पतरस की दूसरी चिट्ठी 2:1-22
2 लेकिन जैसे इसराएल के लोगों के बीच झूठे भविष्यवक्ता उठ खड़े हुए थे, वैसे ही तुम्हारे बीच भी झूठे शिक्षक आएँगे।+ वे तुम्हारे बीच चोरी-छिपे ऐसे गुट शुरू करेंगे जो विनाश की तरफ ले जाते हैं और उस मालिक को भी जानने से इनकार करेंगे जिसने उन्हें खरीदा था।+ ऐसा करके वे खुद तेज़ी से अपने ऊपर विनाश ले आएँगे।
2 यही नहीं, बहुत-से लोग उनकी देखा-देखी निर्लज्ज काम* करेंगे+ और उनकी वजह से सच्चाई की राह की बदनामी होगी।+
3 और वे लालच की वजह से छल की बातें कहकर तुम्हें लूटेंगे। मगर उनके लिए बहुत पहले ही सज़ा तय कर दी गयी थी+ और उन्हें सज़ा देने का वक्त धीरे-धीरे नहीं आ रहा, न ही वह थम गया है।+
4 वाकई, परमेश्वर उन स्वर्गदूतों को भी सज़ा देने से पीछे नहीं हटा जिन्होंने पाप किया था।+ मगर उन्हें तारतरस* में फेंक दिया+ और ज़ंजीरों से बाँधकर वहाँ घोर अंधकार* में डाल दिया ताकि सज़ा पाने के समय तक वे वहीं रहें।+
5 वह नूह के ज़माने की दुनिया को भी सज़ा देने से पीछे नहीं हटा,+ मगर जब वह भक्तिहीन लोगों की उस पुरानी दुनिया पर जलप्रलय ले आया,+ तो उसने नेकी के प्रचारक नूह को+ सात और लोगों के साथ बचा लिया।+
6 साथ ही, उसने सदोम और अमोरा नाम के शहरों को खाक में मिलाकर सज़ा दी+ और इस तरह आनेवाले वक्त के भक्तिहीन लोगों के लिए एक नमूना ठहराया।+
7 मगर उसने नेक इंसान लूत को बचाया,+ जो दुष्टों के निर्लज्ज कामों* को देखकर आहें भरता था।
8 हाँ, जब वह नेक इंसान उनके बीच रहता था तो हर दिन उनके दुष्ट काम देखकर और उनकी बातें सुनकर उसका जी तड़प उठता था।
9 इस तरह यहोवा* जानता है कि जो उसकी भक्ति करते हैं उन्हें परीक्षा से कैसे निकाले+ और दुष्टों को न्याय के दिन तक कैसे रख छोड़े ताकि उस दिन उनका नाश कर दे,*+
10 खासकर उन्हें जो दूसरों के शरीर को भ्रष्ट करने की कोशिश करते हैं+ और अधिकार रखनेवालों को तुच्छ समझते हैं।+
वे गुस्ताख हैं और मनमानी करते हैं और उन लोगों के बारे में बुरी बातें बोलने से नहीं डरते जिन्हें परमेश्वर ने महिमा दी है
11 जबकि स्वर्गदूत, इन झूठे शिक्षकों से कहीं ज़्यादा बलवान और शक्तिशाली हैं, फिर भी वे यहोवा* का आदर करने की वजह से* उन पर दोष लगाने के लिए उन्हें बुरा-भला नहीं कहते।+
12 मगर ये लोग निर्बुद्धि जानवरों जैसे हैं जो अपने स्वभाव के मुताबिक काम करते हैं और इसलिए पैदा होते हैं कि पकड़े जाएँ और मार डाले जाएँ। ये लोग जिन बातों से अनजान हैं उनके बारे में बुरा-भला कहते हैं।+ विनाश के रास्ते पर चलने की वजह से वे खुद अपने नाश का कारण बनेंगे।
13 बुराई के जिस रास्ते पर वे चलते हैं उसका उन्हें बुरा फल मिलेगा।
उन्हें ऐयाशी में डूबे रहना अच्छा लगता है,+ यहाँ तक कि दिन में भी उन्हें ऐसा करना पसंद है। वे दाग और कलंक हैं और जब वे तुम्हारे साथ दावतों में होते हैं तो उन्हें अपनी छल से भरी शिक्षाओं को बढ़ावा देने में बहुत खुशी मिलती है।+
14 उनकी आँखों में वासना* भरी है+ और वे पाप करने से खुद को रोक नहीं पाते और ऐसे लोगों को फँसा लेते हैं जो डाँवाँडोल हैं। उनका मन लालच करने का आदी है। वे शापित बच्चे हैं।
15 उन्होंने सीधी राह छोड़ दी है और वे गुमराह हो गए हैं। वे बओर के बेटे बिलाम की राह पर चल पड़े हैं,+ जिसे बुराई की कमाई प्यारी थी+
16 और जिसे सही काम के खिलाफ जाने की वजह से फटकारा गया।+ बोझ ढोनेवाले बेज़ुबान जानवर ने इंसान की आवाज़ में बोलकर उस भविष्यवक्ता को पागलपन का काम करने से रोका।+
17 वे उन सोतों की तरह हैं जिनमें पानी नहीं होता और धुंध के ऐसे बादल हैं जिन्हें आँधी उड़ाए फिरती है और उनके लिए घोर अंधकार ठहराया गया है।+
18 वे ऐसी बातें करते हैं जो सुनने में बड़ी दमदार लगती हैं मगर असल में खोखली होती हैं। वे शरीर की इच्छाओं को बढ़ावा देकर+ और निर्लज्ज कामों* से उन लोगों को फँसा लेते हैं जो बुरे काम करनेवालों के बीच से अभी-अभी बचकर निकले हैं।+
19 वे उन्हें आज़ादी दिलाने का वादा करते हैं जबकि वे खुद भ्रष्टता के गुलाम हैं,+ क्योंकि अगर कोई किसी* के बस में आ जाता है तो वह उसका गुलाम हो जाता है।+
20 वाकई अगर वे हमारे प्रभु और उद्धारकर्ता यीशु मसीह का सही ज्ञान पाकर दुनिया की गंदगी से बच निकलने के बाद,+ फिर से इन्हीं कामों में लग जाते हैं और इनके बस में आ जाते हैं, तो उनकी अब की हालत पहले से भी बदतर हो जाती है।+
21 इससे तो अच्छा होता कि वे नेकी की राह के बारे में सही ज्ञान लेते ही नहीं, बजाय इसके कि इसे जानने के बाद उन पवित्र आज्ञाओं से मुँह मोड़ लेते जो उन्हें मिली थीं।+
22 उन पर यह सच्ची कहावत ठीक बैठती है, “कुत्ता अपनी उलटी चाटने के लिए लौट जाता है और नहलायी-धुलायी सूअरनी फिर से कीचड़ में लोटने के लिए चली जाती है।”+
कई फुटनोट
^ या शायद, “और अंधकार से भरे गड्ढों।”
^ शा., “उन्हें काट डाले।”
^ या “के सामने।”
^ या “किसी चीज़।”