एज्रा 10:1-44

  • पत्नियों को वापस भेजने का करार (1-14)

  • पत्नियों को वापस भेज दिया (15-44)

10  एज्रा सच्चे परमेश्‍वर के भवन के सामने मुँह के बल पड़ा हुआ रो-रोकर प्रार्थना कर रहा था+ और अपने लोगों के पाप कबूल कर रहा था। तब इसराएली आदमी-औरतों और बच्चों की एक बड़ी भीड़ उसके पास इकट्ठा हो गयी और फूट-फूटकर रोने लगी।  एलाम के बेटों*+ में से यहीएल+ के बेटे शकन्याह ने एज्रा से कहा, “हमने आस-पास के देशों की औरतों से शादी करके* अपने परमेश्‍वर के साथ विश्‍वासघात किया है।+ मगर इसराएल के लिए अब भी उम्मीद बाकी है।  हम अपने परमेश्‍वर के साथ यह करार करना चाहते हैं+ कि हम अपनी-अपनी पत्नियों को वापस उनके देश भेज देंगे। और उनके साथ-साथ बच्चों को भी खुद से दूर कर देंगे। इस तरह हम यहोवा के आदेशों को मानेंगे और उन लोगों की सलाह पर चलेंगे जो परमेश्‍वर की आज्ञाओं का गहरा आदर करते हैं।*+ जैसा कानून में कहा गया है हम वैसा ही करेंगे।  हे एज्रा उठ क्योंकि इस मामले को निपटाना तेरी ज़िम्मेदारी है और हम तेरे साथ हैं। हिम्मत रख और इस काम को पूरा कर।”  तब एज्रा उठा और उसने याजकों के प्रधानों, लेवियों और सब इसराएलियों को शपथ खिलायी कि जैसा उन्होंने कहा है वैसा ही करें।+ उन सबने शपथ खायी।  फिर एज्रा सच्चे परमेश्‍वर के भवन के सामने से उठकर एल्याशीब के बेटे यहोहानान के भोजन के कमरे में गया। लेकिन एज्रा ने वहाँ कुछ नहीं खाया-पीया क्योंकि वह बँधुआई से आए अपने लोगों के विश्‍वासघात पर शोक मना रहा था।+  तब पूरे यहूदा और यरूशलेम में घोषणा करवायी गयी कि बँधुआई से आए सभी लोग यरूशलेम में इकट्ठा हों।  अगर कोई हाकिमों और मुखियाओं का यह फैसला नहीं मानेगा और तीन दिन के अंदर नहीं आएगा, तो उसकी सारी चीज़ें ज़ब्त कर ली जाएँगी और उसे बँधुआई से आए लोगों की मंडली से बेदखल कर दिया जाएगा।+  यहूदा और बिन्यामीन के सभी आदमी तीन दिन के अंदर यरूशलेम में इकट्ठा हो गए। नौवें महीने के 20वें दिन सब लोग सच्चे परमेश्‍वर के भवन के आँगन में बैठे हुए थे। मामला बड़ा संगीन था इसलिए उनके हाथ-पैर काँप रहे थे। ठंड के मारे भी उनकी कँपकँपी छूट रही थी क्योंकि ज़ोरों की बारिश हो रही थी। 10  तब याजक एज्रा ने उनसे कहा, “तुमने आस-पास के देशों की औरतों से शादी करके परमेश्‍वर के साथ विश्‍वासघात किया है।+ ऐसा करके तुमने इसराएल को और दोषी बना दिया है। 11  इसलिए अब अपने पुरखों के परमेश्‍वर यहोवा के सामने अपने पाप मान लो और उसकी मरज़ी के मुताबिक काम करो। आस-पास के देशों के लोगों से खुद को अलग करो और उन औरतों से भी जिनसे तुमने शादी की है।”+ 12  तब पूरी मंडली ने ज़ोर से कहा, “जैसा तूने कहा है हम वैसा ही करेंगे। 13  मगर इस बारिश के मौसम में इतने सारे लोगों का बाहर खड़े रहना मुश्‍किल है। और यह मामला ऐसा नहीं कि इसे एक-दो दिन में सुलझाया जा सके क्योंकि हममें से बहुतों ने यह पाप किया है। 14  इसलिए पूरी मंडली के बजाय हमारे हाकिमों को यहाँ रहने दे।+ और जिस-जिस ने आस-पास के देशों की औरतों से शादी की है, वह एक तय वक्‍त पर अपने-अपने शहर के मुखिया और न्यायी के साथ आए। तभी इस मामले में परमेश्‍वर की जलजलाहट हमसे दूर होगी।” 