पहला इतिहास 21:1-30

21  फिर शैतान* इसराएल के खिलाफ उठा और उसने दाविद को इसराएलियों की गिनती लेने के लिए उकसाया।+  इसलिए दाविद ने योआब+ और सेनापतियों से कहा, “जाओ और बेरशेबा से दान+ तक इसराएलियों की गिनती लो। फिर आकर मुझे बताओ ताकि मैं उनकी गिनती जान सकूँ।”  मगर योआब ने कहा, “यहोवा अपने लोगों की गिनती 100 गुना बढ़ाए! मेरे मालिक राजा, क्या वे सभी पहले से ही तेरे सेवक नहीं हैं? फिर तू क्यों यह काम करना चाहता है? तू क्यों इसराएल पर दोष लगने का कारण बनना चाहता है?”  लेकिन राजा नहीं माना और योआब को उसकी बात के आगे झुकना पड़ा। इसलिए योआब ने पूरे इसराएल का दौरा किया, उसके बाद यरूशलेम लौट आया।+  योआब ने दाविद को उन लोगों की गिनती बतायी जिनका नाम लिखा गया था। पूरे इसराएल में तलवारों से लैस सैनिक 11,00,000 थे और यहूदा के सैनिक 4,70,000.+  मगर लेवी और बिन्यामीन गोत्र के आदमियों की नाम-लिखाई नहीं की गयी+ क्योंकि योआब को राजा की बात बिलकुल घिनौनी लगी।+  दाविद के इस काम पर सच्चे परमेश्‍वर को बहुत क्रोध आया इसलिए उसने इसराएल को सज़ा दी।  तब दाविद ने सच्चे परमेश्‍वर से कहा, “मैंने लोगों की गिनती लेकर बहुत बड़ा पाप किया है।+ दया करके अपने सेवक को माफ कर दे।+ मैंने बड़ी मूर्खता का काम किया है।”+  तब यहोवा ने दाविद के दर्शी गाद+ से कहा, 10  “दाविद के पास जा और उससे कह, ‘यहोवा तुझसे कहता है, “मैं तुझे तीन तरह के कहर बताता हूँ। तू चुन ले कि मैं तुझ पर कौन-सा कहर ढाऊँ।”’” 11  तब गाद ने दाविद के पास जाकर कहा, “यहोवा ने कहा है, ‘तू चुन ले कि तुझ पर कौन-सा कहर ढाया जाए। 12  तेरे देश पर तीन साल तक अकाल पड़े+ या तीन महीने तक तेरे दुश्‍मनों की तलवार तुझ पर चलती रहे और तुझे नाश करती रहे+ या तीन दिन तक तेरे देश पर यहोवा की तलवार चले यानी महामारी फैले+ और यहोवा का स्वर्गदूत इसराएल के पूरे इलाके को उजाड़ दे?’+ सोचकर बता कि मैं अपने भेजनेवाले को क्या जवाब दूँ।” 13  दाविद ने गाद से कहा, “मैं बड़े संकट में हूँ। अच्छा है कि मैं यहोवा ही के हाथ पड़ जाऊँ क्योंकि वह बड़ा दयालु है।+ मगर मुझे इंसान के हाथ न पड़ने दे।”+ 14  फिर यहोवा ने इसराएल पर महामारी का कहर ढाया+ जिससे 70,000 लोग मारे गए।+ 15  इतना ही नहीं, सच्चे परमेश्‍वर ने एक स्वर्गदूत को यरूशलेम का नाश करने के लिए भेजा। मगर जैसे ही यहोवा ने उसे तबाह करते देखा, उसे बड़ा दुख हुआ*+ और उसने नाश करनेवाले स्वर्गदूत से कहा, “बस, अब रुक जा!+ अपना हाथ रोक ले।” उस वक्‍त यहोवा का स्वर्गदूत यबूसी+ ओरनान के खलिहान+ के बिलकुल पास खड़ा था। 16  जब दाविद ने अपनी आँखें उठायीं तो देखा कि यहोवा का स्वर्गदूत धरती और स्वर्ग के बीच खड़ा है और उसके हाथ में एक तलवार है जिसे वह खींचकर यरूशलेम की तरफ बढ़ाए हुए है।