दूसरा इतिहास 35:1-27

35  योशियाह ने यरूशलेम में यहोवा के लिए फसह मनाने+ का इंतज़ाम किया और उन्होंने पहले महीने के 14वें दिन+ फसह का बलि-पशु हलाल किया।+  उसने याजकों को उनके काम पर ठहराया और उन्हें बढ़ावा दिया कि वे यहोवा के भवन में अपनी सेवा में लगे रहें।+  फिर उसने लेवियों से, जो पूरे इसराएल में सिखाने का काम करते थे+ और यहोवा के लिए पवित्र थे, कहा, “पवित्र संदूक को उस भवन में रखो जिसे इसराएल के राजा दाविद के बेटे सुलैमान ने बनाया था।+ अब से तुम्हें संदूक को कंधों पर ढोकर ले जाने की ज़रूरत नहीं होगी।+ अब तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा और उसकी प्रजा इसराएल की सेवा करो।  तुम अपने-अपने पिता के घराने और अपने दल के मुताबिक सेवा के लिए खुद को तैयार करो, ठीक जैसे इसराएल के राजा दाविद और उसके बेटे सुलैमान ने लिखा था।+  तुम सब पवित्र जगह में अपने-अपने दल के मुताबिक इस तरह खड़े रहो कि हर परिवार की सेवा के लिए उसके साथ एक लेवी परिवार का एक दल रहे।  फसह का बलि-पशु हलाल करो,+ खुद को पवित्र करो और अपने भाइयों के लिए तैयारी करो ताकि यहोवा ने मूसा के ज़रिए जो आज्ञा दी है उसका तुम पालन कर सको।”  योशियाह ने वहाँ हाज़िर सब लोगों को नर मेम्ने और बकरी के नर बच्चे दान में दिए ताकि वे फसह के लिए उनका बलिदान करें। उसने कुल मिलाकर 30,000 भेड़-बकरियाँ और 3,000 बैल दिए। राजा ने ये सारे जानवर अपने झुंड में से दिए।+  उसके हाकिमों ने भी लोगों, याजकों और लेवियों के लिए जानवर दान किए ताकि वे इनकी स्वेच्छा-बलि दे सकें। सच्चे परमेश्‍वर के भवन के अगुवे हिलकियाह,+ जकरयाह और यहीएल ने याजकों को फसह के बलिदान के लिए 2,600 जानवर दिए, साथ ही 300 बैल भी दिए।  कोनन्याह और उसके भाई शमायाह और नतनेल ने और लेवियों के प्रधान हशब्याह, यीएल और योजाबाद ने फसह के बलिदान के लिए लेवियों को 5,000 जानवर दिए, साथ ही 500 बैल भी दिए। 10  त्योहार के लिए तैयारियाँ पूरी हो गयीं और जैसे राजा ने आज्ञा दी थी, याजक अपनी-अपनी जगह खड़े हो गए और लेवी अपने-अपने दल के मुताबिक खड़े हो गए।+ 11  लेवियों ने फसह के बलि-पशु हलाल किए+ और याजकों ने उनके हाथ से खून लेकर वेदी पर छिड़का।+ और लेवी जानवरों की खाल उतारते रहे।+ 12  इसके बाद उन्होंने उन बाकी लोगों को देने के लिए होम-बलियाँ तैयार कीं, जिन्हें अपने पिताओं के कुलों के मुताबिक समूहों में बाँटा गया था ताकि मूसा की किताब में दी हिदायतों के मुताबिक ये बलिदान यहोवा को अर्पित किए जा सकें। उन्होंने बैलों के साथ भी ऐसा ही किया। 13  उन्होंने दस्तूर के मुताबिक फसह के बलि-पशु को आग में पकाया।*+ पवित्र चढ़ावे को उन्होंने हंडों, गोल पेंदे की हंडियों और डोंगों में पकाया और उसे जल्दी से बाकी सभी लोगों के पास ले आए। 14  फिर उन्होंने अपने लिए और याजकों के लिए तैयारियाँ कीं क्योंकि हारूनवंशी याजक अँधेरा होने तक होम-बलियाँ और चरबीवाले हिस्से चढ़ाते रहे। लेवियों ने अपने लिए और हारूनवंशी याजकों के लिए तैयारियाँ कीं। 