दूसरा इतिहास 8:1-18

8  सुलैमान को यहोवा का भवन और अपना राजमहल बनाने में पूरे 20 साल लगे।+ इसके बाद  उसने वे शहर दोबारा बनाए जो हीराम+ ने उसे दिए थे और वहाँ इसराएलियों* को बसाया।  इसके अलावा, सुलैमान ने हमात-सोबा जाकर उस पर कब्ज़ा कर लिया।  फिर उसने वीराने में तदमोर और उन सभी गोदामवाले शहरों को मज़बूत किया*+ जो उसने हमात में बनाए थे।+  उसने ऊपरी बेत-होरोन+ और निचली बेत-होरोन+ की दीवारें, फाटक और बेड़े बनाकर उन शहरों को भी मज़बूत किया।  सुलैमान ने बालात+ और अपने सभी गोदामवाले शहर, रथों के शहर+ और घुड़सवारों के लिए शहर भी बनाए और यरूशलेम और लबानोन में और अपने राज्य के पूरे इलाके में वह जो-जो बनाना चाहता था वह सब उसने बनाया।  हित्तियों, एमोरियों, परिज्जियों, हिव्वियों और यबूसियों+ में से बचे हुए लोग, जो इसराएल की प्रजा नहीं थे+  और जिन्हें इसराएलियों ने नहीं मिटाया था, उनके वंशज इसराएल देश में रहते थे।+ सुलैमान ने इन लोगों को जबरन मज़दूरी में लगा दिया और आज तक वे यही काम करते हैं।+  मगर सुलैमान ने किसी भी इसराएली को गुलाम बनाकर उससे मज़दूरी नहीं करवायी।+ वे तो उसके योद्धा, सहायक सेना-अधिकारियों के मुखिया और सारथियों और घुड़सवारों के प्रधान थे।+ 10  राजा सुलैमान के काम की निगरानी करनेवाले अधिकारियों की गिनती 250 थी। उन्हें कर्मचारियों पर अधिकार दिया गया था।+ 11  सुलैमान फिरौन की बेटी+ को दाविदपुर से उस महल में ले आया जो उसने उसके लिए बनवाया था+ क्योंकि उसने कहा, “भले ही वह मेरी पत्नी है, मगर वह इसराएल के राजा दाविद के महल में नहीं रह सकती क्योंकि जिन जगहों पर यहोवा का संदूक आया है वे पवित्र हैं।”+ 12  फिर सुलैमान ने यहोवा की उस वेदी+ पर यहोवा के लिए होम-बलियाँ चढ़ायीं+ जो उसने बरामदे के सामने बनायी थी।+ 13  वह मूसा की आज्ञा के मुताबिक हर दिन, सब्त के दिन,+ नए चाँद के मौकों पर+ और साल के इन तीन त्योहारों पर बलिदान चढ़ाता था:+ बिन-खमीर की रोटी का त्योहार,+ कटाई का त्योहार+ और छप्परों का त्योहार।+ 14  साथ ही, उसने अपने पिता दाविद के कायदे के मुताबिक याजकों को सेवा के लिए अलग-अलग दलों में ठहराया+ और लेवियों को उनकी ज़िम्मेदारियाँ सौंपीं ताकि वे रोज़ के नियम के मुताबिक परमेश्‍वर की तारीफ करें+ और याजकों के सामने सेवा करें। उसने पहरेदारों के दलों को अलग-अलग फाटकों पर ठहराया+ क्योंकि सच्चे परमेश्‍वर के सेवक दाविद ने ऐसा करने की आज्ञा दी थी। 15  राजा ने याजकों और लेवियों को भंडार-घरों के मामले में या किसी और मामले में जो भी आज्ञा दी थी उसे मानने से वे नहीं चूके। 16  जिस दिन यहोवा के भवन की बुनियाद डाली गयी+ तब से लेकर उसे बनाने का काम पूरा करने तक सुलैमान ने हर काम की अच्छी व्यवस्था की।* इस तरह यहोवा के भवन का काम पूरा हुआ।+ 17  इसके बाद सुलैमान एस्योन-गेबेर+ और एलोत+ गया जो एदोम देश के तट पर हैं।+ 18  हीराम+ ने अपने सेवकों के ज़रिए अपने जहाज़ और तजुरबेकार नाविक सुलैमान के पास भेजे। वे सुलैमान के सेवकों के साथ मिलकर ओपीर+ गए और वहाँ से 450 तोड़े* सोना+ राजा सुलैमान के पास ले आए।+

कई फुटनोट

शा., “इसराएल के बेटों।”
या “दोबारा बनाया।”
या “का अच्छा इंतज़ाम किया; पूरा किया।”
एक तोड़ा 34.2 किलो के बराबर था। अति. ख14 देखें।

अध्ययन नोट

तसवीर और ऑडियो-वीडियो