अय्यूब 20:1-29

  • सोपर का दूसरा भाषण (1-29)

    • अपमानित महसूस किया (2, 3)

    • इशारा किया कि अय्यूब दुष्ट है (5)

    • कहा, अय्यूब को पाप करने में मज़ा आता है (12, 13)

20  नामाती सोपर+ ने जवाब दिया,   “मेरे खयाल मुझे बेचैन कर रहे हैं, बोलने को मजबूर कर रहे हैं,मेरे अंदर हलचल मची है, मैं चुप नहीं रह सकता।   मैंने अपमान करनेवाली तेरी डाँट सुनी हैऔर अब मेरी समझ तुझे इसका जवाब देगी।   तुझे तो यह पता होना चाहिए,जब से इंसान* की सृष्टि हुई है, तब से यही होता आया है।+   दुष्ट चंद दिनों के लिए हँसी-ठहाके मारता है,भक्‍तिहीन पल-भर के लिए खुशियाँ मनाता है।+   उसका घमंड चाहे आसमान तक पहुँच जाए,उसका सिर बादलों को छू ले,   तब भी वह अपने मल की तरह हमेशा के लिए खाक हो जाएगा।जो उस दुष्ट को देखा करते थे पूछेंगे, ‘कहाँ गया वह?’   वह सपनों की तरह उड़ जाएगा, ढूँढ़ने पर भी नहीं मिलेगा,रात में देखे ख्वाब की तरह गायब हो जाएगा।   जो आँखें उसे देखा करती थीं, उसे फिर कभी न देखेंगी,उसका अपना घर उसे देखने के लिए तरस जाएगा।+ 10  उसकी औलाद गरीबों के रहमो-करम पर जीएगी,वह अपने ही हाथों से दूसरों की दौलत लौटा देगा।+ 11  उसकी हड्डियों में कभी जवानी का दमखम हुआ करता था,पर अब वह* उसी के साथ मिट्टी में मिल जाएगा। 12  अगर बुराई उसके मुँह को मीठी लगती हैऔर वह उसे जीभ के नीचे दबा लेता है, 13  अगर वह उसे मुँह में ही रखता है,चटकारे भर-भरके उसे खाता है, 14  तो वह उसके पेट में जाकर खट्टी हो जाएगी,नाग के ज़हर की तरह ज़हरीली बन जाएगी। 15  उसने जो दौलत निगली है, उसे वह उगल देगा,परमेश्‍वर उसके पेट से उसे निकाल लेगा। 16  वह नाग का ज़हर चूसेगा,ज़हरीले साँप के डसने से मर जाएगा। 17  वह शहद और मक्खन की धाराएँ फिर न देखेगा,उसे वे नदियाँ फिर नज़र न आएँगी। 18  अपनी धन-संपत्ति से उसे कोई खुशी न मिलेगी,उसका सुख भोगे बगैर उसे वह वापस करनी पड़ेगी।*+ 19  क्योंकि उसने गरीबों को कुचलकर छोड़ दिया,उस घर को हड़प लिया जो उसने नहीं बनाया। 20  फिर भी उसे मन की शांति नहीं मिलेगी,उसकी दौलत उसे नहीं बचा पाएगी। 21  अब उसके हड़पने के लिए और कुछ नहीं बचा,इसलिए उसकी खुशहाली भी चंद रोज़ की रह जाएगी। 22  अमीरी के शिखर पर पहुँचते ही चिंताएँ उसे आ घेरेंगी,दुखों का पहाड़ उस पर टूट पड़ेगा। 23  वह अपना पेट भर ही रहा होगाकि परमेश्‍वर* उस पर अपनी जलजलाहट बरसा देगा,इतनी कि उसकी अंतड़ियाँ उससे भर जाएँगी। 24  जब वह लोहे के हथियार से बचकर भाग रहा होगा,तब ताँबे के धनुष से निकले तीर उसे छलनी कर देंगे। 25  वह अपनी पीठ से उस तीर को बाहर निकालेगा,जिसकी चमकती नोंक उसके पित्ते में जा घुसी हैऔर उस पर आतंक छा जाएगा।+ 26  उसके खज़ाने को घोर अंधकार खा जाएगा,वह उस आग में भस्म हो जाएगा जिसे किसी ने हवा न दी हो,उसके डेरे में बचे हुओं पर आफत आ पड़ेगी। 27  स्वर्ग उसके गुनाहों का खुलासा करेगा,धरती उसके खिलाफ गवाही देगी, 28  बाढ़ आकर उसका घर बहा ले जाएगी।हाँ, परमेश्‍वर के* क्रोध के दिन एक बड़ा सैलाब आएगा। 29  दुष्टों को परमेश्‍वर की तरफ से यही फल मिलेगा,परमेश्‍वर ने उनके लिए यही विरासत ठहरायी है।”

कई फुटनोट

या “आदम।”
यानी उसका दमखम।
शा., “और वह उसे निगल नहीं पाएगा।”
शा., “वह।”
शा., “उसके।”