15  और आसाप के वंश के गायक+ दाविद, आसाप, हेमान और राजा के दर्शी यदूतून की आज्ञा के मुताबिक+ अपनी-अपनी जगह खड़े हुए और पहरेदार अलग-अलग फाटकों पर तैनात हुए।+ उन्हें अपनी सेवा का काम नहीं छोड़ना पड़ा क्योंकि उनके लेवी भाइयों ने उनके लिए तैयारियाँ की थीं। 16  इस तरह उस दिन यहोवा के लिए सारी सेवाओं की तैयारियाँ की गयीं ताकि फसह मनाया जा सके+ और यहोवा की वेदी पर होम-बलियाँ चढ़ायी जा सकें, ठीक जैसे राजा योशियाह ने आदेश दिया था।+ 17  वहाँ हाज़िर इसराएलियों ने उस समय फसह मनाया और फिर सात दिन तक बिन-खमीर की रोटी का त्योहार मनाया।+ 18  इसराएल में जैसा फसह मनाया गया, वैसा भविष्यवक्‍ता शमूएल के ज़माने से लेकर अब तक नहीं मनाया गया था। योशियाह, याजकों, लेवियों, वहाँ मौजूद पूरे यहूदा और इसराएल के सभी लोगों ने और यरूशलेम के निवासियों ने जैसा फसह मनाया वैसा इसराएल के किसी और राजा ने नहीं मनाया था।+ 19  यह फसह योशियाह के राज के 18वें साल में मनाया गया। 20  जब यह सब पूरा हो गया और योशियाह मंदिर* को तैयार कर चुका, तो उसके बाद मिस्र का राजा निको+ युद्ध करने फरात के पास कर्कमीश गया। और योशियाह उसका सामना करने निकला।+ 21  तब निको ने अपने दूतों के हाथ योशियाह को यह संदेश भेजा: “हे यहूदा के राजा, तू क्यों मुझसे लड़ने आ रहा है? मैं तुझसे नहीं किसी और राष्ट्र से लड़ने जा रहा हूँ। परमेश्‍वर ने मुझे जल्दी जाने के लिए कहा है। तेरी भलाई इसी में है कि तू मुझसे मत लड़ क्योंकि परमेश्‍वर मेरे साथ है। उसका विरोध मत कर वरना वह तुझे बरबाद कर देगा।” 22  मगर योशियाह उसके रास्ते से नहीं हटा। उसने निको की बात नहीं मानी जो परमेश्‍वर की तरफ से थी। इसके बजाय वह भेस बदलकर+ निको से लड़ने मगिद्दो के मैदान में गया।+ 23  फिर तीरंदाज़ों ने तीरों से राजा योशियाह पर वार किया और राजा ने अपने सेवकों से कहा, “मुझे यहाँ से ले चलो, मैं बुरी तरह घायल हो गया हूँ।” 24  उसके सेवकों ने उसे रथ से उठाया और उसके दूसरे रथ पर बिठाकर यरूशलेम ले आए। इस तरह योशियाह की मौत हो गयी और उसे उसके पुरखों की कब्र में दफनाया गया।+ पूरे यहूदा और यरूशलेम ने उसके लिए मातम मनाया। 25  यिर्मयाह+ ने योशियाह के लिए राग अलापा और सभी गायक-गायिकाएँ+ आज भी अपने शोकगीतों में योशियाह का ज़िक्र करते हैं। फिर यह फैसला किया गया कि ये शोकगीत इसराएल में गाए जाएँ। इन गीतों को शोकगीतों में शामिल किया गया है। 26  योशियाह की ज़िंदगी की बाकी कहानी और उसने यहोवा के कानून के मुताबिक अपने अटल प्यार का सबूत देते हुए जो काम किए उनका ब्यौरा 27  और शुरू से लेकर आखिर तक उसने जो-जो काम किए उनका ब्यौरा इसराएल और यहूदा के राजाओं की किताब में लिखा है।+

कई फुटनोट

या शायद, “भूना।”
शा., “भवन।”

अध्ययन नोट

तसवीर और ऑडियो-वीडियो