दूसरा राजा 12:1-21
12 यहोआश+ येहू के राज+ के सातवें साल में राजा बना था और उसने 40 साल यरूशलेम में रहकर राज किया। उसकी माँ का नाम सिब्याह था जो बेरशेबा की रहनेवाली थी।+
2 जब तक याजक यहोयादा यहोआश का मार्गदर्शन करता रहा तब तक वह यहोवा की नज़र में सही काम करता रहा।
3 मगर उसके राज में ऊँची जगह+ नहीं मिटायी गयीं और लोग उन जगहों पर बलिदान चढ़ाते रहे ताकि उनका धुआँ उठे।
4 यहोआश ने याजकों से कहा, “यहोवा के भवन में पवित्र चढ़ावे के तौर पर जितना पैसा दिया जाता है वह सब तुम लेना,+ यानी हर किसी का कर,+ हर किसी के लिए तय की गयी रकम और वह पैसा जो दिल के उभारने पर लोग यहोवा के भवन में लाकर देते हैं।+
5 हर याजक खुद जाकर दान करनेवालों* से पैसा इकट्ठा करेगा और भवन में जहाँ कहीं दरारें हों उनकी मरम्मत के लिए सारा पैसा इस्तेमाल करेगा।”+
6 राजा यहोआश के राज का 23वाँ साल हो गया था मगर याजकों ने अब तक भवन की मरम्मत नहीं करवायी।+
7 इसलिए राजा ने याजक यहोयादा+ और दूसरे याजकों को बुलाया और उनसे कहा, “भवन की मरम्मत अब तक क्यों नहीं की गयी? अगर तुम मरम्मत के काम के लिए पैसा इस्तेमाल नहीं कर रहे हो, तो दान करनेवालों से पैसा लेना बंद कर दो।”+
8 याजकों ने लोगों से पैसा लेने और भवन की मरम्मत करने की ज़िम्मेदारी राजा को वापस दे दी।
9 तब याजक यहोयादा ने एक पेटी+ ली और उसके ढक्कन में छेद किया और उसे यहोवा के भवन में ऐसी जगह रखा कि वह भवन में आनेवालों को दायीं तरफ वेदी के पास नज़र आए। दरबान का काम करनेवाले याजक उस पेटी में वह सारा पैसा डालते थे जो यहोवा के भवन में लाया जाता था।+
10 जब भी वे देखते कि पेटी भर गयी है, वे जाकर राजा के सचिव और महायाजक को बताते और वे दोनों आकर यहोवा के भवन में लाया गया सारा पैसा इकट्ठा करते* और उसकी गिनती करते।+
11 फिर वे पैसा ले जाकर उन आदमियों को देते जिन्हें यहोवा के भवन में काम की निगरानी सौंपी गयी थी। फिर निगरानी करनेवाले पैसा ले जाकर यहोवा के भवन की मरम्मत करनेवाले बढ़इयों और राजगीरों को देते थे,+
12 और राजमिस्त्रियों और पत्थर काटनेवाले कारीगरों को भी देते थे। इतना ही नहीं, वे उस पैसे से यहोवा के भवन की मरम्मत के लिए शहतीरें और गढ़े हुए पत्थर लाया करते थे और मरम्मत के काम का बाकी सारा खर्च पूरा करते थे।
13 मगर यहोवा के भवन में लाया गया पैसा चाँदी के कटोरे, बाती बुझाने की कैंचियाँ, कटोरियाँ और तुरहियाँ+ बनाने में बिलकुल इस्तेमाल नहीं किया गया, न ही यहोवा के भवन के लिए सोने-चाँदी की कोई और चीज़ बनाने में लगाया गया।+
14 यह पैसा वे सिर्फ निगरानी करनेवालों को दिया करते थे जो उसे यहोवा के भवन की मरम्मत में लगाते थे।
15 वे निगरानी करनेवाले उन आदमियों से कभी हिसाब-किताब नहीं माँगते थे जिन्हें कारीगरों की मज़दूरी चुकाने के लिए पैसा दिया जाता था क्योंकि वे भरोसेमंद आदमी थे।+
16 लेकिन जो पैसा दोष-बलियों+ और पाप-बलियों के लिए दिया जाता था वह यहोवा के भवन की मरम्मत में नहीं इस्तेमाल किया जाता था। उस पर याजकों का हक था।+
17 बाद में सीरिया के राजा हजाएल+ ने गत+ पर हमला किया और उस पर कब्ज़ा कर लिया। फिर उसने यरूशलेम पर हमला करने का फैसला किया।*+
18 तब यहूदा के राजा यहोआश ने वह सारी चीज़ें हजाएल को भेज दीं जो उसके पुरखों ने यानी यहूदा के राजा यहोशापात, यहोराम और अहज्याह ने पवित्र ठहरायी थीं और वह चीज़ें भी जो खुद उसने पवित्र ठहरायी थीं। उसने यहोवा के भवन के खज़ाने और राजमहल के खज़ाने का सारा सोना भी उसे भेज दिया। इसलिए हजाएल ने यरूशलेम पर हमला नहीं किया और लौट गया।+
19 यहोआश की ज़िंदगी की बाकी कहानी, उसके सभी कामों का ब्यौरा यहूदा के राजाओं के इतिहास की किताब में लिखा है।
20 यहोआश के सेवकों ने मिलकर उसके खिलाफ साज़िश रची+ और सिल्ला जानेवाले रास्ते पर टीले*+ के भवन में उसे मार डाला।
21 उसका कत्ल करनेवाले सेवक थे, शिमात का बेटा योजाकार और शोमेर का बेटा यहोजाबाद।+ उन्होंने उसे दाविदपुर में उसके पुरखों की कब्र में दफना दिया और उसकी जगह उसका बेटा अमज्याह राजा बना।+
कई फुटनोट
^ या “जान-पहचानवालों।”
^ या “थैलियों में डालते।” शा., “थैलियों में बाँधते।”
^ शा., “हजाएल ने यरूशलेम के खिलाफ अपना मुँह किया।”
^ या “बेत-मिल्लो।”