहीं कहेगी।’
17 ‘मैं उसकी ज़बान से बाल की मूरतों का नाम मिटा दूँगा,+उन्हें फिर कभी उनके नाम से याद नहीं किया जाएगा।+
18 उस दिन मैं अपने लोगों की खातिर मैदान के जंगली जानवरों,आकाश के पक्षियों और ज़मीन पर रेंगनेवाले जीव-जंतुओं से एक करार करूँगा,+मैं देश से तीर-कमान, तलवार और युद्ध मिटा दूँगा,+मैं उन्हें महफूज़ बसे रहने दूँगा।*+
19 मैं तेरे साथ हमेशा के बंधन में बँध जाऊँगा,नेकी और न्याय,अटल प्यार और दया के मुताबिक तेरे साथ बंधन में बँध जाऊँगा।+
20 मैं सच्चाई से तेरे साथ बंधन में बँध जाऊँगाऔर तू ज़रूर मुझ यहोवा को जान जाएगी।’+
21 यहोवा ऐलान करता है, ‘उस दिन मैं सुनूँगा,मैं आसमान की सुनूँगा,आसमान धरती की सुनेगा,+
22 धरती अनाज, नयी दाख-मदिरा और तेल की सुनेगीऔर वे यिजरेल* की सुनेंगे।+
23 मैं उसे बीज की तरह अपने लिए धरती पर बोऊँगा,+मैं उस पर दया करूँगा जिस पर दया नहीं की गयी थी*और जो मेरे लोग नहीं थे* उनसे मैं कहूँगा, “तुम मेरे लोग हो”+और वे कहेंगे, “तू हमारा परमेश्वर है।”’”+