15  लेकिन असाहेल के बेटे योनातान और तिकवा के बेटे यहजयाह ने इसका विरोध किया और मशुल्लाम और शब्बतै नाम के लेवियों+ ने उनका साथ दिया। 16  मगर बँधुआई से छूटे लोगों ने वही किया जो तय किया गया था। दसवें महीने के पहले दिन याजक एज्रा ने मामले की जाँच के लिए इसराएल के उन आदमियों की बैठक बुलायी, जो अपने-अपने पिता के कुल के मुखिया थे और जिनके नाम लिखे हुए थे। 17  और पहले महीने के पहले दिन तक उन्होंने उन सभी आदमियों का मामला निपटा लिया, जिन्होंने आस-पास के देशों की औरतों से शादी की थी। 18  जाँच करने पर पता चला था कि याजकों के कुछ बेटों ने आस-पास के देशों की औरतों से शादी की थी।+ वे थे: यहोसादाक के बेटे येशू+ के भाइयों और बेटों में से मासेयाह, एलीएज़ेर, यारीब और गदल्याह। 19  लेकिन उन्होंने वादा किया कि वे अपनी पत्नियों को वापस उनके देश भेज देंगे। और क्योंकि वे दोषी थे उन्होंने यह भी कहा कि वे अपने पापों के प्रायश्‍चित के लिए झुंड से एक-एक मेढ़ा चढ़ाएँगे।+ 20  पाप करनेवालों में ये भी थे: इम्मेर के बेटों+ में से हनानी और जबद्याह; 21  हारीम के बेटों+ में से मासेयाह, एलियाह, शमायाह, यहीएल और उज्जियाह; 22  पशहूर के बेटों+ में से एल्योएनै, मासेयाह, इश्‍माएल, नतनेल, योजाबाद और एलिआसा। 23  और लेवियों में से योजाबाद, शिमी, केलायाह (यानी कलीता), पतहयाह, यहूदा और एलीएज़ेर। 24  गायकों में से एल्याशीब और पहरेदारों में से शल्लूम, तेलेम और ऊरी। 25  इसराएलियों में से ये थे: परोश के बेटों+ में से रम्याह, यिज्जियाह, मल्कियाह, मियामीन, एलिआज़र, मल्कियाह और बनायाह। 26  एलाम के बेटों+ में से मत्तन्याह, जकरयाह, यहीएल,+ अब्दी, यरेमोत और एलियाह। 27  जत्तू के बेटों+ में से एल्योएनै, एल्याशीब, मत्तन्याह, यरेमोत, जाबाद और अज़ीज़ा। 28  बेबई के बेटों+ में से यहोहानान, हनन्याह, जब्बै और अतलै। 29  बानी के बेटों में से मशुल्लाम, मल्लूक, अदायाह, याशूब, शाल और यरेमोत। 30  पहत-मोआब के बेटों+ में से अदना, कलाल, बनायाह, मासेयाह, मत्तन्याह, बसलेल, बिन्‍नूई और मनश्‍शे। 31  हारीम के बेटों+ में से एलीएज़ेर, यिश्‍शियाह, मल्कियाह,+ शमायाह, शिमोन, 32  बिन्यामीन, मल्लूक और शमरयाह। 33  हाशूम के बेटों+ में से मत्तनै, मत्तता, जाबाद, एलीपेलेत, यरेमै, मनश्‍शे और शिमी। 34  बानी के बेटों में से मादै, अमराम, ऊएल, 35  बनायाह, बेदयाह, कलूही, 36  वन्याह, मरेमोत, एल्याशीब, 37  मत्तन्याह, मत्तनै और यासू। 38  बिन्‍नूई के बेटों में से शिमी, 39  शेलेम्याह, नातान, अदायाह, 40  मक्नदबै, शाशै, शारै, 41  अजरेल, शेलेम्याह, शमरयाह, 42  शल्लूम, अमरयाह और यूसुफ। 43  और नबो के बेटों में से यीएल, मतित्याह, जाबाद, जबीना, यद्दई, योएल और बनायाह। 44  इन सबने आस-पास के देशों की औरतों से शादी की थी+ और अपने-अपने बीवी-बच्चों को वापस उनके देश भेज दिया।+

कई फुटनोट

इस अध्याय में “बेटे” का मतलब “वंशज” भी हो सकता है। और कुछ जगहों पर “बेटे” का मतलब “निवासी” भी हो सकता है।
या “औरतों को अपने घरों में लाकर।”
शा., “आज्ञाओं के कारण थरथराते हैं।”