+ दाविद और प्रधान टाट ओढ़े हुए+ फौरन मुँह के बल ज़मीन पर गिर गए।+ 17  दाविद ने सच्चे परमेश्‍वर से कहा, “लोगों की गिनती लेने के लिए मैंने ही कहा था। पाप तो मैंने किया है, गलती मेरी है।+ फिर तू इन लोगों को क्यों मार रहा है? इन भेड़ों का क्या कसूर है? हे यहोवा, मेरे परमेश्‍वर, दया करके इन्हें छोड़ दे और मुझे और मेरे पिता के घराने को सज़ा दे। यह कहर अपने लोगों पर मत ला।”+ 18  तब यहोवा के स्वर्गदूत ने गाद+ से कहा कि वह दाविद से कहे कि वह ऊपर जाए और यबूसी ओरनान के खलिहान में यहोवा के लिए एक वेदी खड़ी करे।+ 19  तब दाविद ऊपर गया, ठीक जैसे गाद ने यहोवा के नाम से उसे बताया था। 20  इस बीच जब ओरनान पीछे मुड़ा तो उसने स्वर्गदूत को देखा। उसके साथ उसके जो चार बेटे थे वे जाकर छिप गए। उस समय ओरनान गेहूँ दाँव रहा था। 21  जब दाविद ओरनान के यहाँ गया तो दाविद को देखते ही वह खलिहान से बाहर आया और उसके पास गया। उसने दाविद के सामने मुँह के बल ज़मीन पर गिरकर उसे प्रणाम किया। 22  दाविद ने ओरनान से कहा, “मुझे इस खलिहान की ज़मीन बेच दे* ताकि मैं यहाँ यहोवा के लिए एक वेदी बनाऊँ। तू मुझसे इसकी पूरी कीमत ले ताकि लोगों पर जो कहर आ पड़ा है वह बंद हो जाए।”+ 23  मगर ओरनान ने दाविद से कहा, “मेरे मालिक राजा, इसे अपनी ज़मीन समझ ले। तू इसे ले ले और तुझे जो अच्छा लगे वह कर। मैं तुझे होम-बलियों के लिए बैल, जलाने की लकड़ी के लिए दाँवने की पटिया+ और अनाज के चढ़ावे के लिए गेहूँ देता हूँ। यह सब मैं तुझे देता हूँ।” 24  मगर राजा दाविद ने ओरनान से कहा, “नहीं, मैं ऐसे नहीं लूँगा। मैं पूरा दाम देकर तुझसे यह खरीदूँगा क्योंकि जो तेरा है वह मैं यूँ ही लेकर यहोवा को नहीं दूँगा, न ही ऐसी होम-बलियाँ चढ़ाऊँगा जिनकी मैंने कोई कीमत न चुकायी हो।”+ 25  इसलिए दाविद ने उस ज़मीन के लिए ओरनान को 600 शेकेल* सोना तौलकर दिया। 26  दाविद ने उस जगह यहोवा के लिए एक वेदी खड़ी की+ और उस पर होम-बलियाँ और शांति-बलियाँ चढ़ायीं। उसने यहोवा को पुकारा और परमेश्‍वर ने स्वर्ग से होम-बलि की वेदी पर आग भेजकर दाविद को जवाब दिया।+ 27  फिर यहोवा ने स्वर्गदूत को हुक्म दिया+ कि वह अपनी तलवार वापस म्यान में रख ले। 28  उस वक्‍त जब दाविद ने देखा कि यहोवा ने यबूसी ओरनान के खलिहान में उसे जवाब दिया है तो वह तब से उसी जगह पर बलिदान चढ़ाने लगा। 29  मगर उस समय यहोवा का पवित्र डेरा, जो मूसा ने वीराने में बनाया था और होम-बलि की वेदी गिबोन में ऊँची जगह पर थी।+ 30  दाविद परमेश्‍वर से सलाह करने के लिए वहाँ नहीं जा पाया क्योंकि वह यहोवा के स्वर्गदूत की तलवार से बहुत डर गया था।

कई फुटनोट

या शायद, “एक विरोधी।”
या “इसराएल में हुई तबाही पर पछतावा महसूस हुआ।”
शा., “दे दे।”
एक शेकेल का वज़न 11.4 ग्रा. था। अति. ख14 देखें।

अध्ययन नोट

तसवीर और ऑडियो-वीडियो