उत्पत्ति 49:1-33

  • याकूब की भविष्यवाणी (1-28)

    • शीलो, यहूदा से निकलेगा (10)

  • अपने दफनाए जाने के बारे में निर्देश (29-32)

  • याकूब की मौत (33)

49  याकूब ने अपने सभी बेटों को बुलाया और कहा, “तुम सब मेरे पास इकट्ठा हो जाओ, मैं तुम्हें बताना चाहता हूँ कि आगे चलकर तुम्हारे साथ क्या-क्या होगा।  याकूब के बेटो, तुम सब एक-साथ जमा हो जाओ और मेरी बात सुनो, अपने पिता इसराएल की बात सुनो।  रूबेन,+ तू मेरा पहलौठा है,+ मेरा दमखम, मेरी शक्‍ति* की पहली निशानी। तू सबसे बढ़कर गौरवशाली और ताकतवर है।  मगर तू औरों से आगे नहीं बढ़ पाएगा, क्योंकि तू उफनती लहरों की तरह बेकाबू हो जाता है और तू अपने पिता की सेज पर चढ़ गया।+ हाँ, तूने मेरी सेज दूषित कर दी थी।* वाकई, उसने कैसा काम किया!  शिमोन और लेवी भाई-भाई हैं।+ वे अपने हथियार से मार-काट मचाते हैं।+  हे मेरे मन, उनके दल में शामिल मत हो। हे मेरे आदर,* उनकी टोली में मत मिल, क्योंकि उन्होंने गुस्से से भरकर आदमियों का कत्ल कर डाला+ और तमाशे के लिए बैलों की घुटनस काट दी।  धिक्कार है उनके गुस्से पर जो रहम से खाली है। धिक्कार है उनके क्रोध पर जो बहुत खूँखार है।+ मैं उन दोनों को याकूब के देश में बिखरा दूँगा, इसराएल में तितर-बितर कर दूँगा।+  हे यहूदा,+ तेरे भाई तेरी तारीफ करेंगे।+ तेरा हाथ तेरे दुश्‍मनों की गरदन पर होगा।+ तेरे पिता के बेटे तेरे आगे सिर झुकाएँगे।+  यहूदा शेर का बच्चा है।+ मेरे बेटे, तू अपने शिकार को मारकर ही लौटेगा। यहूदा एक शेर की तरह ज़मीन पर पैर फैलाए लेटा है। किसकी मजाल कि उसे छेड़े? 10  जब तक शीलो* न आए,+ तब तक यहूदा के हाथ से राजदंड नहीं छूटेगा,+ न ही उसके पैरों के बीच से हाकिम की लाठी दूर होगी। देश-देश के लोग उसकी आज्ञा मानेंगे।+ 11  यहूदा अपने गधे को अंगूर की बेल से और अपनी गधी के बच्चे को बढ़िया अंगूर की बेल से बाँधेगा। वह अपने कपड़े दाख-मदिरा में और अपना बागा अंगूर के रस में धोएगा। 12  उसकी आँखें दाख-मदिरा पीने से लाल हैं और उसके दाँत दूध पीने से सफेद हैं। 13  जबूलून+ समुंदर किनारे बसेगा, हाँ, तट के पास जहाँ जहाज़ों का लंगर डाला जाता है+ और उसकी सरहद सीदोन तक फैली होगी।+ 14  इस्साकार+ एक बलवान गधे की तरह है, जो ज़ीन में दोनों तरफ भारी बोझ लादे हुए भी आराम कर सकता है। 15  इस्साकार देखेगा कि उसके रहने की जगह बढ़िया है, उसके हिस्से की ज़मीन अच्छी है। वह बोझ उठाने के लिए अपना कंधा झुकाएगा और कड़ी मज़दूरी करने से पीछे नहीं हटेगा। 16  दान+ इसराएल का एक गोत्र होकर अपने जाति भाइयों का न्याय करेगा।+ 17  दान सड़क किनारे का साँप होगा, रास्ते का सींगवाला साँप जो घोड़े की एड़ी को ऐसा डसता है कि सवार पछाड़ खाकर गिर पड़ता है।+ 18  हे यहोवा, मैं उद्धार के लिए तेरी ही राह देखूँगा। 