प्रकाशितवाक्य 8:1-13

8  और जब मेम्ने ने सातवीं मुहर खोली तो स्वर्ग में खामोशी छा गयी जो करीब आधे घंटे तक रही।  और मैंने उन सात स्वर्गदूतों को देखा जो परमेश्‍वर के सामने खड़े रहते हैं, और उन्हें सात तुरहियाँ दी गयीं।  फिर एक और स्वर्गदूत आया और वेदी के पास खड़ा हो गया। उसके हाथ में सोने का एक धूपदान था। उसे ढेर सारा धूप दिया गया ताकि इसे सोने की उस वेदी पर जो राजगद्दी के सामने थी, उस वक्‍त चढ़ाए जब सभी पवित्र जनों की प्रार्थनाएँ सुनी जा रही हों।  और पवित्र जनों की प्रार्थनाओं के साथ स्वर्गदूत के हाथ से धूप का धूआं उठकर परमेश्‍वर के सामने पहुँचा।  तब फौरन स्वर्गदूत ने वह धूपदान लिया और उसमें वेदी की आग भरी और उसे पृथ्वी पर फेंक दिया। तब आकाश से गरजन और तेज़ आवाज़ें आयीं, बिजलियाँ कड़कीं और एक भूकंप हुआ।  और जिन सात स्वर्गदूतों के पास सात तुरहियाँ थीं, वे इन्हें फूँकने के लिए तैयार हो गए।  और पहले ने अपनी तुरही फूँकी। तब खून मिले हुए ओले और आग पैदा हुई, और इन्हें धरती पर डाल दिया गया। और धरती का एक-तिहाई हिस्सा जल गया और पेड़ों का एक-तिहाई हिस्सा जल गया और सारी वनस्पति जल गयी।  फिर दूसरे स्वर्गदूत ने अपनी तुरही फूँकी। और आग से जलता हुआ एक बड़े पहाड़ जैसा कुछ समुद्र में फेंक दिया गया। और समुद्र का एक-तिहाई हिस्सा खून में बदल गया।  और समुद्र के एक-तिहाई जीव-जंतु मर गए और एक-तिहाई जहाज़ तहस-नहस हो गए। 10  फिर तीसरे स्वर्गदूत ने अपनी तुरही फूँकी। तब मशाल की तरह जलता हुआ एक बड़ा तारा, स्वर्ग से गिरा और नदियों और पानी के सोतों के एक-तिहाई हिस्से पर गिरा। 11  उस तारे का नाम नागदौना है। और पानी का एक-तिहाई हिस्सा नागदौना-सा कड़वा हो गया और उस पानी के कड़वे हो जाने से बहुत-से लोग मारे गए। 12  फिर चौथे स्वर्गदूत ने अपनी तुरही फूँकी। और सूरज के एक-तिहाई, और चाँद के एक-तिहाई और तारों के एक-तिहाई हिस्से पर मार पड़ी ताकि उनका एक-तिहाई हिस्सा अंधेरा हो जाए और दिन के एक-तिहाई हिस्से में उजाला न हो और यही हाल रात का भी हो। 13  और मैंने देखा कि आकाश के बीच उड़ता एक उकाब ज़ोरदार आवाज़ में यह कह रहा था: “धरती पर रहनेवालों पर हाय, हाय, हाय, क्योंकि तीन और स्वर्गदूतों की तुरहियों का फूँकना अभी बाकी है, और वे अपनी तुरहियाँ फूँकने ही वाले हैं!”

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