एज्रा 6:1-22

  • दारा की ढूँढ़-ढाँढ़ और फरमान (1-12)

  • मंदिर बना और उसका उद्‌घाटन (13-18)

  • फसह मनाया गया (19-22)

6  तब राजा दारा ने हुक्म दिया कि बैबिलोन के भंडार* में जहाँ कीमती चीज़ें रखी जाती हैं, ढूँढ़-ढाँढ़ की जाए।  खोज करने पर मादै प्रांत में एकबतना के किले में एक खर्रा बरामद हुआ, जिसके आधार पर यह फरमान निकाला गया:  “राजा कुसरू ने अपने राज के पहले साल में यरूशलेम में परमेश्‍वर के भवन के बारे में यह हुक्म दिया था:+ ‘भवन की नींव डाली जाए और उसे दोबारा बनाया जाए ताकि वहाँ बलिदान चढ़ाए जा सकें। भवन 60 हाथ* ऊँचा और 60 हाथ चौड़ा हो।+  दीवारें खड़ी करते वक्‍त बड़े-बड़े पत्थरों के तीन रद्दे और मोटी लकड़ी का एक रद्दा डाला जाए।+ इनका खर्च शाही खज़ाने से दिया जाए।+  और यरूशलेम में परमेश्‍वर के भवन से सोने-चाँदी के जितने बरतन नबूकदनेस्सर बैबिलोन ले आया था,+ उन्हें वापस अपनी जगह यानी परमेश्‍वर के मंदिर में रखा जाए।’+  इसलिए महानदी* के उस पार रहनेवाले राज्यपाल तत्तनै और शतर-बोजनै और उनके साथियो यानी महानदी के उस पार के उप-राज्यपालो,+ सुनो! उस जगह से दूर रहो।  परमेश्‍वर के भवन के काम में दखल मत दो। यहूदियों का राज्यपाल और उनके मुखिया भवन को दोबारा वहीं खड़ा करेंगे जहाँ वह पहले था।  मेरा यह भी हुक्म है कि परमेश्‍वर का भवन बनानेवाले इन मुखियाओं की मदद की जाए। महानदी के उस पार के इलाकों से जितना भी कर हमारे शाही खज़ाने+ में जमा होता है, उसमें से फौरन इमारत का खर्च उन्हें दिया जाए ताकि उनका काम बिना रुके चलता रहे।+  और यरूशलेम में उनके याजक स्वर्ग के परमेश्‍वर को होम-बलि चढ़ाने के लिए बैल,+ मेढ़ा,+ मेम्ना+ जो भी माँगें, वह उन्हें दिया जाए। इसके अलावा गेहूँ,+ नमक,+ दाख-मदिरा,+ तेल+ जो कुछ उन्हें चाहिए, वह हर दिन बिना नागा उन्हें दिया जाए 10  ताकि वे स्वर्ग के परमेश्‍वर को ऐसे चढ़ावे अर्पित करते रहें जिनसे वह खुश हो। और वे राजा और उसके बेटों की लंबी उम्र की दुआ माँगते रहें।+ 11  मैं यह भी हुक्म देता हूँ, जो इस फरमान को नहीं मानेगा उसके घर से एक बल्ली उखाड़ी जाएगी और उसे उस पर लटका दिया जाएगा। * और इस अपराध के लिए उसके घर को हर आने-जानेवाले के लिए शौचालय* बना दिया जाएगा। 12  चाहे राजा हो या प्रजा, जो भी मेरा हुक्म तोड़कर यरूशलेम में परमेश्‍वर के भवन का नाश करेगा, परमेश्‍वर उसका सर्वनाश कर देगा, वही परमेश्‍वर जिसने इस भवन को अपने नाम की महिमा के लिए चुना है।+ मैं, राजा दारा यह हुक्म जारी करता हूँ। इस पर फौरन अमल किया जाए।” 13  तब महानदी के उस पार के राज्यपाल तत्तनै ने और शतर-बोजनै+ और उनके साथियों ने फौरन राजा दारा के हुक्म पर अमल किया और उसकी एक-एक बात मानी। 14  हाग्गै की भविष्यवाणियों और इद्दो के पोते जकरयाह की भविष्यवाणियों से हिम्मत पाकर+ यहूदियों के मुखियाओं ने भवन बनाना जारी रखा और उसे बड़ी तेज़ी से करते रहे।+ उन्होंने मंदिर का काम पूरा कर लिया, जिसका हुक्म इसराएल के परमेश्‍वर ने उन्हें दिया था+ और जिसका आदेश फारस के राजा कुसरू,+ दारा+ और अर्तक्षत्र* ने दिया था।+ 15  इस तरह मंदिर का काम अदार* महीने के तीसरे दिन पूरा हुआ। यह राजा दारा के राज का छठा साल था। 16  तब याजक, लेवी+ और बाकी जितने भी लोग बँधुआई से आए थे यानी सब इसराएलियों ने खुशी-खुशी परमेश्‍वर के भवन का उद्‌घाटन* किया। 17  इस मौके पर उन्होंने 100 बैल, 200 मेढ़े और 400 मेम्ने चढ़ाए। और पूरे इसराएल के लिए 12 बकरे पाप-बलि के तौर पर अर्पित किए, हर गोत्र के लिए एक बकरा।+ 18  इसके अलावा, उन्होंने याजकों के दल बनाए और लेवियों को समूहों में बाँटा और उन्हें यरूशलेम में परमेश्‍वर की सेवा के लिए ठहराया।+ मूसा की किताब में जैसा लिखा था वैसा ही किया गया।+ 19  बँधुआई से छूटकर आए लोगों ने पहले महीने के 14वें दिन फसह का त्योहार मनाया।+ 20  सभी याजकों और लेवियों ने फसह मनाने के लिए खुद को शुद्ध किया,+ उनमें से एक भी अशुद्ध हालत में नहीं था। उन्होंने बँधुआई से लौटे सब लोगों के लिए, अपने साथी याजकों और अपने लिए फसह का मेम्ना काटा। 21  तब बँधुआई से आए इसराएलियों ने फसह का मेम्ना खाया। उनके साथ उन लोगों ने भी खाया जिन्होंने आस-पास के देशों के अशुद्ध काम छोड़कर खुद को शुद्ध किया था और इसराएल के परमेश्‍वर यहोवा की उपासना करने* के लिए उनके साथ हो लिए थे।+ 22  उन सबने खुशी-खुशी सात दिन तक बिन-खमीर की रोटी का त्योहार भी मनाया+ क्योंकि उन्हें ये खुशियाँ यहोवा की वजह से मिली थीं। इसराएल के परमेश्‍वर ने ही अश्‍शूर के राजा* के मन को उभारा था कि वह इसराएलियों पर मेहरबान हो+ और सच्चे परमेश्‍वर का भवन बनाने में उनकी मदद करे।

कई फुटनोट

शा., “दस्तावेज़ों के भवन।”
करीब 26.7 मी. (87.6 फुट)। अति. ख14 देखें।
या “फरात नदी।”
या शायद, “कूड़े की जगह; गू-गोबर का ढेर।”
या “और उसे घोंपकर लटका दिया जाएगा।”
यानी अर्तक्षत्र प्रथम। यह एज 4:7 में बताया अर्तक्षत्र गौमाता नहीं है।
अति. ख15 देखें।
या “समर्पण।”
शा., “की खोज करने।”
फारस के राजा दारा प्रथम के लिए इस्तेमाल हुई उपाधि। उस वक्‍त वह उस इलाके पर राज कर रहा था जो पहले अश्‍शूरी साम्राज्य का इलाका था।