19  गाद+ पर लुटेरा-दल हमला करेगा, मगर वह उनका डटकर मुकाबला करेगा और उन्हें भगा-भगाकर मारेगा।+ 20  आशेर+ के पास रोटी* की भरमार होगी और वह राजाओं के लायक बढ़िया-से-बढ़िया खाना मुहैया कराएगा।+ 21  नप्ताली+ हिरनी जैसा फुर्तीला है। उसके बोल मनभावने हैं।+ 22  यूसुफ+ एक फलदार पेड़ की टहनी है, उस फलदार पेड़ की जो एक सोते के किनारे लगा है और जिसकी लंबी-लंबी डालियाँ दीवार लाँघ जाती हैं। 23  मगर तीरंदाज़ यूसुफ को सताते रहे, उस पर तीर चलाते रहे और मन में उसके खिलाफ दुश्‍मनी पालते रहे।+ 24  फिर भी उसकी कमान नहीं डगमगायी,+ उसके हाथ मज़बूत बने रहे और फुर्ती से चलते रहे।+ इसके पीछे याकूब के शक्‍तिमान का हाथ था, उस चरवाहे का हाथ था जो इसराएल का पत्थर है। 25  वह* अपने पिता के परमेश्‍वर का दिया एक तोहफा है। वह सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर के साथ है। परमेश्‍वर उसकी मदद करेगा। वह उस पर आशीषों की बौछार करेगा, ऊपर आकाश की और नीचे गहरे सागर की आशीषें देगा।+ उसकी आशीष से उसकी बहुत-सी संतान होंगी और उसके जानवरों की बढ़ती होगी। 26  उसके पिता की ये आशीषें, युग-युग तक खड़े रहनेवाले पहाड़ों की उम्दा चीज़ों से बढ़कर होंगी और सदा कायम रहनेवाली पहाड़ियों की खूबसूरती से कहीं निराली होंगी।+ यूसुफ जो अपने भाइयों में से अलग किया गया है, उस पर ये आशीषें सदा बनी रहेंगी।+ 27  बिन्यामीन+ एक भेड़िए की तरह अपने शिकार को फाड़ खाता रहेगा।+ सुबह वह अपना शिकार खाएगा और शाम को लूट का माल बाँटेगा।”+ 28  ये सभी इसराएल के 12 गोत्र हैं और उनके पिता ने उन्हें आशीर्वाद देते वक्‍त यही सब कहा था। उसने हरेक को वैसा आशीर्वाद दिया जिसके वह योग्य था।+ 29  इसके बाद याकूब ने अपने बेटों को ये आज्ञाएँ दीं: “देखो, अब मेरे मरने की घड़ी आ गयी है।*+ तुम मुझे उस गुफा में दफना देना जिसमें मेरे पुरखों को दफनाया गया था, उस गुफा में जो हित्ती एप्रोन की ज़मीन में है,+ 30  कनान देश में ममरे के पास मकपेला की ज़मीन में। यह ज़मीन अब्राहम ने हित्ती एप्रोन से खरीदी थी ताकि कब्र के लिए उसकी अपनी ज़मीन हो। 31  वहाँ अब्राहम और उसकी पत्नी सारा को और इसहाक और उसकी पत्नी रिबका को दफनाया गया था+ और वहीं मैंने लिआ को दफनाया था। 32  वह ज़मीन और उसमें जो गुफा है, उसे हित्ती लोगों से खरीदा गया था।”+ 33  इस तरह याकूब ने अपने बेटों को ये हिदायतें दीं। इसके बाद वह अपने पलंग पर लेट गया और उसने आखिरी साँस ली और वह मर गया।*+

कई फुटनोट

या “संतान पैदा करने की शक्‍ति।”
या “का अपमान किया था।”
या शायद, “मन का रुझान।”
मतलब “वह जिसका यह है; वह जो इसका हकदार है।”
या “खाने।”
यानी यूसुफ।
शा., “मैं अपने लोगों से मिलने पर हूँ।”
शा., “अपने लोगों में जा मिला।”