उत्पत्ति 13:1-18

  • अब्राम कनान लौटा (1-4)

  • वह और लूत अलग हुए (5-13)

  • उससे दोबारा वादा किया गया (14-18)

13  तब अब्राम मिस्र से निकल पड़ा। वह अपनी पत्नी और लूत को, साथ ही उसके पास जो कुछ था, सब लेकर नेगेब चला गया।+  अब्राम के पास बहुत-से मवेशी थे और ढेर सारा सोना-चाँदी था।+  फिर वह नेगेब से रवाना हुआ और जगह-जगह डेरा डालते हुए बेतेल की तरफ गया। वह उस जगह पहुँचा जो बेतेल और ऐ के बीच थी।+ यह वही जगह थी जहाँ उसने पहले भी एक बार अपना तंबू गाड़ा था  और एक वेदी बनायी थी। वहाँ अब्राम ने यहोवा का नाम पुकारा।  लूत के पास भी, जो अब्राम के साथ सफर कर रहा था, भेड़ें, गाय-बैल और तंबू थे।  वहाँ अब्राम और लूत के लिए जगह कम पड़ने लगी और उनका साथ रहना मुश्‍किल हो गया, क्योंकि उन दोनों के पास बहुत संपत्ति हो गयी थी।  इस वजह से अब्राम के चरवाहों और लूत के चरवाहों के बीच झगड़ा हो गया। (उन दिनों उस देश में कनानी और परिज्जी लोग रहते थे।)+  तब अब्राम ने लूत+ से कहा, “देख, हम दोनों भाई-भाई हैं। इसलिए यह ठीक नहीं कि हम दोनों के बीच और हमारे चरवाहों के बीच झगड़ा हो।  क्यों न हम एक-दूसरे से अलग हो जाएँ? देख, तेरे सामने यह सारा देश पड़ा है। अगर तू बायीं तरफ जाएगा, तो मैं दायीं तरफ चला जाऊँगा। और अगर तू दायीं तरफ जाएगा तो मैं बायीं तरफ चला जाऊँगा।” 10  तब लूत ने चारों तरफ नज़र दौड़ायी और यरदन का पूरा इलाका देखा+ जो दूर सोआर+ तक फैला था। उसने देखा कि पूरा इलाका यहोवा के बाग*+ जैसा और मिस्र जैसा है और वहाँ भरपूर पानी है (तब तक यहोवा ने सदोम और अमोरा का नाश नहीं किया था)। 11  इसलिए लूत ने अपने लिए यरदन का पूरा इलाका चुना। उसने अपना डेरा उठाया और पूरब की तरफ चला गया। इस तरह अब्राम और लूत एक-दूसरे से अलग हो गए। 12  अब्राम कनान देश में ही रहा जबकि लूत यरदन के इलाके के शहरों के पास रहने लगा।+ आखिर में उसने सदोम के पास अपना तंबू गाड़ा। 13  सदोम के लोग बहुत दुष्ट थे और यहोवा के खिलाफ घोर पाप करते थे।+ 14  अब्राम से लूत के अलग होने के बाद यहोवा ने अब्राम से कहा, “ज़रा अपनी आँखें उठाकर चारों तरफ देख। जहाँ तू है वहाँ से उत्तर-दक्षिण, पूरब-पश्‍चिम चारों दिशाओं में अपनी नज़र दौड़ा, 15  क्योंकि यह सारा देश जो तू देख रहा है, यह मैं तुझे और तेरे वंश* को हमेशा के लिए दे दूँगा। यह तुम्हारी जागीर होगा।+ 16  मैं तेरे वंश को इतना बढ़ाऊँगा कि उनकी गिनती धूल के कणों की तरह अनगिनत हो जाएगी। जैसे कोई धूल के कणों को नहीं गिन सकता, वैसे ही तेरे वंश को भी कोई नहीं गिन पाएगा।+ 17  अब जा, पूरे देश का दौरा कर* क्योंकि यह देश मैं तुझे दूँगा।” 18  इसलिए अब्राम जगह-जगह तंबुओं में ही रहा। बाद में वह हेब्रोन+ में ममरे गया और वहाँ उसने बड़े-बड़े पेड़ों के बीच डेरा डाला+ और यहोवा के लिए एक वेदी बनायी।+

कई फुटनोट

यानी अदन का बाग।
शा., “बीज।”
शा., “देश की लंबाई और चौड़ाई में चल फिर।”