होशे 4:1-19
4 इसराएल के लोगो, यहोवा का संदेश सुनो,इस देश के लोगों पर यहोवा ने मुकदमा किया है,+क्योंकि इस देश में न सच्चाई है, न अटल प्यार और न ही परमेश्वर के बारे में ज्ञान।+
2 यहाँ झूठी शपथ खाना, झूठ बोलना,+ कत्ल,+चोरी और व्यभिचार+ आम हो गया है,जगह-जगह कत्लेआम हो रहा है।+
3 इसलिए देश मातम मनाएगा,+इसका हर निवासी घुल-घुलकर मर जाएगा,मैदान के जंगली जानवर और आकाश के पक्षी,यहाँ तक कि समुंदर की मछलियाँ, सब नाश हो जाएँगे।
4 “कोई आदमी किसी का विरोध न करे, न ही उसे फटकारे,+क्योंकि तुम्हारे लोग याजक का विरोध करनेवालों की तरह हैं।+
5 इसलिए तुम लोग भरी दोपहरी में लड़खड़ाकर गिर जाओगेऔर तुम्हारे साथ भविष्यवक्ता भी लड़खड़ाकर गिर जाएँगे, मानो रात हो।
मैं तुम्हारी माँ को खामोश* कर दूँगा।
6 मेरे लोग खामोश* कर दिए जाएँगे, क्योंकि उनके पास ज्ञान नहीं है।
तुम लोगों ने ज्ञान को ठुकरा दिया है,+इसलिए मैं भी तुम्हें ठुकरा दूँगा और तुम याजकों के नाते मेरी सेवा न कर सकोगे।
तुम अपने परमेश्वर का कानून* भूल गए हो,+इसलिए मैं भी तुम्हारे बेटों को भूल जाऊँगा।
7 उनकी गिनती जितनी बढ़ती गयी, वे मेरे खिलाफ उतने ही ज़्यादा पाप करते गए।+
मैं उनका सम्मान अपमान में बदल दूँगा।*
8 वे मेरे लोगों के पापों पर पलते हैं,उनके गुनाहों के लालची हैं।
9 लोगों और याजकों का एक ही अंजाम होगा,मैं उनसे उनके कामों का हिसाब लूँगाऔर उन्हें उनके किए की सज़ा दूँगा।+
10 वे खाएँगे मगर उनका जी नहीं भरेगा।+
वे बदचलनी में हद कर जाएँगे, मगर उनकी गिनती नहीं बढ़ेगी,+क्योंकि उन्होंने यहोवा का बिलकुल आदर नहीं किया।
11 बदचलनी और पुरानी और नयी दाख-मदिरा,सही काम करने का इरादा कमज़ोर कर देती हैं।+
12 मेरे लोग अपने लकड़ी के देवताओं से सलाह करते हैं,वही करते हैं जो उनका डंडा* उनसे कहता है,क्योंकि वेश्या के काम करने की फितरत उन्हें बहका देती है,वे वेश्या के काम करके अपने परमेश्वर के अधीन होने से इनकार कर देते हैं।
13 वे पहाड़ों की चोटियों पर बलिदान चढ़ाते हैं,+पहाड़ियों पर बलिदान चढ़ाते हैं ताकि उसका धुआँ उठे,बाँज और सिलाजीत पेड़ और हर बड़े पेड़ के नीचे ऐसा करते हैं,+क्योंकि इन पेड़ों के नीचे अच्छी छाया होती है।
इसीलिए तुम्हारी बेटियाँ वेश्या के काम करती हैंऔर तुम्हारी बहुएँ व्यभिचार करती हैं।
14 मैं तुम्हारी बेटियों से उनके वेश्या के कामों का हिसाब नहीं माँगूँगा,न ही तुम्हारी बहुओं से उनके व्यभिचार का हिसाब माँगूँगा।
क्योंकि आदमी वेश्याओं के साथ निकल पड़ते हैंऔर मंदिर की वेश्याओं के साथ बलिदान चढ़ाते हैं,ये लोग जो समझ नहीं रखते,+ नाश किए जाएँगे।
15 हे इसराएल, तू वेश्या के काम करती है,+मगर हे यहूदा, तू उसके जैसा पाप मत करना।+
तू न गिलगाल जाना+ न ही बेत-आवेन जाना+और यह कहकर शपथ न खाना, ‘यहोवा के जीवन की शपथ!’+
16 इसराएल ने एक ज़िद्दी गाय की तरह ज़िद की है।+
क्या यहोवा अब उनकी चरवाही करेगा जैसे कोई खुले चरागाह* में मेढ़े को चराता है?
17 एप्रैम मूर्तियों से जुड़ गया है।+
उसे वैसे ही रहने दो!
18 जब उनकी शराब* खत्म हो जाती है,तो वे बदचलनी में हद कर जाते हैं।
उसके शासकों को बेइज़्ज़ती बहुत प्यारी है।+
19 आँधी उसे अपने पंखों में लपेटकर उड़ा ले जाएगीऔर वे अपने बलिदानों की वजह से शर्मिंदा होंगे।”
कई फुटनोट
^ या “नाश।”
^ या “नाश।”
^ या “की हिदायत।”
^ या शायद, “उन्होंने मेरी महिमा करने के बजाय मेरा अपमान किया।”
^ या “ज्योतिषी की छड़ी।”
^ शा., “एक खुली जगह।”
^ या “गेहूँ से बनी शराब।”