दूसरा इतिहास 27:1-9

27  योताम+ जब राजा बना तब वह 25 साल का था और उसने यरूशलेम में रहकर 16 साल राज किया। उसकी माँ का नाम यरूशा था जो सादोक की बेटी थी।+  योताम अपने पिता उज्जियाह की तरह यहोवा की नज़र में सही काम करता रहा।+ उसके पिता और उसमें यही फर्क था कि वह अपने पिता की तरह ज़बरदस्ती यहोवा के मंदिर में नहीं घुसा।+ मगर लोग अब भी बुरे काम करते थे।  उसने यहोवा के भवन का ऊपरी फाटक बनवाया+ और ओपेल की शहरपनाह पर काफी काम करवाया।+  उसने यहूदा के पहाड़ी प्रदेश+ में भी शहर बनवाए+ और जंगलों में किले+ और मीनारें बनवायीं।+  उसने अम्मोनियों के राजा से युद्ध किया+ और आखिरकार उन्हें हरा दिया, इसलिए अम्मोनियों ने उस साल उसे 100 तोड़े* चाँदी और दस-दस हज़ार कोर* गेहूँ और जौ दिए। अम्मोनियों ने दूसरे और तीसरे साल भी उसे यह सब दिया।+  इस तरह योताम दिनों-दिन ताकतवर होता गया, क्योंकि उसने अपने परमेश्‍वर यहोवा की राहों पर चलने की ठान ली थी।  योताम की ज़िंदगी की बाकी कहानी, उसने जो-जो युद्ध किए, उनके बारे में और उसके चालचलन के बारे में इसराएल और यहूदा के राजाओं की किताब में लिखा है।+  जब वह राजा बना तब वह 25 साल का था और उसने यरूशलेम में रहकर 16 साल राज किया।+  फिर योताम की मौत हो गयी* और उसे दाविदपुर+ में दफनाया गया। उसकी जगह उसका बेटा आहाज राजा बना।+

कई फुटनोट

एक तोड़ा 34.2 किलो के बराबर था। अति. ख14 देखें।
एक कोर 220 ली. के बराबर था। अति. ख14 देखें।
शा., “अपने पुरखों के साथ सो गया।”

अध्ययन नोट

तसवीर और ऑडियो-वीडियो