पतरस की दूसरी चिट्ठी 3:1-18

3  प्यारे भाइयो, मैं तुम्हें यह दूसरी चिट्ठी लिख रहा हूँ। पिछली चिट्ठी की तरह मैं इस चिट्ठी में भी कुछ बातें याद दिला रहा हूँ ताकि तुम्हें साफ-साफ सोचने की काबिलीयत का इस्तेमाल करने के लिए उभारूँ+  और तुम उन बातों को याद रखो जो पवित्र भविष्यवक्‍ताओं ने बहुत पहले बतायी थीं और हमारे प्रभु और उद्धारकर्ता की आज्ञा याद रखो जो उसने तुम्हारे प्रेषितों के ज़रिए दी थी।  सबसे पहले तो तुम जान लो कि आखिरी दिनों में खिल्ली उड़ानेवाले आएँगे जो अपनी इच्छाओं के मुताबिक चलेंगे+  और कहेंगे, “उसने वादा किया था कि वह मौजूद होगा, मगर वह कहाँ है?+ जब से हमारे पुरखे मौत की नींद सो गए हैं, तब से सबकुछ बिलकुल वैसा ही चल रहा है, जैसा सृष्टि की शुरूआत में था।”+  वे जानबूझकर इस हकीकत पर ध्यान नहीं देते कि परमेश्‍वर के कहने पर ही उस वक्‍त का आकाश कायम हुआ और ज़मीन पानी से ऊपर उठी और पृथ्वी पानी के बीच मज़बूती से कायम हुई।+  इन्हीं के ज़रिए उस वक्‍त की दुनिया पर पानी का प्रलय आया और वह नाश हो गयी।+  मगर परमेश्‍वर के उसी वचन से, आज के आकाश और पृथ्वी को आग से भस्म करने के लिए रखा गया है और उन्हें न्याय के दिन और भक्‍तिहीन लोगों के नाश के दिन तक ऐसे ही रखा जाएगा।+  मगर प्यारे भाइयो, तुम यह बात मत भूलो कि यहोवा* के लिए एक दिन एक हज़ार साल के बराबर है और एक हज़ार साल, एक दिन के बराबर है।+  यहोवा* अपना वादा पूरा करने में देरी नहीं कर रहा,+ जैसा कुछ लोग समझते हैं मगर वह तुम्हारे साथ सब्र से पेश आ रहा है, क्योंकि वह नहीं चाहता कि कोई भी नाश हो बल्कि यह कि सबको पश्‍चाताप करने का मौका मिले।+ 10  मगर यहोवा* का दिन+ ऐसे आएगा जैसे चोर आता है।+ उस दिन आकाश बड़े गरजन के साथ मिट जाएगा+ और तत्व बेहद गरम होकर पिघल जाएँगे और धरती और उस पर होनेवाले कामों का परदाफाश हो जाएगा।+ 11  इसलिए जब ये सारी चीज़ें इस तरह पिघलनेवाली हैं, तो सोचो कि आज तुम्हें कैसा इंसान होना चाहिए! तुम्हारा चालचलन पवित्र होना चाहिए और तुम्हें परमेश्‍वर की भक्‍ति के काम करने चाहिए 12  और यहोवा* के दिन का इंतज़ार करना चाहिए और यह बात हमेशा ध्यान में रखनी चाहिए* कि वह दिन बहुत जल्द आनेवाला है।+ उस दिन की वजह से आकाश लपटों से जलकर नाश हो जाएगा+ और तत्व बेहद गरम होकर पिघल जाएँगे! 13  मगर हम परमेश्‍वर के वादे के मुताबिक एक नए आकाश और नयी पृथ्वी का इंतज़ार कर रहे हैं,+ जहाँ नेकी का बसेरा होगा।+ 14  इसलिए प्यारे भाइयो, जब तुम इन सब बातों का इंतज़ार कर रहे हो, तो अपना भरसक करो कि आखिरकार उसके सामने तुम निष्कलंक और बेदाग और शांति में पाए जाओ।+ 15  और यह समझो कि हमारे प्रभु के सब्र रखने से उद्धार पाने का मौका मिल रहा है, ठीक जैसे हमारे प्यारे भाई पौलुस ने भी परमेश्‍वर से मिली बुद्धि के मुताबिक तुम्हें लिखा था।+ 16  उसने अपनी सारी चिट्ठियों में इन्हीं बातों के बारे में लिखा है। मगर उनमें से कुछ बातें समझने में मुश्‍किल हैं और जो लोग इन बातों की समझ नहीं रखते* और डाँवाँडोल हैं, वे इन्हें तोड़-मरोड़कर बताते हैं जैसे वे शास्त्र की बाकी बातों के साथ भी करते हैं और अपने नाश का कारण बनते हैं। 17  इसलिए प्यारे भाइयो, तुम जो पहले से इन बातों की जानकारी रखते हो, खबरदार रहो कि तुम उन दुष्टों की धोखा देनेवाली बातों में आकर उनके साथ गुमराह न हो जाओ बल्कि इसी तरह मज़बूत खड़े रहो और गिर न जाओ।+ 18  तुम परमेश्‍वर की महा-कृपा और भी ज़्यादा पाते रहो और हमारे प्रभु और उद्धारकर्ता यीशु मसीह के बारे में अपना ज्ञान बढ़ाते जाओ। उसकी महिमा आज और हमेशा-हमेशा के लिए होती रहे। आमीन।

कई फुटनोट

अति. क5 देखें।
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या “इसकी ज़बरदस्त इच्छा होनी चाहिए।” शा., “तेज़ी लाएँ।”
या “न सीखनेवाले।”

अध्ययन नोट

तसवीर और ऑडियो-वीडियो