आमोस 5:1-27

  • इसराएल ऐसी कुँवारी की तरह है जो गिर गयी है (1-3)

  • परमेश्‍वर की खोज कर और जीता रह (4-17)

    • बुराई से नफरत, भलाई से प्यार (15)

  • यहोवा का दिन, अंधकार का दिन (18-27)

    • इसराएल के बलिदान ठुकराए गए (22)

5  “हे इसराएल के घराने, यह संदेश सुन। यह एक शोकगीत है जो मैं तेरे बारे में सुनाता हूँ:   ‘कुँवारी इसराएल गिर गयी है,वह उठ नहीं सकती। उसे अपनी ज़मीन पर पड़ा छोड़ दिया गया है,उसे उठानेवाला कोई नहीं।’  क्योंकि सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘जो शहर हज़ार सैनिक लेकर जाएगा उसके सिर्फ सौ सैनिक बचेंगे,जो सौ लेकर जाएगा उसके सिर्फ दस बचेंगे,इसराएल के घराने के साथ यही होगा।’+  यहोवा इसराएल के घराने से कहता है, ‘तू मेरी खोज कर और जीता रह।+   बेतेल की खोज मत कर,+न गिलगाल जा,+ न ही सरहद पार करके बेरशेबा जा,+क्योंकि गिलगाल ज़रूर बँधुआई में जाएगा+और बेतेल मिट्टी में मिल जाएगा।*   यहोवा की खोज कर और जीता रह+ताकि वह आग की तरह यूसुफ के घराने पर न भड़क उठे,बेतेल को ऐसे भस्म न कर दे कि उस आग को बुझानेवाला कोई न हो।   तुम न्याय को नागदौना* बना देते हो,नेकी को मिट्टी में मिला देते हो।+   जिस परमेश्‍वर ने किमा* और केसिल तारामंडल* बनाए,+जो घोर अंधकार को सुबह में बदल देता है,जो दिन को काली रात बना देता है,+जो समुंदर के पानी को बुलाता हैताकि उसे धरती पर बरसाए+—उसका नाम यहोवा है।   वह ताकतवर लोगों को अचानक नाश कर देगा,किलेबंद जगहों को तहस-नहस कर देगा। 10  वे उनसे नफरत करते हैं जो शहर के फाटक पर फटकार लगाते हैं,वे उनसे घिन करते हैं जो सच बोलते हैं।+ 11  तुम गरीब से ज़बरदस्ती लगान वसूलते हो,कर के नाम पर उसका अनाज ले लेते हो,+इसलिए तुम गढ़े पत्थरों से जो घर बनाकर रहते हो, उनमें और नहीं रह पाओगे,+तुमने जो बढ़िया अंगूरों के बाग लगाए हैं, उनकी दाख-मदिरा नहीं पी सकोगे।+ 12  मैं जानता हूँ कि तुमने कितनी बार बगावत की है,*कितने बड़े-बड़े पाप किए हैं,तुम नेक लोगों को सताते हो, रिश्‍वत लेते हो,शहर के फाटक पर गरीबों का हक मारते हो।+ 13  इसलिए अंदरूनी समझवाले उस समय चुप रहेंगे,क्योंकि वह विपत्ति का समय होगा।+ 14  भलाई की खोज करो, बुराई की नहीं+ताकि तुम जीते रहो।+ तब सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा तुम्हारे साथ रहेगा,जैसे तुम कहते हो कि वह तुम्हारे साथ है।+ 15  बुराई से नफरत करो और भलाई से प्यार करो,+शहर के फाटक पर न्याय की जीत हो।+ तब शायद सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवायूसुफ के बचे हुओं पर कृपा करे।’+ 16  इसलिए यहोवा, सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, ‘शहर के सभी चौकों पर रोना-पीटना होगा,गली-गली में हाय-हाय मचेगी,वे शोक मनाने के लिए किसानों को बुलाएँगे,किराए पर मातम मनानेवालों को बुलाएँगे।’ 17  यहोवा कहता है, ‘अंगूरों के हर बाग में रोना-पीटना होगा,+क्योंकि मैं तुम्हारे बीच से गुज़रूँगा।’ 18  ‘उन लोगों का बुरा होगा जो यहोवा के दिन के लिए तरसते हैं!+ तुम क्या उम्मीद करते हो, यहोवा के दिन क्या होगा?+ उस दिन अँधेरा होगा, उजाला नहीं।+ 19  उस दिन ऐसा होगा मानो एक आदमी शेर से बचकर भागता है और उसके सामने भालू आ जाता है,वह अपने घर में घुसकर दीवार पर हाथ टेकता है और एक साँप उसे डस लेता है। 20  क्या यहोवा के दिन, उजाले के बजाय अँधेरा नहीं होगा?तेज़ रौशनी के बजाय काली घटा नहीं होगी? 21  मैं तुम्हारे त्योहारों से नफरत करता हूँ, घिन करता हूँ,+तुम्हारी पवित्र सभाओं की सुगंध से खुश नहीं होता। 22  तुम चाहे मुझे पूरी होम-बलियाँ और भेंट का चढ़ावा चढ़ाओ,फिर भी मैं उनसे खुश नहीं होऊँगा,+तुम्हारे मोटे किए जानवरों की शांति-बलियाँ मंज़ूर नहीं करूँगा।+ 23  अपने गीतों का शोर-शराबा बंद करो,मुझे तुम्हारे तारोंवाले बाजों की धुन नहीं सुननी।+ 24  तुम्हारे देश में न्याय की नदी बहती रहे,+नेकी की धारा हमेशा बहती रहे। 25  हे इसराएल के घराने, वीराने में उन 40 सालों के दौरान,क्या तूने बलिदान और भेंट के चढ़ावे मुझे दिए थे?+ 26  अब तुम्हें अपने राजा सक्कूत और कैवान* को ले जाना होगा,अपनी बनायी मूरतों को, अपने देवता के सितारे को ले जाना होगा। 27  मैं तुम्हें दमिश्‍क से भी आगे बँधुआई में भेज दूँगा।’+ यह बात उसने कही है जिसका नाम सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा है।”+

कई फुटनोट

या शायद, “जादू-टोने की चीज़ बन जाएगा।”
या “कड़वा।”
शायद मृगशिरा तारामंडल।
शायद वृष तारामंडल में तारों का समूह, कृत्तिका।
या “कितने अपराध किए हैं।”
ये दोनों देवता शायद शनि गृह को दर्शाते थे, जिसे देवता मानकर पूजा जाता था।