अय्यूब 27:1-23

  • अय्यूब ने निर्दोष बने रहने की ठानी (1-23)

    • ‘मैं निर्दोष बना रहूँगा’ (5)

    • भक्‍तिहीन के लिए आशा नहीं (8)

    • “तुम्हारी बातें खोखली क्यों हैं?” (12)

    • दुष्ट के पास कुछ नहीं बचता (13-23)

27  अय्यूब ने अपनी बात जारी रखी,   “मुझे उस परमेश्‍वर के जीवन की शपथ,जिसने मुझे इंसाफ नहीं दिया,+ जिसने मेरे जी को दुखी किया,+उसी सर्वशक्‍तिमान की शपथ खाकर कहता हूँ,   जब तक मेरी साँसें चलती रहेंगी,परमेश्‍वर से मिली जीवन की साँसें मेरे नथनों में बनी रहेंगी,+   मैं अपने होंठों से कोई बुरी बात नहीं कहूँगा,अपनी ज़बान से कोई झूठी बात नहीं बोलूँगा।   तुम लोगों को नेक मानने की मैं सोच भी नहीं सकता, मैंने ठान लिया है, मैं मरते दम तक निर्दोष बना रहूँगा।+   मैं अपनी नेकी को थामे रहूँगा, उसे कभी नहीं छोड़ूँगा,+जब तक मैं ज़िंदा हूँ मेरा मन मुझे नहीं धिक्कारेगा।*   काश! मेरे दुश्‍मनों का हाल दुष्टों जैसा हो,मेरे हमलावरों का हश्र बुरे लोगों जैसा हो,   क्योंकि जब परमेश्‍वर भक्‍तिहीन की जान लेता है,+उसे मिटा देता है, तो क्या उसके लिए कोई आशा रह जाती है?   जब उस पर मुसीबतें आती हैं,तो क्या परमेश्‍वर उसकी दुहाई सुनता है?+ 10  क्या ऐसा इंसान सर्वशक्‍तिमान में खुशी पाता है? क्या वह परमेश्‍वर को हर वक्‍त पुकारता है? 11  मैं तुम्हें परमेश्‍वर की शक्‍ति के बारे में* सिखाऊँगा,सर्वशक्‍तिमान के बारे में तुमसे कुछ नहीं छिपाऊँगा। 12  अगर तुम सबको सचमुच दर्शन मिले हैं,तो फिर तुम्हारी बातें खोखली क्यों हैं? 13  परमेश्‍वर की तरफ से दुष्ट की जागीर,+सर्वशक्‍तिमान की तरफ से ज़ालिम की विरासत यही है: 14  उसके चाहे कई बेटे हों फिर भी वे तलवार से मारे जाएँगे+और उसके वंशजों को खाने के लाले पड़ेंगे। 15  उसकी मौत के बाद उसके लोगों को महामारी खा जाएगी,उनकी विधवाएँ उनके लिए आँसू नहीं बहाएँगी। 16  चाहे वह धूल के कणों के समान चाँदी बटोर ले,मिट्टी के ढेर की तरह बढ़िया कपड़ों का अंबार लगा ले, 17  मगर उन कपड़ों को इकट्ठा करने पर भी,वह उन्हें पहन नहीं पाएगा, नेक इंसान उन्हें पहनेगा+और उसकी चाँदी निर्दोष लोग आपस में बाँटेंगे। 18  उसका बनाया घर पतंगे के कोए जैसा हलकाऔर पहरेदारों के छप्पर+ जितना कमज़ोर होगा। 19  भले ही सोते वक्‍त वह अमीर हो, मगर उसके पास कुछ नहीं बचेगा,नींद से जागने पर वह कंगाल हो चुका होगा। 20  डर का सैलाब उसे बहा ले जाएगा,तूफान उसे रातों-रात उड़ा ले जाएगा।+ 21  पूर्वी हवा उसे उड़ा ले जाएगी, वह कहीं नज़र नहीं आएगा,हवा उसे अपनी जगह से उखाड़ फेंकेगी,+ 22  बड़ी बेदर्दी से उस पर टूट पड़ेगी,+उसकी मार से बचने की वह लाख कोशिश करेगा,+ 23  उसकी बुरी हालत देखकर हवा तालियाँ पीटेगी,अपनी जगह पर खड़े-खड़े सीटियाँ बजाएगी,+ उसका मज़ाक उड़ाएगी।*

कई फुटनोट

या “ताने नहीं मारेगा।”
या शायद, “परमेश्‍वर के हाथ से।”
या शायद, “वे तालियाँ पीटेंगे और अपनी जगह पर खड़े-खड़े सीटियाँ बजाकर उसका मज़ाक उड़ाएँगे।”