इफिसियों 1:1-23

1  मैं पौलुस, जो परमेश्‍वर की मरज़ी से मसीह यीशु का प्रेषित* हूँ, इफिसुस के पवित्र जनों को लिख रहा हूँ, जो मसीह यीशु के साथ एकता में विश्‍वासयोग्य हैं।  तुम्हें परमेश्‍वर हमारे पिता की तरफ से और प्रभु यीशु मसीह की तरफ से महा-कृपा और शांति मिले।  हमारे प्रभु यीशु मसीह का परमेश्‍वर और पिता धन्य हो। क्योंकि उसने हमें मसीह यीशु के साथ एकता में होने की वजह से स्वर्गीय स्थानों में हर तरह की आशीष दी है।  जैसा कि इस बात से दिखाया गया है कि परमेश्‍वर ने दुनिया की शुरूआत के पहले से हमें मसीह के साथ एकता में चुन लिया, ताकि हम प्यार में परमेश्‍वर के सामने पवित्र और बेदाग हों।  जैसा उसे अच्छा लगा उसने अपनी मरज़ी के मुताबिक पहले से यह ठहराया था कि हमें यीशु मसीह के ज़रिए अपने बेटों के नाते गोद ले,  ताकि परमेश्‍वर की इस शानदार महा-कृपा के लिए उसकी तारीफ हो, जो उसने मेहरबान होकर अपने प्यारे बेटे के ज़रिए हम पर की है।  उसी बेटे के लहू के ज़रिए फिरौती देकर हमें छुड़ाया गया है। हाँ, उसी के ज़रिए परमेश्‍वर की महा-कृपा की दौलत हम पर लुटायी गयी और इस महा-कृपा से हमें गुनाहों की माफी दी गयी।  उसने हमें यह महा-कृपा सारी बुद्धि और समझ के रूप में बहुतायत में दी है,  यानी अपनी मरज़ी के बारे में पवित्र रहस्य हम पर ज़ाहिर किया। यह रहस्य उसने अपनी मरज़ी के मुताबिक खुद तय किया था 10  कि तय वक्‍त के पूरा होने पर वह एक इंतज़ाम की शुरूआत करे, यानी चाहे स्वर्ग की चीज़ें हों या धरती की, सबकुछ फिर से मसीह में इकट्ठा करे, हाँ उसी में। 11  उसी के साथ एकता में हम वारिस भी ठहराए गए हैं। परमेश्‍वर ने अपने मकसद के मुताबिक हमें वारिस होने के लिए पहले से चुन लिया है और वह अपनी मरज़ी के हिसाब से सबकुछ चलाता है। 12  परमेश्‍वर ने हमें इसलिए चुना ताकि हम जो मसीह में आशा रखनेवालों में सबसे पहले हैं, हमारे ज़रिए परमेश्‍वर का गुणगान और महिमा हो। 13  तुमने भी जब अपने उद्धार की खुशखबरी यानी सच्चाई का वचन सुना था तब मसीह पर आशा रखी। तुम्हारे विश्‍वास करने के बाद, उसी के ज़रिए तुम पर उस पवित्र शक्‍ति की मुहर लगायी गयी जिसका वादा किया गया था। 14  यह पवित्र शक्‍ति हमें अपनी विरासत मिलने से पहले एक बयाने के तौर पर दी गयी है, ताकि परमेश्‍वर फिरौती देकर अपने लोगों* को छुड़ाए जिससे कि उसकी महिमा की बड़ाई हो। 15  इसीलिए, जब से मैंने तुम्हारे विश्‍वास के बारे में सुना जो तुम्हें प्रभु यीशु पर है और जिस तरह तुम सभी पवित्र जनों के साथ अपने बर्ताव से यह विश्‍वास दिखाते हो, 16  मैंने तुम्हारे लिए प्रार्थना में धन्यवाद देना नहीं छोड़ा। मैं हमेशा तुम्हारे लिए प्रार्थना करता रहता हूँ 17  कि हमारे प्रभु यीशु मसीह का परमेश्‍वर, वह पिता जो महिमा से भरपूर है, तुम्हें बुद्धि और उन बातों को समझने की शक्‍ति दे जो वह प्रकट करता है ताकि तुम उसका सही ज्ञान हासिल कर सको। 18  और क्योंकि उसने तुम्हारे मन की आँखें खोलकर तुम्हें समझ की रौशनी दी है, इसलिए मैं यह भी प्रार्थना करता हूँ कि तुम जान सको कि वह आशा क्या है जिसके लिए उसने तुम्हें बुलाया है और वह शानदार दौलत क्या है जो उसने पवित्र लोगों को विरासत में देने के लिए रखी है। 19  और यह भी समझ सको कि हम विश्‍वास करनेवालों की ज़िंदगी में उसकी जो ताकत असर करती है वह कितनी बेजोड़, कितनी महान है। इस ताकत की महानता, उसकी महा-शक्‍ति के काम करने से ज़ाहिर होती है। 20  परमेश्‍वर ने यह महा-शक्‍ति मसीह के मामले में तब दिखायी जब उसने उसे मरे हुओं में से जी उठाया और स्वर्गीय स्थानों में अपनी दायीं तरफ बिठाया। 21  यानी हर सरकार और अधिकार और ताकत और प्रभुता और हर उस नाम से, जो न सिर्फ इस ज़माने* में बल्कि आनेवाले ज़माने में दिया जाएगा, उसे कहीं ऊपर बिठाया है। 22  साथ ही परमेश्‍वर ने सबकुछ उसके पैरों तले कर दिया और उसे सब चीज़ों पर मुखिया ठहराकर मंडली* की खातिर दे दिया। 23  मंडली, मसीह का शरीर है, जिसमें वह पूरी तरह समाया हुआ है और वही है जो सब चीज़ों में सबकुछ पूरा करता है।

कई फुटनोट

इफि 1:1 या, “भेजा गया।” यूनानी में “अपोस्टोलोस।”
इफि 1:14 शाब्दिक, “अपनी संपत्ति।”
इफि 1:21 या, “दुनिया की व्यवस्था।”
इफि 1:22 मत्ती 16:18 दूसरा फुटनोट देखें।