आमोस 9:1-15

  • परमेश्‍वर के न्याय से कोई नहीं बचेगा (1-10)

  • दाविद का छप्पर खड़ा किया जाएगा (11-15)

9  मैंने यहोवा को वेदी के ऊपर देखा+ और उसने कहा, “खंभे के सिरे को मार और दहलीज़ें हिल जाएँगी। सिरों को काट डाल और मैं नाश से बचनेवाले सभी को तलवार से मार डालूँगा। कोई भी भाग नहीं पाएगा, जो बचने की कोशिश करेगा वह कामयाब नहीं होगा।+   अगर वे कब्र खोदकर उसमें जा छिपें,तो मैं हाथ बढ़ाकर उन्हें निकाल लाऊँगा।अगर वे ऊपर आसमानों में चले जाएँ,तो मैं उन्हें नीचे उतार लाऊँगा।   अगर वे करमेल की चोटी पर जाकर छिप जाएँ,तो मैं उन्हें ढूँढ़कर पकड़ लूँगा।+ अगर वे मेरी नज़रों से छिपने के लिए समुंदर के तल में उतर जाएँ,तो मैं वहाँ साँप को उन्हें डसने का हुक्म दूँगा।   अगर दुश्‍मन उन्हें बँधुआई में ले जाएँ,तो मैं वहाँ तलवार को हुक्म दूँगा और वह उन्हें मार डालेगी।+मैं उन पर नज़र रखूँगा, आशीष देने के लिए नहीं, विपत्ति लाने के लिए।+   क्योंकि देश* को छूनेवाला सारे जहान का मालिक और सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा है,इसलिए देश पिघल जाएगा+ और उसके सभी निवासी मातम मनाएँगे,+सारा देश नील नदी की तरह उमड़ने लगेगा,और मिस्र की नील की तरह घट जाएगा।+   ‘जो आसमानों तक जानेवाली सीढ़ियाँ बनाता है,धरती पर अपनी इमारत खड़ी* करता है,जो समुंदर के पानी को बुलाता हैताकि उसे धरती पर बरसाए+—उसका नाम यहोवा है।’+   यहोवा ऐलान करता है, ‘इसराएल के लोगो, क्या तुम मेरे लिए कूशियों जैसे नहीं हो? क्या मैं इसराएल को मिस्र से,+ पलिश्‍तियों को क्रेते से+और सीरिया को कीर से नहीं निकाल लाया था?’+   यहोवा ऐलान करता है, ‘देखो! मैं सारे जहान का मालिक यहोवा इस पापी राज्य को देख रहा हूँ,मैं धरती से इसका नामो-निशान मिटा दूँगा।+ मगर मैं याकूब के घराने को पूरी तरह नाश नहीं करूँगा।’+   ‘क्योंकि देखो! मैं हुक्म दे रहा हूँऔर मैं सब राष्ट्रों के बीच इसराएल के घराने को हिलाऊँगा,+जैसे कोई छलना हिलाता हैताकि एक भी कंकड़ ज़मीन पर न गिरे। 10  मेरे लोगों में से जितने भी पापी हैं, वे सब तलवार से मारे जाएँगे,वे सभी मारे जाएँगे जो कहते हैं, “विपत्ति हम पर नहीं आएगी, हमारे पास तक नहीं फटकेगी।”’ 11  ‘उस दिन मैं दाविद का गिरा हुआ छप्पर* खड़ा करूँगा,+मैं दरारें* भर दूँगा,जो खंडहर बन गया है उसे दोबारा बनाऊँगा,मैं उसे दोबारा बनाऊँगा और वह मुद्दतों पहले जैसा हो जाएगा+ 12  ताकि वे एदोम के बचे हुए हिस्से पर अधिकार करें+और उन सब राष्ट्रों पर भी, जो मेरे नाम से पुकारे जाते हैं।’ यह यहोवा का ऐलान है, जो यह सब कर रहा है। 13  यहोवा ऐलान करता है, ‘देखो! वे दिन आ रहे हैं,कटाई करनेवाले का काम पूरा होने से पहले जुताई करनेवाला आ जाएगा,अंगूर रौंदनेवाले से पहले बीज बोनेवाला आ जाएगा,+पहाड़ों से मीठी दाख-मदिरा टपकेगी,+सभी पहाड़ियों से इसकी धारा बहेगी।+ 14  मैं अपनी प्रजा इसराएल को इकट्ठा करके बँधुआई से वापस ले आऊँगा,+वे उजाड़ पड़े हुए शहरों को दोबारा बनाएँगे और उन्हें आबाद करेंगे,+वे अंगूरों के बाग लगाएँगे और उनकी दाख-मदिरा पीएँगे,+वे बगीचे लगाएँगे और उनका फल खाएँगे।’+ 15  तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा कहता है, ‘मैं उन्हें उनके देश में लगाऊँगा,मैंने उन्हें जो देश दिया है,वहाँ से उन्हें फिर कभी नहीं उखाड़ा जाएगा।’”+

कई फुटनोट

या “धरती।”
या “अपना गुंबद खड़ा।”
या “तंबू; झोपड़ी।”
या “उनकी दरारें।”