1 कुरिंथियों 6:1-20

6  जब तुम में से किसी का दूसरे के खिलाफ कोई मामला होता है, तो वह फैसले के लिए पवित्र जनों के पास जाने के बजाय अदालत में दुष्ट लोगों के सामने जाने की जुर्रत कैसे करता है?  या क्या तुम नहीं जानते कि पवित्र जन दुनिया का न्याय करेंगे? और अगर तुम दुनिया का न्याय करनेवाले हो, तो क्या तुम इस लायक भी नहीं कि छोटे-छोटे मामलों का फैसला कर सको?  क्या तुम नहीं जानते कि हम स्वर्गदूतों का न्याय करेंगे? तो फिर, इस ज़िंदगी के मामलों का क्यों नहीं?  तो जब तुम्हारे बीच इस ज़िंदगी के ऐसे मामले हैं जिनका फैसला किया जाना है, तो तुम ऐसे आदमियों को न्यायी क्यों चुनते हो जिनके बारे में मंडली जानती है कि वे खरे नहीं हैं?  मैं तुम्हें शर्म दिलाने के लिए यह कह रहा हूँ। क्या यह सच है कि तुम्हारे बीच एक भी ऐसा बुद्धिमान नहीं जो अपने भाइयों के बीच न्याय कर सके?  इसके बजाय, एक भाई दूसरे भाई को अदालत ले जाता है, और वह भी अविश्‍वासियों के सामने!  वाकई, यह हर तरह से तुम्हारी हार है कि तुम्हारे बीच एक-दूसरे के खिलाफ मुकद्दमे चल रहे हैं। इसके बजाय, तुम खुद अन्याय क्यों नहीं सह लेते? तुम क्यों ठगे जाना बरदाश्‍त नहीं कर लेते?  मगर तुम खुद अन्याय करते और ठगते हो, और वह भी अपने भाइयों को।  क्या तुम नहीं जानते कि जो परमेश्‍वर के स्तरों पर नहीं चलते, वे उसके राज के वारिस नहीं होंगे? धोखे में न रहो। न व्यभिचारी, न मूर्तियाँ पूजनेवाले, न शादी के बाहर यौन-संबंध रखनेवाले, न पुरुषों के साथ अस्वाभाविक संभोग के लिए रखे गए पुरुष, न ही पुरुषों के साथ संभोग करनेवाले पुरुष, 10  न चोर, न लालची, न पियक्कड़, न गाली-गलौज करनेवाले और न दूसरों का धन ऐंठनेवाले परमेश्‍वर के राज के वारिस होंगे। 11  फिर भी तुम में से कुछ लोग ऐसे ही थे। मगर परमेश्‍वर ने हमारे प्रभु यीशु मसीह के नाम से और अपनी पवित्र शक्‍ति से तुम्हें धोकर शुद्ध किया, पवित्र कामों के लिए अलग किया और तुम्हें नेक करार दिया। 12  सब बातें मेरे लिए जायज़ तो हैं, मगर सब बातें फायदेमंद नहीं। सब बातें मेरे लिए जायज़ तो हैं, मगर मैं खुद को किसी भी चीज़ का गुलाम बनने नहीं दूँगा। 13  खाना पेट के लिए है और पेट खाने के लिए, मगर परमेश्‍वर इन दोनों को मिटा देगा। शरीर व्यभिचार के लिए नहीं बल्कि प्रभु के लिए है, और प्रभु शरीर के लिए है। 14  मगर परमेश्‍वर ने अपनी शक्‍ति से प्रभु को मरे हुओं में से जी उठाया और वह हमें भी जी उठाएगा। 15  क्या तुम नहीं जानते कि तुम्हारे शरीर मसीह के अंग हैं? तो क्या मैं मसीह के अंगों को ले जाकर वेश्‍या के अंग बनाऊँ? ऐसा हरगिज़ न हो! 16  क्या तुम नहीं जानते कि जो वेश्‍या से मिल जाता है वह उसके साथ एक तन हो जाता है? क्योंकि परमेश्‍वर कहता है कि “वे दोनों एक तन होंगे।” 17  मगर जो प्रभु से मिल जाता है, वह उसके साथ एक मन हो जाता है। 18  व्यभिचार से दूर भागो। दूसरा हर पाप जो इंसान करता है वह उसके शरीर के बाहर होता है, मगर जो व्यभिचार में लगा रहता है वह अपने ही शरीर के खिलाफ पाप कर रहा है। 19  क्या तुम नहीं जानते कि तुम लोग मिलकर जो शरीर बनते हो, वह परमेश्‍वर की उस पवित्र शक्‍ति का मंदिर है जो तुम्हारे अंदर रहती है और जो परमेश्‍वर की तरफ से तुम्हें मिली है? और-तो-और, तुम्हारा खुद पर अधिकार नहीं है। 20  तुम्हें बड़ी कीमत देकर खरीदा गया है। इसलिए मसीह के शरीर के अंग होने के नाते, अपने शरीरों से परमेश्‍वर की बड़ाई करो।

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